आओ, मेरा अनुसरण करो
4–10 मई । मुसायाह 11–17: “ज्योति … जो कभी बुझ नहीं सकती”


“4–10 मई । मुसायाह 11–17: “ज्योति … जो कभी बुझ नहीं सकती” आओ, मेरा अनुसरण करो—व्यक्तियों और परिवारों के लिए: मॉरमन की पुस्तक 2020 (2020)

“4–10 मई । मुसायाह 11–17,” आओ, मेरा अनुसरण करो—व्यक्तियों और परिवारों के लिए: 2020

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अबिनादी राजा नूह को गवाही देते हुए

राजा नूह के समक्ष अबिनादी, एंड्रयू बोसले द्वारा

4–10 मई

मुसायाह 11–17

“ज्योति … जो कभी बुझ नहीं सकती”

अबिनादी के शब्दों से राजा नूह के दरबार के कम से कम एक सदस्य में एक महान परिवर्तन हुआ था (देखें मुसायाह 17:2–4) । मुसायाह 11–17 अपने हृदय से पढ़ें ताकि आपको प्रेरणाएं मिलें कि आप कैसे परिवर्तित हो सकते हैं ।

अपने विचार लिखें

केवल एक चिंगारी से बड़ी आग लग सकती है । शक्तिशाली राजा और उसके दरबार के विरूद्ध गवाही देने वाला अबिनादी एकमात्र व्यक्ति था । उसके शब्दों को अधिकांश भाग को अस्वीकार कर दिया गया था, और उसे मौत की सजा सुनाई गई थी । फिर भी यीशु मसीह की उसकी गवाही, कि “वह ज्योति … है, जो कभी बुझ नहीं सकती”(मुसायाह 16:9), ने युवा याजक अलमा के भीतर चिंगारी जाग उठी थी । और परिवर्तन की चिंगारी धीरे-धीरे बढ़ती गई क्योंकि अलमा ने कई अन्य लोगों को यीशु मसीह में पश्चाताप और विश्वास में लाया था । अबिनादी को मारने वाली लपटें आखिरकार समाप्त हो गईं, लेकिन उसके द्वारा पैदा हुई विश्वास की आग नफाइयों पर और आज उनके शब्दों को पढ़ने वालों पर एक स्थायी प्रभाव डालती है । हममें से अधिकांश अपनी गवाहियों के कारण कभी भी उसका सामना नहीं करेंगे जिसका सामना अबिनादी ने किया था, लेकिन हम सभी के पास ऐसे क्षण आते हैं जब यीशु मसीह का अनुसरण करना हमारे साहस और विश्वास की परीक्षा होती है । हो सकता है अबिनादी की गवाही का अध्ययन करने से आपके हृदय में भी गवाही और साहस की लपटों को पैदा हों ।

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व्यक्तिगत अध्ययन आइकन

व्यक्तिगत धर्मशास्त्र अध्ययन के लिए विचार

मुसायाह 11–13; 17

मैं सच्चाई के लिए खड़ा हो सकता हूं, तब भी जब मैं अकेला खड़ा हूं ।

कल्पना कीजिए कि अबिनादी के लिए यह कितना निराश करने वाला रहा होगा कि वह ऐसे लोगों को पश्चाताप करने के लिए कहे जो अपने दुष्ट तरीकों को बिलकुल बदलना नहीं चाहते थे । उसके संदेश को बार-बार अस्वीकार कर दिया गया था । फिर भी अबिनादी ने कभी हिम्मत नहीं हारी थी ।

आपको ऐसा कब लगा है कि आप सच्चाई की रक्षा में अकेले खड़े हैं ? जब आप मुसायाह 11–13 और 17 पढ़ते हैं, तो आप क्या सीखते हैं जो आपको तैयार होने में मदद कर सकती है जब प्रभु को उसके सुसमाचार के समर्थन में खड़े होने के लिए आपकी जरूरत पड़ती है ? आप अबिनादी के उदाहरण से कौन से अन्य नियम सीखते हैं ?

मुसायाह 12:19–30

मुझे अपने हृदय को परमेश्वर के वचन को समझने में लगाना चाहिए ।

राजा नूह के याजक परमेश्वर के वचन से परिचित थे—वे धर्मशास्त्र के अध्यायों को बता सकते थे और आज्ञाओं को सिखाने का दावा कर सकते थे । लेकिन वे आज्ञाएं “[उनके] हृदयों में नहीं लिखी थीं,” और उन्होंने उन्हें “समझने के लिए [अपने] हृदयों को नहीं लगाया था”(मुसायाह 13:11; 12:27) । इसके परिणामस्वरूप, उनके जीवन अपरिवर्तित रहे थे ।

जब आप मुसायाह 12:19–30 पढ़ते हैं, तो मनन करें कि परमेश्वर के वचनों को समझने के लिए अपने हृदय को लगाने का क्या अर्थ है । क्या यह आपको सुसमाचार सीखने के तरीके में कोई परिवर्तन करने के लिए प्रेरित करता है ?

मुसायाह 13:1–9

प्रभु अपने सेवकों का उसके कार्य में समर्थन करेगा ।

एक ओर, अबिनादी का अनुभव बहुत से उदाहरण देता है कि प्रभु अपने सेवकों का समर्थन कैसे करता है—मुसायाह 13:1–9 में आप ऐसे बहुत से उदाहरण प्राप्त कर सकते हैं । दूसरी ओर, प्रभु ने अबिनादी को उसकी गवाही के लिए सताए जाने, कैद किए जाने और शहीद किए जाने की अनुमति भी दी थी । इन पदों में आपको क्या पता चलता है कि अबिनादी ने परमेश्वर पर भरोसा किया था ? अबिनादी का उदाहरण आपकी नियुक्ति और जिम्मेदारियों को देखने के तरीके को कैसे प्रभावित करता है ?

मुसायाह 14–15

यीशु मसीह ने मेरे लिए दुख उठाया

राजा नूह और उसके याजक विश्वास करते थे कि उद्धार मूसा की व्यवस्था द्वारा आया था । अबिनादी उन्हें बताना चाहता था कि उद्धार मसीहा, यीशु मसीह द्वारा आता है । मुसायाह 14–15 में, उन शब्दों और वाक्यांशों पर ध्यान दें जो उद्धारकर्ता का वर्णन करते हैं और उसने आपके लिए क्या सहा था । कौन से पद उसके प्रति आपके प्रेम और कृतज्ञता को गहरा करने में मदद करते हैं ?

मुसायाह 15:1–12

कैसे यीशु मसीह पिता और पुत्र दोनों है ?

ये अध्याय कभी-कभी भ्रमित करने वाले होते हैं क्योंकि ऐसा लग सकता है कि अबिनादी सिखा रहा है कि स्वर्गीय पिता और यीशु मसीह एक ही हैं, फिर भी हम जानते हैं कि वे अलग-अलग व्यक्ति हैं । अबिनादी का क्या मतलब था ? उसने सीखाया था कि परमेश्वर पुत्र—यहोवा—लोगों को मुक्त करेगा (देखें मुसायाह 15:1), शरीर में रहने के कारण, उसमें पिता और पुत्र दोनों का अंश है (पद 2–3) । उसने स्वयं को संपूर्णरूप से पिता परमेश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित किया था (पद 5–9) । इस कारण, यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र और परमेश्वर का परिपूर्ण सांसारिक प्रतिरूप दोनों है (देखें यूहन्ना 14:6–10) ।

अबिनादी ने आगे समझाया था कि यीशु मसीह एक प्रकार से पिता भी है क्योंकि जब हम उसकी मुक्ति को स्वीकार करते हैं, तो हम उसके “वंश” बन जाते हैं (मुसायाह 15:11–12) । अन्य शब्दों में, हम उसके द्वारा आत्मिकरूप से फिर से जन्म लेते हैं ।(देखें मुसायाह 5:7) ।

यूहन्ना 5:25–27; 8:28–29; 17:20–23; “The Father and the Son,” Ensign, Apr. 2002, 12–18, भी देखें ।

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पारिवारिक अध्ययन आइकन

पारिवारिक धर्मशास्त्र अध्ययन और पारिवारिक घरेलू संध्या के लिये विचार

जब आप अपने परिवार के साथ धर्मशास्त्र का अध्ययन करते हैं, तो पवित्र आत्मा उन सिद्धांतों को समझने में आपकी मदद कर सकती है, जिन पर जोर देने और चर्चा करने से आपके परिवार की जरूरतें पूरी हो सकती हैं । यहां कुछ विचार दिए गए हैं ।

मुसायाह 11–13; 17

अबिनादी और अलमा इतने अलोकप्रिय होते हुए भी सच्चाई के प्रति निष्ठावान बने रहने के प्रेरणादायक उदाहरण हैं । हो सकता है आपके परिवार के सदस्यों को अपने आदर्शों से समझौता करने के लिए सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ रहा हो । सच्चाई के लिए अटल रहने के बारे में वे अबिनादी और अलमा से क्या सीख सकते हैं ? इस रूपरेखा के साथ चित्र आपके परिवार को इस वर्णन की कल्पना करने में मदद कर सकते हैं । इन अध्यायों का अध्ययन करने के बाद, वास्तविक जीवन की परिस्थितियों पर भूमिका-निभाने वाले खेल का विचार करें ताकि आपके परिवार के सदस्य अपने आदर्शों से समझौता करने के दबाव का जवाब देने का अभ्यास कर सकें । या आप एक दूसरे के साथ उन अनुभवों को साझा कर सकते हैं जो आपको सच्चाई के लिए अटल रहने पर हुए थे ।

मुसायाह 12:33–37; 13:11–24

परमेश्वर की आज्ञाओं का “[हमारे] हृदयों लिखा होने” का क्या अर्थ होता है ? मुसायाह 13:11 । हो सकता है कि आप बड़े हृदय-के-आकार के कागज पर कुछ विचार लिखें (या अपने विचारों का चित्र बनाएं) । आज्ञाएं हमारे लिए अनमोल क्यों हैं ? किस प्रकार हमें इन्हें अपने हृदयों में लिख सकते हैं ।

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पिता और बेटा धर्मशास्त्र पढ़ते हुए

धर्मशास्त्र अध्ययन करने से हमें आज्ञाओं को अपने हृदयों में लिखने में मदद मिल सकती है ।

मुसायाह 14

इस अध्याय में आपको बहुत से शब्द और वाक्यांश मिलेंगे जो यीशु मसीह की व्याख्या करते हैं । हो सकता है आपका परिवार इनकी सूची बनाए जब ये आपको मिलते हैं । परिवार के सदस्य उद्धारकर्ता के बारे में कैसा महसूस करते हैं जब हम इन शब्दों और वाक्याशों का अध्ययन करते हैं ?

मुसायाह 15:26–27; 16:1–13

ये पद व्याख्या करते हैं कि परमेश्वर के बच्चों का क्या होता यदि यीशु “इस संसार में नहीं आया होता” (मुसायाह 16:6) या उन्होंने उसका अनुसरण न किया होता । वह कौन-सी अच्छी बातें हुई हैं, जो उसके आने और हमारे लिए प्रायश्चित बलिदान करने के कारण हुई हैं ? See also the video “Why We Need a Savior” (ChurchofJesusChrist.org).

बच्चों को सीखाने हेतु अधिक विचारों के लिये, आओ, मेरा अनुसरण करो—प्राथमिक के लिए में इस सप्ताह की रूपरेखा देखें ।

हमारी शिक्षा में सुधार करना

सुसमाचार नियमों को सीखाने के लिए कहानियों और उदाहरणों का उपयोग करें । उद्धारकर्ता ने सुसमाचार नियमों को सीखाने के लिए अक्सर कहानियों और दृष्टांतों का उपयोग किया था । अपने स्वयं के जीवन से उन उदाहरणों और कहानियों के बारे में सोचें जो सुसमाचार सिद्धांत को आपके परिवार को अच्छी तरह समझा सके (see Teaching in the Savior’s Way, 22) ।

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राजा नूह को अबिनादी गवाही देते हुए

उसका चेहरा अत्याधिक तेज से दमक रहा था, जरमी विनबोर्ग द्वारा

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