महा सम्मेलन
वैसे नहीं जैसे संसार देता है
अप्रैल 2021 महा सम्मेलन


15:50

वैसे नहीं जैसे संसार देता है

लेकिन बेहतर समय लाने और वास्तविक अच्छाई की अर्थव्यवस्था बढ़ाने के लिए जिन साधनों की आवश्यकता है वे यीशु मसीह के सुसमाचार में बहुतायत से उपलब्ध हैं।

उस प्रथम ईस्टर से पहले जब यीशु ने बारह के लिए नए प्रभुभोज की विधि का समापन किया था, उसने अपना राजसी विदाई उपदेश आरंभ किया और विश्वासघात और सूली पर चढ़ाए जाने के लिए गत्समनी को ओर चल पड़ा था। हालांकि, चिंता को भांपते हुए और शायद उनमें से कुछ लोगों ने भी भय दिखाया होगा, यीशु ने उनसे (और हमसे) यह कहा था:

“तुम्हारा मन व्याकुल न हो: तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो। …

“मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं। …

“शान्ति मैंने तुम्हारे लिए छोड़ा है, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूं; वैसे नहीं जैसे संसार देता है, मैं तुम्हे देता हूं। तुम्हारा मन व्याकुलन हो,न घबराए और न डरे।”1

चुनौतीपूर्ण समय विश्वासी सहित, सभी पर इस नश्वर दुनिया में आते हैं, लेकिन मसीह का दिलासापूर्ण संदेश यह है कि वह, ईस्टर का मेमना, “भेड़ के समान [इसका] ऊन करतने वाले के आगे चलेगा” 2 और फिर उठ खड़ा होगा, हमेशा के लिए, जैसा भजनकार ने कहा था, “परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट [के समय] में [हमारा] अति सहज से मिलने वाला सहायक है।”

यह समझते हुए कि मसीह के लिए आगे आने वाला समय कठिन है जब वह सलीब की ओर आगे बढ़ रहा था और उसके शिष्यों के लिए जब वे उसके सुसमाचार को दुनिया में फैलाएंगे, अब मेरे साथ उद्धारकर्ता के गिरजे के सदस्यों के लिए एक संदेश पर ध्यान दें। यह मॉरमन की पुस्तक में बहुत से पदों में लिखा हुआ है, जो लमान और लेमुएल के अनंतरूप से कष्टकर व्यवहार से लेकर अंतिम युद्ध तक, किसी न किसी तरह के संघर्ष के प्रति समर्पित हैं, जिसमें सैकड़ों हजारों सैनिक शामिल थे। इस जोर देने के लिए सबसे स्पष्ट कारणों में से एक यह है कि चूंकि मॉरमन की पुस्तक अंतिम-दिनों के पाठकों के लिए लिखी गई थी, इसलिए इन लेखकों (मुख्य रूप से स्वयं सैनिक थे) ने भविष्यवाणी देकर हमें चेतावनी दी है कि हिंसा और संघर्ष अंतिम दिनों में रिश्तों की एक महत्वपूर्ण विशेषता होगी।

बेशक, अंतिम-दिन के विवाद के बारे में मेरी परिकल्पना बिलकुल मौलिक नहीं है। लगभग 2000 साल पहले, उद्धारकर्ता ने चेतावनी दी थी कि अंतिम दिनों में “युद्ध, और युद्ध की अफवाहें” होंगी, 4 बाद में कहा था, “पृथ्वी से शांति ले ली जाएगी।”5 अवश्य ही, शांति के राजकुमार, जिसने स्पष्टरूप से सिखाया था कि मतभेद शैतान के कारण होता है, 6 उस मानव परिवार के कारण अपने दिव्य पिता के साथ रोता होगा जिसमें “प्यार का अभाव” है और नहीं जानता कि आपस में प्यार से कैसे रह सकता है। 7

भाइयो और बहनों, हम अपने चारों ओर बहुत अधिक संघर्ष, विवाद और सामान्य असभ्यता देखते हैं। सौभाग्य से, वर्तमान पीढ़ी को एक तीसरा विश्व युद्ध नहीं लड़ना पड़ा है, और न ही हमने 1929 के समान किसी वैश्विक आर्थिक मंदी को झेला है। लेकिन हम एक अलग तरह के तीसरे विश्व युद्ध का सामना कर रहे हैं, जो दुश्मनों को कुचलने के लिए नहीं है लेकिन परमेश्वर के बच्चों को भरती करने के लिए है ताकि वे एक दूसरे की अधिक देखभाल करें, और विवादों से घिरी दुनिया के घावों को चंगा करने में मदद करें। जिस वैश्विक मंदी का अभी हम सामना कर रहे हैं उसका हमारी बचत के बाहरी नुकसान से कम और हमारे आत्मविश्वास के आंतरिक नुकसान से अधिक मतलब है, हमारे चारों ओर विश्वास, आशा, और उदारता का वास्तविक घाटा हो रहा है। लेकिन बेहतर समय लाने और वास्तविक अच्छाई की अर्थव्यवस्था बढ़ाने के लिए जिन साधनों की आवश्यकता है वे यीशु मसीह के सुसमाचार में बहुतायत से उपलब्ध हैं। इन सुसमाचार विचारों और मजबूती देने वाले अनुबंधों का पूर्ण व्यक्तिगत और समाजिक उपयोग करने में हमारी विफलता—हम बर्दाश्त नहीं कर सकते—यह दुनिया बर्दाश्त नहीं कर सकती।

तो, उस दुनिया में जहां हम “संघर्ष करते और दिलासा नहीं पाते हैं” जैसा प्रभु ने कहा कि यह होगा, हम कैसे “अनुबंध की … शांति” प्राप्त कर सकते है? हम उसकी ओर मुड़ कर इस प्राप्त कर सकते हैं जिसने कहा था कि वह, “अनन्त दयालुता के साथ” हम पर दया करेगा, और हमारे बच्चों की शांति महान होगी। तो, अन्य भयानक भविष्यवाणियों और परेशान धर्मशास्त्रों की घोषणा के बावजूद कि शांति पृथ्वी से गायब हो जाएगी, हमारे अपने प्यारे रसल एम. नेलसन सहित, भविष्यवक्ताओं ने सिखाया है कि इसका मतलब यह नहीं है कि यह हम से व्यक्तिगत रूप से गायब हो जाएगी! 9 आओ इस ईस्टर स्वयं को और अपने आस-पास के लोगों को प्रभु यीशु मसीह के अनुग्रह और प्रायश्चित का चंगाई देने वाला बाम लगाकर शांति प्रदान करने का प्रयास करें। सौभाग्य से, आश्चर्यजनक ढंग से भी, यह सुखदायक मरहम हमें “बिना धन और बिना मूल्य” उपलब्ध कराया गया है। 10

इस तरह की मदद और आशा की अत्यधिक जरूरत है क्योंकि इस दुनिया भर की मंडली में आज कई लोग हैं, जो बहुत सी चुनौतियों के साथ संघर्ष कर रहे हैं—शारीरिक या भावनात्मक, सामाजिक या वित्तीय, या एक दर्जनों अन्य प्रकार की परेशानियां। लेकिन हम उनकी और स्वयं की चुनौतियों को दूर करने के लिए पर्याप्तरुप से मजबूत नहीं हैं, क्योंकि हमें उस तरह की शांति की जरूरत नहीं है जैसा “संसार देता” है।11 नहीं, ऐसा करने के लिए हमें धर्मशास्त्रों में बताई “स्वर्ग की शक्तियों” की जरूरत है, और इन शक्तियों का उपयोग करने के लिए हमें धर्मशास्त्रों में बताए “धार्मिकता के नियमों” का अनुसरण करना चाहिए।12 नियम और शक्ति के बीच के इस संबंध को समझना एक ऐसा सबक है जिसे मानव परिवार समझने में कभी सक्षम कभी नहीं रहा है, ऐसा स्वर्ग और पृथ्वी का परमेश्वर कहता है!13

और ये नियम क्या हैं? हां, इन्हें बार-बार हमारी पवित्र पुस्तकों में लिखा गया है, इन्हें इस तरह के सम्मेलनों में बार-बार सिखाया जाता है, और हमारे युग में, भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ को उनके अपने कष्ट के जवाब में सिखाया गया था “मेरे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर, आपने मुझे क्यों छोड़ दिया है?”14 लिबर्टी जेल की सर्द, कष्टदायक कारावास में, उन्हें सिखाया गया था कि धार्मिकता के नियमों में धीरज, दयालुता, नम्रता, और सच्चे प्रेम के गुण शामिल होते हैं। 15 उन सिद्धांतों से दूर, यह निश्चित था कि हम अंततः कलह और दुश्मनी का सामना करेंगे।

मैं हमारे समय में धार्मिकता के नियमों के अभाव के बारे में स्पष्टरुप से बोलना चाहता हूं। आम तोर पर, मैं एक उत्साहित, हंसमुख किस्म का साथी हूं, और बहुत कुछ ऐसा है जो हमारी दुनिया में अच्छा और सुंदर है। इतिहास में किसी भी पीढ़ी की तुलना में हमारे पास अत्यधिक आशीषें हैं, लेकिन 21 वीं सदी की संस्कृति में आम तौर पर और अक्सर गिरजे में भी, हम कई तोड़े हुए अनुबंध और बहुत से टूटे हुए दिल के परिणामस्वरूप ऐसे जीवनों को देखते जो मुसीबत में हैं। अश्लील भाषा है जो यौन अपराध समान होती हैं, जो फिल्मों में या टेलीविजन पर दोनों में बहुतत व्यापक हैं, या कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न और अनौचित्य के अन्य रूपों के बारे में हम इतना कुछ पढ़ते हैं पर विचार करें। अनुबंध शुद्धता के मामलों में, पावन को भी अक्सर हल्के में लिया जाता है और पवित्र को भी अक्सर अपवित्र किया जाता है। कोई भी जो दुनिया के जैसा चलने या बोलने या व्यवहार करने के लिए प्रलोभित होता है वह शांतिपूर्ण अनुभव प्राप्त करने की आशा नहीं करता है: प्रभु के नाम में मैं आपसे प्रतिज्ञा करता हूं कि दुष्टता कभी भी प्रसन्नता नहीं थी, 17एक प्राचीन भविष्यवक्ता ने एकबार कहा था। जब नृत्य खत्म हो जाता है, तो मुरलीवाले को हमेशा भुगतान किया जाना चाहिए, और बहुधा मुद्रा आंसू और अफसोस होता है।17

या शायद हम दुर्व्यवहार या अकर्मण्यता के अन्य रूपों को देखते हैं। प्रभु यीशु मसीह के शिष्यों के रूप में हमें कितना सावधान रहना चाहिए, इस तरह के किसी भी व्यवहार में भाग नहीं लेना चाहिए। किसी भी मामले में हम किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार या अधर्मी प्रभुत्व या अनैतिक जबरदस्ती के दोषी नहीं होना चाहिए - शारीरिक या भावनात्मक या गिरजे-संबंधी या किसी अन्य प्रकार के नहीं। मुझे अध्यक्ष गॉर्डन बी हिंकल के जोश से बोलना याद है जब उन्होंने एक बार इस मंच से गिरजे के उन पुरुषों से बात की थी, जो “अपने घरों में निर्दयी” थे: 18

उन्होंने कहा, “पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करना बहुत ही दुखद और पूरी तरह से घृणित घटना है।” “इस गिरजे में कोई भी पुरुष जो अपनी पत्नी से दुर्व्यवहार करता, उसे नीचा दिखाता, उसका अपमान करता, उस पर अधर्मी प्रभुत्व करता है वह पौरोहित्य धारण करने के लिए अयोग्य है। … [वह] मंदिर संस्तुति के लिए अयोग्य है। 19 समान रूप से घृणित, उन्होंने कहा, किसी भी तरह का बाल दुर्व्यवहार था - या किसी अन्य प्रकार का दुरुपयोग।

कम, अनपेक्षित तरीकों से, अन्यथा वफादार पुरुष, महिलाएं और यहां तक कि बच्चे भी उन लोगों से निर्दयता से व्यवहार करने के दोषी हो सकते हैं, कभी कभी विनाशकारी भी, जिनके साथ उन्हें प्रभु के मंदिर में पवित्र विधि द्वारा मुहरबंद किया गया है। हर किसी को प्यार किए जाने, शांति महसूस करने और घर में सुरक्षा पाने का अधिकार है। मैं चाहता हूं हम वहां ऐसे वातावरण को बनाए रखने का प्रयास करें। एक शांतिदूत होने का वादा यह है कि आपके पास स्थाई साथी के रुप में पवित्र आत्मा होगी और “बिना दबाव के” आशीषें निरंतर आपको मिलती रहेंगी। 21 “मुक्तिभरे प्रेमगीत गाने” के लिए किसी को भी कठोर भाषा या निर्दयी शब्दों की जरूरत नहीं होती है।22

मैं वहां पर समाप्त करना चाहता हूं जहां आरंभ किया था। कल ईस्टर है, यीशु मसीह के सुसमाचार धार्मिक नियमों और उसके प्रायश्चित का संघर्ष और विवाद पर, उदासी और निराशा पर, और अंततः मौत पर विजय प्राप्त करके “हमें विजयी बनाने” का दिन है। यह परमेश्वर के मेमने के प्रति पूर्ण वफादारी की प्रतिज्ञा करने का समय है, जिसने “हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया,” 23 हमारी ओर से उद्धार के कार्य को पूरान करने का उसके दृढ़ निश्चय में।

विश्वासघात और दर्द, दुर्व्यवहार और क्रूरता और सभी मानव परिवार के पापों के बावजूद, जीवित परमेश्वर का जीवित पुत्र जो नश्वरता के लंबे मार्ग को देख सकता था, हमें देखता और कहता है: “मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूं, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता। तुम्हारा मन व्याकुलन हो,न घबराए और न डरे।”24 आपको आशीषित, आनंददायक, शांतिपूर्ण ईस्टर की शुभकामनाएं। इसकी अनकही संभावनाओं का भुगतान पहले से ही शांति के राजकुमार द्वारा किया जा चुका है, जिससे मैं अपने संपूर्ण हृदय से प्रेम करता हूं, जिसका यह गिरजा है, और जिसकी गवाही मैं, उसके नाम, अर्थात प्रभु यीशु मसीह के नाम में देता हूं, आमीन।