अध्याय 10
कई घंटों तक प्रदेश में चुप्पी रहती है—मसीह की वाणी अपने लोगों को वैसे ही एकत्रित करने की प्रतीज्ञा करती है जैसे कि मुर्गी अपने चूजों को एकत्रित करती है—अधिकतर धर्मी लोगों को बचाया जाता है । लगभग 34–35 ईसवी ।
1 और अब देखो, ऐसा हुआ कि प्रदेश के पूरे लोगों ने इन कथनों को सुना, और इसकी साक्षी दी । और इन कथनों के पश्चात कई घंटो के लिए प्रदेश में चुप्पी छा गई;
2 लोगों का आश्चर्य इतना अधिक था कि उनके जो रिश्तेदार मारे गए थे उनके लिए उन्होंने विलाप करना और रोना-धोना बंद कर दिया; इसलिए कई घंटों के लिए प्रदेश में चुप्पी छा गई ।
3 और ऐसा हुआ कि लोगों को फिर से एक आवाज सुनाई दी, और सभी लोगों ने सुना, और इसकी गवाही दी, यह कहते हुए:
4 ओह इन महान नगरों के पतित लोग, जो याकूब के वंशज हो, हां, जो इस्राएल के घराने के हो, कितनी बार मैंने तुम्हें एकत्रित किया है जैसे कि मुर्गी अपने चूजों को अपने परों के नीचे एकत्रित करती है, और तुम्हारा पोषण किया है ।
5 और फिर से, कितनी बार मैं तुम्हें एकत्रित करता जैसे कि मुर्गी अपने चूजों को अपने परों के नीचे एकत्रित करती है, हां, ओह तुम इस्राएल के घराने के पतित लोगों; हां, ओह तुम इस्राएल के घराने के लोगों, जो यरूशलेम में रहते हो, जो तुम पतित हुए हो; हां, कितनी बार मैं तुम्हें एकत्रित करता जैसे कि मुर्गी अपने चूजों को अपने परों के नीचे एकत्रित करती है, और तुम एकत्रित नहीं होते ।
6 ओह तुम इस्राएल का घराना जिन्हें मैंने छोड़ दिया है, तो कितनी बार मैं तुम्हें एकत्रित करूंगा जैसे कि मुर्गी अपने चूजों को अपने परों के नीचे एकत्रित करती है, यदि तुम पश्चाताप करोगे और अपने हृदय के पूरे संकल्प के साथ मेरे पास आओगे ।
7 परन्तु यदि ऐसा नहीं होगा, ओह इस्राएल का घराना, तुम्हारे पूर्वजों के साथ किये गए अनुबंध के पूरा होने के समय तक, रहने के तुम्हारे स्थान उजाड़ हो जाएंगे ।
8 और अब ऐसा हुआ कि जब लोगों ने इन बातों को सुन लिया, देखो, अपने रिश्तेदारों और मित्रों के मर जाने के कारण वे फिर से रोने और चीखने-चिल्लाने लगे ।
9 और ऐसा हुआ कि इस प्रकार तीन दिन बीत गए । और यह सुबह का समय था, और प्रदेश से अंधकार छंटने लगा, और पृथ्वी की कंपन कम होने लगी और चट्टान का फटना बंद हो गया, और भयावह कराहना रुक गया, और कोलाहल से भरी आवाजें बंद हो गईं ।
10 और धरती फिर से चिपक कर ठहर गई; और जो लोग जीवित थे उनका शोक, और रोना-धोना, और क्रंदन बंद हो गया; और उनका शोक आनंद में बदल गया, और अपने विलाप के स्थान पर वे प्रभु यीशु मसीह, अपने मुक्तिदाता की बड़ाई करने लगे और उसे धन्यवाद देने लगे ।
11 और इस प्रकार भविष्यवक्ताओं द्वारा बताए गए यहां तक के धर्मशास्त्र पूरे हुए ।
12 और जो लोग बच गए थे वे अधिकतर धर्मी लोग थे, और ये वही लोग थे जिन्होंने भविष्यवक्ताओं को स्वीकार किया था और उन पर पत्थरवाह नहीं किया था; और ये वही लोग थे जो संतों का रक्तपात न करने के कारण बच गए थे—
13 और ये लोग बच गए और बर्बाद नहीं हुए और धरती में दफन नहीं हुए; और ये समुद्र की गहराइयों में डूबे नहीं; और ये आग से जलाए नहीं गए, न ही ये कुचलकर मारे गए; और न ही बवंडर इन्हें उड़ाकर ले गई; न ही धुएं और भाप की अंधकार द्वारा ये शक्तिहीन हुए ।
14 और अब, जो कोई भी पढ़ता है उसे समझने दो; जिसके पास धर्मशास्त्र है उसे खोजने दो, और उसे देखने और सुनने दो कि आग द्वारा, और धुएं द्वारा, और भूचाल द्वारा, और बवंडर द्वारा, और उन्हें निगलने के लिए धरती के फटने द्वारा, और जो भी सारी चीजें हुई हैं वह सब क्या उन कई पवित्र भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियों को पूरा करती हैं या नहीं ।
15 देखो, मैं तुमसे कहता हूं, हां, कई लोगों ने मसीह के आगमन पर इन चीजों के होने की गवाही दी है, और इन बातों की गवाही देने के कारण वे मारे गए हैं ।
16 हां, भविष्यवक्ता जीनस ने इन बातों की गवाही दी थी, और जीनक ने भी इन बातों के बारे में बताया था, और हम उनके बचे हुए वंश हैं इसके कारण उन्होंने विशेषकर हमें इसकी गवाही दी थी ।
17 देखो, हमारे पूर्वज याकूब ने भी यूसुफ के बचे हुए वंशों के विषय में गवाही दी थी । और देखो, क्या हम यूसुफ के बचे हुए वंश नहीं हैं ? और ये चीजें जो हमारे विषय में गवाही देती हैं, क्या पीतल की उन पट्टियों पर नहीं लिखी गई हैं जिन्हें हमारा पूर्वज लेही यरूशलेम से बाहर लाया था ?
18 और ऐसा हुआ कि चौंतीसवें वर्ष के अंत में, देखो, मैं तुम्हें दिखाऊंगा कि नफी के लोग जो बच गए थे, और जो लोग लमनाई कहलाए थे और जिन्हें बचाया भी गया था, उन पर महान कृपा हुई थी, और उन पर इतनी महान आशीषें उंडेली गईं कि मसीह ने अपने स्वर्गारोहण के शीघ्र पश्चात स्वयं को वास्तव में उन पर प्रकट किया—
19 इसके पश्चात उन लोगों को अपना शरीर दिखाते हुए, और उन्हें उपदेश देते हुए उसकी सेवकाई का एक विवरण दिया जाएगा । इसलिए इस समय मैं अपनी बातों को समाप्त करता हूं ।