आओ, मेरा अनुसरण करो
परिशिष्ट ग: तीन गवाह


“परिशिष्ट ग: तीन गवाह” आओ, मेरा अनुसरण करो—व्यक्तियों और परिवारों के लिए: मॉरमन की पुस्तक 2020 (2020)

“परिशिष्ट ग,” आओ, मेरा अनुसरण करो—व्यक्तियों और परिवारों के लिए: 2020

परिशिष्ट ग

तीन गवाह

पांच साल से भी अधिक समय से—यानी स्वर्गदूत मोरोनी के जोसफ स्मिथ से पहली बार मिलने के समय से ले कर वर्ष 1829 तक—जोसफ ही ऐसे एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्हें स्वर्ण पट्टियों को देखने की अनुमति दी गई थी। इसके कारण उन्हें ऐसे लोगों की तीव्र आलोचना और अत्याचार का सामना करना पड़ता, जिन्हें लगता था कि जोसफ लोगों को धोखा दे रहे हैं। इसलिये उस आनंद की कल्पना करें, जो जोसफ के मन में तब उमड़ा होगा, जब उन्होंने मॉरमन की पुस्तक का अनुवाद कर लिया और उन्हें पता चला की प्रभु दूसरों को भी वे पट्टियां देखने की अनुमति देंगे, ताकि वे भी ”उस पुस्तक की सच्चाई और उसमें मौजूद सामग्री की गवाही दे सकें” (2 नफी 27:12–14; यह भी देखें 2 नफी 11:3; ईथर 5:2–4)।

जून 1829 में, ऑलिवर कॉउड्री, डेविड विटमर और मार्टिन हैरिस ने मॉरमन की पुस्तक द्वारा की गई भविष्यवाणी को सच करते हुए तीन गवाह बनने की अनुमति मांगी। प्रभु ने उनकी इच्छा पूरी कर दी (देखें सि&अ 17) और उनके पास एक स्वर्गदूत भेजा, जिसने उन्हें स्वर्ण पट्टियां दिखाईं। आगे चलकर ये पुरुष तीन गवाहों के नाम से प्रसिद्ध हुए और उनकी लिखित गवाही मॉरमन की पुस्तक की हर प्रति में शामिल होती है।1

अध्यक्ष डालिन एच. ओक्स ने समझाया कि इन तीन गवाहों की गवाही इतनी प्रेरक क्यों है: “मॉरमन की पुस्तक के पक्ष में इन तीन गवाहों द्वारा दी गई गवाही बेहद महत्वपूर्ण है। इन तीनों में से प्रत्येक व्यक्ति के पास अपनी गवाही पर अटल न रहने के पर्याप्त कारण और मौके थे, अगर वह झूठी होती, या अगर वे गलत होते हैं, तो उनमें से हर एक का विवरण एक-दूसरे से इतनी सटीकता से न मिलता। जैसा कि सभी जानते हैं कि गिरजा के अन्य अग्रणी लोगों की असहमति या ईर्ष्या के कारण इनमें से प्रत्येक गवाह की गवाही के प्रकाशित होने के बाद, उन्हें अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजा से तकरीबन आठ सालों के लिए बहिष्कृत कर दिया गया था। ये तीनों अपने-अपने रास्ते चले गए और इनके मन में एकजुट हो कर किसी भी तरह अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए चोरी छिपे कोई काम करने की भावना भी नहीं पनपी। फिर भी अपने जीवन के अंतिम दौर में—यानी बहिष्कृत किए जाने के 12 से 50 वर्षों के दौरान—इनमें से कोई भी गवाह अपनी प्रकाशित गवाही से न तो डिगा और न ही कोई ऐसी बात की, जिससे उसकी सच्चाई पर आंच आती।”2

अपनी अंतिम सांस तक, ये तीनों गवाह मॉरमन की पुस्तक के पक्ष में दी गई अपनी गवाही के प्रति निष्ठावान रहे।

ओलिवर काउड्री

अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले गिरजा में दोबारा बपतिस्मा लेने के बाद, ऑलिवर की भेंट एल्डर जेकब गेट्स नामक एक प्रचारक से हुई, जो रिचमंड, मिसूरी के मार्ग, इंग्लैंड में एक प्रचार कार्य के लिए अपनी सेवाएं देने जा रहे थे। एल्डर गेट्स ने ऑलिवर से मॉरमन की पुस्तक पर उनकी गवाही के बारे में पूछा। एल्डर गेट्स के बेटे ऑलिवर की प्रतिक्रिया को इस तरह याद करते हैं:

“उनसे प्रश्न पूछने पर ऐसा लगा मानो वह उनके मन में गहरे उतर गया था। उसने एक शब्द भी नहीं कहा, बस अपनी आराम कुर्सी से उठा, किताबों की अलमारी तक गए और वहां से मॉरमन की पुस्तक का पहला संस्करण ले आया, फिर तीन गवाहों की गवाही वाले पृष्ठ को खोलकर अपने नाम वाली गवाही को बुलंद स्वर में वैसे ही पढ़ा, जैसा उन्होंने करीब बीस साल पहले पढ़ा था। मेरे पिता की ओर देखते हुए उन्होंने कहा: ‘जेकब, मैं चाहता हूं कि मैं आपसे जो भी कहूं, उसे आप याद रखें। मेरी मौत करीब है और आपसे झूठ बोलकर भला मेरा क्या लाभ होगा? उन्होंने कहा, ’मैं जानता हूं मॉरमन की पुस्तक का अनुवाद परमेश्वर की दी हुई भेंट और ताकत के बिना संभव नहीं था। जो कुछ भी मेरी आंखों ने देखा, मेरे कानों ने सुना और मेरी समझ ने अनुभव किया, उससे मुझे यकीन हो गया कि मेरी गवाही सत्य है। वह कोई सपना नहीं था, मन की कोई बेकार कल्पना नहीं थी—वह बिल्कुल असली था।’”3

डेविड विटमर

अपनी वृद्धावस्था में डेविड विटमर को ऐसी अफवाहों के बारे में पता चला, जो कहती थीं वे मॉरमन की पुस्तक के पक्ष में दी गई अपनी गवाही से मुकर गए। इन आरोपों के जवाब में, डेविड ने एक पत्र में अपनी गवाही की दोबारा पुष्टि की, जिसे स्थानीय अखबार रिचमंड कंजरवेटर में प्रकाशित किया गया:

“मेरी प्रबल इच्छा है कि दुनिया को सच्चाई बताी जानी चाहिए । अपनी उम्र के अंतिम समय में और मन में प्रभु का भय रखते हुए, मैं सार्वजनिक रूप से यह वक्तव्य देना चाहता हूं:

“यह कि मैंने कभी भी अपनी गवाही या उसके किसी भी अंश को नहीं नकारा है और मैं अभी भी उस पर वैसे ही अटल हूँ, जैसे कि मॉरमन की पुस्तक के प्रकाशित होने पर था, यानी तीन में से एक गवाह के रूप में। जो लोग मुझ से अच्छी परिचित हैं, वे बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि मैं हमेशा अपनी गवाही पर अटल रहा हूं । और यह बात कि कोई भी इंसान उसके संबंध में न तो किसी प्रकार के भ्रम में रहे और न ही मेरे वर्तमान दृष्टिकोण पर कोई शंका रखे। मैं अपने सभी वक्तव्यों की सच्चाई की उसी दृढ़ता से पुष्टि करता हूं, जैसे मैंने उनके प्रकाशित होते समय की थी।

“‘जिसके पास भी सुनने के लिए कान हैं, वे कान खोलकर सुन लें कि वह कोई छलावा या भ्रम नहीं था! जो लिखा जा चुका है, सो लिखा जा चुका है—और जो उसे पढ़ेगा, उसे ही समझने दो।”4

मार्टिन हैरिस

ऑलिवर काउड्री की तरह ही मार्टिन हैरिस भी कुछ समय के लिये गिरजे से अलग हुए थे, लेकिन उनकका दोबारा बपतिस्मा हुआ था । अपने जीवन के अंतिम दिनों में, वे जहां कहीं भी जाते, मॉरमन की पुस्तक उनके बगल में होती थी और वे उसकी सच्चाई की गवाही हर ऐसे व्यक्ति को सुनाते, जो उसे सुनना चाहता: “मैं जानता हूं कि मॉरमन की पुस्तक बिलकुल सच्ची है। और भले ही सब लोग उस पुस्तक की सच्चाई को मानने से इनकार कर दें, लेकिन मैं ऐसा दुस्साहस कभी नहीं करूंगा। मेरा हृदय इस पर अटल हो चुका है। हे प्रभु, मेरा हृदय इस पर अटल हो चुका है! मुझे पूरा विश्वास है कि इसकी सच्चाई का जो ज्ञान मुझे हुआ है, उससे बेहतर हो ही नहीं सकता था।”5

मार्टिन के एक परिचित जॉर्ज गॉडफ्रे लिखते हैं: “उनकी मृत्यु के कुछ घंटे पहले … मैंने [मार्टिन से] पूछा कि क्या उन्हें ऐसा नहीं लगता कि मॉरमन की पुस्तक में जो कुछ भी लिखा है या उसके प्रकट किए जाने के बारे में जो कुछ भी कहा गया है, उसमें थोड़ा-सा ही सही, मगर झूठ या गलत है … और उसने कहा जैसा वह हमेशा कहते थे: ‘मॉरमन की पुस्तक झूठ नहीं है। मुझे मालूम है कि मैं क्या जानता हूं । मैंने जो कुछ भी देखा और सुना है, उसमें शंका के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने वे स्वर्ण पट्टियां देखी हैं, जिससे मॉरमन की पुस्तक लिखी गई है। एक स्वर्गदूत मेरे और अन्य लोगों के सामने प्रकट हुआ और उसने हमें इस अभिलेख के सत्य होने की गवाही दी और अगर मेरे मन में झूठ बोलने की इच्छा होती और मैंने झूठी निष्ठा के साथ गवाही दी होती, तो मैं यकीकन आज एक अमीर आदमी होता, लेकिन मैंने झूठी निष्ठा के साथ गवाही नहीं दी थी और आज मैं जो कुछ भी कर रहा हूं, वह इसलिए कर रहा हूँ, क्योंकि मैं जानता हूं कि यह सब बातें बिल्कुल सच है।’”6

“उतने गवाह, जितने उसे उचित लगते हैं”

इन तीनों गवाहों को गिरजे के अंदर और बाहर दोनों जगह हुए अनुभव को देखते हुए उनकी गवाहियां विशेषरूप से प्रभावशाली हैं।7 अपनी पूरी जिंदगी में, ऑलिवर, डेविड और मार्टिन ने कभी भी अपने अनुभव को नहीं नकारा और अपनी उस गवाही पर कायम रहे कि मॉरमन की पुस्तक का अनुवाद परमेश्वर की उपहार और शक्ति से प्रेरित हो कर किया गया था। और ऐसा करने वाले वे अकेले नहीं थे।

प्राचीन काल में, नफी ने घोषणा की थी, “प्रभु परमेश्वर इस पुस्तक के शब्दों की सच्चाई को सामने लाने का मार्ग बनाएगा; और उतने लोगों के मुंह से गवाहियां दिलवाएगा, जितने कि उसके शब्दों की सच्चाई को कायम करने की दृष्टि से उसे जँचेंगे” (2 नफी 27:14)। भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ और तीन गवाहों के अलावा, प्रभु ने स्वर्ण पट्टियां दिखाने के लिए आठ अन्य गवाह भी चुने। उनकी गवाही भी मॉरमन की पुस्तक की हर प्रति में शामिल है। ऑलिवर, डेविड और मार्टिन की तरह ही, वे आठ गवाह भी मॉरमन की पुस्तक और स्वर्ण पट्टियों के दर्शन के संबंध में दी गई अपनी गवाहियों पर अटल रहे।

विलियम ई. मैकलेलिन गिरजा की शरण में आने वाले शुरुआती लोगों में से थे और वे व्यक्तिगत रूप से मॉरमन की पुस्तक के कई गवाहों से परिचित थे। विलियम आखिरकार गिरजा से चले गए, लेकिन उनके मन पर गवाहों के मुंह से सुनी प्रेरक गवाहियों का गहरा असर होता रहा।

मैकलेलिन ने अपने जीवन के अंतिम दौर में लिखा था, “अब मैं आपसे पूछता हूं, अब मैं ऐसे निष्ठावान गवाहों की टोली का क्या करूं, जो इतनी तार्किक और अपनी अडिग गवाही पर कायम हैं? इन लोगों को अपने जीवन की उत्कर्ष काल में, स्वर्गदूत के दिव्यदर्शन किए और सभी लोगों के समक्ष इसकी गवाही दी। और आठों लोगों ने उन स्वर्ण पट्टियों को देखा और उन्हें अपने हाथों में लिया। इसलिए ये सभी लोग जानते थे कि उन्होंने जो कुछ भी कहा है, वह सच के सिवाय और कुछ नहीं है। और जो बात उन्होंने अपनी जवानी में कही, वही बात वे अपने बुढ़ापे में भी कह रहे हैं।”8

भले ही हमने उन तीन गवाहों की तरह स्वर्ण पट्टियों को नहीं देखा, फिर भी हमें उनकी गवाहियों से ताकत मिल सकती है। भले ही उनकी गवाहियों की वजह से उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी और उनकी सुरक्षा और जिंदगी को खतरा था, फिर भी ये एकनिष्ठ लोग अपनी आख़िरी सांस तक अपनी गवाहियों पर बहादुरी से अटल रहे।

  1. उनके अनुभव के बारे में Saints: The Story of the Church of Jesus Christ in the Latter Days, vol. 1, The Standard of Truth, 1815–1846 (2018), 73–75} में पढ़ें ।

  2. Dallin H. Oaks, “The Witness: Martin Harris,” Ensign, May 1999, 36 ।

  3. Jacob F. Gates, “Testimony of Jacob Gates,” Improvement Era, Mar. 1912, 418–19 ।

  4. In Lyndon W. Cook, ed., David Whitmer Interviews: A Restoration Witness (1991), 79 ।

  5. In Mitchell K. Schaefer, “The Testimony of Men: William E. McLellin and the Book of Mormon Witnesses,” BYU Studies, vol. 50, no. 1 (2011), 108; capitalization standardized ।

  6. George Godfrey, “Testimony of Martin Harris” (unpublished manuscript), quoted in Eldin Ricks, The Case of the Book of Mormon Witnesses (1961), 65–66 ।

  7. उदाहरण के लिए, देखें Saints, 1:182–83

  8. In Schaefer, “Testimony of Men,” 110 ।

Chaapo