निशाने की ओर दौड़ना
यह इसके बारे में नहीं है कि हम जीवन में क्या कर रहे हैं, लेकिन हम क्या बन रहे हैं।
जैसे मैं प्रेरितों के काम और पौलुस की पत्रियों की पुस्तक को पढ़ता हुं, मैं इस बात से चकित हूं कि पौलुस कैसे यीशु मसीह की सेवा, शिक्षण और गवाही में प्रेम और कृतज्ञता से प्रेरित था। ऐसा व्यक्ति प्रेम और कृतज्ञता के साथ कैसे सेवा कर सकता हैं, विशेष रूप से उसकी महान पीड़ाओं को देखते हुए? पौलुस को सेवा करने के लिए किसने प्रेरित किया? “मैं निशाने की ओर आगे बड़ा चला जाता हूँ, ताकि वह इनाम पाऊँ, जिसके लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है।”1
निशाने की ओर दौड़ने का मतलब है विश्वासपूर्वक जारी रहना है “सकेत और संकरे मार्ग पर जो अनंत जीवन की ओर ले जाता है”2 हमारे उद्धारकर्ता और स्वर्गीय पिता के पास। पौलुस ने अपने कष्टों की समीक्षा को “उस महिमा के साम्हने, जो हम पर प्रगट होने वाली है, कुछ भी नहीं हैं।”3 पौलुस ने फिलिप्पियों को जो पत्र लिखा था, जब वह कारागार में था, वह अत्यधिक आनदं और प्रसन्नता का एक पत्र था, और जो हमारे लिए प्रोत्साहन, विशेष रूप से अनिश्चितता के इस कठिन समय में हैं। हम सभी को पौलुस से साहस लेने की आवश्यकता है: “वरन् मैं अपने प्रभु मसीह यीशु की पहचान की उत्तमता के कारण सब बातों को हानि समझता हूँ: जिसके कारण मैंने सब वस्तुओं की हानि उठाई, और उन्हें कूड़ा समझता हूँ, जिससे मैं मसीह को प्राप्त करुँ।”4
जब हम पौलुस की सेवा को देखते हैं, तो हम अपने दिनाें में अपने आप को “पौलुस” से प्रेरित और उत्थान करते हैं, जो अपने जीवन और अपने प्रियजनों के जीवन में चुनौतियों के बीच प्रेम और कृतज्ञता के साथ भी सेवा करते हैं, सिखाते हैं और गवाही देते हैं। 9 साल पहले मुझे मिले एक अनुभव ने मुझे निशाने की ओर दौड़ने के महत्व को महसूस करने में मदद की।
सन 2012 में, जैसा कि मैं पहली बार महा सम्मेलन नेतृत्व की बैठक में गया, मैं अपने आप में अभिभूत और अपर्याप्त महसूस कर रहा था। मेरे दिमाग में लगातार दोहराई जा रही आवाज़ थी, “तुम यहाँ के नहीं हो! एक गंभीर गलती हो गई थी!” जैसे कि मैं बैठने के लिए एक जगह खोजने की कोशिश कर रहा था, एल्डर जैफ्री आर.हॉलैंड ने मुझे देखा। वह मेरे पास आए और बोले, “एडवर्ड, तुम्हें यहाँ देख कर अच्छा लगा,” और उन्होनें मेरे चेहरे को हल्के से थपथपाया। मुझे एक बच्चे जैसा लगा! उनके प्रेम और आलिंगन ने मुझे ऊष्म कर दिया और मुझे अपनेपन की भावना, भाईचारे की भावना को महसूस करने में मदद की। अगले दिन, मैंने ग़ौर किया एल्डर हॉलैंड को वही करते हुए देख, जो उन्होंने पिछले दिन मेरे साथ किया था, एल्डर डालिन एच. ओक्स को थपकी देते हुए, जो उनके वरिष्ठ हैं!
उस समय मैंने इन लोगों के माध्यम से प्रभु के प्रेम को महसूस किया, जिन्हें हम भविष्यद्वक्ता, दिव्यदर्शी और प्रकटीकर्ता के रूप में प्रमाणित करते हैं। एल्डर हॉलैंड ने अपनी दयालु, प्राकृतिक क्रियाओं के माध्यम से मुझे अपनी आत्म-केंद्रितता और अपर्याप्तता की मेरी भावनाओं को दूर करने में मदद की। उन्होंने मुझे पवित्र और आनंदमय काम पर ध्यान केंद्रित करने में मदद की, जिसमें मुझे बुलाया गया था—आत्माओं को मसीह में लाने के लिए। उन्होंने, पुराने पॉल की तरह, मुझे निशाने की ओर दौड़ने के लिए संकेतित किया।
दिलचस्प बात यह है कि पाैलुस हमें आगे बढ़ने के लिए उत्साहित करते है, हमें —हमारे अतीत के डर, हमारे अतीत में केंद्रित, हमारी पिछली असफलताएं और हमारे पिछले दुखों को भूलने के लिए बुलाते हुए जो पीछे हैं। वह हमें आमंत्रित कर रहे हैं, हमारे प्रिय भविष्यवक्ता अध्यक्ष रसल एम.नेलसन के जैसे, “एक नए, पवित्र दृष्टिकोण के लिए।”5 उद्धारकर्ता का वादा वास्तविक है:“क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहे, वह उसे खोएगा; और जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा।”6
अपने पहले महा सम्मेलन के संबोधन में, मैंने अपनी माँ का हमारे खेत में मुझे काम सिखाने का एक अनुभव साझा किया था। “कभी पीछे मुड़कर मत देखना,” उन्होने कहा। “आगे देखे कि हमें अभी भी क्या करना है!”7
अपने जीवन के अंत में, जब माँ कैंसर से जूझ रही थीं, वे नयोमी और मेरे साथ रहती थीं। एक रात मैंने उन के बेडरूम में उन्हें रोते हुआ सुना। केवल दो घंटे पहले मॉर्फिन की अंतिम दैनिक खुराक लेने के बाद भी उनका दर्द तेज था।
मैंने उनके कमरे में प्रवेश किया और उनके साथ रोया। मैंने उनके दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए उनके लिए जोर से प्रार्थना की। और फिर उन्होनें वही काम किया जो उसने सालों पहले खेत में किया था: वे रुक गई और उन्होनें मुझे एक सबक सिखाया। मैं उस पल में उसका चेहरा कभी नहीं भूलूंगा: दुर्बल,पीड़ित और दर्द से भरा, अपने शोकित बेटे को एकटक दया-भाव से देखते हुए। वह अपने आँसुओं के बीच मुस्कुराई, सीधे मेरी आँखों में देखा, और कहा, “यह तुम्हारे ऊपर या किसी और पर नहीं है, लेकिन यह परमेश्वर पर निर्भर है कि यह दर्द दूर होगा या नहीं।”
मैं चुपचाप बैठ गया। वह भी चुपचाप बैठ गईं। वह दृश्य मेरे मन में जीवंत बना रहता है। उस रात, मेरी माँ के माध्यम से, प्रभु ने मुझे एक सबक सिखाया जो हमेशा मेरे साथ रहेगा। जैसे कि मेरी माँ ने परमेश्वर की इच्छा को स्वीकार किया, मैनें यीशु मसीह का गथसमनी के बगीचे में कष्ट उठाना और गोलगोथा में सूली चढ़ने के कारण को याद किया। उसने कहा: “ देखो मैंने तुम्हें अपना सुसमाचार दिया है, और यही सुसमाचार है जिसे मैंने तुम्हें दिया है—कि मैं इस संसार में अपने पिता की इच्छा पूरी करने आया, क्योंकि मेरे पिता ने मुझे भेजा था।”8
जैसे कि मैं हमारे प्रिय भविष्यवक्ता अध्यक्ष नेलसन के प्रश्नों पर विचार करता हूं, जो हमारे लिए के पिछले सामान्य सम्मेलन के भविष्यसूचक प्रश्न दिए गए थे। अध्यक्ष नेलसन ने पूछा: “क्या आप अपने जीवन में परमेश्वर को विजयी कराना चाहते हैं? क्या आप अपने जीवन में परमेश्वर को सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव होने देने के लिए तैयार हैं? … क्या आप अनुमति देंगे कि उसकी वाणी को … किसी भी अन्य से अधिक प्राथमिकता दी जाए? क्या आप चाहते हैं कि आपकी इच्छा उसकी इच्छा में पूरी हो?”9 मेरी माँ ने एक भावनात्मक लेकिन दृढ़ “हाँ” के साथ जवाब दिया होता, और संसार भर में गिरजा के अन्य वफादार सदस्य भी एक भावनात्मक लेकिन दृढ़ “हाँ” के साथ जवाब देंगे। अध्यक्ष नेलसन, इन प्रेरक सवालों के साथ हमें प्रेरित और उत्थान करने के लिए धन्यवाद।
हाल ही में, मैंने दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया में एक बिशप के साथ बातचीत की, जिसने उसी दिन अपनी पत्नी और उसकी वयस्क बेटी को दफनाया। इस कोरोनावायरस महामारी ने उनके जीवन की मांग कर ली थी। मैंने पूछा आप कैसे हो। बिशप टेडी थाबेट की प्रतिक्रिया ने प्रभु के भविष्यवक्ताओं, दिव्यदर्शी और प्रकटीकर्ताओं की ओर से शब्दों और परामर्श का पालन करने के मेरे संकल्प को और भी मजबूत किया। बिशप थाबेट ने जवाब देते हुए कहा कि यह जानने में हमेशा उम्मीद और आराम है कि उद्धारकर्ता ने अपने लोगों के दर्द को अपने ऊपर ले लिया है, ताकि वह जान सकता है कि कैसे वह हमारी सहायता करें।.10 गहरी आस्था के साथ उन्होंने गवाही दी, “मैं उद्धार की योजना, खुशी की योजना के लिए आभारी हूं।” फिर उन्होंने मुझसे एक सवाल पूछा, “क्या यह वही नहीं है जो हमारे भविष्यवक्ता ने हमें पिछले सम्मेलन में सिखाने की कोशिश कर रहे थे?”
जबकि नश्वरता की चुनौतियाँ हम सभी के सामने एक या दूसरे तरीके से आएंगी, आइए हम अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें जो “उस निशान की ओर आगे बडना हैं, जो “परमेश्वर की उच्च बुलाहट का इनाम” हैं।11
सभी को मेरा विनम्र निमंत्रण है कि कभी हार न मानें! हमें बुलाया गया है “तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें।”12
यह इतना कुछ नहीं है कि हम जीवन में क्या कर रहे हैं, लेकिन हम जीवन में क्या बन रहे हैं। निशाने की ओर दौड़ने में आनंद है। मैं गवाही देता हूं कि वह जिसने सभी पर विजय प्राप्त किया है वह हमारी मदद करेगा जैसे कि हम उसकी ओर देखते हैं। यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।