आओ, मेरा अनुसरण करो
13–19 अप्रैल । मुसायाह 1–3: “परमेश्वर और सभी मनुष्यों के प्रति प्रेम से भरा हुआ”


“13–19 अप्रैल । मुसायाह 1–3: ‘परमेश्वर और सभी मनुष्यों के प्रति प्रेम से भरा हुआ’”आओ, मेरा अनुसरण करो—व्यक्तियों और परिवारों के लिए: मॉरमन की पुस्तक 2020 (2020)

“13–19 अप्रैल । मुसायाह 1–3 आओ, मेरा अनुसरण करो—व्यक्तियों और परिवारों के लिए: मॉरमन की पुस्तक 2020

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राजा बिन्यामीन अपने लोगों को सीखाते हुए

Minerva K. Teichert (1888–1976), King Benjamin’s Farewell Address, 1935, oil on masonite, 36 x 48 inches. Brigham Young University Museum of Art.

13–19 अप्रैल

मुसायाह 1–3

“परमेश्वर और सभी मनुष्यों के प्रति प्रेम से भरा हुआ”

राजा बिन्यामीन ने हमारे आत्मिक विचारों को लिखने का एक कारण दिया था: “क्योंकि यह संभव नहीं था कि बिना इन पट्टियों के हमारे पिता, लेही, ये सब बातें अपने बच्चों को सीखाने के लिए याद रख पाते” (मुसायाह 1:4) ।

अपने विचार लिखें

जब आप शब्द राजा सुनते हैं, तो हो सकता है आपको मुकुट, महल, सेवक, और सिंहासन के विचार आते हों । मुसायाह 1–3 अपने लोगों की मेहनत पर जीवित के रहने के बजाए, राजा बिन्यामीन ने “स्वयं अपने हाथों से मेहनत की थी”(मुसायाह 2:14) । दूसरों से अपनी सेवा कराने के बजाए, उसने “पूरी शक्ति, मन और ताकत से जो प्रभु ने [उसे] दी [थी],”अपने लोगों की सेवा की थी (मुसायाह 2:11) । यह राजा नहीं चाहता था कि उसके लोग उसकी पूजा करें; इसके बजाय, उसने उन्हें स्वयं से बड़े राजा की उपासना करना सिखाया था, क्योंकि जानता था कि वह “सर्वशक्तिमान प्रभु जो राज करता है” (मुसायाह 3:5) । परमेश्वर के राज्य के सभी महान मार्गदर्शकों की तरह, राजा बिन्यामीन के शब्द और उदाहरण हमें स्वर्गीय राजा की ओर संकेत करते हैं, जोकि उद्धारकर्ता, यीशु मसीह है । राजा बिन्यामीन ने गवाही दी थी कि यीशु “स्वर्ग से उतर कर” आया और “मनुष्यों के बीच, बड़े बड़े चमत्कार” किए । … और देखो, वह अपने स्वयं के लोगों के पास आया, ताकि उस पर विश्वास करने से मानव संतान को उद्धार मिल सके” (मुसायाह 3:5, 9) ।

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व्यक्तिगत अध्ययन आइकॉन

व्यक्तिगत धर्मशास्त्र अध्ययन के लिए विचार

मुसायाह 2:1–9

परमेश्वर के वचन प्राप्त करने के लिए तैयारी की आवश्यकता होती है ।

जब राजा बिन्यामीन ने कहा कि वह अपने लोगों से बात करना चाहता था, बहुत से लोग आए थे इतने कि “उन्होंने उनकी गिनती की” (मुसायाह 2:2) । वे, कुछ हद तक, अपने मार्गदर्शक के प्रति आभार और प्रेम के कारण आए थे । लेकिन सबसे महत्वपूर्ण, वे आए थे क्योंकि वे परमेश्वर के वचन सीखना चाहते थे ।

जब आप मुसायाह 2:1–9 पढ़ते हैं, तो खोज करें कि लोगों ने कैसे दिखाया था वे परमेश्वर के वचन को मूल्यवान समझते थे । राजा बिन्यामीन ने उन्हें परमेश्वर के वचन को सुनने के लिए क्या तैयारी करने को कहा था ? (देखें पद 9) । आप अपने व्यक्तिगत और पारिवारिक अध्ययन में और गिरजे की सभाओं के दौरान परमेश्वर के वचन को प्राप्त करने के लिए स्वयं को कैसे बेहतर रूप से तैयार कर सकते हैं ?

मत्ती 13:18–23; अलमा 16:16–17 भी देखें ।

मुसायाह 2:10–26

जब मैं दूसरों की सेवा करता हूं, तो मैं परमेश्वर की सेवा भी करता हूं ।

क्या आप के लिए सेवा करने का समय निकालना कठिन होता है या सोचते हैं कि आपकी सेवा आपको अधिक आनंद दिला सके ? आपको क्या लगता है कि राजा बिन्यामीन क्या कहेंगे यदि आपने उनसे पूछा कि उन्होंने अपनी “पूरी शक्ति, मन और ताकत” के साथ सेवा क्यों की थी? (मुसायाह 2:11) । जब आप मुसायाह 2:10–26 पढ़ते हैं, तो उन सच्चाइयों की पहचान करें जो राजा बिन्यामीन ने सेवा के बारे में सिखाईं थी और मनन करें कि कैसे आप उन्हें अपने जीवन में उपयोग कर सकते हैं । आपके लिए यह जानने का क्या अर्थ है कि जब आप अन्य लोगों की सेवा करते हैं, तो आप परमेश्वर की सेवा भी कर रहे होते हैं ? (देखें मुसायाह 2:17) । एक तरीके के बारे में सोचें जिससे इस सप्ताह आप किसी की सेवा कर सकते हैं !

मत्ती 25:40 भी देखें ।

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दो महिलाएं गले लगते हुए

जब मैं दूसरों की सेवा करता हूं, तो मैं परमेश्वर की सेवा भी करता हूं ।

मुसायाह 3:1–20

मैं प्राकृतिक मनुष्य को पराजित कर सकता हूं और यीशु मसीह के प्रायश्चित के द्वारा संत बन जाता हूं ।

सभी भविष्यवक्ताओं के समान, राजा बिन्यामीन ने यीशु मसीह की गवाही दी थी ताकि उसके लोग “पापों की क्षमा प्राप्त कर सकें, और महान आनंद से हर्षित हो सकें” (मुसायाह 3:13) । उसने यह भी सीखाया था कि उद्धारकर्ता, अपने प्रायश्चित के द्वारा, न केवल हमें शुद्ध करता है बल्कि हमें “प्राकृतिक मनुष्य” को छोड़ने और “संत” बनने की शक्ति भी देता है (मुसायाह 3:19; Guide to the Scriptures, “Natural Man,” scriptures.ChurchofJesusChrist.org भी देखें) ।

एल्डर डेविड ए. बेडनार ने समझाया था: “यह यीशु मसीह का प्रायश्चित है जो हमें एक शुद्ध और मुक्ति प्रदान करने वाली शक्ति जो हमें पाप को पराजित करने में मदद करती है और एक पवित्र और मजबूत करने वाली शक्ति दोनों प्रदान करता है जो हमें अपनी ताकत पर भरोसा करके हमें बेहतर बनने में मदद करती है । अनंत प्रायश्चित हमारे भीतर के पापी और संत दोनों के लिए है” (“Clean Hands and a Pure Heart,” Ensign or Liahona, Nov. 2007, 82) ।

यहां मनन करने के लिए कुछ प्रश्न हैं जब मुसायाह 3:1–20 में आप राजा बिन्यामीन की उद्धारकर्ता की गवाही को पढ़ते हैं:

  • इन पदों से मैं उद्धारकर्ता और उसके मिशन के बारे में क्या सीखता हूं ?

  • यीशु मसीह ने पाप को पराजित करने में कैसे मेरी मदद की है ? कैसे उसने मुझे मेरी प्रकृति को बदलने और संत के समान बनने में मदद की है ?

  • मुसायाह 3:19 से मैं संत बनने के बारे में क्या सीखता हूं ?

मुसायाह 3:8

क्यों राजा बिन्यामीन ने यीशु को “स्वर्ग और पृथ्वी का पिता” बताया था ?

अध्यक्ष जोसफ एफ. स्मिथ ने समझाया था: “यीशु मसीह, जिसे हम यहोवा के रूप में भी जानते हैं, वह संसार की रचना के कार्य में, पिता, एलोहिम, का सहायक था । … यीशु मसीह, सृष्टिकर्ता होने के नाते, निरंतर स्वर्ग और पृथ्वी के पिता कहलाता है … और क्योंकि उसकी रचनाएं स्वभाव में अनंत हैं इसलिए उसे उचितरूप से स्वर्ग और पृथ्वी का अनंत पिता कहा जाता है” (Teachings of Presidents of the Church: Joseph F. Smith [1998], 357) ।

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पारिवारिक अध्ययन आइकॉन

पारिवारिक धर्मशास्त्र अध्ययन और पारिवारिक घरेलू संध्या के लिये विचार

जब आप अपने परिवार के साथ धर्मशास्त्र का अध्ययन करते हैं, तो पवित्र आत्मा उन सिद्धांतों को समझने में आपकी मदद कर सकती है, जिन पर जोर देने और चर्चा करने से आपके परिवार की जरूरतें पूरी हो सकती हैं । यहां कुछ विचार दिए गए हैं ।

मुसायाह 1:1–7

किस प्रकार पीतल की पट्टियों और नफी की पट्टियों ने राजा बिन्यामीन के लोगों को आशीष दी थी ? किस प्रकार धर्मशास्त्र हमारे परिवार को आशीष देते हैं ?

मुसायाह 2–3

राजा बिन्यामीन के भाषण के लिए वातावरण तैयार करना आपके परिवार के लिए मजेदार हो सकता है । आप एक छोटी सी मीनार बना सकते हैं और परिवार के सदस्यों को इस पर खड़े होकर राजा बिन्यामीन के शब्दों को पढ़ने दें । परिवार के बाकी सदस्य अस्थाई तंबू के अंदर से सुन सकते हैं ।

मुसायाह 2:9–19

हम राजा बिन्यामीन की शिक्षाओं और उदाहरण से सेवा के बारे में क्या सीखते हैं ? हम क्या करने के लिए प्रेरणा महसूस करते हैं ?

मुसायाह 2:15–25

क्या इससे आपके परिवार को नम्रता के बारे में चर्चा करने में लाभ होगा ? राजा बिन्यामीन ने उन सभी कामों के बारे में दावा क्यों नहीं किया जो उसने किए थे ? परमेश्वर के साथ अपने संबंध के बारे में हम उसकी शिक्षाओं से क्या सीख सकते हैं ?

मुसायाह 2:36–41

राजा बिन्यामीन ने सत्य को जानने लेकिन इसका पालन न करने के परिणामों के बारे में क्या सीखाया था ? उसने सच्ची खुशी पाने के बारे में क्या सिखाया था ?

मुसायाह 3:19

संत बनने के लिए हमें क्या करने की आवश्यकता है ? इस पद से कौन सी विशेषता हम परिवार के रूप में विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं ?

बच्चों को सीखाने हेतु अधिक विचारों के लिये, आओ, मेरा अनुसरण करो—प्राथमिक के लिए में इस सप्ताह की रूपरेखा देखें ।

व्यक्तिगत अध्ययन में सुधार करना

करने योग्य लक्ष्य निर्धारित करें । धर्मशास्त्रों का अध्ययन करने में कुछ मिनट भी व्यतीत करने से आपका जीवन आशीषित हो सकता है । प्रत्येक दिन अध्ययन करने के प्रति समर्पित रहें, और अपनी प्रतिबद्धता को याद दिलाने के तरीके की खोज करें ।

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राजा बिन्यामीन अपने लोगों को प्रचार करते हुए

राजा बिन्यामीन का संबोधन, जरमी विनबर्ग द्वारा

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