कब्र विजयी नहीं हुई
यीशु मसीह के उद्धार और प्रायश्चित और महिमापूर्ण पुनरुत्थान के माध्यम से, टूटे हुए हृदयों को चंगा किया जा सकता है, पीड़ा शांत हो सकती है, और पीड़ा आशा बन सकती हैं।
इस महिमापूर्ण ईस्टर रविवार को, हमारे बच्चे खुशी से गाते हैं, “एक सुनहरे वसंत पर, यीशु मसीह जाग गया और उसने उस कब्र को छोड़ दिया, जहां उसे लिटाया था; मृत्यु के बंधन टूट गए।”1
हम यीशु मसीह के पुनरुत्थान के अपने ज्ञान के लिए आभारी हैं। और फिर भी हमारे जीवन में के किसी क्षण में, हमने किसी ऐसे व्यक्ति को खोने के बाद जिसे हम बहुत प्यार करते हैं अत्यन्त दुःखी महसूस किया होगा। वर्तमान वैश्विक महामारी के माध्यम से, हम में से कई ने प्रियजनों को खो दिया है —या तो परिवार के सदस्य या दोस्त।2 हम उन लोगों के लिए प्रार्थना करते हैं जो इस तरह के नुकसान का शोक मना रहे हैं।
अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने सिखाया हैं:
“उम्र का का विचार किये बिना, हम उन लोगों के लिए शोक प्रकट करते हैं जिन्हें हम प्यार करते थे और जिनको हमने खो दिया हैं। शोक प्रकट करना शुद्ध प्रेम की सबसे गहरी अभिव्यक्तियों में से एक है। …
“इसके अलावा, हम बाद में आंसू भरे अलगाव के बिना आनंदित पुनर्मिलन की पूरी तरह से सराहना नहीं कर सकते। दुःख को मृत्यु से बाहर निकालने का एकमात्र तरीका है, जीवन से प्रेम को बाहर निकालना।”3
हम कल्पना कर सकते हैं कि यीशु के मित्र, जिन्होंने उसका अनुसरण किया था और उसकी सेवा की थी, 4 उसकी मृत्यु के साक्षी होने पर कैसा महसुस किया होगा।5 हम जानते हैं कि वे “शोक में डूबे हुए थे और रो रहे थे।”6 क्रूसोहरण के दिन, न जानते हुए कि रविवार को क्या होगा, वे पीड़ा से पूर्णतया पराजित हो गए होंगे, यह सोचकर कि वे अपने प्रभु के बिना कैसे रहेंगे। फिर भी, उन्होंने मृत्यु में भी उसकी सेवा करना जारी रखा।
अरिमतिया का रहेनवाला यूसुफ ने पीलातुस से यीशु का शरीर देने के लिए विनती की। वह शरीर नीचे लेकर गया, उसे उज्ज़वल चादर में लपेटा, उसे अपनी नई कब्र में रखा, और कब्र के द्वार पर बड़ा पत्थर लुढ़का दिया।7
निकुदेमुस गन्धरस और एलवा ले आया। उन्होंने यूसुफ को शरीर लेने और मसालों के साथ चादर में लपेटने में मदद की।8
मरियम मगदलीनी और अन्य स्त्रियों ने यूसुफ और निकुदेमुस का अनुसरण किया,उन्होंने देखा कि उन्होंने यीशु के शरीर को कहाँ रखा है, और यीशु की लोथ को अभिषिक्त के लिए मीठे मसाले और मलहम तैयार किए।9 उस दिन के सख्त नियमों के अनुसार, उन्होंने शरीर तैयार करने और अभिषेक करने का आगे इंतजार किया क्योंकि शनिवार को सब्त था। 10 फिर, रविवार को सुबह-सुबह, वे स्त्रियां कब्र पर गईं। यह महसूस करने के बाद कि उद्धारकर्ता का शरीर वहां नहीं था, वे चेलों को बताने के लिए गईं, जो यीशु के प्रेरित थे। प्रेरित उनके साथ कब्र पर आए और देखा कि वह खाली थी। आखिरकार मरियम मगदलीनी सब छोड़ कर चली गई, यह सोचकर कि उद्धारकर्ता के शरीर को क्या हुआ था।11
मरियम मगदलीनी खुद से कब्र पर रुकी थी। केवल कुछ दिन पहले, उसने अपने दोस्त और प्रभु की दुखद मौत देखी थी। अब उसकी कब्र खाली थी, और वह नहीं जानती थी कि वह कहाँ है। यह उसके लिए लेना बहुत ज्यादा था, और वह रोने लगी। उस क्षण, पुनर्जीवित उद्धारकर्ता उसके पास आया और पूछा कि वह क्यों रो रही थी और किसको ढूँढ़ रही थी। यह सोचकर कि माली ने उससे बात की, उसने पूछा कि, यदि वह उसके प्रभु के शरीर को ले गया था,और उसे यह बताए कि वे कहाँ था ताकि वह उसे प्राप्त कर सके।12
मुझे लगता है कि प्रभु ने मरियम मगदलीनी को शोक प्रकट करने और अपना दर्द व्यक्त करने की अनुमति दी होगी।13 उसने फिर उसे उसके नाम से पुकारा, और उसने उसकी ओर रुख किया और उसे पहचान लिया। उसने पुनरुत्थानित मसीह को देखा और उसके महिमापूर्ण पुनरुत्थान की गवाही दी।14
आप की तरह, मैं भी किसी तरह मरियम मगदलीनी और उसके दोस्तों द्वारा महसूस की गई पीड़ा से संबद्ध कर सकता हूं जैसे कि उन्होंने अपने प्रभु की मृत्यु का शोक मनाया। जब मैं नौ साल का था, तब मैंने अपने बड़े भाई को एक विनाशकारी भूकंप के दौरान खो दिया। क्योंकि यह अचानक हुआ, मुझे जो कुछ हुआ था उसकी वास्तविकता को समझने में थोड़ा समय लगा। मैं दुःख से अत्यन्त दुःखी था, और मैं खुद से पूछूँता था, “मेरे भाई को क्या हुआ है? वह कहाँ है? वह कहां गया ? क्या मैं उसे फिर कभी देख पाऊंगा?”
तब तक मुझे परमेश्वर की उद्धार की योजना के बारे में पता नहीं था, और मुझे यह जानने की इच्छा थी कि हम कहाँ से आते हैं, जीवन का उद्देश्य क्या है, और मरने के बाद हमारे साथ क्या होता है। जब हम किसी प्रियजन को खो देते हैं या जब हम अपने जीवन में कठिनाइयों से गुज़रते हैं, तो क्या हम सभी के पास वैसी कोई तड़प नहीं होती है?
कुछ साल बाद, मैंने अपने भाई के बारे में एक खास तरीके से सोचना शुरू किया। मैं उसे हमारे दरवाजे पर दस्तक देने की कल्पना करता था। मैं दरवाजा खोल देता, वह वहीं खड़ा रहता, और वह मुझसे कहता, “मैं मरा नहीं हूं। मैं ज़िंदा हूं। मैं आपके पास नहीं आ सकता था, लेकिन अब मैं आपके साथ रहूंगा और फिर कभी नहीं छोड़ कर जाऊंगा। ” उस कल्पना ने, लगभग एक सपने ने, मुझे उस दर्द से निपटने में मदद की जो मैंने उसे खोने पर महसूस किया था। यह सोच कि वह मेरे साथ होगा मेरे दिमाग में बार-बार आई। कभी-कभी मैं दरवाजे पर घूरता भी था, उम्मीद करता था कि वह दस्तक देगा और मैं उसे फिर से देखूंगा।
लगभग 40 साल बाद, ईस्टर के समय के दौरान, मैं यीशु मसीह के पुनरुत्थान के बारे में विचार कर रहा था और अपने भाई के बारे में सोचने लगा। उस पल में, मुझे कुछ अचानक समझ में आया। मुझे याद आया कल्पना करते हुए कि वह मुझे देखने आ रहा है।
उस दिन मुझे एहसास हुआ कि आत्मा ने मुझे मुश्किल समय में सांत्वना दी। मुझे एक गवाही मिली थी कि मेरे भाई की आत्मा मरी नहीं है; वह जिन्दा है। वह अभी भी अपने अनंत अस्तित्व में प्रगति कर रहा है। अब मुझे पता है कि “[मेरे] भाई फिर से जी उठेगा”15 उस शोभायमान क्षण में जब यीशु मसीह के पुनरुत्थान के कारण, हम सभी को फिर से जीवित किया जाएगा। इसके अलावा, उसने हम सभी के लिए परिवारों के रूप में पुनर्मिलन और परमेश्वर की उपस्थिति में अनन्त आनन्द प्राप्त करना संभव बना दिया है यदि हम उसके साथ पवित्र अनुबंध बनाने और और उनका पालन करने का चुनाव करें।
अध्यक्ष नेलसन ने सिखाया हैं:
“मृत्यु हमारे अनन्त अस्तित्व का एक आवश्यक अंश है। कोई नहीं जानता कि यह कब आएगी, लेकिन यह परमेश्वर की खुशी की महान योजना के लिए आवश्यक है। प्रभु के प्रायश्चित के लिए धन्यवाद, आखिरकार पुनरुत्थान एक वास्तविकता है और अनंत जीवन सभी मानव जाति के लिए एक संभावना है। …
“… जो शोकित प्रियजन जो पीछे छुट गए … मौत का डंक मसीह में एक दृढ़ विश्वास, आशा की एक परिपूर्ण चमक,परमेश्वर और सभी मनुष्य से प्रेम करते हुए, और उनकी सेवा करने के लिए एक गहरी इच्छा से शांत है। वह विश्वास, वह आशा, वह प्रेम हमें परमेश्वर की पवित्र उपस्थिति में आने के लिए और हमारे अनन्त साथियों और परिवारों के साथ, हमेशा के लिए उसके साथ निवास करने के लिए योग्य ठहराएगा।”16
मैं गवाही देता हूं यदि मसीह मर कर जीवित नहीं होता, अर्थात मृत्यु की जंजीरों को तोड़ देता ताकि कब्र विजयी न हो, और मृत्यु का डंक न रहे, तो पुनरुत्थान भी नहीं होता।
“लेकिन पुनरुत्थान है, इसलिए कब्र विजयी नहीं हुई, और मृत्यु का डंक मसीह में समा गया।
“वह संसार की ज्योति और जीवन है; हां, वह ज्योति जो अंतहीन है, और जो कभी बुझ नहीं सकती; और हां, ऐसा जीवन जो अंतहीन है, कि जिसकी कोई मृत्यु नहीं हो सकती।”17
यीशु ने खुद घोषित किया,“पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।”18
मैं गवाही देता हूं कि यीशु मसीह के उद्धार और प्रायश्चित और महिमापूर्ण पुनरुत्थान के माध्यम से, टूटे हुए हृदयों को चंगा किया जा सकता है, दु:ख शांती में बदल सकता है, और पीड़ा आशा बन सकती है। वह हमें अपनी दया, आराम, शक्ति प्रदान करने और हम में से प्रत्येक को ठीक करने के लिए आलिंगन में ले सकता है। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।