आओ, मेरा अनुसरण करो
23–29 नवंबर । ईथर 12–15: “विश्वास द्वारा सारी बातें पूरी होती हैं”


“23–29 नवंबर । ईथर 12–15: ‘विश्वास द्वारा सारी बातें पूरी होती हैं,’” आओ, मेरा अनुसरण करो—व्यक्तियों और परिवारों के लिएः मॉरमन की पुस्तक 2020 (2020)

“23–29 नवंबर । ईथर 12-15,” आओ, मेरा अनुसरण करो—व्यक्तियों और परिवारों के लिए: 2020

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गुफा में प्रवेश करता हुआ ईथर

चट्टान की गुफा में छिपा हुआ ईथर, गैरी अर्नेस्ट स्मिथ द्वारा

23–29 नवंबर

ईथर 12–15

“विश्वास द्वारा सारी बातें पूरी होती हैं”

विचार लिखने से और अधिक प्रकटीकरण प्राप्त होते हैं और आपकी गवाही को मजबूत करते हैं । यह आपको अपने विचारों को याद रखने और भविष्य में दूसरों के साथ साझा करने में भी मदद करता है ।

अपने विचार लिखें

यारदाइयों के लिए ईथर की भविष्यवाणियां “महान और अदभुत” थीं (ईथर 12:5) । उसने “उन्हें मनुष्य के आरंभ से लेकर अब तक की सारी बातें सच-सच बता दीं” (ईथर 13:2) । उसने “मसीह के समय” और अंतिम-दिन के नये यरूशलेम को पहले ही देख लिया था (ईथर 13:4) । और उसने “एक बेहतर संसार की, हां, यहां तक कि परमेश्वर के दाहिने हाथ की तरफ रहने की आशा” के बारे में बात की थी(ईथर 12:4) । लेकिन यारदाइयों ने उसके वचनों को अस्वीकार कर दिया, इसी कारण लोग अक्सर आज परमेश्वर के सेवकों की भविष्यवाणियों को अस्वीकार करते हैं—“क्योंकि उन्होंने उन्हें नहीं देखा” (ईथर 12:5) । हम जिन बातों को नहीं देख सकते हैं उन पर भरोसा करने के लिए उनके बारे में प्रतिज्ञाओं या चेतावनियों में विश्वास करने की आवश्यकता होती है, जैसे अविश्वासी लोगों से “महान और अदभुत बातों” की भविष्यवाणी करने के लिए ईथर को विश्वास की आवश्यकता हुई थी । मोरोनी को इस बात पर भरोसा करने के लिए विश्वास की आवश्यकता हुई कि प्रभु “लिखावट में [उसकी] कमजोरी” को दूर कर इसे मजबूती में बदल सकता है (ईथर 12:23–27 देखें) । यह इस तरह का विश्वास है जो हमें “जो परमेश्वर की महिमा करने के प्रति सदा अच्छे कार्य करने के लिए उन्हें दृढ़ और अटल बनाएगी”(ईथर 12:4) । और यह इस तरह का विश्वास है जिससे “सारी बातें पूरी होती हैं” (ईथर 12:3) ।

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व्यक्तिगत अध्ययन आइकन

व्यक्तिगत धर्मशास्त्र अध्ययन के लिए विचार

ईथर 12

यीशु मसीह में विश्वास शक्तिशाली चमत्कारों की ओर ले जा सकता है ।

आज के समय में बहुत से लोग, ईथर के समय में यारदाइयों की तरह, परमेश्वर और उसकी शक्ति में विश्वास करने से पहले सबूत देखना चाहते हैं । हालांकि, मोरोनी ने सिखाया था कि “विश्वास उस चीज की आशा करना है जो दिखाई नहीं देती है” और यह कि आपको “गवाही तब तक नहीं मिलती जब तक कि [आपके] विश्वास की परीक्षा नहीं हो जाती” (ईथर 12:6) ।

आपको ईथर 12 में जितनी बार “विश्वास” शब्द मिले उसे नोट करें और आपने विश्वास के बारे में जो सीखा है उसे लिखें । इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर खोजें: विश्वास क्या है ? विश्वास से भरे जीवन के फल क्या हैं ? आप “अपने विश्वास की परीक्षा के बाद” प्राप्त गवाहियों के बारे में अपने विचार भी लिख सकते हैं (ईथर 12:6) ।

इब्रानियों 11; अलमा 32 भी देखें ।

ईथर 12:1–9, 28, 32

यीशु मसीह हमें “उत्कृष्ठता से आशा” देता है ।

ईथर 12 में विश्वास के बारे में गहरी समझ के साथ-साथ आशा के बारे में कहने के लिए भी बहुत कुछ है—शायद आप हर बार “आशा” शब्द दिखाई देने पर नोट कर सकते हैं । आपके लिए आशा का अर्थ क्या है ? क्या कारण थे कि ईथर को “एक बेहतर दुनिया की आशा” करनी पड़ी थी ? (ईथर 12:2–5 देखें) । यीशु मसीह के सुसमाचार ने आपको “उत्कृष्ठता से आशा” कैसे दी है? (ईथर 12:32) ।

मोरोनी 7:40–41; Dieter F. Uchtdorf, “The Infinite Power of Hope,” Ensign or Liahona, Nov. 2008, 21–24; Preach My Gospel, 117 भी देखें ।

ईथर 12:23–29

यीशु मसीह कमजोर बातों को मजबूत बना सकता है ।

जब हम मोरोनी के शक्तिशाली लेख पढ़ते हैं, तो यह भूलना आसान हो जाता है कि वह अपनी “लिखावट में कमजोरी” के बारे में चिंतित था और उसे डर था कि लोग उसके उसके वचनों का मजाक उड़ाएंगे (ईथर 12:23–25 देखें) । लेकिन परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की थी कि वह विनम्र (पद 27) के लिए “दुर्बलताओं को … मजबूत कर दूंगा” और मोरोनी के लेख में आत्मिक शक्ति इस बात का प्रमाण है कि प्रभु ने इस प्रतिज्ञा को पूरा किया ।

ईथर 12:23–29 को पढ़ने के बाद, ऐसे समय के बारे में मनन करें जब परमेश्वर ने आपकी कमजोरियों को पहचानने में मदद की हो और उनके बावजूद भी आपको मजबूत बनाया हो । हो सकता है कि यह उन कमजोरियों के बारे में सोचने का भी अच्छा समय हो, जिनसे आप वर्तमान में जूझ रहे हैं । आपको क्या लगता है कि “कमजोर चीजों को मजबूत बनाने” की प्रतिज्ञा पूरी करवाने के लिए प्रभु के सामने खुद को दीन बनाने और उसमें विश्वास दिखाने के लिए आपको क्या करने की आवश्यकता है? (ईथर 12:27) ।

जब आप इन पदों पर मनन करें, तो एल्डर नील ए. मैक्सवेल की निम्नलिखित जानकारी मददगार साबित हो सकती है: “जब हम मनुष्य की ‘दुर्बलता’ के बारे में धर्मशास्त्र में पढ़ते हैं, तो इस शब्द में … ऐसी सामान्य मानव स्थिति में निहित कमजोरी शामिल रहती है जिसमें शरीर का आत्मा पर लगातार प्रभाव पड़ता है (ईथर 12:28–29 देखें) । इसी तरह से दुर्बलता में, हमारी खास व्यक्तिगत दुर्बलताएं भी शामिल हैं, जिनसे उबरने की आशा की जाती है (सिद्धांत और अनुबंध 66:3; याकूब 4:7)” (Lord, Increase Our Faith [1994], 84) ।

महिमा” सुसमाचार विषय, topics.ChurchofJesusChrist.org भी देखें ।

ईथर 13:13–22; 14–15

भविष्यवक्ताओं को अस्वीकार करने से आत्मिक खतरा आता है ।

यारदाइयों का राजा होना, ऐतिहासिक रूप से, एक खतरनाक पद था । यह खास तौर पर कोरियंटूमर के मामले में सच था, क्योंकि “कई शक्तिशाली लोग … उसे मारना चाहते थे” (ईथर 13:15–16) । ईथर 13:15–22 में इस बात पर ध्यान दें कि कोरियंटूमर ने स्वयं की सुरक्षा करने के लिए क्या किया था जबकि भविष्यवक्ता ईथर ने उसे क्या करने की सलाह दी थी । जब आप ईथर की शेष पुस्तक पढ़ते हैं, तो भविष्यवक्ताओं की बातों को अस्वीकार करने के परिणामों के बारे में मनन करें । ऐसी स्थिति में लोगों के साथ क्या होता है जब “प्रभु की आत्मा उनके साथ रहना [बंद] कर देती है”? (ईथर 15:19) ।

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पारिवारिक अध्ययन आइकन

पारिवारिक धर्मशास्त्र अध्ययन और पारिवारिक घरेलू संध्या के लिये विचार

जब आप अपने परिवार के साथ धर्मशास्त्र पढ़ते हैं, तो आत्मा आपको यह जानने में मदद कर सकती है कि आपके परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए किन नियमों पर जोर देना और चर्चा करना है । यहां कुछ विचार हैं ।

ईथर 12:7–22

जब आप इन पदों को एक साथ पढ़ें, तो आप अपने द्वारा मॉरमन की पुस्तक में पढ़े गए विश्वास के कुछ प्रेरक उदाहरणों की समीक्षा कर सकते हैं । यह आपके परिवार इतिहास या आपके स्वयं के जीवन में विश्वास के उदाहरणों के बारे में चर्चा का कारण बन सकता है—अगर आपने इन अनुभवों को पहले से ही नहीं लिखा है, तो उन्हें लिखने के बारे में विचार करें ।

ईथर 12:27

प्रभु हमें दुर्बलताएं क्यों देता है ? “दुर्बल बातों को मजबूत बनाने” में हमारी भूमिका क्या है ? उद्धारकर्ता की भूमिका क्या है ?

ईथर 12:41

क्या आपके पास अपने बच्चों को “यीशु… की खोज करने” की शिक्षा देने का कोई मजेदार तरीका है ? एक तरीका यह हो सकता है कि आप यीशु का चित्र छिपाएं और चित्र “खोजने” और पाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों को आमंत्रित करें । हम यीशु को कैसे खोजते हैं और उसे पाने पर कैसे हम आशीषित हो जाते हैं ?

ईथर 13:13–14; 15:19, 33–34

मॉरमन और मोरोनी के अनुभवों के साथ ईथर के अनुभव की तुलना करना आपके परिवार के सदस्यों के लिए दिलचस्प हो सकता है (मॉरमन 6; 8:1–10) । वे कैसे समान हैं ? किस तरह से नफाइयों के विनाश का पथ यारदाइयों के पथ के समान था ? (ईथर 15:19 की तुलना मोरोनी 8:28 से करें) । हम ऐसी कौन सी सच्चाइयां सीखते हैं जिनसे हमें उनके साथ जो हुआ उससे बचने में मदद मिल सकती है ?

बच्चों को सिखाने हेतु अधिक विचारों के लिये, आओ, मेरा अनुसरण करो—प्राथमिक के लिए में इस सप्ताह की रूपरेखा देखें ।

हमारी शिक्षा में सुधार करना

प्रश्नों को बढ़ावा दें । बच्चे स्वाभाविक रूप से उत्सुक होते हैं । कभी कभी आपको ऐसा लग सकता है कि आप जो चीज सिखाने की कोशिश कर रहे हैं, उनके प्रश्न उससे ध्यान भटकाने का काम कर रहे हैं । इसके बजाय, उन प्रश्नों को अवसरों के रूप में देखें । वे इस बात के संकेत हैं कि बच्चे सीखने के लिए तैयार हैं—वे आपको अपने बच्चों की चिंताओं और वे जो चीज सीख रहे हैं उसके बारे में उन्हें कैसा लग रहा है, इस बात की जानकारी देते हैं ? (देखें Teaching in the Savior’s Way, 25–26) ।

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गुफा के द्वार पर घुटने टेकता हुआ ईथर

आश्चर्यजनक थीं ईथर की भविष्यवाणियां, वॉल्टर राने द्वारा

Chaapo