अध्याय 30
कोरिहर जो मसीह-विरोधी है, मसीह, प्रायश्चित, और भविष्यवाणी की आत्मा का उपहास करता है—वह सिखाता है कि परमेश्वर नहीं है, मनुष्य का कोई पतन नहीं हुआ था, पाप के लिए कोई दंड नहीं है, और कोई मसीह नहीं है—अलमा गवाही देता है कि मसीह आएगा और यह कि सारी बातें सूचित करती हैं कि परमेश्वर है—कोरिहर चिन्ह चाहता है और गूंगा हो जाता है—शैतान कोरिहर के सामने एक स्वर्गदूत के रूप में आता है और उसे सिखाता है कि क्या कहना है—कोरिहर कुचला जाता है और मारा जाता है । लगभग 76–74 ई.पू.
1 देखो, अब ऐसा हुआ कि जेरशान प्रदेश में अम्मोन के लोगों द्वारा स्थापित होने के पश्चात, हां, लमनाइयों को प्रदेश से बाहर खदेड़ने, और प्रदेश के लोगों द्वारा उनके मृतकों को दफनाने के पश्चात—
2 अब उनके मृतकों की संख्या अत्याधित होने के कारण न तो उन्हें गिना जा सकता था; न ही नफाइयों के मृतकों को गिना जा सकता था—परन्तु ऐसा हुआ कि उनके मृतकों को दफनाने के पश्चात, और उपवास, शोक, और प्रार्थना के दिनों के पश्चात भी (और ऐसा नफी के लोगों पर न्यायियों के शासन के सोलहवें वर्ष में हुआ था) वहां पूरे प्रदेश में निरंतर शांति स्थापित होने लगी ।
3 हां, और लोगों ने प्रभु की आज्ञाओं का पालन किया; और मूसा की व्यवस्था के अनुसार परमेश्वर की विधियों को मानने में वे बहुत ही पक्के थे; क्योंकि उन्हें सिखाया गया था कि वे मूसा की व्यवस्था का पालन तब तक करें जब तक कि यह पूरी नहीं हो जाती ।
4 और इस प्रकार नफी के लोगों पर न्यायियों के शासन के सोलहवें वर्ष में लोगों में किसी भी प्रकार की अशांति नहीं फैली ।
5 और ऐसा हुआ कि नफी के लोगों पर न्यायियों के शासन के सत्रहवें वर्ष के आरंभ में, वहां निरंतर शांति थी ।
6 परन्तु ऐसा हुआ कि सत्रहवें वर्ष के आखिर में, जराहेमला के प्रदेश में एक मनुष्य आया, और वह मसीह-विरोधी था, क्योंकि उसने लोगों को मसीह के आगमन से संबंधित उन भविष्यवाणियों के विरोध में सिखाना आरंभ किया जिसके बारे में भविष्यवक्ताओं ने बताया था ।
7 अब एक मनुष्य के विश्वास के विपरित कोई भी नियम नहीं था; क्योंकि यह परमेश्वर की आज्ञाओं के सख्त खिलाफ था कि एक नियम ऐसा होना चाहिए जो लोगों में असमानता लाए ।
8 इसलिए धर्मशास्त्र इस प्रकार कहता है: आज ही चुन लो कि तुम किसकी सेवा करोगे ।
9 अब यदि कोई मनुष्य परमेश्वर की सेवा करना चाहता, यह उसके लिए सौभाग्य की बात होती; या इसकी बजाय, यदि उसे परमेश्वर में विश्वास होता तो सेवा करने का यह उसका सौभाग्य होता; परन्तु यदि वह उसमें विश्वास नहीं करता तो उसे दंड देने के लिए कोई नियम नहीं था ।
10 परन्तु यदि वह हत्या करता तो उसे मृत्युदंड दिया जाता; और यदि वह लूटपाट करता तो भी उसे दंड दिया जाता; और यदि वह चोरी करता तो भी उसे दंड दिया जाता; और यदि वह व्यभिचार करता तो भी उसे दंड दिया जाता; हां, इन सभी दुष्ट कार्यों के लिए उन्हें सजा दी जाती ।
11 क्योंकि लोगों को उनके अपराधों के अनुसार दंड देने का नियम था । फिर भी, एक मनुष्य के विश्वास के विपरित कोई भी नियम नहीं था; इसलिए, किसी मनुष्य को केवल उसके द्वारा किये गए अपराध के लिए ही दंड दिया जाता; इसलिए सारे लोग एक समान थे ।
12 और इस मसीह-विरोधी ने जिसका नाम कोरिहर था, (और जिस पर कानून की कोई पकड़ नहीं थी) लोगों को सिखाना शुरू कर दिया कि मसीह नहीं है । और इसी तरीके से उसने प्रचार किया, यह कहते हुए:
13 हे लोगों तुम जो बुद्धिहीन और व्यर्थ की आशा में लगे हुए हो, तुम इन अविवेकपूर्ण बातों का बोझ अपने ऊपर क्यों लादे हुए हो ? तुम मसीह की प्रतीक्षा क्यों कर रहे हो ? क्योंकि कोई भी मनुष्य आनेवाली बातों के बारे में नहीं जान सकता है ।
14 देखो, ये बातें जिन्हें तुम भविष्यवाणियां कहते हो, जिसे तुम कहते हो कि पवित्र भविष्यवक्ताओं द्वारा बताई गई हैं, देखो, ये तुम्हारे पूर्वजों की मूर्ख परंपराएं हैं ।
15 इनकी निश्चितता के विषय में तुम कैसे जानते हो ? देखो, तुम उन बातों के बारे में नहीं जान सकते जिसे तुमने देखा न हो; इसलिए तुम नहीं जान सकते कि मसीह आएगा ।
16 तुम भविष्य की तरफ देखते हो और कहते हो कि तुम अपने पापों की क्षमा देखते हो । परन्तु देखो, यह एक उन्मत्त मन का प्रभाव है; और तुम्हारा यह पागलपन तुम्हारे पूर्वजों की परंपराओं के कारण है, जो तुम्हें उन बातों पर विश्वास करने पर विवश करती है जो है ही नहीं ।
17 और इसी प्रकार की कई बातें उसने उनसे कहा, उन्हें यह बताते हुए कि लोगों के पापों के लिए कोई भी प्रायश्चित नहीं हो सकता है परन्तु हर व्यक्ति जीव प्रबंधन के अनुसार इस जीवन में सफल होता है; इसलिए हर व्यक्ति अपनी बुद्धि के अनुसार उन्नति करता है, और यह कि हर व्यक्ति अपने बल के अनुसार विजयी होता है; और जो कुछ भी एक मनुष्य ने किया वह अपराध नहीं था ।
18 और इस प्रकार उसने कई लोगों के मन को बहकाते हुए, और दुष्टता में उन्हें घमंडी बनाते हुए उनमें प्रचार किया, हां, कई स्त्रियों और पुरुषों को भी वेश्यावृत्ति की तरफ ले जाते हुए—और उन्हें यह बताते हुए कि जब एक मनुष्य की मृत्यु हो जाती है तो वहीं सब कुछ समाप्त हो जाता है ।
19 अब यह मनुष्य अम्मोन के उन लोगों में इन बातों का प्रचार करते हुए जेरशान प्रदेश भी गया जो कि एक समय पर लमनाइयों के लोग थे ।
20 परन्तु देखो वे कई नफाइयों से अधिक बुद्धिमान थे; क्योंकि उन्होंने उसे पकड़ लिया और बांधकर उसे अम्मोन के सामने ले गए, जो कि उन लोगों का उच्च याजक था ।
21 और ऐसा हुआ कि उसे प्रदेश से बाहर खदेड़ दिया गया । और वह गिदोन के प्रदेश आ गया, और उन्हें भी सिखाने लगा; और यहां पर उसे अधिक सफलता प्राप्त नहीं हुई क्योंकि उसे पकड़कर, बांधकर उच्च याजक, और प्रदेश के मुख्य न्यायी के सामने भी ले जाया गया ।
22 और ऐसा हुआ कि उच्च याजक ने उससे कहा: तुम प्रभु के मार्ग को क्यों दूषित करते हो ? तुम लोगों के आनंद में बाधा डालने के लिए उन्हें क्यों सिखाते हो कि मसीह नहीं आएगा ? क्यों तुम पवित्र भविष्यवक्ताओं की सारी भविष्यवाणियों के विरूद्ध बोलते हो ?
23 अब उच्च याजक का नाम गिडोना था । और कोरिहर ने उससे कहा: क्योंकि मैं तुम्हारे पूर्वजों की मूर्ख परंपराओं के विषय में नहीं सिखाता हूं, और क्योंकि लोगों की शक्ति और अधिकार छीनने के लिए और उन्हें अज्ञानता में रखने के लिए मैं उन लोगों को उन मूर्ख विधियों और कार्यों के तहत स्वयं को बांधना भी नहीं सिखाता हूं जो कि प्राचीन याजकों के द्वारा स्थापित किये गए हैं, ताकि वे अपना सिर ऊंचा न कर सकें बल्कि तुम्हारे कहे अनुसार ही चलें ।
24 तुम कहते हो कि ये लोग आजाद हैं । देखो, मैं तुमसे कहता हूं कि ये दासता में हैं । तुम कहते हो कि वे प्राचीन भविष्यवाणियां सच्ची हैं । देखो, मैं कहता हूं कि तुम नहीं जानते कि वे सच्ची हैं ।
25 तुम कहते हो कि एक माता-पिता के पाप के कारण ये लोग अपराधी और गिरे हुए लोग हैं । परन्तु देखो, मैं कहता हूं कि एक बच्चा अपने माता-पिता के कारण अपराधी नहीं है ।
26 और तुम यह भी कहते हो कि मसीह आएगा । परन्तु देखो, मैं कहता हूं कि तुम नहीं जानते हो कि कोई मसीह आएगा । और तुम यह भी कहते हो कि वह संसार के पापों के लिए मारा जाएगा ।
27 और इस प्रकार तुम अपने पूर्वजों की मूर्ख परंपराओं और अपनी इच्छाओं के अनुसार इन लोगों को गुमराह करते हो; और तुम उन्हें दबाकर रखते हो जैसे कि वो दासता में हों, ताकि तुम उनकी मेहनत का खा सको, ताकि वे निडरता से तुम्हारी तरफ देखने का साहस न कर सकें, और ताकि वे अपने अधिकार और सौभाग्य में आनंदित होने का साहस न कर सकें ।
28 हां, वे अपनी ही चीजों का उपयोग करने का साहस न कर सकें नहीं तो कहीं ऐसा न हो कि वे अपने ही याजकों को ठेस पहुंचा दें, जो कि अपनी इच्छाओं के अनुसार उन पर बोझ डालते हैं, और अपनी परंपराओं और अपने सपने और अपनी मरजी और अपने दिव्यदर्शनों और अपनी मिथ्या रहस्यों के द्वारा उन्हें विश्वास दिलाया जाता है कि यदि वे उनकी बातों के अनुसार नहीं चलेंगे तो किसी अज्ञान अस्तित्व को ठेस पहुंचा सकते हैं, जिसे वे परमेश्वर कहते हैं—एक ऐसा अस्तित्व जिसे न तो कभी देखा या जाना गया है, जो कि न तो कभी था और न ही कभी होगा ।
29 अब जब उच्च याजक और मुख्य न्यायी ने उसके हृदय की कठोरता को देखा, हां, जब उन्होंने देखा कि वह परमेश्वर के विरूद्ध भी भला-बुरा कह सकता है, उन्होंने उसकी बातों का कोई भी उत्तर नहीं दिया; परन्तु उन्होंने ऐसा किया कि उसे पकड़कर बांध दिया गया; और उन्होंने उसे अधिकारियों के हाथों में सौंपकर उसे जराहेमला के प्रदेश भेज दिया, ताकि उसे अलमा और उस मुख्य न्यायी के पास ले जाया जा सके जो पूरे प्रदेश का राज्यपाल था ।
30 और ऐसा हुआ कि जब उसे अलमा और मुख्य न्यायी के पास लाया गया, वह उसी प्रकार की बातें करता रहा जैसा कि उसने गिदोन के प्रदेश में किया था; हां, वह निंदा करता रहा ।
31 और इस प्रकार उसने अलमा के सामने और भी क्रोधित करनेवाली बातें कहीं, और याजकों और शिक्षकों के विरूद्ध बोला, उन पर दोष लगाते हुए कि लोगों की मेहनत का खाने के लिए वो लोगों को उनके पूर्वजों की मूर्ख परंपराओं के कारण उन्हें पथभ्रष्ट कर रहे हैं ।
32 अब अलमा ने उससे कहा: तुम जानते हो कि हम इन लोगों की मेहनत का नहीं खाते हैं; क्योंकि देखो अपने भरण-पोषण के लिए मैंने अपने स्वयं के हाथों से न्यायियों के शासन के आरंभ से लेकर अब तक मेहनत की है, इसके बावजूद अपने लोगों को परमेश्वर का वचन सुनाने के लिए मैंने प्रदेश के आसपास कई यात्राएं की हैं ।
33 और इसके बावजूद मैंने गिरजे में कई कार्यों को किया है, न्याय-आसन को छोड़कर न तो मैंने अपनी मेहनत के बदले में कभी भी एक सेनिन से अधिक पाया है; न ही मेरे किसी भाई ने पाया है; और फिर हमने केवल अपने समय के नियम के अनुसार ही पाया है ।
34 और अब, यदि गिरजे में हम अपनी मेहनत के बदले कुछ भी नहीं प्राप्त करते हैं, तो सच्चाई बताकर हम अपने भाइयों के आनंद में खुशी मना सकें, इसके अलावा गिरजे में हमारी मेहनत के बदले क्या फायदा है ?
35 फिर तुम क्यों कहते हो कि हम लाभ के लिए गिरजाघर में प्रचार करते हैं, जब कि तुम स्वयं जानते हो कि हमें कोई लाभ नहीं होता है ? और अब, क्या तुम विश्वास करते हो कि हम इन लोगों को धोखा दे रहे हैं जिसके कारण इनके हृदयों में इस प्रकार का आनंद भर जाता है ?
36 और कोरिहर ने उसे उत्तर दिया, हां ।
37 और फिर अलमा ने उससे कहा: क्या तुम विश्वास करते हो कि परमेश्वर है ?
38 और उसने उत्तर दिया, नहीं ।
39 अब अलमा ने उससे कहा: क्या तुम फिर से अस्वीकार करोगे कि परमेश्वर है, और यह भी अस्वीकार करोगे कि मसीह है ? क्योंकि देखो, मैं तुमसे कहता हूं, मैं जानता हूं कि परमेश्वर है, और यह भी कि मसीह आएगा ।
40 और अब तुम्हारे पास क्या प्रमाण है कि परमेश्वर नहीं है, या यह कि मसीह नहीं आएगा ? मैं तुमसे कहता हूं कि तुम्हारी बातों के अलावा तुम्हारे पास कोई प्रमाण नहीं है ।
41 परन्तु देखो, मेरे पास इन सभी बातों की गवाही है कि ये सच्ची हैं; और तुम्हारे पास भी इन सब बातों की गवाही है कि ये सच्ची हैं; और क्या तुम उन्हें अस्वीकार करोगे ? क्या तुम विश्वास करते हो कि ये बातें सच्ची हैं ?
42 देखो, मैं जानता हूं कि तुम विश्वास करते हो, परन्तु तुम एक झूठ बोलनेवाली आत्मा से ग्रसित हो, और तुमने अपने आप से परमेश्वर की आत्मा को अलग कर दिया है; परन्तु तुम पर शैतान का अधिकार है, और वह अपनी युक्तियों से तुम्हें चलाता है ताकि वह परमेश्वर के बच्चों का विनाश कर सके ।
43 और अब कोरिहर ने अलमा से कहा: यदि तुम मुझे चिन्ह दिखा सको तो मैं मान सकता हूं कि परमेश्वर है, हां, मुझे दिखाओ कि उसके पास शक्ति है, और तब मैं तुम्हारी बातों की सच्चाई को मान लूंगा ।
44 परन्तु अलमा ने उससे कहा: तुमने पर्याप्त चिन्ह पाया है; क्या तुम अपने परमेश्वर को लालच दोगे ? क्या तुम कहोगे कि मुझे चिन्ह दिखाओ जब कि तुम्हारे पास तुम्हारे इन सभी भाइयों की, और सभी पवित्र भविष्यवक्ताओं की गवाही है ? धर्मशास्त्र तुम्हारे सामने रखे हुए हैं, हां, और सभी चीजें सूचित करती हैं कि परमेश्वर है; हां, यहां तक कि पृथ्वी और इसके ऊपर की सारी चीजें, हां, इसकी गति, हां, और ग्रह जो कि अपने नियमित धूरी पर चलते हैं वे सभी साक्षी हैं कि सर्वोच्च सृष्टिकर्ता है ।
45 और फिर भी तुम क्यों इन लोगों के हृदयों को पथभ्रष्ट किये जा रहो हो, उन्हें यह बताते हुए कि परमेश्वर नहीं है ? और फिर भी क्या तुम इन साक्षियों के विरूद्ध असत्य कहोगे ? और उसने कहा: हां, यदि तुम मुझे चिन्ह नहीं दोगे तो मैं असत्य कहूंगा ।
46 और अब ऐसा हुआ कि अलमा ने उससे कहा: देखो, मैं तुम्हारे हृदय की कठोरता के कारण दुखी हूं, हां, कि तुम अब भी सच्चाई की आत्मा का विरोध करोगे, ताकि तुम्हारी आत्मा नष्ट हो सके ।
47 परन्तु देखो, अपने झूठ और फुसलानेवाली बातों के द्वारा तुम कई लोगों की आत्माओं को नष्ट करने का साधन बनो, इससे बेहतर है कि तुम्हारी ही आत्मा नष्ट हो जाए; इसलिए यदि तुम फिर से असत्य बोलोगे, देखो परमेश्वर तुम्हें दंड देगा, ताकि तुम गूंगे हो जाओ, ताकि तुम अपना मुंह फिर कभी न खोल सको, और ताकि तुम इन लोगों को कभी भी धोखा न दे सको ।
48 अब कोरिहर ने उससे कहा: मैं परमेश्वर के अस्तित्व को नहीं नकारता हूं, परन्तु मैं विश्वास नहीं करता हूं कि परमेश्वर है; और मैं यह भी कहता हूं कि तुम नहीं जानते हो कि परमेश्वर है; और यदि तुम मुझे चिन्ह नहीं दोगे तो मैं विश्वास नहीं करूंगा ।
49 अब अलमा ने उससे कहा: यह मैं तुम्हें चिन्ह के रूप में देता हूं कि मेरी बातों के अनुसार तुम गूंगे हो जाओ; और यह मैं परमेश्वर के नाम में कहता हूं, तुम गूंगे हो जाओ, ताकि तुम कभी भी बोल न सको ।
50 अब जब अलमा ने इन बातों को कह लिया, कोरिहर गूंगा हो गया, कि वह अलमा की बातों के अनुसार बोल न सका ।
51 और अब जब मुख्य न्यायी ने इसे देखा, उसने अपने हाथ आगे किये और कोरिहर से लिखकर पूछा, यह कहते हुए: क्या तुम्हें परमेश्वर की शक्ति पर विश्वास हुआ ? उसमें विश्वास हुआ जिसके होने के विषय में तुमने अलमा से चिन्ह मांगा था ? क्या तुम चाहते हो कि तुम्हें चिन्ह दिखाने के लिए वह दूसरों को कष्ट दे ? देखो, उसने तुम्हें चिन्ह दिखा दिया है; और क्या तुम अब भी विवाद करोगे ?
52 और फिर कोरिहर ने अपने हाथ आगे किये और लिखकर कहा: मैं जानता हूं कि मैं गूंगा हूं क्योंकि मैं बोल नहीं सकता; और मुझे पता है कि ऐसा मेरे साथ परमेश्वर की शक्ति के अलावा किसी और चीज के कारण नहीं हुआ है; हां, मैं सदा से जानता था कि परमेश्वर था ।
53 परन्तु देखो, शैतान ने मुझे छला था; क्योंकि वह मुझे एक स्वर्गदूत के रूप में दिखाई दिया था, और मुझसे कहा: जाओ और इन लोगों को सही मार्ग दिखाओ क्योंकि ये सब एक अज्ञात परमेश्वर के कारण पथभ्रष्ट हो गए हैं । और उसने मुझसे कहा: कोई परमेश्वर नहीं है, हां, और उसने मुझे वह सिखाया जो मुझे कहना चाहिए । और मैंने उसी की बातों को सिखाया है; और मैंने उन बातों को सिखाया क्योंकि वे शारीरिक मन को आनंद देती थीं; और मैंने उन्हें तब तक सिखाया जब तक कि मैंने अत्याधिक सफलता नहीं प्राप्त कर ली जिसे वास्तव में मैंने भी विश्वास कर लिया कि वे सच्ची हैं; और इसी कारण मैंने सच्चाई का तब तक प्रतिरोध किया जब तक कि मैंने इस महान श्राप को अपने ऊपर न ले लिया ।
54 अब जब उसने यह सब कह लिया, उसने अलमा से विनती की कि वह परमेश्वर से प्रार्थना करे ताकि वह श्रापमुक्त हो सके ।
55 परन्तु अलमा ने उससे कहा: यदि तुम पर से यह श्राप हट जाए तो तुम फिर से इन लोगों को बहकाओगे; इसलिए, यह तुम पर प्रभु की इच्छानुसार रहेगा ।
56 और ऐसा हुआ कि कोरिहर पर से श्राप नहीं हटा; परन्तु उसे बाहर खदेड़ दिया गया, और वह भोजन के लिए भीख मांगते हुए एक घर से दूसरे घर गया ।
57 अब जो कुछ भी कोरिहर के साथ हुआ था उसकी जानकारी शीघ्र ही पूरे प्रदेश में फैलाई गई; हां, पूरे प्रदेश के लोगों में मुख्य न्यायी द्वारा इसका ऐलान कराया गया, उन लोगों को बताते हुए जिन लोगों ने कोरिहर की बातों में विश्वास किया था ताकि वे जल्दी ही पश्चाताप कर लें नहीं तो उन पर भी इसी प्रकार का न्याय आ सकता है ।
58 और ऐसा हुआ कि उन सभी ने कोरिहर की दुष्टता पर विश्वास किया; इसलिए वे सब फिर से प्रभु में परिवर्तित हो गए; और कोरिहर के दंड के पश्चात दुष्टता का अंत हुआ । और भरण-पोषण के लिए भीख मांगते हुए कोरिहर एक घर से दूसरे घर जाता रहा ।
59 और ऐसा हुआ कि जब वह लोगों के बीच गया, हां, उन लोगों के बीच जिन्होंने स्वयं को नफाइयों से अलग कर लिया था और जिनका नेतृत्व एक जोराम नामक व्यक्ति कर रहा और जिन्हें जोरामाई कहा जाता था—और जब वह उनके बीच गया, देखो, तब वह लोगों के पैरों तले तब तक कुचला गया जब तक कि वह मर न गया ।
60 और इस प्रकार हम उस व्यक्ति का अंत देखते हैं जो प्रभु के मार्ग को दूषित करता है; और इस प्रकार हम देखते हैं कि अंतिम-दिनों में शैतान अपने बच्चों की सहायता नहीं करेगा, बल्कि तेजी से उन्हें नरक की तरफ खींच लेगा ।