पवित्रशास्त्र
3 नफी 17


अध्याय 17

यीशु लोगों को निर्देश देता है कि वे उसके वचनों पर चिंतन करें और ज्ञान के लिए प्रार्थना करें—वह अपने बीमारों को चंगा करता है—वह उस भाषा का उपयोग करते हुए लोगों के लिए प्रार्थना करता है जिसे लिखा नहीं जा सकता है—स्वर्गदूत उपदेश देते हैं और आग अपने छोटे बच्चों को घेर लेती है । लगभग 34 ईसवी ।

1 देखो, अब ऐसा हुआ कि जब यीशु ने इन बातों को कह लिया तब उसने फिर से भीड़ के चारों तरफ देखा, और उसने उनसे कहा: देखो, मेरा समय निकट है ।

2 मैं जानता हूं कि तुम कमजोर हो जिससे तुम मेरी उन सारी बातों को नहीं समझ सकते हो जिसे पिता ने मुझे तुमसे इस समय कहने की आज्ञा दी है ।

3 इसलिए, अपने घरों को जाओ, और उन बातों पर चिंतन करो जिसे मैंने कहा है, और मेरे नाम में पिता से मांगो ताकि तुम समझ सको, और अगले दिन के लिए अपने मन को तैयार कर सको, और मैं तुम्हारे पास फिर से आऊंगा ।

4 परन्तु अब मैं पिता के पास जाता हूं, और इस्राएल की खोई हुई जातियों पर भी मुझे स्वयं को प्रकट करना है, क्योंकि वे पिता के लिए खोई हुई नहीं हैं, क्योंकि वह जानता है कि वह उन्हें कहां ले गया है ।

5 और ऐसा हुआ कि जब यीशु ने इस प्रकार कह लिया, उसने फिर से भीड़ के चारों तरफ अपनी दृष्टि डाली, और देखा कि वे आंसुओं में थे, और उसे टकटकी लगाए देख रहे थे मानो वे कहना चाहते हों कि वह उनके साथ थोड़ी देर और रुक जाए ।

6 और उसने उनसे कहा: देखो, तुम्हारे लिए मेरा प्याला करुणा से भर गया है ।

7 क्या तुममें से कोई बीमार है ? उन्हें यहां लाओ । क्या तुममें से कोई लूला, या अन्धा, या लंगड़ा, या विकलांग, या कोढ़ी, या निर्बल, या बहरा है, या कोई है जिसे किसी भी प्रकार का कष्ट हो ? उन्हें यहां लाओ और मैं उन्हें चंगा करूंगा क्योंकि मुझमें तुम्हारे लिए करुणा है; मेरा प्याला दया से भर गया है ।

8 क्योंकि मैंने महसूस किया है कि तुम भी चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिए भी वही करूं जो मैंने यरूशलेम के तुम्हारे भाइयों के लिए किया है क्योंकि मैं देख सकता हूं कि तुम्हारा विश्वास पर्याप्त है जिससे कि मैं तुम्हें चंगा करूं ।

9 और ऐसा हुआ कि जब उसने इस प्रकार कह लिया, तब सारी भीड़ एक साथ मिलकर अपनी बीमारी और अपने कष्टों, और अपने लंगड़े-लूलों, और अपने अन्धों, और अपने गूंगों के साथ गए जो किसी भी प्रकार के कष्ट में थे; और जैसे-जैसे वे उसके पास लाए गए वैसे-वैसे उसने उन्हें चंगा किया ।

10 और दोनों ही प्रकार के लोग, जिन्हें चंगा किया गया और जो ठीक-ठाक थे, उसके पैरों पर गिर पड़े और उसकी आराधना की; और जितने भी लोग भीड़ में से आ पाए उन्होंने उसके पैरों को चूमा, इतना अधिक कि उन्होंने अपने आंसुओं से उसके पैरों को नहला दिया ।

11 और ऐसा हुआ कि उसने आज्ञा दी कि वे अपने छोटे बच्चों को लाएं ।

12 इसलिए वे अपने छोटे बच्चों को लाए और उसके आसपास उन्हें जमीन पर बिठा दिया, और यीशु बीच में खड़ा हुआ; और भीड़ ने तब तक रास्ता दिया जब तक कि उन सबको उसके पास न लाया गया ।

13 और ऐसा हुआ कि जब वे सबको ले आए, और यीशु उनके बीच में खड़ा हो गया, उसने भीड़ को आज्ञा दी कि वे सब जमीन पर घुटनों के बल हो जाएं ।

14 और ऐसा हुआ कि जब वे जमीन पर घुटनों के बल हो गए, यीशु ने मन ही मन कराहा, और कहा: पिता, इस्राएल के घराने के लोगों की दुष्टता के कारण मैं कष्ट में हूं ।

15 और जब उसने इन शब्दों को कह लिया, वह भी जमीन पर घुटनों के बल हो गया; और देखो उसने पिता से प्रार्थना की, और उसने जो प्रार्थना की उसे लिखा नहीं जा सकता, और भीड़ में से जिन्होंने उसे सुना उन्होंने इसकी गवाही दी ।

16 और इस प्रकार उन्होंने गवाही दी: जब हमने देखा और यीशु को पिता से बात करते सुना तब इतनी महान और अदभुत चीजें हुईं जिसे इससे पहले आंखों ने न तो कभी देखा था, न ही कानों ने कभी सुना था ।

17 और न ही किसी की जबान इस तरह बोल सकती है, न ही इसे किसी मनुष्य द्वारा लिखा जा सकता है, न ही इस तरह की महान और अदभुत चीजें कोई अपने मन में सोच सकता है जैसा कि हमने यीशु को देखते और बोलते सुना था; और कोई भी उस आनंद को नहीं सोच सकता है जो हमारी आत्माओं में उस समय भर गया जब हमने उसे हमारे लिए पिता से प्रार्थना करते सुना था ।

18 और ऐसा हुआ कि जब यीशु ने पिता से प्रार्थना करना समाप्त किया, तो वह उठा; परन्तु भीड़ की प्रसन्नता इतनी अधिक थी कि वे अपना सुध-बुध खो बैठे थे ।

19 और ऐसा हुआ कि यीशु ने उनसे बात की, और उन्हें उठने की आज्ञा दी ।

20 और वे जमीन पर खड़े हो गए, और उसने उनसे कहा: अपने विश्वास के कारण तुम आशीषित हो । और अब देखो, मेरा आनंद परिपूर्ण है ।

21 और जब उसने इन बातों को कह लिया, वह रोया और भीड़ ने इसकी गवाही दी, और उसने उनके छोटे बच्चों को एक-एक कर आशीष दी, और उनके लिए पिता से प्रार्थना की ।

22 और जब उसने ऐसा कर लिया तो वह फिर से रोया;

23 और वह भीड़ की तरफ मुड़ा, और उनसे कहा: अपने छोटे बच्चों को देखो ।

24 और जब उन्होंने देखना चाहा तो अपनी आंखें स्वर्ग की तरफ उठाईं, और उन्होंने स्वर्गों को खुलते हुए देखा, और उन्होंने स्वर्ग से स्वर्गदूतों को नीचे उतरते देखा मानो वे आग के मध्य में हों; और वे नीचे आए और छोटे बच्चों को चारों तरफ से घेर लिया, और वे आग से घिर गए; और स्वर्गदूत उन्हें उपदेश देने लगे ।

25 और भीड़ ने इसे देखा और सुना और इसकी गवाही दी; और वे जानते थे कि उनकी गवाही सच्ची है क्योंकि उनमें से हर एक व्यक्ति ने इसे स्वयं देखा और सुना था; और इन आत्माओं की संख्या लगभग दो हजार और पांच सौ थी; और उनमें पुरुष, स्त्री और बच्चे शामिल थे ।