“आओ, मेरा अनुसरण करो के माध्यम से सेवकाई,” लियाहोना, सितंबर 2020
सेवकाई सिद्धांत, सितंबर 2020
आओ, मेरा अनुसरण करो के माध्यम से सेवकाई
किस प्रकार आओ, मेरा अनुसरण करो दूसरों के जीवन को प्रभावित करने में आपकी मदद कर सकता है ?
चाहे आप अपने परिवार के साथ हों, रविवार विद्यालय की कक्षा में एक शिक्षक अथवा छात्र के रूप में हों, या विद्यालय, कार्यस्थल या कहीं और हों, आओ, मेरा अनुसरण करो के माघ्यम से धर्मशास्त्र अध्ययन करने से दूसरों की सेवा करने के पर्याप्त अवसर मिलते हैं । आखिरकार, सिखाना “रविवार को एक चर्चा का संचालन करने से बढ़ कर है; इसमें शामिल है प्रेम के साथ सेवा और सुसमाचार से दूसरों को आशीषित करना ।”1
छात्रों के साथ जुड़ना
जब मेक्सिको सिटी के वार्ड में युवा वयस्कों को पढ़ाने के लिए ओफीलिया त्रेहो दे कारदेनास को नियुक्त किया गया, तो उसने महसूस किया कि प्रत्येक रविवार विद्यालय छात्र के साथ एक घनिष्ठ संबंध से उन्हें पढ़ाने और मजबूत बनाने की उसकी क्षमता बढ़ेगी ।
“यदि मेरा अपने छात्रों के साथ एक घनिष्ट संबंध नहीं होगा और यदि वे मेरे प्रेम को महसूस नहीं करेंगे, तो वे शायद मुझ पर विश्वास न करें जब मैं पाठ पढ़ा रही होंगी या गवाही दे रही होंगी,” वह कहती है । “उन्हें शायद लगेगा कि मैं केवल एक रविवार विध्यालय की शिक्षिका हूं ।“
परन्तु किस प्रकार बहन कारदेनास एक ऐसा संबंध बना पाती यदि वह हर दो सप्ताह में केवल एक बार पढ़ाती ? उसने प्रौद्योगिक माध्यम से अपना उत्तर पाया । मोबाइल फोन एप्लीकेशन वॉट्सऍप के प्रयोग से, वह और उसके छात्र शीघ्र ही टेक्स्ट और वॉइस संदेशों से प्रतिदिन संपर्क करने लगे । अब, अगले रविवार विध्यालय पाठ से पहले, प्रतिदिन कक्षा का एक स्वयंसेवक कक्षा के अन्य सदस्यों को अगले पाठ में से, धर्मशास्त्र का एक पद, एक संबंधित व्यक्तिगत विचार के साथ भेजता है । उस पद और विचार को पढ़ने के बाद, कक्षा के सदस्य स्वयं के विचारों के साथ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं ।
“जब वे धर्मशास्त्र पढ़ते हैं, वे एक हैपी फेस भेजते हैं तो मुझे पता चल जाता है कि उन्होंने धर्मशास्त्र पढ़ा या उसका अध्ययन किया है और कि उन्होंने उसके बारे में विचार किया है,” बहन कारदेनास कहती है। जब अगले रविवार पाठ का समय आता है, तो छात्र भाग लेने के लिए तैयार रहते हैं ।
इस दैनिक संपर्क से एक युवा वयस्क को हाल ही में आशीष मिली, जिसके माता-पिता गिरजे में सक्रिय नहीं हैं ।
“मुझे बहुत अच्छा लगता है जब मैं उसे गिरजे में आते हुए देखती हूं, क्योंकि मैं जानती हूं कि उसे वहां पहुंचने के लिए, कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है,” बहन कारदेनास कहती है । “मुझे यकीन है कि जो धर्मशास्त्र और विचार उसके सहपाठियों ने भेजे थे और जो धर्मशास्त्र और विचार उसने भेजे थे जब उसकी बरी थी, इनसे उसे बहुत शक्ति मिली है ।”
बहन कारदेनास कहती है कि धर्मशास्त्रों के माध्यम से सेवकाई, उसके रविवार के पाठ और उसकी कक्षा के दैनिक धर्मशास्त्र संपर्क के साथ समाप्त नहीं होती ।
वह कहती है, “मेरी तैयारी में अपने छात्रों के लिए प्रार्थना करना शामिल है” । “मैं उनके बारे में केवल रविवार को ही नहीं बल्कि सप्ताह के हर दिन भी सोचती हूं । उनमें से हर किसी की जरूरतें विशिष्ट और अलग हैं । प्रत्येक परमेश्वर की संतान है । जब मैं अपना पाठ तैयार कर रही होती हूं, तो मैं उनके बारे में सोचती हूं ।”
और जब वह पढ़ाती है, वह सुनती है—छात्रों और पवित्र आत्मा, दोनों को ।
“शिक्षक पवित्र आत्मा है,” जिसे वह अक्सर अपने छात्रों की आवाज में सुनती है । “मुझे ध्यान देना पड़ता है क्यूंकि वे जो कहते हैं वह प्रकटीकरण होता है जो पवित्र आत्मा उन्हें दे रही होती है ।”
हमारी कक्षा “घरेलु संध्या की तरह” है
कार्ला गुटिरेज ओर्तेगा कोर्डोबा बहन कारदेनास के रविवार की कक्षा के पोषित करनेवाले और सेवापूर्ण माहौल के कारण उसका सदस्य होने से आशीषित महसूस करती है । कार्ला उस माहौल का श्रेय कई कारकों को देती है, इनमें शामिल हैं:
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तैयारी: धर्मशास्त्र के पदों और विचारों को साझा करने से छात्रों को अगली कक्षा के लिए तैयारी करने में मदद मिलती है । “प्रतिदिन धर्मशास्त्र पद हमें पोषित करते हैं और हमारे ज्ञान की वृद्धि होती है,” वह समझती है ।
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भाग लेना: “हम सभी बोलते हैं । इससे मैं अपने सहपाठियों को, दोस्तों, और भाइयों और बहनों के रूप में, अधिक गहराई से जान सकती हूं ।”
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प्रेम: “बहन कारदेनास आपका हाथ थामती है । कई भाइयों और बहनों के साथ, हमारी कक्षा घरेलु संध्या की तरह लगती है । यह बहुत खास है ।”
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पवित्र आत्मा: “हमारी कक्षा में एक सुखद, सद्भावपूर्ण आत्मा रहती है क्यूंकि हम सभी का स्वभाव आत्मा के अनुकूल होता है ।”
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गवाही: “आओ, मेरा अनुसरण करो ने मुझे अपनी गवाही साझा करने के लिए तैयार रहने में मदद की है । मुझे मॉरमन की पुस्तक और बाइबिल का अधिक गहरा ज्ञान है । इससे मुझे मौका मिलता है कि जो मैं सीख रही हूं, उसे मैं विद्यालय में अपने सहपाठियों और काम पर लोगों के साथ साझा कर सकती हूं ।”
आत्मिक आवश्यकताओं अनुसार सेवा करना
जब ग्रेग और निकी क्रिसचंसन, जो केंटकी, युएसए से हैं, ने अपने तीन बेटों के साथ धर्मशास्त्रों से इब्राहीम के अनुबंध के बारे में पढ़ा, तो उनको उन्हें समझाना कठिन लगा । उन्होंने एक परिवार के रूप में निर्णय किया कि उनमें से हर कोई इब्राहीम के अनुबंध का अध्ययन स्वयं करेगा और फिर जो उन्होंने सीखा है उसे साझा करेंगे ।
“हमें कुछ दिलचस्प टिप्पणियां मिलीं,” ग्रेग कहता है । “हमारे आठ वर्षीय बच्चे ने सीखा कि इब्राहीम का नाम पहले इब्राम हुआ करता था । उसका नाम बदल कर इब्राहीम हो गया क्यूंकि उसने प्रभु से वादा किया था कि वह पाप से हट जाएगा और एक धार्मिक जीवन जिएगा । मैं बहुत आश्चर्यचकित था कि उसने यह ज्ञान प्रस्तुत किया”
उन सभी ने कुछ नया सीखा और इन विषयों पर एक अच्छी चर्चा की कि इब्राहीम का अनुबंध क्या है और आज के समय में अंतिम-दिनों के संतों के लिए इसका क्या अर्थ है ।
“पहले हम अपने पारिवारिक धर्मशास्त्र अध्ययन के लिए, कमरे में सभी केवल बारी बारी से धर्मशास्त्र के पद पढ़ते थे,” निकी कहती है । “आओ, मेरा अनुसरण करो आत्मा के द्वारा सिखाने पर अधिक केंद्रित है । जब हम एक साथ अध्ययन करते हैं, मुझे महसूस होता कि हमारे परिवार की जरूरतों के आधार पर हमारी चर्चाओं को पवित्र आत्मा एक दूसरी दिशा में ले जाने के लिए प्रेरित कर रही है ।”
आओ, मेरा अनुसरण करो के प्रयोग से न केवल उनके परिवार को पारिवारिक सुसमाचार अध्ययन में अधिक व्यस्त होने और रुचि रखने में मदद की है, बल्कि इससे ग्रेग और निकी को अपने बच्चों की आत्मिक आवश्यकताओं के अनुसार सेवा करने में भी मदद मिली है ।
“आओ, मेरा अनुसरण करो मुझे अपने बच्चों को सिखाने में मदद करता है,” निकी कहती है । “इससे मुझे भिन्न चुनौतियों को संभालने में भी मदद मिलती है जिनका मैं कई बार अपने बच्चों के साथ सामना करती हूं । मैं स्वयं को आत्मा के और निकट महसूस करती हूं, मैं और ध्यान से सुनती हूं, और मैं किस प्रकर प्रत्येक बच्चे की मदद कर सकती हूं इसके लिए मैंने संकेत पाए हैं ।
ग्रेग को आओ, मेरा अनुसरण करो से परिवार में उत्पन्न होने वाली और लम्बी सुसमाचार चर्चाओं से आनंद मिलता है । “हमारे बेटे अपने सुसमाचार ज्ञान के स्तर में सभी अलग जगह हैं,” वह कहता है।” आओ, मेरा अनुसरण करो ने उनकी जरूरतों के आधार पर प्रत्येक को सीखने में मदद करने के लिए हमें एक तरीका प्रदान किया है । सुसमाचार के प्रति उनके प्रेम में वृद्धि को देखना और उन्हें यह सीखते हुए देखना कि वे किस तरह अपने जीवन में सुसमाचार के ज्ञान पर अमल करते हैं, एक अद्भुत आशीष है ।”
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