“परमेश्वरत्व क्या है?,” लियाहोना, जून 2021
मासिक लियाहोना संदेश, जून 2021
परमेश्वरत्व क्या है?
स्वर्गीय पिता, यीशु मसीह और पवित्र आत्मा एक उद्देश्य रखने वाले तीन अलग-अलग हस्ती हैं।
अखबार के संपादक ने एक बार भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ से पूछा कि अंतिम-दिनों के संतों का यीशु मसीह के गिरजे के सदस्यों का क्या मानना था। जवाब में, भविष्यवक्ता ने विश्वास के 13 कथन लिखे जिन्हें हम विश्वास के अनुच्छेद कहते हैं। पहला कथन कहता है, “हम परमेश्वर, अनंत पिता और उसके पुत्र, यीशु मसीह और पवित्र आत्मा में विश्वास करते हैं” (विश्वास के अनुच्छेद 1:1)। इन तीनों को हम परमेश्वरत्व कहते हैं।
परमेश्वर, अनंत पिता
परमेश्वर के पास मांस और हड्डियों से बना पुनर्जीवित शरीर है। वह हमारी आत्माओं के पिता है। वह अपने प्रत्येक संतानों को परिपूर्ण रूप से प्रेम करता है। परमेश्वर परिपूर्ण है, उसके पास सारी शक्ति है, और सब कुछ जानता है। वह उचित, दयालु और कृपालु है। हमारे जन्म से पहले हम परमेश्वर के साथ आत्माओं के रूप में रहते थे। उसने हमें सीखने और आगे बढ़ने के लिए पृथ्वी पर भेजा। परमेश्वर का सबसे बड़ा इच्छा यह है कि उन के प्रत्येक संतान इस जीवन में मरने के बाद वे फिर से उसके साथ रहें। परमेश्वर हमें सिखाता है कि हमें परमेश्वर की उपस्थिति में लौटने के लिए यीशु मसीह का अनुसरण करना पड़ेगा।
यीशु मसीह
यीशु मसीह का भी मांस और हड्डियों से बना पुनर्जीवित शरीर है। वह परमेश्वर का पहलौठा पुत्र है। हमारा जन्म होने से पहले, परमेश्वर ने उसे हमारा उद्धारकर्ता चुना। इसका मतलब यह है कि यीशु हमारे लिए एक उदाहरण बनकर, उसका सुसमाचार सिखाने, हमारे पापों का प्रायश्चित करवाने और हमें मृत्यु से बचाने के लिए इस धरती पर आया। यीशु मसीह के कारण, जब हम पश्चाताप करते हैं, तो हमें अपने पापों की क्षमा मिल सकती हैं। यीशु मसीह को भी कई चीजों का सामना करना पड़ा ताकि वह हमे समझ सके और हमारी मदद कर सके। यीशु मसीह का मृत्यु हुआ और फिर से जीवित हुआ, जिस के कारण सभी पुनः जीवित हो सकते हैं।
पवित्र आत्मा
पवित्र आत्मा परमेश्वरत्व का एक सदस्य है जिसके पास भौतिक शरीर नहीं है। वह एक आत्मा है। पवित्र आत्मा हमारी आत्माओं के साथ सीधे संवाद करने में सक्षम है। वह हमें गवाही देता है कि परमेश्वर वास्तविक में है और यीशु मसीह हमारा उद्धारकर्ता है। पवित्र आत्मा हमें प्रेम की भावनाएं, मार्गदर्शन, या सहायता देने के लिए परमेश्वर के संदेशवाहक के रूप में कार्य करता है। जब हमें बपतिस्मा दिया जाता है और हमारी पुष्टि होती है, तो हम पवित्र आत्मा का उपहार प्राप्त करते हैं। हमें बपतिस्मा दिए जाने के बाद, जैसे हम परमेश्वर के आदेशों का पालन करते हैं पवित्र आत्मा हमेशा हमारे साथ रह सकता है।
जोसेफ स्मिथ का प्रथम दिव्यदर्शन
समय के साथ लोग परमेश्वरत्व के बारे में भ्रमित हो गए हैं। लोग परमेश्वर, यीशु मसीह और पवित्र आत्मा क्या हैं इस बारे में असहमत हैं। यही एक कारण है कि जोसेफ स्मिथ का प्रथम दिव्यदर्शन इतना महत्वपूर्ण था। उसने देखा कि स्वर्गीय पिता और यीशु मसीह के शरीर हैं और दो अलग-अलग हस्ती हैं।
अलग होकर भी साथ होना
धर्मशास्त्र और आधुनिक भविष्यवक्ता हमें यह सिखाते हैं कि परमेश्वर, यीशु मसीह और पवित्र आत्मा का एक ही उद्देश्य हैं: हमारी अमरत्व और अनंत जीवन रखने वाले अलग-अलग हस्ती हैं (मूसा 1:39 देखें)। एक ही टीम के सदस्यों की तरह, वे हर दिन हमारी मदद करने के लिए एक साथ काम करते हैं। जब हम अपने पापों का पश्चाताप कर के और सही रास्ता चुनकर तब हम उन्हें अपने करीब महसूस कर सकते हैं।
धर्मशास्त्र में परमेश्वरत्व के बारे में
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स्वर्गीय पिता और यीशु मसीह का उद्देश्य एक ही है (यूहन्ना 10:30 देखें)।
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स्वर्गीय पिता ने अपने पुत्र से बात की (मत्ती 3:16–17 देखें)।
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यीशु मसीह ने अपने पिता से बात की (यूहन्ना 11:41 देखें)।
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यीशु मसीह ने प्रार्थना की कि हम किसी दिन एक हों (यूहन्ना 17:11 देखें)।
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जोसफ स्मिथ ने स्वर्गीय पिता और पुत्र को देखा था (जोसफ स्मिथ—इतिहास 1:17 देखें)।
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पवित्र आत्मा गवाही देता है कि यीशु मसीह हमारा उद्धारकर्ता है (यूहन्ना 15:26 देखें)।
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