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27. जीवित लोगों के लिए मंदिर विधियां


“27. जीवित लोगों के लिए मंदिर विधियां,” सामान्य विवरण पुस्तिका से संकलन (2023)।

“27. जीवित लोगों के लिए मंदिर विधियां,” सामान्य विवरण पुस्तिका से संकलन

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दुल्हन और दूल्हा

27.

जीवित लोगों के लिए मंदिर विधियां

27.0

परिचय

मंदिर प्रभु का भवन है। यह हमें यीशु मसीह की ओर संकेत करता है। मंदिरों में, हम पवित्र विधियों में भाग लेते हैं और स्वर्गीय पिता के साथ अनुबंध बनाते हैं जो हमें उसके और हमारे उद्धारकर्ता से बांधते हैं। ये अनुबंध और विधियां हमें स्वर्गीय पिता की उपस्थिति में लौटने और अनंत काल के लिए परिवारों के रूप में मुहरबंद होने के लिए तैयार करते हैं।

मंदिर अनुबंधों और विधियों में, “परमेश्वरत्व की शक्ति प्रकट होती है” (सिद्धांत और अनुबंध 84:20) ।

मंदिर अनुबंध और विधियां पवित्र हैं। मंदिर अनुबंधों से जुड़े प्रतीकों की चर्चा मंदिर के बाहर नहीं की जानी चाहिए। न ही उस पवित्र जानकारी की चर्चा करनी चाहिए जिन्हें न बताने के लिए हम मंदिर में प्रतिज्ञा करते हैं। हालांकि, हम मंदिर अनुबंधों और विधियों के बुनियादी उद्देश्यों और सिद्धांतों और मंदिर में हमारी आत्मिक अनुभूतियों की चर्चा कर सकते हैं।

वार्ड और स्टेक मार्गदर्शक इस अध्याय में दी गई जानकारी की चर्चा उन सदस्यों से करते हैं जो वृत्तिदान या मुहरबंदी विधियां प्राप्त करने की तैयारी कर रहे हैं।

27.1

मंदिर विधियां प्राप्त करना

27.1.1

मंदिर विधियां प्राप्त करने की तैयारी करना

सदस्यों को मंदिर विधियां प्राप्त करने और मंदिर अनुबंध बनाने और उनका सम्मान करने के लिए आत्मिक रूप से स्वयं को तैयार करना चाहिए।

अपने बच्चों की मंदिर विधियां प्राप्त करने के लिए तैयार होने में मदद करना माता-पिता की प्राथमिक जिम्मेदारी है। स्टेक और वार्ड मार्गदर्शक, सेवकाई भाई और बहनें, और विस्तारित परिवार के सदस्य (रिश्तेदार) इस कार्य में माता-पिता की सहायता करते हैं।

temples.ChurchofJesusChrist.org पर मंदिर विधियां प्राप्त करने के लिए सदस्यों को तैयार होने में सहायता के लिए साधन उपलब्ध हैं।

जो सदस्य अपना वृत्तिदान प्राप्त करने या पति या पत्नी से मुहरबंद होने की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें मंदिर तैयारी पाठ्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है (देखें 25.2.8)।

27.1.3

शारीरिक रूप से विकलांग सदस्य

शारीरिक रूप से विकलांग योग्य सदस्य सभी मंदिर विधियां प्राप्त कर सकते हैं। इन सदस्यों को उसी लिंग के वृत्तिदान प्राप्त रिश्तेदारों या मित्रों के साथ मंदिर में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जो उनकी सहायता कर सकते हैं। यदि सदस्य परिवार के किसी सदस्य या मित्र के साथ भाग नहीं ले सकते हैं, तो वे वैकल्पिक व्यवस्था के लिए मंदिर को पहले से फोन कर सकते हैं।

27.1.4

अनुवाद या भाषांतरण सहायता

यदि सदस्यों को अनुवाद या भाषांतरण सहायता की आवश्यकता है, तो उन्हें मंदिर को पहले से संपर्क करना चाहिए कि यह उपलब्ध है या नहीं।

27.1.5

मंदिर जाने के लिए किस प्रकार के कपड़े पहनना

मंदिर जाते समय, सदस्यों को उस प्रकार के कपड़े पहनने चाहिए जो वे आमतौर पर प्रभु-भोज सभा में पहनते हैं।

मंदिर में विवाह या मुहरबंदी में पहने जाने वाले कपड़ों के बारे में जानकारी के लिए देखें 27.3.2.6

इसके बारे में जानकारी के लिए देखें 38.5:

  • वृत्तिदान और मुहरबंदी विधियों के दौरान पहनने के लिए कपड़े।

  • मंदिर के औपचारिक कपड़ों और पोशाकों को प्राप्त करना, पहनना और उनकी देखभाल करना।

27.1.6

बच्चों की देखभाल

मंदिर परिसर में बच्चों को वयस्क की निगरानी में होना चाहिए। मंदिर कार्यकर्ता केवल निम्नलिखित परिस्थितियों में बच्चों की निगरानी के लिए उपलब्ध होते हैं:

  • यदि वे माता-पिता के साथ मुहरबंद हो रहे हैं

  • यदि वे अपने जीवित भाई-बहनों या सौतेले भाई-बहनों को उनके माता-पिता से मुहरबंद होते हुए देख रहे हैं

27.1.7

मंदिर विधियां प्राप्त करने के बाद सदस्यों से मिलना

मंदिर के विधियां प्राप्त करने के बाद सदस्यों के मन में अक्सर कुछ प्रश्न होते हैं। वृत्तिदान प्राप्त परिवार के सदस्य, धर्माध्यक्ष, अन्य वार्ड मार्गदर्शक, और सेवकाई भाई-बहन उनके मंदिर के अनुभव पर चर्चा करने के लिए सदस्यों से मिल सकते हैं।

temples.ChurchofJesusChrist.org पर प्रश्नों के उत्तर में सहायता के लिए साधन उपलब्ध हैं।

27.2

वृत्तिदान

वृत्तिदान शब्द का अर्थ है “उपहार।” मंदिर वृत्तिदान वास्तव में परमेश्वर से मिला उपहार है जिसके माध्यम से वह अपने बच्चों को आशीष देता है। मंदिर वृत्तिदान के माध्यम से सदस्यों को प्राप्त होने वाले कुछ उपहारों में शामिल हैं:

  • प्रभु के उद्देश्यों और शिक्षाओं का अधिक ज्ञान।

  • वह सब करने की शक्ति जो स्वर्गीय पिता अपने बच्चों से करवाना चाहता है।

  • प्रभु, अपने परिवारों और अन्य लोगों की सेवा करने के लिए दिव्य निर्देश।

  • आशा, दिलासा और शांति में वृद्धि।

इन आशीषों की पूर्ति यीशु मसीह के सुसमाचार के प्रति विश्वसनीयता पर निर्भर करती है।

वृत्तिदान दो भागों में प्राप्त होता है। पहले भाग में, व्यक्ति को प्रारंभिक विधि प्राप्त होती है जिसे आरंभिक क्रिया कहा जाता है। आरंभिक क्रिया को नहलाने और अभिषेक के रूप में भी जाना जाता है (देखें निर्गमन 29:4–9)। इसमें व्यक्ति की दिव्य विरासत और क्षमता से संबंधित विशेष आशीषें शामिल हैं।

आरंभिक क्रिया के दौरान, सदस्य को मंदिर पोशाक पहनने के लिए अधिकृत किया जाता है। पोशाक परमेश्वर के साथ उसके व्यक्तिगत संबंध और मंदिर में बनाए अनुबंधों का पालन करने की निष्ठा दर्शाता है। जब सदस्य अपने अनुबंधों के प्रति विश्वासी रहते हैं और जीवन भर पोशाक को उचितरूप से पहनते हैं, तो यह सुरक्षा देने के रूप में भी कार्य करता है। पोशाक को पहनने और रख-रखाव के बारे में जानकारी के लिए, देखें 38.5.5

वृत्तिदान के दूसरे भाग में, उद्धार की योजना, सृष्टि की रचना, आदम और हव्वा का पतन, यीशु मसीह का प्रायश्चित, धर्मत्याग और पुनर्स्थापना के बारे में सिखाया जाता है। सदस्यों को यह भी निर्देश दिया जाता है कि प्रभु की उपस्थिति में कैसे लौटना है।

वृत्तिदान में, सदस्यों को नीचे बताए पवित्र अनुबंध बनाने के लिए कहा जाता है:

  • आज्ञाकारिता की व्यवस्था को जीएं और स्वर्गीय पिता की आज्ञाओं का पालन करने का प्रयास करें।

  • बलिदान की व्यवस्था का पालन करें, जिसका अर्थ है प्रभु के कार्य का समर्थन करने के लिए त्याग करना और टूटे हृदय और शोकार्त आत्मा से पश्चाताप करना।

  • यीशु मसीह के सुसमाचार की व्यवस्था का पालन करें, जो कि उच्च व्यवस्था है जिसे उसने पृथ्वी पर रहते हुए सिखाया था।

  • यौन शुद्धता के नियम का पालन करें, जिसका अर्थ है कि सदस्य केवल उस व्यक्ति के साथ यौन संबंध रखता है जिसके साथ वह कानूनी और विधिवत रूप से परमेश्वर की व्यवस्था के अनुसार विवाहित है।

  • अभिषेक की व्यवस्था का पालन करें, जिसका अर्थ है कि सदस्य अपना समय, प्रतिभा, और वह सब कुछ समर्पित करते हैं जिससे प्रभु ने उन्हें पृथ्वी पर यीशु मसीह के गिरजे के निर्माण के लिए आशीषित किया है।

बदले में, स्वर्गीय पिता प्रतिज्ञा करता है कि जो लोग अपने मंदिर अनुबंधों के प्रति विश्वसनीय रहेंगे, उन्हें “स्वर्ग से शक्ति” (सिद्धांत और अनुबंध 38:32, 38; लूका 24:49; सिद्धांत और अनुबंध 43:16 भी देखें) प्रदान की जाएगी ।

27.2.1

वृत्तिदान कौन प्राप्त कर सकता है

गिरजे के सभी जवाबदेह वयस्क सदस्यों को अपने स्वयं के वृत्तिदान के लिए तैयार होने और प्राप्त करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। सदस्यों को वृत्तिदान प्राप्त करने से पहले सभी आवश्यक विधियों को संपन्न और अभिलेख किया जाना चाहिए (देखें 26.3.1)।

27.2.1.1

बपतिस्मा प्राप्त नए सदस्य

योग्य नए वयस्क सदस्यों को उनकी पुष्टिकरण के दिन से कम से कम एक वर्ष के बाद वृत्तिदान प्राप्त हो सकता है।

27.2.1.2

ऐसे सदस्य जिनके पति/पत्नी को वृत्तिदान प्राप्त नहीं हुआ है

योग्य सदस्य जिनके पति/पत्नी को वृत्तिदिन नहीं मिला है, निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने पर अपना स्वयं का वृत्तिदिन प्राप्त कर सकता/सकती है:

  • पति/पत्नी जिसे वृत्तिदिन नहीं मिला है अपनी सहमति देता/देती है।

  • सदस्य, धर्माध्यक्ष और स्टेक अध्यक्ष को विश्वास है कि मंदिर अनुबंधों के साथ ग्रहण की गई जिम्मेदारी विवाह में व्यवधान नहीं डालेगी।

ये शर्तें लागू होती हैं बेशक पति/पत्नी गिरजे का/की सदस्य है या नहीं।

27.2.1.3

बौद्धिक रूप से विकलांग सदस्य

बौद्धिक रूप से विकलांग योग्य सदस्य वृत्तिदिन प्राप्त कर सकते हैं यदि:

  • उन्हें सभी आवश्यक विधियां प्राप्त हो गई हैं (देखें 26.3.1)।

  • उनमें संबंधित अनुबंधों को समझने, बनाने और पालन करने की बौद्धिक क्षमता है।

धर्माध्यक्ष सदस्य से परामर्श करता है और, अवश्यकता होने पर, उसके माता-पिता से। वह आत्मा के निर्देशन को भी प्राप्त करता है। वह स्टेक अध्यक्ष के साथ परामर्श कर सकता है।

27.2.2

वृत्तिदान कब प्राप्त करना है इसका निर्णय लेना

वृत्तिदान प्राप्त करने का निर्णय व्यक्तिगत है और इसे प्रार्थनापूर्वक किया जाना चाहिए। वृत्तिदान उन सभी के लिए शक्ति और प्रकटीकरण की आशीष है जो इसे प्राप्त करने की तैयारी करते हैं। निम्नलिखित सभी शर्तों को पूरा करने पर सदस्य अपना स्वयं का वृत्तिदान प्राप्त करना चुन सकते हैं:

  • उनकी आयु कम से कम 18 वर्ष हो।

  • उन्होंने हाई स्कूल, माध्यमिक विद्यालय या समकक्ष पूरा कर लिया है या अब विद्यालय नहीं जा रहे हैं।

  • उनका पुष्टिकरण हुए पूरा एक वर्ष हो चुका है।

  • वे अपने पूरे जीवन में पवित्र मंदिर अनुबंधों को प्राप्त करने और उनका सम्मान करने की इच्छा महसूस करते हैं।

जिन सदस्यों की प्रचारक नियुक्ति हो गई है या मंदिर में मुहरबंद होने की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें वृत्तिदान प्राप्त करना चाहिए।

सदस्य को वृत्तिदान प्राप्त करने के लिए मंदिर संस्तुति जारी करने से पहले, धर्माध्यक्ष और स्टेक अध्यक्ष को निश्चय करना चाहिए कि वह व्यक्ति पवित्र मंदिर अनुबंधों को समझने और पालन करने के लिए तैयार है। यह पात्रता प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग रूप से निर्धारित की जाती है।

27.2.3

वृत्तिदान की योजना बनाना और समय निर्धारित करना

27.2.3.1

जीवित विधियों के लिए संस्तुति प्राप्त करना

सदस्य को मंदिर में प्रवेश करने और वृत्तिदान प्राप्त करने के लिए जीवित विधियों के लिए संस्तुति प्राप्त करनी चाहिए। इन संस्तुतियों के बारे में जानकारी के लिए, देखें 26.5.1

27.2.3.2

मंदिर से संपर्क करना

जो सदस्य वृत्तिदान प्राप्त करने की योजना बना रहे हैं, उन्हें विधि निर्धारित करने के लिए मंदिर को पहले से संपर्क करना चाहिए।

27.2.3.3

वृत्तिदान प्राप्त करने वाले सदस्यों के लिए सहचर

अपना स्वयं का वृत्तिदान प्राप्त करने वाले सदस्य उसी लिंग के वृत्तिदान प्राप्त सदस्य को सहचर के रूप में कार्य करने और वृत्तिदान सत्र के दौरान अपनी सहायता करने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। सहचर के पास वैध मंदिर संस्तुति होनी चाहिए। आवश्यकता होने पर मंदिर सहचर उपलब्ध करा सकता है।

27.3

पति और पत्नी की मुहरबंदी

मंदिर मुहरबंदी पति और पत्नी को समय और अनंत काल के लिए एक साथ जोड़ती है। उन्हें ये आशीषें प्राप्त होंगी यदि वे मंदिर में बनाए अनुबंधों के प्रति विश्वसनीय रहते हैं। इस विधि के माध्यम से, उनके बच्चे भी उनके अनंत परिवार का हिस्सा हो सकते हैं।

गिरजा मार्गदर्शक सदस्यों को मंदिर में विवाह करने और मुहरबंद होने की तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। जहां मंदिर विवाह कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं हैं, वहां अधिकृत गिरजा मार्गदर्शक या अन्य नागरिक विवाह संपन्न कर सकते हैं जिसके बाद मंदिर मुहरबंदी की जा सकती है (देखें 38.3)। इस उदाहरण का पालन तब भी किया जा सकता है जब माता-पिता या निकट रिश्तेदार मंदिर विवाह में भाग लेने मंदिर न जाने के कारण बहिष्कृत महसूस करते हैं।

27.3.1

मंदिर में कौन मुहरबंद किया जा सकता है

गिरजे के सभी जवाबदेह अविवाहित सदस्यों को मंदिर मुहरबंदी की तैयारी करने के लिए आमंत्रित किया जाता है। जिन्होंने नागरिक विवाह किया है, जब भी वे तैयार होते हैं उन्हें मंदिर में समय और अनंत काल के लिए मुहरबंद होने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। सदस्यों को मुहरबंद किए जाने से पहले वृत्तिदान प्राप्त करना चाहिए (देखें 27.2)।

मंदिर में मुहरबंद किए जा रहे जोड़ों का या तो (1) मुहरबंद किए जाने से पहले नागरिक विवाह होना चाहिए या (2) उसी मंदिर समारोह में विवाह और मुहरबंदी की जानी चाहिए। देखें 27.3. 2

27.3.1.2

बौद्धिक रूप से विकलांग सदस्य

बौद्धिक रूप से विकलांग सदस्य अपने पति/पत्नी, या मंगेतर से मुहरबंद किए जा सकते हैं यदि:

  • उन्हें वृत्तिदान सहित, सभी आवश्यक विधियां प्राप्त हो गई हैं (देखें 26.3.1)।

  • उनमें संबंधित अनुबंधों को समझने, बनाने और पालन करने की बौद्धिक क्षमता है।

धर्माध्यक्ष सदस्य और उसके पति/पत्नी, या मंगेतर के साथ परामर्श करता है। वह आत्मा के निर्देशन को भी प्राप्त करता है। वह स्टेक अध्यक्ष के साथ परामर्श कर सकता है।

27.3.2

मंदिर विवाह या मुहरबंदी की योजना बनाना और समय निर्धारित करना

27.3.2.1

जीवित विधियों के लिए संस्तुति प्राप्त करना

उसके पति या पत्नी से मुहरबंद किए जाने के लिए सदस्य को जीवित विधियों के लिए संस्तुति प्राप्त करनी चाहिए। इन संस्तुतियों के बारे में जानकारी के लिए, देखें 26.3

27.3.2.2

मंदिर से संपर्क करना

जो सदस्य पति या पत्नी से मंदिर विवाह या मुहरबंद होने की योजना बना रहे हैं, उन्हें विधि निर्धारित करने के लिए मंदिर से पहले से संपर्क करना चाहिए।

27.3.2.3

विवाह अनुज्ञापत्र प्राप्त करना

विवाह होने से पहले, जोड़े को कानूनी विवाह अनुज्ञापत्र प्राप्त करना होगा जो उस स्थान पर वैध हो जहां विवाह संपन्न किया जाएगा। यदि जोड़ा एक ही समारोह के दौरान विवाह और मुहरबंदी दोनों की योजना बनाता है, तो उन्हें मंदिर में वैध विवाह अनुज्ञापत्र लाना होगा।

नागरिक विवाह के बाद मुहरबंद किए जाने वाले जोड़ों को मंदिर में विवाह अनुज्ञापत्र लाने की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, वे अभिलेख सत्यापन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में अपने नागरिक विवाह की तिथि और स्थान दे सकते हैं।

27.3.2.4

दुल्हन और दूल्हा के लिए सहचर

ड्रेसिंग कक्ष में दुल्हन की सहायता के लिए वृत्तिदान प्राप्त बहन उसके साथ हो सकती है। इसी प्रकार वृत्तिदान प्राप्त भाई दूल्हे के साथ हो सकता है। सहचर के पास वैध मंदिर संस्तुति होनी चाहिए। आवश्यकता होने पर मंदिर सहचर उपलब्ध करा सकता है।

27.3.2.5

मंदिर विवाह या मुहरबंदी कौन संपन्न करता है

मंदिर विवाह या मुहरबंदी आमतौर पर मुहरबंदी कार्यकर्ता द्वारा संपन्न की जाती है जिसे उस मंदिर में नियुक्त किया जाता है जहां जोड़े का विवाह या मुहरबंदी की जाएगी। यदि परिवार का कोई सदस्य या परिचित मुहरबंदी अधिकार रखता है और उसे उस मंदिर का कार्यभार सौंपा जाता है जहां जोड़े का विवाह या मुहरबंदी की जाएगी, तो वे उसे विवाह या मुहरबंदी के लिए आमंत्रित कर सकते हैं।

27.3.2.6

मंदिर विवाह या मुहरबंदी के लिए उचित कपड़े

दुलहन का परिधान। मंदिर में पहने जाने वाला दुल्हन का परिधान सफेद, डिजाइन एवं कपड़ा शालीन, और अत्यधिक सजावट से मुक्त हो। इसे मंदिर पोशाक को भी पूर्णरूप से ढकना चाहिए। पारदर्शी कपड़े के अंदर अस्तर लगा होना चाहिए।

मंदिर में पहने जाने वाले अन्य परिधानों के अनुरूप होने के लिए, दुल्हन के परिधान की आस्तीनें पूरी या तीन-चौथाई लंबी होनी चाहिए। परिधान पीछे से इतने लंबे नहीं होने चाहिए इसे मुहरबंदी समारोह के लिए पिन से ऊपर किया या हटाया न जा सके।

आवश्यकता होने पर मंदिर यह परिधान उपलब्ध करा सकता है।

दुल्हे के कपड़े। विवाह या मुहरबंदी समारोह के दौरान दूल्हा मंदिर के सामान्य कपड़े पहनता है (देखें 38.5.1 और 38.5.2)।

अतिथियों के कपड़े। जो विवाह या मुहरबंदी समारोह में शामिल होते हैं उन्हें प्रभु-भोज सभा के कपड़े पहनने चाहिए। जो सदस्य वृत्तिदान सत्र से सीधे मुहरबंदी में आते हैं, वे औपचारिक मंदिर कपड़े पहन सकते हैं।

फूल जोड़े और उनके अतिथियों को विवाह या मुहरबंदी समारोह के दौरान फूल नहीं पहनने चाहिए।

27.3.2.7

मंदिर विवाह या मुहरबंदी के पश्चात अंगूठियों का आदान-प्रदान

अंगूठियों का आदान-प्रदान किया जाना मंदिर मुहरबंदी समारोह का हिस्सा नहीं है। हालांकि, जोड़े मुहरबंदी कक्ष में समारोह के पश्चात अंगूठियों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। जोड़ों को मंदिर में या मंदिर परिसर में किसी अन्य समय या स्थान पर अंगूठियों का आदान-प्रदान नहीं करना चाहिए।

जिन जोड़ों की एक ही समारोह के दौरान विवाह और मुहरबंदी हुई है, वे बाद में परिवार के उन सदस्यों के समक्ष अंगूठियों का आदान-प्रदान कर सकते हैं जो मंदिर विवाह में भाग लेने में असमर्थ होते हैं। इस आदान-प्रदान में मंदिर विवाह या मुहरबंदी समारोह के किसी भी हिस्से को दोहराना नहीं चाहिए। मंदिर में विवाह या मुहरबंद होने के बाद जोड़े को प्रतिज्ञाओं का आदान-प्रदान नहीं करना चाहिए।

जिन जोड़ों ने अपनी मंदिर मुहरबंदी से पहले नागरिक विवाह किया है, वे अपने नागरिक समारोह में, अपनी मंदिर मुहरबंदी में, या दोनों समारोहों में अंगूठियों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

27.3.4

मंदिर विवाह या मुहरबंदी में कौन शामिल हो सकता है

जोड़ों को केवल करीबी परिवार के सदस्यों और मित्रों को मंदिर विवाह या मुहरबंदी में आमंत्रित करना चाहिए। शामिल होने के लिए जवाबदेह सदस्यों को वृत्तिदान प्राप्त और उनके पास वैध मंदिर संस्तुति होनी चाहिए।

स्टेक अध्यक्ष ऐसे व्यक्ति को उसके जीवित भाई-बहनों के मंदिर विवाह या मुहरबंदी देखने की अनुमति दे सकता है जिसने बौद्धिक अक्षमताओं के कारण बपतिस्मा या वृत्तिदान प्राप्त नहीं किया है। वह व्यक्ति:

  • कम से कम 18 वर्ष हो।

  • समारोह के दौरान श्रद्धावान बने रहने में सक्षम हो।

स्टेक अध्यक्ष पत्र लिखता है जिसमें बताया जाता है कि व्यक्ति मुहरबंदी देखने के लिए अधिकृत है। उस पत्र को मंदिर में प्रस्तुत किया जाता है।

27.4

माता-पिता के साथ जीवित बच्चों की मुहरबंदी

जो बच्चे मां के मंदिर में पति के साथ मुहरबंद किए जाने के बाद जन्म लेते हैं, वे उस मुहरबंदी के अनुबंध में जन्म लेते हैं। उन्हें माता-पिता के साथ मुहरबंदी की विधि प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है।

जो बच्चे अनुबंध में जन्म नहीं लेते हैं, वे अपने जन्म देने वाले या दत्तक माता-पिता के साथ मुहरबंद होकर अनंत परिवार का हिस्सा बन सकते हैं। ये बच्चे उन्हीं आशीषों के हकदार होते हैं जो अनुबंध में जन्म लिए बच्चे प्राप्त करते हैं।

27.4.2

मंदिर से संपर्क करना

माता-पिता जो अपने बच्चों के साथ मुहरबंद होना चाहते, या बच्चे जो अपने मृत माता-पिता के साथ मुहरबंद होना चाहते हैं, उन्हें विधि निर्धारित करने के लिए मंदिर को पहले से संपर्क करना चाहिए।

Chaapo