अध्याय 14
यशायाह मसीहा के संबंध में बोलता है—मसीहा का अपमान और कष्ट बताता है—वह अपने प्राण को पाप के लिए भेंट कर देता है और अपराध करने वालों के लिए मध्यस्थ बनता है—यशायाह 53 से तुलना करें । लगभग 148 ई.पू.
1 हां, क्या यशायाह ये नहीं कहता है: हमारे विवरण पर किसने विश्वास किया, और किस पर प्रभु की भुजा प्रकट हुई थी ?
2 क्योंकि वह उसके समाने एक नाजूक पौधे के समान विकसित होगा, और जिसकी जड़ सूखी भूमि पर है; उसके पास किसी तरह की सुंदरता नहीं है; और जब हम उसे देखेंगे उसमें ऐसा कोई आकर्षण नहीं होगा कि हम उसे चाहें ।
3 उसे मनुष्यों द्वारा तुच्छ और बहिष्कृत किया गया; एक शोकित पुरुष, और दुखों को जानता है; और हमने अपने मुंह उससे फेर लिए; वह तुच्छ समझा गया, और हमने उसका आदर नहीं किया ।
4 अवश्य ही उसने हमारे दुखों को सह लिया था, और हमारे दुखों को उठा लिया था; फिर भी हमने उसे परमेश्वर द्वारा पीड़ित, दंडित, और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा ।
5 लेकिन वह हमारे उल्लंघनों के लिए घायल किया, वह हमारे अपराधों के लिए कुचला गया; हमारी शांति का दंड उसके ऊपर था; और उसके कोड़े खाने से हम चंगे हुए थे ।
6 हम सब, भेड़ों के समान, भटक गए हैं; हम सब अपने अपने मार्ग पर चल लगे; और प्रभु ने हम सबों के अपराधों का बोझ अपने ऊपर ले लिया ।
7 वह सताया गया, और वह पीड़ित किया गया, फिर भी उसने अपना मुंह नहीं खोला; उसे वध करने के लिए मेमने के समान लाया गया, और उस भेड़ के समान उसने अपना मुंह नहीं खोला जो अपना ऊन कतरने वाले सामने चुप रहती है ।
8 वह कारागार से लाया गया और न्याय से वंचित रखा गया; और कौन उसकी पीढ़ी की घोषणा करेगा ? क्योंकि उसे जीवितों की भूमि से अलग कर दिया गया; क्योंकि मेरे लोगों के उल्लंघनों के कारण वह पीड़ित हुआ था ।
9 और वह दुष्टों के बीच मरा, और धनवान की कब्र में उसे दफनाया गया; क्योंकि उसने कोई बुराई नहीं की थी, न ही अपने मुहं से कोई छल किया था ।
10 फिर भी प्रभु को यह अच्छा लगा कि घायल करे; उसने उसे कष्ट दिए; जब तुम पाप के लिए उसके प्राण की भेंट दोगे वह अपने वंश को देखेगा, वह समय को बढ़ाएगा, और प्रभु की इच्छा उसके हाथों में समृद्ध होगी ।
11 वह अपने प्राण के घोर कष्ट को देखेगा, और संतुष्ट होगा; उसके ज्ञान के द्वारा मेरा धार्मिक सेवक कई का न्याय करेगा; क्योंकि वह उनके अपराधों को सहेगा ।
12 इसलिए मैं महान लोगों के साथ उसे एक भाग दूंगा, और वह संपत्ति सर्मथ लोगों के साथ बांटेगा; क्योंकि उसने अपने प्राण मृत्यु पर न्यौछावर कर दिए हैं; और अपराधियों के साथ उसकी गिनती की गई; और उसने बहुतों के पापों को सहा, और अपराध करने वालों के लिए मध्यस्थ बना ।