“22. सांसारिक जरूरतों को पूरा करना और आत्म-निर्भरता का निर्माण करना,’’ सामान्य विवरण पुस्तिका से संकलन (2023)।
“22. सांसारिक जरूरतों को पूरा करना और आत्म-निर्भरता का निर्माण करना,’’ सामान्य विवरण पुस्तिका से संकलन
22.
सांसारिक जरूरतों को पूरा करना और आत्म-निर्भरता का निर्माण करना
22.0
परिचय
गिरजा सदस्य “एक दूसरे के बोझ उठाने…, उनके दुख से दुखी होने, और उन्हें दिलासा देना चाहते हो जिन्हें दिलासे की जरूरत है” (मुसायाह 18:8–9)।
गिरजा सदस्यों को मेहनती काम और प्रभु की मदद से अपनी आत्म-निर्भरता को मजबूत करने की भी सलाह दी जाती है। आत्म-निर्भरता स्वयं और परिवार के लिए जीवन की आत्मिक और सांसारिक आवश्यकताओं को प्रदान करने की क्षमता, प्रतिबद्धता और प्रयास है।
व्यक्तिगत एवं पारिवारिक प्रयास
22.1
आत्म-निर्भरता का निर्माण करें
प्रभु की सहायता से, सदस्य निम्नलिखित तरीकों से आत्म-निर्भरता का निर्माण करते हैं:
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आत्मिक, शारीरिक और भावनात्मक शक्ति का विकास करना।
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शिक्षा और रोजगार प्राप्त करना।
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सांसारिक तैयारियों में सुधार करना।
22.1.4
सांसारिक तैयारी
धर्मशास्त्र तैयार रहने का महत्व सिखाते हैं (देखें येहजकेल 38:7; सिद्धांत और अनुबंध 38:30)। सदस्यों को तैयार रहने की सलाह दी जाती है ताकि वे जरूरत के समय अपनी, अपने परिवार की और दूसरों की देखभाल कर सकें।
सदस्य निम्नलिखित द्वारा अपनी वित्तीय तैयारी बढ़ाते हैं:
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दशमांश और भेंट देना (देखें मलाकी 3:8–12)।
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जहां तक संभव हो कर्ज को खत्म करना और उससे बचना।
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अपनी आय के भीतर जीवन यापन और बचत करना।
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भविष्य के लिए बचत करना।
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अपने लिए और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में मदद करने के लिए उचित शिक्षा प्राप्त करना (देखें 22.3.3)।
इस तैयारी में आपात स्थिति के दौरान मूलभूत जरूरतों को पूरा करने की योजना बनाना भी शामिल होता है। सदस्यों को भोजन, पानी और अन्य आवश्यकताओं की अल्पाविधि और दीर्घावधि आपूर्ति बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
22.2
सांसारिक और भावनात्मक जरूरत वाले लोगों की सेवा करें
प्रभु के शिष्यों को “एक दूसरे से प्रेम करने और सेवा करने” और “जिनको … सहायता की आवश्यकता होती है उनकी सहायता करना” सिखाया जाता है (मुसायाह 4:15–16)। सदस्य दूसरों को उसी तरह देखने का प्रयास करते हैं जैसे उद्धारकर्ता उन्हें देखता है, उनकी खास ताकतों और जरूरतों को समझते हैं। इन जरूरतों में भोजन, कपड़ा, आवास, शिक्षा, रोजगार, शारीरिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण शामिल हो सकते हैं।
22.2.1
प्रभु का भंडारगृह
सांसारिक जरूरतों वाले लोगों की मदद के लिए गिरजा के पास उपलब्ध सभी साधनों को परमेश्वर का भंडारगृह कहा जाता है (देखें सिद्धांत और अनुबंध 82:18–19)। इनमें जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए सदस्यों का समय, प्रतिभा, करुणा, सामग्री और वित्तीय साधन शामिल हैं।
प्रभु का भंडारगृह प्रत्येक वार्ड और स्टेक में मौजूद होता है। मार्गदर्शक अक्सर वार्ड और स्टेक सदस्यों द्वारा दिए गए ज्ञान, कौशल और सेवा का लाभ उठाकर व्यक्तियों और परिवारों को उनकी जरूरतों का समाधान खोजने में मदद कर सकते हैं।
22.2.2
उपवास और उपवास भेंट की व्यवस्था
प्रभु ने अपने लोगों को आशीष देने और जरूरतमंद लोगों की सेवा करने के लिए उपवास और उपवास भेंट की व्यवस्था स्थापित की है। सदस्य प्रभु के करीब आते और आत्मिक शक्ति में वृद्धि करते हैं जब वे उपवास की व्यवस्था का पालन करते हैं। (देखें यशायाह 58:6–12; मलाकी3:8–12।)
उपवास किसी भी समय किया जा सकता है। हालांकि, सदस्य आमतौर पर महीने के पहले सब्त दिन को उपवास दिवस के रूप में मनाते हैं। उपवास दिवस में आम तौर पर निम्नलिखित शामिल होता है:
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प्रार्थना करना
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24 घंटे की अवधि तक बिना कुछ खाए-पिए रहना (यदि शारीरिक रूप से सक्षम हो)
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उदार उपवास भेंट देना
जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए उपवास भेंट दान है। जब सदस्य उपवास रखते हैं, तो उन्हें ऐसी भेंट देने के लिए आमंत्रित किया जाता है जो कम से कम एक समय के भोजन के मूल्य के बराबर हो।
सदस्य अपनी उपवास भेंट और दशमांश और अन्य भेंट प्रपत्र के साथ भर कर धर्माध्यक्ष या उसके किसी सलाहकार को दे सकते हैं। कुछ क्षेत्रों में, वे अपना दान ऑनलाइन भी दे सकते हैं donation online।
मार्गदर्शक के प्रयास
22.3
आत्म-निर्भरता के निर्माण और जरूरतमंदों की सेवकाई करने का तरीका
22.3.1
जरूरतमंदों की तलाश करें
जरूरतमंद लोगों की तलाश करना और उनकी देखभाल करना धर्माध्यक्ष की पवित्र जिम्मेदारी है (देखें सिद्धांत और अनुबंध 84:112)। धर्माध्यक्ष की इस जिम्मेदारी में मदद करने में अन्य लोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जैसे:
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सेवकाई भाई और बहनें।
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सहायता संस्था और एल्डर परिषद अध्यक्षताएं।
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धर्माध्यक्ष के सलाहकार।
-
वार्ड परिषद के अन्य सदस्य।
22.3.2
सदस्यों को अल्पावधि आवश्यकताओं का आकलन और ध्यान देने में सहायता करें
सदस्य अपने स्वयं के प्रयासों और अपने नजदीकी पारिवारिक रिश्तेदारों की मदद से अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास करते हैं। जब यह पर्याप्त नहीं होती है, तो सदस्यों को अन्य स्रोतों से सहायता की आवश्यकता हो सकती है जैसे:
-
सरकारी और सामुदायिक साधन (देखें 22.12)।
-
गिरजा सहायता।
गिरजा सहायता में अल्पावधि के लिए जैसे भोजन, स्वच्छता की वस्तुएं, कपड़े, आवास, या अन्य मूलभूत वस्तुएं जैसी जरूरतें शामिल हो सकती हैं। धर्माध्यक्ष इन जरूरतों को पूरा करने के लिए उपवास भेंट का उपयोग कर सकते हैं। जहां धर्माध्यक्ष के आदेश उपलब्ध होते हैं, धर्माध्यक्ष आमतौर पर उनका उपयोग भोजन और अन्य मूलभूत सामग्रियों को उपलब्ध कराने के लिए करते हैं (देखें “Bishops’ Orders and Referrals” में Leader and Clerk Resources [LCR])।
22.3.3
सदस्यों को दीर्घावधि के लिए आत्म-निर्भर बनाने में सहायता करें
दीर्घावधि चुनौतियों से निपटने के लिए सदस्यों को निरंतर सहयोग की आवश्यकता हो सकती है। शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, या अन्य साधन उन्हें आत्म-निर्भर बनाने और उनकी दीर्घावधि जरूरतों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।
आत्म-निर्भरता की योजना सदस्यों को उनकी ताकत और जरूरतों को पहचानने में मदद करती है। इससे उन्हें उपयोगी साधनों की पहचान करने में भी मदद मिलती है। जब भी गिरजा सहायता पर विचार किया जाए तो इस योजना का उपयोग किया जाना चाहिए।
22.3.4
भावनात्मक जरूरत वाले लोगों की सेवा करें
कई सदस्य भावनात्मक चुनौतियों का सामना करते हैं। सेवकाई भाई-बहन और वार्ड मार्गदर्शक इन चुनौतियों से निपटने में सदस्यों की मदद करने में सहायक हो सकते हैं।
22.4
गिरजा सहायता प्रदान करने के नियम
प्रभु की सहायता से, सदस्य अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करना चाहते हैं।
गिरजा सहायता का उद्देश्य सदस्यों को स्वतंत्र रूप से विकसित करने में मदद करना है, न की निर्भर होना। दी गई किसी भी सहायता से सदस्यों को आत्म-निर्भर बनने के प्रयासों में मजबूती मिलनी चाहिए।
22.4.1
व्यक्तिगत और पारिवारिक जिम्मेदारी को प्रोत्साहित करें
मार्गदर्शक सिखाते हैं कि व्यक्तियों और परिवारों की अपनी सांसारिक, भावनात्मक और आत्मिक भलाई के प्रति प्राथमिक जिम्मेदारी है।
गिरजा सहायता प्रदान करने से पहले, धर्माध्यक्ष (या उसके द्वारा नियुक्त कोई अन्य मार्गदर्शक या सदस्य) सदस्यों के साथ समीक्षा करता है कि वे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए किन साधनों का उपयोग कर रहे हैं।
22.4.2
मौलिक आवश्यकताओं के लिए अस्थाई सहायता प्रदान करें
गिरजा सहायता का लक्ष्य सांसारिक रूप से बुनियादी जरूरतों को पूरा करना है जबकि सदस्य आत्म-निर्भर बनने का प्रयास करते हैं।
दी गई सहायता की राशि और अवधि पर विचार करते समय धर्माध्यक्षों को अच्छा निर्णय लेना चाहिए और आत्मिक मार्गदर्शन लेना चाहिए। निर्भरता पैदा न करते हुए उन्हें दयालु और उदार होना चाहिए।
22.4.3
नकद के बजाय साधन या सेवाएं प्रदान करें
यदि संभव हो तो धर्माध्यक्ष को नकद राशि देने से बचना चाहिए। इसके बजाय, सदस्यों को किराने का सामान या सेवाएं प्रदान करने के लिए उपवास भेंट या धर्माध्यक्ष के आदेशों का उपयोग करना चाहिए। सदस्य चाहे तो अन्य जरूरतों के भुगतान के लिए अपने स्वयं के पैसे का उपयोग भी कर सकते हैं।
यदि पर्याप्त न हो, तो धर्माध्यक्ष कुछ समय के लिए अनिवार्य बिलों का भुगतान करने के लिए उपवास भेंट का उपयोग करके सहायता कर सकता है (देखें 22.5.2)।
22.4.4
कार्य या सेवा के अवसर प्रदान करें
जिन्हें सहायता मिलती है धर्माध्यक्ष उन लोगों को उनकी क्षमता के अनुसार काम करने या सेवा प्रदान करने के लिए कहते हैं । इससे सदस्यों को गरिमा की भावना बनाए रखने में मदद मिलती है। इससे उनकी आत्म-निर्भर होने की क्षमता भी बढ़ती है।
22.4.5
गिरजा सहायता के बारे में जानकारी गोपनीय रखें
धर्माध्यक्ष और अन्य वार्ड मार्गदर्शक उन सदस्यों के बारे में जानकारी गोपनीय रखते हैं जिन्हें गिरजा सहायता की आवश्यकता हो सकती है। यह सदस्यों की गोपनीयता और गरिमा की रक्षा करता है।
22.5
गिरजा सहायता प्रदान करने के लिए नीतियां
गिरजा मार्गदर्शकों को भोजन और अन्य मूलभूल वस्तुओं के लिए उपवास भेंट या धर्माध्यक्ष के आदेशों के माध्यम से सहायता प्रदान करते समय इस खंड में बताई नीतियों का पालन करना चाहिए।
22.5.1
गिरजा सहायता के प्राप्तकर्ताओं के संबंध में नीतियां
22.5.1.1
वार्ड सदस्यों को सहायता
आम तौर पर, गिरजा सहायता प्राप्त करने वाले सदस्यों को वार्ड की सीमाओं में रहना चाहिए और उनका सदस्यता अभिलेख भी वार्ड में होना चाहिए। सहायता इस बात पर ध्यान दिए बिना दी जा सकती है कि सदस्य नियमित रूप से गिरजा सभाओं में भाग लेता है या गिरजा आदर्शों का पालन करता है।
22.5.1.2
धर्माध्यक्षों और स्टेक अध्यक्षों को सहायता
इससे पहले कि कोई धर्माध्यक्ष उपवास भेंट का उपयोग अपने या अपने परिवार के लिए करे, धर्माध्यक्ष को स्टेक अध्यक्ष की लिखित मंजूरी की आवश्यकता होती है।
22.5.1.4
उन व्यक्तियों को सहायता जो गिरजे के सदस्य नहीं हैं
जो व्यक्ति गिरजा के सदस्य नहीं होते हैं, उन्हें आमतौर पर सहायता के लिए स्थानीय सामुदायिक साधनों के पास भेजा जाता है। असाधारण परिस्थितियों पर, जैसा आत्मा द्वारा निर्देशित हो, धर्माध्यक्ष उपवास भेंट या धर्माध्यक्ष के आदेशों के साथ उनकी सहायता कर सकता है।
22.5.2
उपवास भेंट के उपयोग की नीतियां
22.5.2.1
चिकित्सा या अन्य स्वास्थ्य देखभाल
प्रत्येक गिरजा क्षेत्र ने चिकित्सा, दंत चिकित्सा, या मानसिक स्वास्थ्य खर्चों का भुगतान करने के लिए उपवास भेंट का उपयोग करने के लिए कुछ अनुमति सीमाएं स्थापित की हैं।
अनुमति राशि और दिशा-निर्देशों के लिए,देखें “Use of Fast Offerings for Medical Expenses”।
22.5.2.3
उपवास भेंट को लौटाना
सदस्य गिरजा से मिलने वाली उपवास भेंट सहायता को लौटाते नहीं हैं।
22.5.2.4
वार्ड उपवास भेंट व्यय राशि
धर्माध्यक्षों को वार्ड सदस्यों के लिए उपवास भेंट से दी जाने वाली सहायता को वार्ड के भीतर एकत्रित दान की राशि तक सीमित करने की आवश्यकता नहीं है।
22.5.3
भुगतान करने की नीतियां
यदि संभव हो तो भुगतान सीधे उन व्यवसायों को किया जाना चाहिए जो सामान और सेवाएं प्रदान करते हैं।
22.5.4
उन भुगतान की नीतियां जिनके लाभार्थी धर्माध्यक्ष या स्टेक अध्यक्ष हों
सदस्यों को उपवास भेंट से सहायता प्रदान करते समय, धर्माध्यक्ष इस धन राशि का उपयोग उन वस्तुओं या सेवाओं के भुगतान के लिए नहीं कर सकता है जिसका लाभार्थी वह स्वयं है।
यदि किसी सदस्य के लिए उपवास भेंट के भुगतान से स्टेक अध्यक्ष या उसके व्यवसाय को लाभ होता है, तो इसके लिए क्षेत्रीय अध्यक्षता की मंजूरी आवश्यक है।
22.6
वार्ड मार्गदर्शकों की भूमिकाएं
22.6.1
धर्माध्यक्ष और उसके सलाहकार
सांसारिक जरूरतों वाले लोगों की तलाश करना और उनकी देखभाल करना धर्माध्यक्ष की पवित्र जिम्मेदारी है (देखें सिद्धांत और अनुबंध 84:112)। वह इस कार्य का अधिकांश भाग सहायता संस्था और एल्डर परिषद अध्यक्षताओं को सौंपता है। हालांकि, कुछ कर्तव्य केवल धर्माध्यक्ष द्वारा ही निभाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, धर्माध्यक्ष:
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प्रदान की गई किसी भी सांसारिक सहायता के प्रकार, राशि और अवधि को निर्धारित करता है।
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उपवास भेंट सहायता प्रदान करने (देखें 22.4 और 22.5) और भोजन और अन्य मूलभूत वस्तुओं के लिए धर्माध्यक्ष आदेश (देखें 22.13) को मंजूरी देता है।
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सदस्यों की आत्म-निर्भरता योजनाओं की व्यक्तिगत समीक्षा करना। वह आवश्यकतानुसार अन्य वार्ड मार्गदर्शकों को उन योजनाओं का पालन करने के लिए नियुक्त करता है।
धर्माध्यक्ष और उसके सलाहकारों की निम्नलिखित जिम्मेदारिया होती हैं:
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(1) सांसारिक और भावनात्मक जरूरतों वाले लोगों की देखभाल करना और (2) आत्म-निर्भरता के निर्माण (देखें 22.1) से संबंधित नियम और आशीषें सिखाना।
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उपवास की व्यवस्था सिखाना और सदस्यों को उदारता से उपवास भेंट देने के लिए प्रोत्साहित करना (देखें 22.2.2)।
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उपवास भेंट को एकत्र करने और लेखांकन की निगरानी करना (देखें 34.3.2)।
22.6.2
सहायता संस्था और एल्डर परिषद अध्यक्षताएं
धर्माध्यक्ष के निर्देशन में, सहायता संस्था और एल्डर परिषद अध्यक्षताएं की वार्ड में जरूरतमंद लोगों की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका होती है (देखें 8.2.2 और 9.2.2)। ये मार्गदर्शक वार्ड सदस्यों को सिखाते हैं:
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जरूरतमंदों की सेवकाई करना।
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उपवास भेंट की व्यवस्था पालन करना।
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आत्म-निर्भरता का निर्माण करना।
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व्यक्तिगत और पारिवारिक तैयारी बढ़ाना।
22.6.3
सेवकाई भाई और बहनें
आत्मिक और सांसारिक आवश्यकताओं में सहायता अक्सर भाइयों और बहनों की सेवकाई से शुरू होती है (देखें 21.1)। वे उन लोगों की जरूरतों की सूचना अपने एल्डर परिषद या सहायता संस्था अध्यक्षताओं को सेवकाई साक्षात्कारों में और अन्य समयों पर देते हैं। वे गोपनीय जरूरतों को सीधे धर्माध्यक्ष के साथ साझा कर सकते हैं।
22.7
वार्ड परिषद की भूमिका
वार्ड परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है योजना बनाना कि जरूरतमंद लोगों की देखभाल कैसे की जाए और उन्हें आत्म-निर्भर बनने में कैसे मदद की जाए (देखें 4.4)। परिषद के सदस्य इन योजनाओं को मार्गदर्शकों के साक्षात्कारों और जरूरतमंद लोगों के साथ अपने व्यक्तिगत संपर्कों से मिली जानकारी के आधार पर बनाते हैं। सदस्यों की जरूरतों पर चर्चा करते समय, परिषद गोपनीयता का अनुरोध करने वाले किसी भी व्यक्ति की इच्छाओं का सम्मान करती है।
22.8
वार्ड युवा परिषद की भूमिका
वार्ड युवा परिषद का उद्देश्य युवाओं को यीशु मसीह के समर्पित अनुयायियों बनने में मदद करना है (देखें 29.2.6)।
धर्माध्यक्षता के मार्गदर्शन में, वार्ड युवा परिषद अपने वार्ड और समुदाय में जरूरतमंद लोगों की सेवा करने के तरीकों की योजना बनाती है।