अध्याय 13
यहूदा और यरूशलेम को उनकी अवाज्ञकारिता के लिए दंडित किया जाएगा—प्रभु अपने लोगों के लिए अनुनय और न्याय करता है—सिय्योन की बेटियों को उनकी संसारिकता के लिए श्रापित और सताया जाता है—यशायाह 3 से तुलना करें । लगभग 559–545 ई.पू.
1 क्योंकि सुनो, प्रभु, सेनाओं का प्रभु यरूशलेम और यहूदा का सब प्रकार का सहारा और आधार, अन्न का सारा आधार, और जल का सारा आधार दूर कर देगा—
2 और वीर और योद्धा को, न्यायी और भविष्यवक्ता को, भावी वक्ता और वृद्ध को,
3 पचास सिपाहियों के सरदार और माननीय पुरुष को, और सलाहकार को और चतुर कारीगर को, और ज्ञानी वक्ता को भी दूर कर देगा ।
4 और मैं लड़कों को उनके शासक बना दूंगा, और शिशु उन पर राज करेंगे ।
5 और लोग आपस में एक दूसरे पर, और हर एक अपने पड़ोसी पर अंधेर करेंगे; और जवान वृद्ध जनों से और साधारण लोग माननीय लोगों से असभ्यता का व्यवहार करेंगे ।
6 उस समय जब कोई पुरूष अपने पिता के घर में अपने भाई को पकड़कर कहेगा कि तुम्हारे पास वस्त्र है, हमारा शासक हो जा और यह विनाश तुम्हारे हाथों न आए—
7 उस दिन वह शपथ खाकर कहेगा, मैं चंगा करने वाला नहीं बनूंगा; क्योंकि मेरे घर में न तो रोटी है और न वस्त्र; मुझे लोगों का शासक न बनाओ ।
8 क्योंकि यरूशलेम उजड़ गया और यहूदा गिर गया है; क्योंकि उनकी भाषा और उनके काम प्रभु के विरूद्ध रहे हैं, जो उसकी तेजोमय आंखों के सामने विद्रोह करते हैं ।
9 उनके चेहरे भी उनके विरूद्ध साक्षी देते हैं; और सदोमियों की तरह अपने पाप का ढिंडोरा पीटते हैं, और वे इसे नहीं छिपाते हैं । उनकी आत्मा पर हाय, क्योंकि उन्होंने अपने आप को बुराई का फल दिया है !
10 धर्मियों से कहो कि उनका भला होगा, क्योंकि वे अपने कामों का फल प्राप्त करेंगे ।
11 दुष्टों पर हाय, क्योंकि वे नष्ट किये जाएंगे; क्योंकि उनके कामों का फल उन्हें मिलेगा !
12 और मेरे लोगों पर, बच्चे अंधेर करते हैं, और स्त्रियां उन पर शासन करती हैं । हे मेरे लोगों, तुम्हारे मार्गदर्शक तुम्हें भटकाते हैं, और तुम्हारे चलने के मार्गों को मिटा देते हैं ।
13 प्रभु अपने लोगों का मुकदमा लड़ने, और उनका न्याय करने के लिए खड़ा है ।
14 प्रभु अपने लोगों के वृद्ध और शासकों के साथ यह विवाद करता है, तुम ही ने बारी की दाख खा डाली है, और दीन लोगों का धन लूटकर तुम ने अपने घरों में रखा है ।
15 तुम क्या समझते हो ? तुम मेरे लोगों को कुचलते और दीन लोगों को पीस डालते हो; सेनाओं का प्रभु परमेश्वर कहता है ।
16 फिर भी, प्रभु कहता है: क्योंकि सिय्योन की बेटियां घमंड करती और सिर ऊंचे किये आंखें मटकाती और घुंघरूओं को छमछमाती हुई ठुमुक ठुमुक कर चलती हैं—
17 इसलिए प्रभु परमेश्वर उनके सिर को गंजा करेगा, और उनके तन को उघारेगा ।
18 उस दिन प्रभु उनके घुंघुरूओं, और जालियों, और चंद्रहारों के दिखावे को ले जाएगा;
19 झुमकों, और कड़ों, और घुंघटों;
20 पगड़ियों, और पैरों के आभूषण, और पटुकों, और सुगंधपात्रों, और कान की बालियों;
21 अंगूठियों, और नाक की बालियां;
22 सुंदर वस्त्रों, और कुर्त्तियों, और चद्दरों, और बटुओं;
23 दर्पणों, और मलमल के वस्त्रों, और कनटोपों, और दुपट्टों ।
24 और ऐसा होगा, सुगंध की बजाय गंध, और सुंदर कर्घनी के बजाए बंधन की रस्सी, और गुंथें हुए बालों के बजाए गंजापन, सुंदर पटुके के बजाए टाट की पेटी, और सुंदरता के बजाए दाग होंगे ।
25 तुम्हारे पुरूष तलवार से और शूरवीर युद्ध में मारे जाएंगे ।
26 और उसके फाटकों में सिसकियां और विलाप होगा; और वह उजाड़ हो जाएगी, और भूमि पर बैठी रहेगी ।