पवित्रशास्त्र
हिलामन 6


अध्याय 6

धर्मी लमनाई दुष्ट नफाइयों को सिखाते हैं—शांति और संपन्नता के काल के दौरान दोनों समृद्ध होते हैं—पाप का निर्माता, लूसीफर दुष्ट लोगों और गडियन्टन डाकुओं को हत्याएं और पाप करने के लिए उकसाता है—डाकू नफाई सरकार पर कब्जा कर लेते हैं । लगभग 29–23 ई.पू.

1 और ऐसा हुआ कि न्यायियों के शासन का बासठवां वर्ष समाप्त होते-होते ये सब बातें हुईं और अधिकांश लमनाई धर्मी हुए, इतना अधिक कि विश्वास में उनकी दृढ़ता और स्थिरता के कारण वे धार्मिकता में नफाइयों से भी आगे हो गए ।

2 क्योंकि देखो, कई नफाई ऐसे थे जो बुरी तरह से कठोर और अपश्चातापी हो गए थे, इतना अधिक कि उन्होंने परमेश्वर के वचन को अस्वीकार किया और उन्होंने उस उपदेश और भविष्यवाणी को भी अस्वीकार किया जिसे उन्होंने सीखा था ।

3 फिर भी, लमनाइयों के परिवर्तन के कारण गिरजे के लोगों को महान आनंद हुआ, हां, परमेश्वर के उस गिरजे के कारण जिसे उन के बीच स्थापित किया गया था । और उन्होंने एक दूसरे से मेलजोल बढ़ाया, और एक दूसरे के साथ आनंद मनाया, और बहुत खुशी हुई ।

4 और ऐसा हुआ कि कई लमनाई जराहेमला के प्रदेश आए, और नफाइयों को बताया कि किस प्रकार उनका परिवर्तन हुआ, और उन्हें विश्वास और पश्चाताप के लिए उपदेश दिया ।

5 हां, और लोगों को विनम्रता की गहराई में लाने, परमेश्वर और मेमने का विनम्र अनुयाई बनाने के लिए कई लोगों ने महान सामर्थ्य और अधिकार के साथ प्रचार-कार्य किया ।

6 और ऐसा हुआ कि कई लमनाई प्रदेश की उत्तरी दिशा में गए; और लोगों को सिखाने के लिए नफी और लेही भी प्रदेश की उत्तरी दिशा में गए । और इस प्रकार तीरसठवां वर्ष समाप्त हुआ ।

7 और देखो, पूरे प्रदेश में शांति थी, इतनी अधिक कि नफाइयों या लमनाइयों के बीच में, नफाई प्रदेश के किसी भी भाग में अपनी इच्छानुसार आ-जा सकते थे ।

8 और ऐसा हुआ कि लमनाइयों और नफाइयों के बीच में, लमनाई भी अपनी इच्छानुसार कहीं भी आ-जा सकते थे; और इस प्रकार अपनी इच्छानुसार खरीदने और बेचने, और लाभ प्राप्ति के लिए वे एक दूसरे के साथ खुलकर बातचीत करते थे ।

9 और ऐसा हुआ कि दोनों, लमनाई और नफाई बहुत धनी हो गए; और दोनों ही प्रदेशों में-दक्षिण और उत्तर में उनके पास बहुत सोना, और चांदी, और हर प्रकार का मूल्यवान धातु हो गया ।

10 अब दक्षिणी प्रदेश लेही कहलाया, और उत्तरी प्रदेश मूलक जिसका नाम सिदकिय्याह के बेटे के नाम पर रखा गया; क्योंकि प्रभु मूलक को उत्तरी प्रदेश में, और लेही को दक्षिणी प्रदेश में लाया था ।

11 और देखो, दोनों ही प्रदेशों में हर प्रकार का सोना, चांदी, और मूल्यवान कच्चा धातु पाया जाता था; और वहां पर दुर्लभ कारीगर भी थे, जो हर प्रकार के कच्चे धातु पर काम कर उसे शुद्ध बनाते थे; और इस प्रकार वे धनी हो गए ।

12 उत्तरी और दक्षिणी, दोनों ही प्रदेशों में उन्होंने प्रचुरता में अनाज उगाया; और दोनों ही प्रदेशों में वे बहुत समृद्ध हुए । और प्रदेश में उनकी संख्या में वृद्धि हुई और वे बहुत दृढ़ हुए । और उन्होंने जानवरों के बहुत से समूहों और झुंडों को पाला पोसा था, हां, बहुत से जानवरो को पाला था ।

13 देखो उनकी स्त्रियों ने कठिन परिश्रम किया और सूत काता, और अपना तन ढकने के लिए हर तरह के वस्त्र बनाए, लिपटे हुए सन के कपड़े और हर प्रकार के कपड़े । और इस प्रकार चौंसठवां वर्ष शांति से बीत गया ।

14 और पैंसठवें वर्ष में भी वे बहुत आनंद और शांति से रहे, हां, बहुत प्रचार-कार्य हुआ और जो आनेवाला है उसके संबंध में कई भविष्यवाणियां हुईं । और इस प्रकार पैंसठवां वर्ष बीत गया ।

15 और ऐसा हुआ कि न्यायियों के शासन के छियासठवें वर्ष में, देखो, जब सिजोरम न्याय-आसन पर बैठा था तब किसी अज्ञात हाथों द्वारा उसकी हत्या हो गई । और ऐसा हुआ कि उसी वर्ष, उसके बेटे की भी हत्या हो गई जिसे उसके स्थान पर लोगों के मतों द्वारा नियुक्त किया गया था । और इस प्रकार छियासठवां वर्ष समाप्त हुआ ।

16 और सड़सठवें वर्ष के आरंभ में लोग फिर से बहुत दुष्ट होने लगे ।

17 क्योंकि देखो, प्रभु ने उन्हें इतने दिनों तक संसार की धन-संपत्तियों से आशीषित किया था जिससे कि युद्ध और रक्तपात के लिए वे क्रोध में न भड़कें; इसलिए उन्होंने अपना मन धन-संपत्तियों पर लगाना आरंभ कर दिया; हां, उन्होंने फायदा उठाना आरंभ कर दिया जिससे कि वे एक दूसरे से ऊपर कहलाए; इसलिए उन्होंने गुप्त हत्याएं, चोरी और लूट-मार करनी शुरू कर दी, ताकि वे लाभ उठा सकें ।

18 और अब देखो, वे हत्यारे और लूटमार करनेवाले उसी टोली के सदस्य थे जिसे किश्कूमन और गडियन्टन ने बनाया था । और अब ऐसा हुआ कि उनकी संख्या बहुत थी, यहां तक कि नफाइयों के बीच में भी गडियन्टन की टोली के सदस्य थे । परन्तु देखो, दुष्ट लमनाइयों में उनकी संख्या बहुत अधिक थी । और वे गडियन्टन के डाकू और हत्यारे कहलाए ।

19 और ये वही लोग थे जिन्होंने न्याय-आसन पर रहते हुए, मुख्य न्यायी सिजोरम, और उसके बेटे की हत्या की थी; और देखो, वे पकड़े नहीं गए ।

20 और अब ऐसा हुआ कि जब लमनाइयों को पता चला कि उनके बीच में कई डाकू रहते थे तो वे बहुत दुखी हुए; और उन लोगों को धरती से खत्म करने के लिए उन्होंने उस हर साधन का उपयोग किया जिसका उपयोग वे अपने सामर्थ्य के अनुसार कर सकते थे ।

21 परन्तु देखो, शैतान ने अधिकतर नफाइयों के हृदयों को इतना अधिक भड़काया कि वे डाकुओं की टोली से मिल गए, और उनके साथ उनके अनुबंधों और उनके शपथ में प्रवेश किया, ताकि चाहे किसी भी प्रकार की कठिन परिस्थितियों का सामना क्यों न करना पड़े, वे एक दूसरे को बचाएंगे, और एक दूसरे की रक्षा करेंगे जिससे कि उन्हें उनकी हत्या, लूट-मार और चोरी के लिए दंड न भुगतना पड़े ।

22 और ऐसा हुआ कि उनके चिन्ह थे, हां, उनके गुप्त चिन्ह, और उनके गुप्त शब्द थे; और ऐसा इसिलए था ताकि वे अपने उस भाई में अंतर कर सकें जिसने अनुबंध में प्रवेश किया था, जिससे कि जो भी दुष्टता उसका भाई करे तो उसे कोई हानि न हो, न ही टोली के उन सदस्यों के द्वारा कोई हानि हो जिन्होंने अनुबंध में प्रवेश किया था ।

23 और इस प्रकार वे अपने देश के नियमों और परमेश्वर के नियमों के विपरित भी हत्या, लूट-मार, और चोरी, और वेश्यावृत्ति, और हर प्रकार की दुष्टता कर सकते थे ।

24 और उनकी टोली का कोई भी सदस्य यदि उनकी दुष्टता और उनके घृणित कार्यों के बारे में बाकी लोगों को बता देता, तो उन्हें दंडित किया जाता, उनके देश के नियमों के अनुसार नहीं बल्कि उनकी दुष्टता के उन नियमों के अनुसार जो गडियन्टन और किश्कूमन द्वारा बनाए गए थे ।

25 अब देखो, ये वही गुप्त शपथ और अनुबंध हैं जिसे अलमा ने अपने बेटे को संसार को न बताने की आज्ञा दी थी, कि कहीं ऐसा न हो कि ये लोगों के विनाश का साधन बनें ।

26 अब देखो, ये गुप्त शपथ और अनुबंध गडियन्टन के पास उन अभिलेखों से नहीं आए थे जिन्हें हिलामन को दिया गया था; परन्तु देखो, इन्हें गडियन्टन के हृदय में उसी व्यक्तित्व ने डाला था जिसने हमारे पहले माता-पिता को मना किये गए फल को खाने के लिए फुसलाया था—

27 हां, उसी व्यक्तित्व ने जिसने कैन के साथ योजना बनाई थी कि यदि वह अपने भाई हाबिल की हत्या करेगा तो उसके बारे में संसार को पता नहीं चलेगा । और उसी समय से वह कैन और उसके अनुयाइयों को साथ योजना बनाता रहा है ।

28 और यह वही व्यक्ति है जिसने लोगों के हृदयों में एक ऊंची मीनार बनाने की बात डाली ताकि वे स्वर्ग जा सकें । और यह वही व्यक्ति है जिसने उन लोगों का मार्गदर्शन किया जो उस मीनार से इस प्रदेश में पहुंचे थे; जिन्होंने पूरे प्रदेश में अंधकार और घृणित कार्यों को तब तक फैलाया था जब तक कि उसने लोगों को पूरी तरह से विनाश में, और अनंत नरक में न ढकेल दिया ।

29 हां, यह वही व्यक्ति है जिसने गडियन्टन के हृदय में डाला था कि वह अंधकार में किये जानेवाले कार्यों, और गुप्त हत्याओं को जारी रखे; और वह मनुष्य के अस्तित्व में आने ले लेकर अब तक ऐसा करता रहा है ।

30 और देखो, यह वही है जो सारे पापों को निर्माता है । और देखो, उसने अपने अंधकार के कार्यों और गुप्त हत्याओं को जारी रखा है, और अपने षडयंत्रों, अपने शपथ, और अपने अनुबंधों और दुष्टता की अपनी भयावह योजनाओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाया है जिससे कि वह मानव संतान के हृदयों को अपने वश में कर सके ।

31 और अब देखो, उसने नफाइयों के हृदयों को पूरी तरह से अपने वश में कर लिया है; हां, इतना अधिक कि वे बहुत दुष्ट हो गए हैं; हां, उनमें से अधिकांश लोगों ने धार्मिकता के मार्ग को बदल लिया है, और अपने पैरों तले परमेश्वर की आज्ञाओं को रौंद डाला है, और अपनी मनमानी की है, अपने लिए सोने और चांदी की मूर्तियां बना ली हैं ।

32 और ऐसा हुआ कि ये सब दुष्टता इनमें थोड़े समय में ही आ गई थी, नफी के लोगों पर न्यायियों के शासन के सड़सठवें वर्ष में इनमें ये बहुत अधिक आ गई थी ।

33 और धर्मी लोगों को दुख और विलाप देते हुए, अड़सठवें वर्ष में भी इनमें दुष्टता बढ़ती रही ।

34 और इस प्रकार हम देखते हैं कि नफाइयों का विश्वास कम होने लगा, और उनकी दुष्टता और घृणित कार्य बढ़ने लगे, जब कि लमनाई परमेश्वर के अपने ज्ञान में अत्याधिक आगे बढ़ने लगे; हां, वे उसके नियमों और आज्ञाओं को मानने लगे, और उसके सामने सच्चाई और ईमानदारी में चलने लगे ।

35 और इस प्रकार हम देखते हैं कि नफाइयों की दुष्टता और उनके कठोर हृदयों के कारण प्रभु की आत्मा उनसे दूर होने लगी ।

36 और इस प्रकार हम देखते हैं कि लमनाइयों की सरलता और उसके वचन में विश्वास करने की उनकी इच्छा के कारण प्रभु उन पर अपनी आत्मा उंडेलने लगा ।

37 और ऐसा हुआ कि लमनाइयों ने गडियन्टन के डाकुओं की टोली को खोज निकाला; और जो लोग उनमें बहुत दुष्ट थे उन्हें परमेश्वर का वचन सुनाया, इतना अधिक कि डाकुओं की यह टोली उनमें से पूरी तरह से मिट गई ।

38 और ऐसा हुआ कि दूसरी तरफ, नफाइयों ने उन लोगों की दुष्टता को बढ़ाया और उन्हें सहारा दिया जो उनमें बहुत दुष्ट थे, उन्होंने ऐसा तब तक किया जब तक कि उन्होंने इसे नफाइयों के सभी प्रदेशों में न फैला दिया, और अधिकांश धर्मी लोगों को उन्होंने तब तक लुभाया जब तक कि वे उनके कार्यों में विश्वास न करने लगे और उनके लूट में उनका साथ न देने लगे, और उनकी गुप्त हत्याओं और उनके गठबंधन के कार्य में साथ न देने लगे ।

39 और इस प्रकार उन्होंने शासन के प्रबंध पर एकमात्र अधिकार कर लिया, इतना अधिक कि उन्होंने गरीब और विनीत, और परमेश्वर के विनम्र अनुयाइयों को अपने पैरों तले रौंदा और उन्हें मारा-काटा और उनसे अपना मुंह फेर लिया ।

40 और इस प्रकार हम देखते हैं कि वे एक भयावह स्थिति में थे, और अनंत विनाश की राह पर आगे बढ़ रहे थे ।

41 और ऐसा हुआ कि इस प्रकार नफी के लोगों पर न्यायियों के शासन का अड़सठवां वर्ष समाप्त हुआ ।