पवित्रशास्त्र
2 नफी 16


अध्याय 16

यशायाह प्रभु को देखता है—यशायाह के पापों को क्षमा किया जाता है—उसे भविष्यवाणी करने के लिए नियुक्त किया जाता है—वह यहूदियों के द्वारा मसीह की शिक्षाओं को अस्वीकार करने की भविष्यवाणी करता है—एक वंशज वापस आएगा—यशायाह 6 से तुलना करें । लगभग 559–545 ई.पू.

1 जिस वर्ष उज्जिय्याह राजा मरा, मैंने प्रभु को बहुत ही ऊंचे सिंहासन पर विराजमान देखा; और उसके वस्त्र के घेर से मंदिर भर गया ।

2 उससे ऊंचे पर साराप दिखाई दिए; उनके छह छह पंख थे; दो पंखों से वे अपने मुंह को ढांपे थे, और दो से अपने पांवों को, और दो से उड़ रहे थे ।

3 और वे एक दूसरे को पुकार पुकार कर कह रहे थे: सेनाओं का प्रभु पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सारी पृथ्वी उसकी महिमा से भरपूर है ।

4 और पुकारने वाले के शब्द से डेवढ़ियों की नेवें डोल उठी, और भवन धुंए से भर गया ।

5 तब मैंने कहा: हाय मुझ पर ! मैं नाश हुआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठवाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठवाले लोगों के बीच में रहता हूं; क्योंकि मैंने सेनाओं के प्रभु, राजा को अपनी आंखों से देखा है ।

6 तब एक साराप हाथ में अंगारा लिए हुए, जिसे उस ने चिमटे से वेदी पर उठा लिया था, मेरे पास उड़ कर आया;

7 और उसने उससे मेरे मुंह को छूकर कहा: देख, इसने तुम्हारे होंठों को छू लिया है, इसलिए तेरा अधर्म दूर हो गया और तुम्हारे पाप क्षमा हो गए ।

8 मैंने प्रभु की आवाज को यह भी कहते सुना: मैं किस को भेंजूं, और हमारी ओर से कौन जाएगा ? तब मैंने कहा: मैं यहां हूं; मुझे भेज ।

9 और उसने कहा: जा, और इन लोगों से कह—सुनते ही रहो, परन्तु वे न समझे; और देखते ही रहे, लेकिन वे न समझे ।

10 इन लोगों के हृदय को मोटा और उनके कानों को भारी कर, और उनकी आंखों को बंद कर—ऐसा न हो कि वे आंखों से देखें, और कानों से सुनें, और मन से समझें, और मन फिरावें और चंगे हो जाएं ।

11 तब मैंने पूछा: प्रभु कब तक ? उसने कहा: जब तक नगर न उजड़े और उनमें कोई रह न जाए, और घरों में कोई मनुष्य न रह जाए, और प्रदेश उजाड़ और सुनसान हो जाए;

12 और प्रभु मनुष्यों को दूर ले गया है, क्योंकि इस प्रदेश के बीच से बहुत से स्थान उजड़ जाएंगे ।

13 लेकिन उसके निवासियों का दसवां अंश भी रह जाए, तौभी वह नाश किया जाएगा, परन्तु जैसे छोटे व बड़े बांजवृक्ष को काट डालने पर भी उसका ठूंठ बना रहता है, वैसे ही पवित्र वंश उसका ठूंठ ठहरेगा ।