आओ, मेरा अनुसरण करो
परिशिष्‍ट क: मुझे आत्मा की गवाही कैसे मिलती है कि मॉरमन की किताब सच है?


“परिशिष्ट क: पवित्र आत्मा मुझे इसकी गवाही कैसे देती है कि मॉरमन की पुस्तक सच्ची है?” आओ, मेरा अनुसरण करो—व्यक्तियों और परिवारों के लिए: मॉरमन की पुस्तक 2020 (2020)

“परिशिष्ट क,” आओ, मेरा अनुसरण करो—व्यक्तियों और परिवारों के लिए: 2020

परिशिष्ट क

पवित्र आत्मा मुझे इसकी गवाही कैसे देती है कि मॉरमन की पुस्तक सच्ची है?

आपने मॉरमन की पुस्तक पढ़ने वाले सभी लोगों के लिए मोरोनी द्वारा की गई प्रतिज्ञा के बारे में अवश्य सुना होगा: “यदि तुम सच्चे हृदय के साथ, वास्तविक उद्देश्य से मसीह में विश्वास करते हुए पूछोगे, तो वह पवित्र आत्मा के सामर्थ्य द्वारा तुम पर इसकी सच्चाई प्रकट करेगा” (मोरोनी 10:4)। लेकिन “पवित्र आत्मा की शक्ति से” सच्चाई को जानने का क्या मतलब है? जब पवित्र आत्मा आपसे बात करेगी, तो आपको कैसे पता चलेगा?

यहां यह बात याद रखना आवश्यक है कि पवित्र आत्मा हमारे साथ कई तरीकों से बातचीत करती है, जो हमारे द्वारा आपस में बातचीत करने के लिए उपयोग किए जाने वाले तरीकों से बिल्कुल भिन्न होते हैं। लेकिन आपका स्वर्गीय पिता पवित्र आत्मा को जानने और पहचानने में आपकी मदद करना चाहता है। उसने आपको मॉरमन की पुस्तक सौंपी है, जिसमें कई विश्वासी सेवकों ने प्रभु की वाणी के साथ हुए अपने अनुभवों का वर्णन किया है।

उदाहरण के लिए, नफी ने अपने भाइयों को बताया कि प्रभु ने “धीमी स्थिर आवाज“ में उससे बातें की थी, जो आवश्यक नहीं है कि ऐसी वाणी हो, जिसे वे अपने कानों से सुन सकते हैं। बल्कि, नफी ने कहा कि उसके भाई “इतने संवेदनहीन हो गए थे, ” और इसीलिए वे उसके शब्दों को“ महसूस न कर सके;” (1 नफी 17:45, तिरछे शब्द जोड़ गए हैं) । इनोस ने अपनी प्रार्थनाओं के जवाब का उल्लेख “[उसके] मन में आने वाली” “प्रभु की वाणी” के रूप में किया (इनोस 1:10)। और इन शब्दों पर विचार करें, जो संपन्न प्रदेश में पुनर्जीवित उद्धारकर्ता के प्रकट होने पर स्वर्ग से आई वाणी का वर्णन करते हैं: “और न तो वह वाणी कठोर थी और न ही तेज; फिर भी, … इससे उनकी आत्मा पर असर हुआ, और उनके हृदयों को जलाने लगी” (3 नफी 11:3)।

शायद आपको भी इसी तरह के अनुभव हुए होंगे, या हो सकता है आपको अलग तरह के अनुभव हुए हों। पवित्र आत्मा हमसे कई तरीकों से बातचीत करती है और हम में से हर किसी के पास अलग-अलग ढंग से प्रकटीकरण आ सकते हैं। और जब हमारे जीवन में पवित्र आत्मा का सान्निध्य होता है, तो हमें स्वयं पर परमेश्वर का प्रभाव कई तरीकों से नजर आएगा। प्रभु से प्रेरित पौलुस ने “प्रेम, आनंद, शांति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, संयम, अन्य बहुतों में से हैं” (गलातियों 5:22–23)।

यहां पर मॉरमन की पुस्तक द्वारा पवित्र आत्मा के बारे में दी गई कुछ अन्य सीखें और उदाहरण दिए गए हैं। जब आप उन्हें पढ़ते हैं तो, आप देख सकते हैं कि पवित्र आत्मा आपसे आपकी अपेक्षा से कहीं अधिक बात करती रही है, यह गवाही देते हुए कि मॉरमन की पुस्तक वास्तव में परमेश्वर का वचन है।

कृतज्ञता और आनंद

मॉरमन की पुस्तक भविष्यवक्ता लेही के अद्भुत दिव्यदर्शन से शुरू होती है। इस दिव्यदर्शन में उसे एक पुस्तक दी जाती है और पढ़ने के लिए कहा जाता है। अभिलेख कहता है कि “जब उसने पढ़ना शुरू किया, वह प्रभु की आत्मा भर गया ।” इस अनुभव से अभिभूत हो कर, लेही ने ईश्वर की “शक्ति, अच्छाई और दयालुता” के लिए उनकी स्तुति की और लेही की “आत्मा आनंद और उल्लास से भर गया” (1 नफी 1:12, 14–15)।

क्या आपको भी कभी ऐसा अनुभव हुआ है? क्या कभी मॉरमन की पुस्तक पढ़कर आपके हृदय में भी परमेश्वर की अच्छाई और दयालुता के प्रति कृतज्ञता की भावना उमड़ी है? क्या मॉरमन की पुस्तक के पदों से आपकी आत्मा ने उल्लासित महसूस किया है? ये अनुभव उस पवित्र आत्मा के प्रभाव से उपजते हैं, जो इस बात को साबित करते हैं कि जो वचन आप पढ़ रहे हैं, वे परमेश्वर के वचन हैं और वे आपको उसकी सच्चाई से अवगत करवाते हैं।

परिवर्तित हृदय

यीशु मसीह के पश्चाताप के बारे में एक असाधारण उपदेश की सीख देने के बाद (देखें मुसायाह 2–4), राजा बिन्यामीन यह जानना चाहता था कि उसके लोग “उसके द्वारा उनसे कहे गए शब्दों पर विश्वास करते हैं या नहीं।” उन्होंने कहा कि वे उसके संदेश पर विश्वास करते हैं। क्यों ? “क्योंकि सर्वशक्तिमान प्रभु की आत्मा ने हमारे भीतर यानि हमारे हृदय में एक महान परिवर्तन कर दिया है, कि हम शैतान के कार्यों को नहीं करेंगे, लेकिन निरंतर भले कार्य ही करेंगे” (मुसायाह 5:1–2)।

शायद मॉरमन की पुस्तक पढ़ते समय आपको भी अपने हृदय में इसी तरह की कोई अनुभूति हुई होगी। उदाहरण के लिए, हो सकता है आपने एक बेहतर इंसान बनने, पाप से मुंह मोड़ने या दूसरों के प्रति दयाभाव से कोई काम करने के लिए स्वयं को प्रेरित महसूस किया हो। यही बात उस आत्मा की गवाही है, जिसकी आपको तलाश है कि यह पुस्तक परमेश्वर से प्रेरित है। क्योंकि मॉरमन ने सिखाया है, “जो भी बात हमें अच्छे काम करने, परमेश्वर से प्रेम करने और उसकी सेवा करने के लिए आमंत्रित करती और लुभाती है, वह निश्चय ही परमेश्वर से प्रेरित है” (मोरोनी 7:13; यह भी देखें 2 नफी 33:4, 10; अलमा 19:33; ईथर 4:11–12)।

आलोकित मन

जब अलमा “[उसके] वचनों का उपयोग करने” में जोरामाइयों की मदद करना चाहता था, ताकि वे स्वयं जान सकें कि उसकी गवाही सत्य है या नहीं, तो उसने परमेश्वर के वचन की तुलना एक बीज से की: “यदि तुम स्थान दो तो तुम्हारे हृदय में एक बीज बोया जा सकता है, उसने उन्हें समझाते हुए कहा, “वह तुम्हारी छाती में बढ़ने लगेगा; और जब तुम इस बढ़ती हुई गति को महसूस करोगे तो तुम स्वयं ही कहने लगोगे—यह एक अच्छा बीज है, या वचन अच्छा है क्योंकि यह मेरी आत्मा को विकसित करने लगा है; हां, यह मेरी समझ को बढ़ाने लगा है, हां, इसका स्वाद मुझे अच्छा लग रहा है” (अलमा 32:27–28)।

जब आप मॉरमन की पुस्तक का प्रभाव अपने जीवन में लाने और जीवन में कोई भी निर्णय लेते समय उससे मार्गदर्शन हासिल करने का निर्णय लेते हैं, तो ऐसा करके आप दरअसल उसके शब्दों को अपने हृदय में “जगह देते” हैं। और ये शब्द “[आपकी] आत्मा का विस्तार” और “[आपकी] समझ को आलोकित” कैसे करेंगे? हो सकता है आपको महसूस हो कि आप आत्मिक रूप से अधिक शक्तिशाली होते जा रहे हैं। हो सकता है आप दूसरों के प्रति अधिक प्रेम और खुलेपन का अनुभव करें। हो सकता है आपको लगे कि आपको हर बात बेहतर ढंग से समझ में आती जा रही है, विशेषरूप से आत्मिक बातें—मानो आपके मन में कोई ज्योति जगमगा उठी हो। और हो सकता है आप इस बात से भी सहमत हों कि मॉरमन की पुस्तक में सिखाया गया सिद्धांत “सुखद” है। इस तरह की भावनाओं से आपको यह समझने में मदद मिल सकती है कि आपको वास्तव में आत्मिक गवाही प्राप्त हुई है: “ओह फिर, क्या यह सच नहीं है ? मैं तुमसे कहता हूं, हां, क्योंकि यह प्रकाश है; और जो प्रकाश है वह अच्छा है क्योंकि यह समझने योग्य है, इसलिए तुम्हें जानना चाहिए कि यह अच्छा है” (अलमा 32:35)।

आपको आश्चर्य करने की आवश्यकता नहीं है

यह बस कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनके माध्यम से पवित्र आत्मा हमसे वार्तालाप करती है। कई और तरीके भी हैं। पवित्र आत्मा की वाणी सुनने के अवसरों की हमेशा तलाश करते हैं और आपको प्रभु की ओर से मॉरमन की पुस्तक की सच्चाई साबित करने वाली गवाही लगातार मिलती रहेगी।

अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने वादा किया है: “आपको यह आश्चर्य करने की आवश्यकता नहीं है कि सच्चाई क्या है । आपको यह सोचने की आवश्यकता नहीं कि आप किस पर सुरक्षित ढंग से विश्वास कर सकते हैं। व्यक्तिगत प्रकटीकरण के माध्यम से आपको स्वयं इसकी गवाही मिल जाएगी कि मॉरमन की पुस्तक प्रभु की वाणी है, जोसफ स्मिथ एक भविष्यवक्ता हैं और यह गिरजा स्वयं परमेश्वर का गिरजा है । दूसरे क्या सोचते या करते हैं इसके कोई अंतर नहीं पड़ता। सच्चाई के प्रति स्वयं आपके हृदय और मन में पैदा होने वाली गवाही को कोई भी छीनकर नहीं ले जा सकता” (“Revelation for the Church, Revelation for Our Lives,” Ensign or Liahona, May 2018, 95) ।

Chaapo