आओ, मेरा अनुसरण करो
15–21 जून । अलमा 13–16


“15–21 जून । अलमा 13–16: “प्रभु के आरामगाह में प्रवेश के लिए” आओ, मेरा अनुसरण करो—व्यक्तियों और परिवारों के लिए: मॉरमन की पुस्तक 2020 (2020)

“15–21 जून । अलमा 13–16,” आओ, मेरा अनुसरण करो—व्यक्तियों और परिवारों के लिए: 2020

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अलमा और अमूलेक कारागार से बाहर निकलते हुए

अलमा और अमूलेक कारागार से बाहर निकलते हुए का चित्र, एंड्रयू बोसले द्वारा

15–21 जून ।

अलमा 13–16

प्रभु के आरामगाह में प्रवेश के लिए

धर्मशास्त्रों का मनन करने से आपको जो प्रेरणा मिलती है वह अनमोल है । इस पर मनन और कार्य करके आप दिखा सकते हैं कि आप इसे संजोकर रखते हैं ।

अपने विचार लिखें

कई तरह से, अम्मोनीहा में जीवन अमूलेक और जीजरोम दोनों के लिए अच्छा था । अमुलेक “कम प्रतिष्ठित” पुरूष नहीं था, उसके “कई रिश्तेदार और मित्र” और “बहुत अधिक धन-संपत्ति” थी (अलमा 10:4) । जीजरोम वकीलों के बीच “अत्याधिक निपुण” था और “अधिक काम” करता था (अलमा 10:31) । फिर अलमा पश्चाताप और “प्रभु के आरामगाह में प्रवेश के लिए” एक दिव्य निमंत्रण के साथ अम्मोनीहा में पहुंचा था (अलमा 13:16) । अमूलेक, जीजरोम और अन्य लोगों के लिए, इस निमंत्रण को स्वीकार करने के लिए बलिदान की आवश्यकता थी और लगभग असहनीय पीढ़ा भी सहनी पड़ी थी ।

लेकिन कहानी यहीं समाप्त नहीं होती है । अलमा 13–16 में, हम सीखते हैं कि अंततः उन लोगों के साथ क्या होता है जो “उद्धार के लिए मसीह की शक्ति में” विश्वास करते हैं (अलमा 15:6) । कभी मुक्ति मिलती है, कभी चंगाई—और कभी बातें इस जीवन में बहुत सरल नहीं होती हैं । लेकिन हमेशा, “प्रभु [अपने लोगों को] महिमा में अपने पास बुलाता है” (अलमा 14:11) । हमेशा, “मसीह में [हमारे] विश्वास के कारण प्रभु [हमें] शक्ति प्रदान करता है” (अलमा14:28) । और हमेशा, कि “प्रभु पर विश्वास” हमें आशा देता है कि [हमें] अनंत जीवन मिलेगा”(अलमा 13:29) । जब आप इन अध्यायों को पढ़ते हैं, तो आपको इन वादों में दिलासा मिल सकती है, और आप बेहतर तरीके से समझ सकते हैं कि अलमा का क्या मतलब था जब उसने “प्रभु के आरामगाह” के बारे में बोला था ।

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व्यक्तिगत अध्ययन आइकॉन

व्यक्तिगत धर्मशास्त्र अध्ययन के लिए विचार

अलमा 13:1–19

पौरोहित्य विधियां मुझे यीशु मसीह के माध्यम से मुक्ति प्राप्त करने में मदद करती हैं ।

अलमा 12 में आप याद कर सकते हैं, कि अलमा ने परमेश्वर की मुक्ति की योजना के बारे में सिखाया था (देखें अलमा 12:24–27) । अध्याय 13 में, उसने उन याजकों के बारे में बात की थी जिन्हें परमेश्वर ने “लोगों को ये बातें सिखाने के लिए” नियुक्त किया था (देखें 13:1) । अलमा के शब्द पौरोहित्य के बारे में बहुत सी शक्तिशाली सच्चाई प्रकट करते हैं । हो सकता है आप अलमा 13:1–9 में कम से कम एक सच्चाई की पहचान करने कोशिश कर सकते हैं । आपको आरंभ करने के लिए यहां कुछ विचार दिए गए हैं:

पद 1 ।इस पौरोहित्य को, “[परमेश्वर] के पुत्र की रीति” पर भी कहा जाता है (सिद्धांत और अनुबंध 107:1–4 भी देखें) ।

पद 2 ।मुक्ति के लिए लोगों को उसके पुत्र पर निर्भर रहने के लिए परमेश्वर याजकों को नियुक्त करता है ।

पद 3 ।पौरोहित्य धारकों को उनकी जिम्मेदारियों के लिए “संसार के आरंभ से” तैयार किया गया था ।

आप और क्या प्राप्त करते हैं ? आप पौरोहित्य के बारे में कैसा महसूस करते हैं जब आप इन सच्चाइयों पर मनन करते हैं ? कैसे पौरोहित्य विधियों ने मुक्ति के लिए मसीह की ओर देखने में आपकी मदद की है ?

इस पर ध्यान दिलचस्प होगा कि अम्मोनीहा में बहुत से लोग निहोर के अनुयायी थे (देखें अलमा 14:18; 15:15) । कैस निहोर की रीति के अनुसार के याजक (देखें अलमा 1:3–6)“परमेश्वर के पुत्र की रीति” के अनुसार याजक (सिद्धांत और अनुबंध 107:3), से भिन्न कैसे थे, जिनकी अलमा ने व्याख्या की था ? (देखें अलमा 13:1–19) ।

See also Dale G. Renlund, “The Priesthood and the Savior’s Atoning Power,” Ensign or Liahona, Nov. 2017, 64–67.

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युवक प्रभुभोज मेज के निकट

पौरोहित्य विधियां हमें मुक्ति के लिए यीशु मसीह पर निर्भर रहने में मदद करते हैं ।

अलमा 13:3

क्या पौरोहित्य धारक “संसार के आरंभ से तैयार और नियुक्त किए गए” एकमात्र लोग हैं ?

अलमा 13:3 में अलमा की शिक्षाएं विशेषरूप से पौरोहित्य धारकों को संदर्भ करती है । हालांकि, जो नियम उसने सिखाया था—कि लोगों को “संसार के आरंभ से” नियुक्त और तैयार किया गया था—यह हम सभी पर लागू होता है । अध्यक्ष स्पेन्सर डब्ल्यू. किंबल ने कहा था: “यहां आने से पहले के संसार में, विश्वासी महिलाओं को कार्य सौंपे गए थे, जबकि विश्वासी पुरुषों को पौरोहित्य कार्यों के लिए पूर्व-नियुक्त किया गया था । अब जबकि हमें इनका विवरण याद नहीं है, लेकिन इससे वह महिमापूर्ण वास्तविकता नहीं बदल सकती जिसे हमने कभी स्वीकार किया था” (Teachings of Presidents of the Church: Spencer W. Kimball [2006], 215–16; सिद्धांत और अनुबंध138:55–56 भी देखें) ।

अलमा 14

कभी-कभी परमेश्वर धर्मी को कष्ट सहने की अनुमति देता है ।

अलमा 14 धर्मी लोगों के बारे में बताता है जिन्होंने अपने विश्वास के कारण कष्ट सहे और मर भी गए थे । आप आश्चर्य कर सकते हैं, जैसे बहुत से लोग करते हैं, क्यों भयानक बातें उन लोगों के साथ होती हैं जो धार्मिकरूप से जीने की कोशिश करते हैं । आपको इस कठिन प्रश्न के सभी उत्तर अलमा {14 में नहीं मिल सकते हैं, लेकिन अलमा और अमूलेक ने जिस प्रकार परिस्थितियों का सामना किया था, उससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है । उनके शब्द और कार्य आपको क्या सिखाते हैं कि क्यों प्रभु धर्मी लोगों को कष्ट सहने की अनुमति देता है । हम उनसे अत्याचार सहने के बारे में क्या सीखते हैं ?

मत्ती 5:43–44; मरकुस 14:55–65; रोमियों 8:35–39; 1 पतरस 4:12–14; सिद्धांत और अनुबंध 122:5–9 भी देखें ।

Alma 15:16, 18

शिष्यता त्याग चाहती है ।

उन बातों की सूची बनाना दिलचस्प हो सकता है जिनका अमूलेक ने सुसमाचार को गले लगाने के लिए त्याग किया था (देखें अलमा 10:4–5; 15:16) और इसकी तुलना उस सूची से करें जो उसने प्राप्त किया था (देखें अलमा 15:18; 16:13–15; 34:8) । अधिक विश्वासी शिष्य बनने के लिए आप क्या त्याग करने के लिए तैयार हैं ?

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पारिवारिक अध्ययन आइकन

पारिवारिक धर्मशास्त्र अध्ययन और पारिवारिक घरेलू संध्या के लिये विचार

जब आप अपने परिवार के साथ धर्मशास्त्र का अध्ययन करते हैं, तो पवित्र आत्मा उन सिद्धांतों को समझने में आपकी मदद कर सकती है, जिन पर जोर देने और चर्चा करने से आपके परिवार की जरूरतें पूरी हो सकती हैं । यहां कुछ विचार दिए गए हैं ।

अलमा 13

अलमा 13 । कौन से अन्य शब्द और विचार इससे प्रकट होते हैं ? यह हमें इसे समझने में कैसे मदद करता है कि “प्रभु के आरामगाह” का क्या अर्थ है ? यह किस प्रकार शारीरिक आरामगाह से भिन्न है ?

अलमा 13:10–12

अपने परिवार को समझने में मदद करने के लिए कि ये पद क्या सिखाते हैं, आप मिलकर कुछ धो सकते हैं—जैसे कुछ सफेद कपड़े । हम कैसा महसूस करते हैं जब हम अस्वच्छ होते हैं ? हम कैसा महसूस करते हैं जब हम फिर से स्वच्छ हो जाते हैं ? कैसे ये भावनाएं उसके समान हैं जिन्हें हम पाप करने और फिर पश्चाताप करने, और उद्धारकर्ता के प्रायश्चित के द्वारा स्वच्छ होने पर महसूस करते हैं ।

अलमा 15:1–12

हमें मजबूती और चंगाई देने के लिए प्रभु की शक्ति के बारे में जीजरोम के अनुभव से हम क्या सीखते हैं, बेशक हमने गलतियां की हों ? हमें उसकी शक्ति और चंगाई प्राप्त करने में पौरोहित्य क्या भूमिका निभा सकता है ?

अलमा 16:1–10

इन पदों को पढ़ने के बाद, आप अलमा 9:4 पढ़ सकते हैं । जिस प्रकार अम्मोनीहा के लोगों ने भविष्यवक्ता के शब्दों के बारे में महसूस किया था, उस की तुलना जोराम के अनुभव से करने पर हम क्या सीखते हैं ? हम अपने प्रिय भविष्यवक्ता के शब्दों के प्रति विश्वासी होने के लिए क्या कर रहे हैं ?

बच्चों को सीखाने हेतु अधिक विचारों के लिये, आओ, मेरा अनुसरण करो—प्राथमिक के लिए में इस सप्ताह की रूपरेखा देखें ।

हमारी शिक्षा में सुधार करना

हमेशा तैयार रहें । सीखाने के क्षण जल्दी बीत जाते हैं, इसलिए जब भी मौका मिले इनका उपयोग करें । उदाहरण के लिए, संसार में कोई दुखद घटना अलमा 14 के नियमों को बांटने का मौका हो सकता है कि क्यों कभी-कभी परमेश्वर निर्दोषों को कष्ट सहने की अनुमति देता है । (See Teaching in the Savior’s Way, 16.)

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अलमा और अमूलेक कारागार में

अलमा और अमूलेक कारागार में, गैरी एल. कप्प द्वारा

Chaapo