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32. पश्चाताप और गिरजा सदस्यता परिषद


“32. पश्चाताप और गिरजा सदस्यता परिषद,” सामान्य विवरण पुस्तिका से संकलन (2023)।

“32. पश्चाताप और गिरजा सदस्यता परिषद,” सामान्य विवरण पुस्तिका से संकलन

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पुरूष बात करते हुए

32.

पश्चाताप और गिरजा सदस्यता परिषद

32.0

परिचय

अधिकांश पश्चाताप किसी व्यक्ति, परमेश्वर और उन लोगों के बीच होता है जो किसी व्यक्ति के पापों से प्रभावित हुए हैं। हालांकि, कभी-कभी धर्माध्यक्ष या स्टेक अध्यक्ष को पश्चाताप करने के प्रयासों में गिरजा सदस्यों की सहायता करने की आवश्यकता होती है।

पश्चाताप के लिए सदस्यों की सहायता करते समय, धर्माध्यक्ष या स्टेक अध्यक्ष स्नेहमय और सद्भावपूर्ण रहते हैं। वे उद्धारकर्ता के उदाहरण का अनुसरण करते हैं, जिसने लोगों को बेहतर बनने और पाप से दूर जाने और परमेश्वर की ओर मुड़ने में मदद की थी (देखें मत्ती 9:10–13; यूहन्ना 8:3–11)।

32.1

पश्चाताप और क्षमा

दया की अपनी योजना को पूरा करने के लिए, स्वर्गीय पिता ने अपने एकलौते पुत्र, यीशु मसीह को हमारे पापों के लिए प्रायश्चित करने भेजा था (देखें अलमा 42:15)। यीशु को उस दंड को सहना पड़ा जो न्याय की व्यवस्था पूरा करने हेतु हमारे पापों के लिए आवश्यक है (देखें सिद्धांत और अनुबंध 19:15-19।; अलमा 42:24–25 भी देखें)। इस बलिदान के माध्यम से, पिता और पुत्र दोनों ने हमारे लिए अपना असीम प्रेम दिखाया था (देखें यूहन्ना 3:16)।

जब हम “पश्चाताप के लिए विश्वास” करते हैं, तो स्वर्गीय पिता हमें क्षमा करता है, यीशु मसीह के प्रायश्चित के माध्यम से दया प्रदान करता है (अलमा 34:15; अलमा 42:13 भी देखें)। जब हमें शुद्ध और क्षमा कर दिया जाता है, तो हम अंततः परमेश्वर के राज्य के वारिस हो सकते हैं। (देखें यशायाह 1:18; सिद्धांत और अनुबंध 58:42)।

पश्चाताप केवल व्यवहार बदलने से अधिक है। पश्चाताप पाप से दूर होना और परमेश्वर और यीशु मसीह की ओर मुड़ना है। यह दिल और मन बदल देता है (देखें मुसायाह 5:2; अलमा 5:12–14; हिलामन 15:7)। पश्चाताप के माध्यम से, हम नए व्यक्ति बन जाते हैं, परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप करते हैं (देखें 2 कुरिन्थियों 5:17–18; मुसायाह 27:25–26)।

पश्चाताप करने का अवसर सबसे बड़ी आशीषों में से एक है जो स्वर्गीय पिता ने हमें अपने पुत्र के उपहार के माध्यम से दी है।

32.2

गिरजा सदस्यता पर प्रतिबंध या वापस लेने के उद्देश्य

यदि कोई सदस्य गंभीर पाप करता है, तो धर्माध्यक्ष या स्टेक अध्यक्ष उसे पश्चाताप करने में मदद करता है। इस प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, कुछ समय के लिए उसे कुछ गिरजा सदस्यता विशेषाधिकारों पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता हो सकती है। कुछ स्थितियों में, उसे कुछ समय के लिए किसी व्यक्ति की सदस्यता वापस लेने की आवश्यकता हो सकती है।

किसी व्यक्ति की सदस्यता को प्रतिबंधित करना या वापस लेना दंडित करने का इरादा नहीं है। असल में, ये कार्यवाहियां कभी-कभी किसी व्यक्ति को पश्चाताप और हृदय परिवर्तन का अनुभव करने में सहायता करने के लिए आवश्यक होती हैं। वे किसी व्यक्ति को आत्मिक रूप से तैयार होने के लिए समय भी देते हैं ताकि वह अपने अनुबंधों को फिर से नवीन कर उनका पालन कर सके।

सदस्यता पर प्रतिबंध या वापस लेने के निम्न तीन उद्देश्य होते हैं।

32.2.1

दूसरों की रक्षा करने में सहायता

पहला उद्देश्य दूसरों की रक्षा करने में सहायता करना है। कभी-कभी कोई व्यक्ति दूसरों के लिए शारीरिक या आत्मिक खतरा हो सकता है। हिंसक व्यवहार, शारीरिक नुकसान, यौन दुर्व्यवहार, मादक द्रव्यों के सेवन, धोखाधड़ी और स्वधर्मत्याग कुछ ऐसे तरीके हैं जिससे यह हो सकता है। प्रेरणा के साथ, धर्माध्यक्ष या स्टेक अध्यक्ष दूसरों की रक्षा के लिए कार्य करता है जब कोई इन और अन्य गंभीर तरीकों से खतरा हो सकता है (देखें अलमा 5:59–60)।

32.2.2

पश्चाताप के माध्यम से यीशु मसीह की मुक्ति की शक्ति तक पहुंचने में व्यक्ति की सहायता करना

दूसरा उद्देश्य पश्चाताप के माध्यम से यीशु मसीह की मुक्ति की शक्ति तक पहुंचने में किसी व्यक्ति की सहायता करना है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, वह फिर से स्वच्छ होकर परमेश्वर के सभी आशीषों को प्राप्त करने के योग्य हो सकता/सकती है।

32.2.3

गिरजे की सत्यनिष्ठा की रक्षा करना

तीसरा उद्देश्य गिरजे की सत्यनिष्ठा की रक्षा करना है। किसी व्यक्ति की गिरजा सदस्यता पर प्रतिबंध या वापस लेना आवश्यक हो सकता है यदि उसका आचरण गिरजे को अत्यधिक नुकसान पहुंचाता है (देखें अलमा 39:11)। गिरजे की सत्यनिष्ठा गंभीर पापों को छिपाने या कम करने से सुरक्षित नहीं होती है—बल्कि उन पर ध्यान देने से होती है।

32.3

इस्राएल में न्यायाधीशों की भूमिका

धर्माध्यक्षों या स्टेक अध्यक्षों को इस्राएल में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त और अलग किया जाता है (देखें सिद्धांत और अनुबंध 107: 72– 72)। वे गिरजा सदस्यों को पश्चाताप करने में सहायता के लिए प्रभु का प्रतिनिधित्व करने के लिए पौरोहित्य कुंजियां धारण करते हैं (देखें सिद्धांत और अनुबंध 13:1; 107: 16– 16)।

अक्सर धर्माध्यक्ष और स्टेक अध्यक्ष व्यक्तिगत परामर्श के माध्यम से पश्चाताप में सहायता करते हैं। इस सहायता में अनौपचारिक रूप से कुछ समय के लिए गिरजा सदस्यता के कुछ विशेषाधिकारों को प्रतिबंधित करना हो सकता है।

कुछ गंभीर पापों के लिए, मार्गदर्शक सदस्यता परिषद गठित करके पश्चाताप में सहायता करते हैं (देखें 32.6)। इस सहायता में कुछ समय के लिए किसी व्यक्ति की गिरजा सदस्यता पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध या वापस लेने की आवश्यकता हो सकती है।

धर्माध्यक्ष और स्टेक अध्यक्ष सदस्यों को पश्चाताप करने में सहायता करते समय स्नेहमय और सद्भावपूर्ण रहते हैं। व्यभिचार में पकड़ी गई महिला के साथ उद्धारकर्ता का व्यवहार इसका उदाहरण है (देखें यूहन्ना 8:3–11)। यद्यपि उसने यह नहीं कहा कि उसके पापों को क्षमा कर दिया गया था, फिर भी उसने उसकी निंदा नहीं की। इसके बजाय, उसने उसे “फिर पाप न करने” के लिए कहा—पश्चाताप करने और अपना जीवन बदलने के लिए कहा था।

ये मार्गदर्शक सिखाते हैं कि “एक पश्चाताप करने पापी के विषय में … आनन्द होगा” (लूका 15:7)। वे धैर्यवान, सहायक और सकारात्मक होते हैं। वे आशा की प्रेरणा देते हैं। वे सिखाते और गवाही देते हैं कि उद्धारकर्ता के प्रायश्चित बलिदान के कारण, सभी पश्चाताप कर स्वच्छ हो सकते हैं।

धर्माध्यक्ष और स्टेक अध्यक्ष प्रत्येक व्यक्ति को पश्चाताप करने सहायता के लिए आत्मा से मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं। केवल अत्यधिक गंभीर पापों के विषय में मार्गदर्शकों को उचित कार्यवाही करने के लिए गिरजे ने निर्धारित मानक स्थापित किए हैं (देखें 32.6)। कोई भी दो स्थितियां समान नहीं होती हैं। मार्गदर्शक जो परामर्श और पश्चाताप की प्रक्रिया का सुझाव देते हैं, उसे प्रेरणा से प्राप्त करना चाहिए और यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है।

32.4

पाप स्वीकृति, गोपनीयता, और सरकारी अधिकारियों को सूचित करना

32.4.1

पाप स्वीकृति

पश्चाताप के लिए आवश्यक है कि पापों को स्वर्गीय पिता के समक्ष स्वीकार किया जाए। यीशु मसीह ने कहा था, “इस के द्वारा तुम जान सकते हो यदि मनुष्य अपने पापों का पश्चाताप करता है—तो देखो, वह उनका अंगीकार करेगा और उन्हें त्याग देगा” (सिद्धांत और अनुबंध 58:43; मुसायाह 26:29 भी देखें)।

जब गिरजा सदस्य गंभीर पाप करते हैं, तो उनके पश्चाताप में उनके धर्माध्यक्ष और स्टेक अध्यक्ष के समक्ष पाप स्वीकृति भी शामिल होती है। तब वह उनकी ओर से पश्चाताप के सुसमाचार की कुंजियों का उपयोग करने में सक्षम होता है (देखें सिद्धांत और अनुबंध 13:1 ; 84:26–27 107:18, 20)। यह उन्हें उद्धारकर्ता के प्रायश्चित की शक्ति के माध्यम से बेहतर बनने और सुसमाचार मार्ग पर लौटने में सहायता करता है।

पाप स्वीकृति का उद्देश्य सदस्यों को स्वयं को बोझ मुक्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि वे पूरी तरह से बदलने और बेहतर बनने में प्रभु की सहायता ले सकें। पाप स्वीकृति द्वारा “टूटे हुए हृदय और पश्चातापी आत्मा” का विकास करने में सहायता मिलती है (2 नफी 2:7)। स्वैच्छिक पाप स्वीकृति से पता चलता है कि व्यक्ति पश्चाताप करना चाहता है।

जब कोई सदस्य पाप स्वीकार करता है, तो धर्माध्यक्ष या स्टेक अध्यक्ष 32.8 में परामर्श के लिए दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करता है। वह सदस्य को पश्चाताप करने में सहायता के लिए उचित वातावरण के बारे में मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करता है। वह विचार करता है कि क्या इस प्रक्रिया में सदस्यता परिषद सहायक होगी। यदि गिरजा नीति के अनुसार सदस्यता परिषद की आवश्यकता है, तो वह इसकी व्यख्या करता है (देखें 32.6)।

कभी-कभी कोई सदस्य पति/पत्नी या किसी अन्य वयस्क के विरूद्ध पाप करता है। पश्चाताप के लिए, उसे आमतौर पर उस व्यक्ति के समक्ष पाप को स्वीकार करना और क्षमा मांगनी चाहिए। यदि कोई युवा गंभीर पाप करता है, तो धर्माध्यक्ष या स्टेक अध्यक्ष उसे पश्चाताप करने में मदद करता है।

32.4.4

गोपनीयता

धर्माध्यक्षों, स्टेक अध्यक्षों और उनके सलाहकारों का पवित्र कर्तव्य है कि वे उनके साथ साझा की गई सभी गोपनीय जानकारी की रक्षा करें। यह जानकारी साक्षात्कार, परामर्श और पाप स्वीकृति के दौरान दी जा सकती है। गोपनीयता की यह जिम्मेदारी उन सभी पर लागू होती है जो सदस्यता परिषदों में भाग लेते हैं। गोपनीयता आवश्यक है क्योंकि सदस्य पापों को स्वीकार नहीं करेंगे या मार्गदर्शन नहीं चाहेंगे यदि उनके द्वारा दी गई जानकारी गोपनीय नहीं रखी जाती है। विश्वास का उल्लंघन करने से सदस्यों का भरोसा टूट जाता है और उनका अपने मार्गदर्शकों में विश्वास नहीं रहता है।

गोपनीयता जिम्मेदारी का पालन करते हुए, धर्माध्यक्ष, स्टेक अध्यक्ष, या उनके सलाहकार ऐसी जानकारी केवल निम्न परिस्थिति में साझा कर सकते हैं:

  • उन्हें सदस्यता परिषद गठित करने या संबंधित विषय की सदस्य के स्टेक अध्यक्ष, मिशन अध्यक्ष या धर्माध्यक्ष के साथ चर्चा करने की आवश्यकता है।

  • व्यक्ति किसी नए वार्ड में जाता है (या जांचकर्ता पौरोहित्य मार्गदर्शक सेवामुक्त हो जाता है) जबकि सदस्यता कार्यवाही या अन्य गंभीर पाप लंबित हैं।

  • धर्माध्यक्ष या स्टेक अध्यक्ष को पता चलता है कि कोई गिरजा सदस्य जो उस वार्ड या स्टेक की सीमा के बाहर रहता है, वह किसी गंभीर पाप में शामिल है।

  • सदस्यता परिषद के दौरान जानकारी प्रकट करना आवश्यक है।

  • जब सदस्य मार्गदर्शक को विशिष्ट व्यक्तियों से जानकारी साझा करने की अनुमति देता है।

  • सदस्यता परिषद के निर्णय के बारे में सीमित जानकारी साझा करना आवश्यक हो सकता है।

दूसरों की रक्षा करने और व्यवस्था का पालन करने में मार्गदर्शकों की सहायता करने के लिए, गिरजा प्रशिक्षित पेशेवरों से सहायता प्रदान करता है। यह मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए, मार्गदर्शक तुरंत गिरजे की दुर्व्यवहार हेल्पलाइन (जहां यह उपलब्ध है) पर फोन करते हैं (देखें 38.6.2.1)। जहां यह उपलब्ध नहीं है, स्टेक अध्यक्ष क्षेत्रीय कार्यालय में क्षेत्र के कानूनी सलाहकार से संपर्क करता है।

केवल एक स्थिति में धर्माध्यक्ष या स्टेक अध्यक्ष को पहले इस तरह के मार्गदर्शन लिए बिना गोपनीय जानकारी प्रकट करनी चाहिए। जब किसी के जीवन को खतरे या गंभीर क्षति से बचाना अधिक आवश्यक हो और मार्गदर्शन लेने का समय न हो। ऐसे मामलों में, दूसरों की रक्षा करने की जिम्मदारी गोपनीयता की जिम्मदारी से अधिक महत्वपूर्ण है। मार्गदर्शकों को तुरंत नागरिक प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए।

32.6

पाप की गंभीरता और गिरजा नीति

पाप की गंभीरता उस वातावरण को निर्धारित करने के लिए आवश्यक है जो (1) दूसरों की रक्षा करने में सहायता करेगा और (2) व्यक्ति को पश्चाताप करने में सहायता करेगा। प्रभु ने कहा है कि वह “पाप के लिए थोड़ी सी भी छूट नहीं दे सकता है” (देखें सिद्धांत और अनुबंध 1:31; मुसायाह 26:29 भी देखें)। उसके सेवकों को गंभीर पाप के प्रमाणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।

गंभीर पाप परमेश्वर की व्यवस्था के विरुद्ध जानबूझकर किए गए बड़े पाप हैं। गंभीर पापों की श्रेणियां नीचे सूचीबद्ध हैं।

  • हिंसक कार्य और दुर्व्यवहार

  • यौन अनैतिकता

  • धोखाधड़ी

  • भरोसे का उल्लंघन

  • कुछ अन्य कार्य

कब सदस्यता परिषद की आवश्यकता है या कब आवश्यक हो सकती है

पाप का प्रकार

सदस्यता परिषद की आवश्यकता है

सदस्यता परिषद आवश्यक हो सकती है

पाप का प्रकार

हिंसक कार्य और दुर्व्यवहार

सदस्यता परिषद की आवश्यकता है

  • हत्या

  • बलात्कार

  • यौन उत्पीड़न दोषी

  • बच्चों या युवाओं के साथ दुर्व्यवहार

  • स्वयं के लाभ के लिए हिंसक व्यवहार

सदस्यता परिषद आवश्यक हो सकती है

  • हत्या का प्रयास

  • हमला और उत्पीड़न सहित यौन दुर्व्यवहार (परिषद की आवश्यकता के लिए, देखें 38.6.18)

  • पति/पत्नी या किसी अन्य वयस्क का दुर्व्यवहार (परिषद की आवश्यकता के लिए, देखें 38.6.2.4)

पाप का प्रकार

यौन अनैतिकता

सदस्यता परिषद की आवश्यकता है

  • सगे-संबंधी के साथ यौन सम्पर्क

  • बच्चे की पोर्नोग्राफी

  • बहुपत्नी/बहुपति विवाह

  • स्वयं के लाभ के लिए यौन व्यवहार

सदस्यता परिषद आवश्यक हो सकती है

  • व्यभिचार, पर-स्त्री/पुरूष गमन, समान-लिंग संबंध, और पुरुष और महिला के बीच कानूनी विवाह के बाहर अन्य सभी यौन संबंध, जिसमें ऑनलाइन या फोन पर यौन मुलाकातें शामिल हैं।

  • सहवास, कानूनी मान्यता प्राप्त विवाह के तौर पर दो लोगों का साथ रहना और समलैंगिक विवाह

  • पोर्नोग्राफी का अत्यधिक या अनियंत्रित उपयोग जिसने किसी सदस्य के विवाह या परिवार को गंभीर नुकसान पहुंचाया है

पाप का प्रकार

धोखाधड़ी के कार्य

सदस्यता परिषद की आवश्यकता है

  • नुकसान पहुंचाने, शोषण या दमन करने के लिए धोखाधड़ी जैसे गलत वित्तीय व्यवहार और गतिविधियां करना (यदि कोई सदस्य गिरजे के धन या संपत्ति के गबन में शामिल हो तो देखें 32.6.3.3)

सदस्यता परिषद आवश्यक हो सकती है

  • डकैती, लूट-पाट, चोरी, या गबन (यदि कोई सदस्य गिरजे के धन या संपत्ति के गबन में शामिल हो तो देखें 32.6.3.3)

  • झूठी गवाही

पाप का प्रकार

भरोसे का उल्लंघन

सदस्यता परिषद की आवश्यकता है

  • प्रमुख गिरजा पद पर रहते हुए गंभीर पाप

सदस्यता परिषद आवश्यक हो सकती है

  • गिरजे या समाज में अधिकार या भरोसे के पद पर रहते हुए गंभीर पाप (यदि कोई सदस्य गिरजे के धन या संपत्ति के गबन में शामिल हो तो देखें 32.6.3.3)

  • गंभीर पाप जिसकी जानकारी सभी को हो

पाप का प्रकार

कुछ अन्य कार्य

सदस्यता परिषद की आवश्यकता है

  • अत्यधिक गंभीर अपराधों का दोषी

सदस्यता परिषद आवश्यक हो सकती है

  • गर्भपात (यदि 38.6.1 में बताया अपवाद लागू न होता हो)

  • गंभीर पापों के उदाहरण

  • बच्चों के पालन पोषण और गुजारे भत्ते का भुगतान न करने सहित पारिवारिक जिम्मेदारियों को जानबूझकर नहीं निभाना

  • अवैध मादक पदार्थों की बिक्री

  • अन्य गंभीर आपराधिक कार्य

32.6.3

कब स्टेक अध्यक्ष क्षेत्रीय अध्यक्षता के साथ विचार-विमर्श करता है कि क्या सदस्यता परिषद या अन्य कार्यवाही आवश्यक है

कुछ मामलों में अतिरिक्त संवेदनशीलता और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। सर्वोत्तम सहायता देने की जानकारी के लिए, स्टेक अध्यक्ष को इस खंड में दी गई स्थितियों के बारे में क्षेत्रीय अध्यक्षता से सलाह करनी चाहिए।

32.6.3.2

स्वधर्मत्याग

स्वधर्मत्याग के मामलों का प्रभाव अक्सर वार्ड या स्टेक की सीमाओं से परे पड़ता है। दूसरों की रक्षा के लिए तुरंत उनका समाधान करने की आवश्यकता होती है।

धर्माध्यक्ष स्टेक अध्यक्ष के साथ परामर्श करता है यदि उसे लगता है कि किसी सदस्य का कार्य स्वधर्मत्याग हो सकता है।

जैसा कि यहां उपयोग किया गया है, स्वधर्मत्याग निम्नलिखित में से किसी एक में लिप्त सदस्य को दर्शाता है:

  • गिरजा, इसके सिद्धांत, इसकी नीतियों, या इसके मार्गदर्शकों का प्रत्यक्ष और जानबूझकर सार्वजनिक विरोध करना

  • धर्माध्यक्ष या स्टेक अध्यक्ष द्वारा सही करने के बावजूद किसी ऐसे सिद्धांत को गिरजा सिद्धांत बताकर सिखाना जो गिरजे का नहीं है

  • गिरजा सदस्यों के विश्वास और गतिविधि को कमजोर करने के लिए जानबूझकर गलत कार्य करने का उदाहरण बनना

  • धर्माध्यक्ष या स्टेक अध्यक्ष द्वारा सही सिखाने के बावजूद स्वधर्मत्यागी संप्रदायों की शिक्षाओं का अनुसरण जारी रखना

  • औपचारिक रूप से दूसरे गिरजे में शामिल होना और इसकी शिक्षाओं को बढ़ावा देना

32.6.3.3

गिरजे के धन का गबन

यदि कोई सदस्य गिरजे के धन का गबन करता है या मूल्यवान गिरजा संपत्ति चुराता है, तो स्टेक अध्यक्ष क्षेत्रीय अध्यक्षता से सलाह करता है यदि सदस्यता परिषद या अन्य कार्यवाही आवश्यक होती है।

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