जो हम सीख रहे हैं उसे हम कभी नहीं भूलेंगे
यदि आप अपने जीवन को प्रार्थनापूर्वक देखते हैं, तो मेरा मानना है कि आप कई तरह से देखेंगे कि प्रभु इस समय में आपको कितनी कठिनाई से मार्गदर्शन दे रहे हैं।
मेरे प्यारे भाइयों, मैं आप के साथ इस आभासी बैठक का मैंने इंतजार किया है। पिछली बार जब हमने महा सम्मेलन का पौरोहित्य सत्र अप्रैल 2019 में आयोजित किया था। पिछले दो सालों में बहुत कुछ हुआ है। कुछ ने अपने प्रियजनों को खोया है। दूसरों ने नौकरी, रोजगार या स्वास्थ्य को खोया है। बहुतों ने शांति या भविष्य के लिए आशा को खो दिया है। मेरा दिल आप में से हर एक के लिए सहनभूति है जिन्होंने इन या अन्य नुकसान का सामना करना पड़ा है। मैं निरंतर प्रार्थना करता हूं कि प्रभु आपको दिलासा देगा। जब आप अपने जीवन में परमेश्वर को प्रबल होने देते रहते हैं, तो मैं जानता हूं कि वह आपके भविष्य के प्रति उतना ही आशावान है जितना कि वह कभी रहा है।
हमने किसी भी नुकसान का अनुभव किया हो, इनके बीच हमने बहुत कुछ पाया भी है। कुछ ने हमारे स्वर्गीय पिता और उसके पुत्र, यीशु मसीह में गहरा विश्वास पाया है। कई लोगों ने जीवन पर एक नया दृष्टिकोण पाया है—यहां तक कि अनंत दृष्टिकोण भी। हो सकता है आपने अपने प्रियजनों के साथ और परमेश्वर के साथ मजबूत रिश्तों को पाया हो। और मैं आशा करता हूं कि आपको उसे सुनने के लिए और व्यक्तिगत प्रकटीकरण प्राप्त करने के लिए बढ़ी हुई क्षमता मिली होगी। कठिन परीक्षाएं अक्सर आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करती हैं जो किसी अन्य तरीके से नहीं मिल सकते हैं।
पिछले दो सालों के बारे में विचार करें। क्या आपने विकास किया है? आपने क्या सीखा है ? हो सकता है आप चाहते हो कि आप 2019 में वापस लौट सकें और वहां ठहर जाएं! लेकिन यदि आप अपने जीवन को प्रार्थनापूर्वक देखें, तो मैं विश्वास करता हूं कि आप कई तरीकों से देखेंगे जिसमें प्रभु कठिनाई के इस समय के द्वारा आपका मार्गदर्शन करता रहा है, जिससे आपको अधिक समर्पित, अधिक परिवर्तित मनुष्य बनने में मदद मिली है—परमेश्वर का एक सच्चा मनुष्य।
मैं जानता हूं कि प्रभु के पास हमारे लिए महान और अद्भुत योजनाएं हैं—व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से। करुणा और धैर्य से, वह कहता है:
“तुम छोटे बालकों, और तुमने अभी समझा नहीं है पिता … महान आशीषें हैं और तुम्हारे लिये तैयार की हैं;
“और तुम सब बातों को अभी सह नहीं सकते; फिर भी, ढाढस बांधो, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ चलूंगा।”1
मेरे प्यारे भाइयों, मैं गवाही देता हूं कि वह वास्तव में हमारे साथ चलता रहा है, और अभी भी चल रहा है, जब हम उसे सुनने की इच्छा करते हैं। वह चाहता है कि हम आगे बढ़ें और सीखें, यहां तक कि—शायद विशेष रूप से—विपत्ति के बीच भी।
विपत्ति एक महान शिक्षक है। पिछले दो सालों में आपने क्या सीखा है जिसे आप हमेशा याद रखना चाहते हो? आपके जवाब आप के लिए अद्वितीय हो सकते हैं, लेकिन मैं चार सबक बता सकता हूं जो मुझे आशा है कि हम सबने सीखे हैं और हम कभी नहीं भूलेंगे।
सबक 1: घर विश्वास और आराधना का केंद्र है
अक्सर जब प्रभु हमें अंतिम दिनों के खतरों के बारे में चेतावनी देता है, तो वह इस सलाह को शामिल करता है: “तुम पवित्र स्थानों में खड़े रहो, और हटना नहीं।” 2 इन “पवित्र स्थानों” में निश्चतरूप से प्रभु के मंदिर और सभाघर हैं। लेकिन जैसा कि इन स्थानों में इकट्ठा करने की हमारी क्षमता को अलग-अलग श्रेणी में प्रतिबंधित किया गया है, हमने सीखा है कि पृथ्वी पर सबसे पवित्र स्थानों में से एक घर है—हां, आपका घर।
भाइयों, आप परमेश्वर के पौरोहित्य को धारण करते हो। “पौरोहित्य के अधिकार अभिन्नरूप से स्वर्ग की शक्तियों से जुड़े हैं।” 3 आपने और आपके परिवार के सदस्यों ने पौरोहित्य विधियों को प्राप्त किया है। “इसकी विधियों में, परमेश्वरत्व की शक्ति प्रकट होती है।”4 वह शक्ति आपको और आपके अपने परिवार को आपके अपने घर में उपलब्ध है जब आप जो अनुबंध बनाए हैं, उनका पालन करते हैं।5
सिर्फ 185 साल पहले, इसी दिन, अप्रैल 3, 1836, एलियाह ने पुरोहितत्व की कुंजी को बहाल किया जो हमारे परिवारों को हमेशा के लिए एक साथ मुहरबंद करने की अनुमति देता है। इसीलिए अपने घर में प्रभुभोज का संचालन करना इतना अच्छा लगा। इस पवित्र विधि के किए जाने से आपके परिवार के सदस्यों को आप, उनके पिता, दादा, पति, बेटा, या भाई, को देखने के लिए कैसे प्रभावित किया है? उस पवित्र अनुभूति को अपने परिवार में बनाए रखने के लिए आप क्या करेंगे?
आप महसूस कर सकते हैं कि अभी भी आपको अपने घर को सही मायने में विश्वास का शरणस्थान बनाने के लिए अधिक करने की आवश्यकता है। यदि ऐसा है, तो कृपया ऐसा करें! यदि आप विवाहित हैं, तो अपनी पत्नी से इस महत्वपूर्ण कार्य में अपने बराबर के साथी के रूप में सलाह करें। इससे अधिक महत्वपूर्ण कुछ अन्य गतिविधियां हैं। अब और प्रभु के फिर आने के समय के बीच, हम सभी को शांति और सुरक्षा के स्थानों के रूप में हमारे घरों की जरूरत है। 6
आत्मा को आमंत्रित करने वाले दृष्टिकोण और कार्य आपके घर की पवित्रता में वृद्धि करेंगे। यह सच्चाई उतना ही निश्चित है कि पवित्रता गायब हो जाएगी यदि आपके व्यवहार या वातावरण में कुछ भी ऐसा है जो पवित्र आत्मा का अपमान करता है, तो “स्वर्ग स्वयं को हटा देंगे।” 7
क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों प्रभु हमें हमारे घरों को सुसमाचार सीखने और रहने का केंद्र बनाना चाहता है? यह सिर्फ हमें महामारी के लिए तैयार करने, और इसके द्वारा हमारी मदद करने के लिए नहीं है। मिलने-जुलने पर वर्तमान प्रतिबंध अंततः समाप्त हो जाएगा। हालांकि, अपने घर को अपने विश्वास का महत्वपूर्ण शरणस्थान बनाने की आपकी जिम्मेदारी कभी खत्म नहीं होनी चाहिए। इस पतित संसार में विश्वास और पवित्रता कम होने के साथ-साथ पवित्र स्थानों की आपकी आवश्यकता बढ़ जाएगी। मैं आपसेअपने हमेशा घरों को वास्तव में पवित्र स्थान बनाएं और इस आवश्यक लक्ष्य से पीछे “न हटने” 8 का आग्रह करता हूं।
सबक 2: हमें एक दूसरे की आवश्यकता है
परमेश्वर चाहता है कि हम मिलकर काम करें और एक-दूसरे की मदद करें। यही कारण है कि वह हमें पृथ्वी पर परिवारों में भेजता है और हमें वार्डों और स्टेकों में संगठित करता है। यही कारण है कि वह हमें एक-दूसरे की सेवा करने और सेवकाई के लिए कहता है। यही कारण है कि वह हमें दुनिया में रहने लेकिन दुनिया का नहीं होने के लिए कहता है।9 जितना हम एकसाथ रह कर प्राप्त कर सकते हैं उतना हम अकेले प्राप्त नहीं कर सकते हैं।10 यदि उसके बच्चे एक दूसरे से अलग-थलग रहते हैं तो परमेश्वर की सुख की योजना विफल हो जाएगी।
हाल की महामारी अद्वितीय रही है कि इसने एक ही समय में दुनिया में हर किसी को प्रभावित किया गया है। जबकि कुछ को दूसरों की तुलना में अधिक नुकसान हुआ है, हम सभी को किसी न किसी तरह से चुनौती मिली है। इस वजह से, हमारी एकसमान परीक्षा में परमेश्वर के बच्चों की मदद करने के लिए एकजुट करने की ऐसी क्षमता पहले कभी नहीं थी। तो, मैं पूछता हूं, क्या यह साझा परीक्षा आपको आपके पड़ोसियों के निकट लाई है—सड़क के पार और दुनिया भर में अपने भाइयों और बहनों के लिए?
इस संबंध में, दो महान आज्ञाएं हमें मार्गदर्शन कर सकती हैं: पहला, परमेश्वर से प्यार करना और दूसरा, अपने पड़ोसी से प्यार करना। 11 सेवा करने के द्वारा हम प्यार दिखाते हैं।
यदि आप किसी को जानते हैं जो अकेला है, उसकी मदद करें—चाहे आप स्वयं अकेले क्यों न हों! मिलने-जुलने के लिए आपको कोई कारण या संदेश या व्यवसाय की आवश्यकता नहीं होती है। केवल हलो कहें और अपना प्यार दिखाएं। तकनीक आपकी मदद कर सकती है। महामारी हो या नहीं, परमेश्वर के प्रत्येक अनमोल बच्चे को जानने की आवश्यकता है कि वह अकेला नहीं है!
सबक 3: आपकी पौरोहित्य परिषद मात्र एक सभा से अधिक है
महामारी के दौरान, रविवार परिषद सभाओं को कुछ समय के लिए रद्द कर दिया गया था। कुछ परिषदें अब आभासी रूप से मिलते हैं। फिर भी, प्रभु ने पौरोहित्य को जो काम दिया है, वह कभी भी किसी सभा तक सीमित नहीं था। जिस कार्य के लिए परिषद को संगठित किया गया है उसकी तुलना में सभाएं मात्र एक छोटा सा हिस्सा है।
हारूनी पौरोहित्य और एल्डर परिषद के मेरे भाइयों, हम अपने दृष्टिकोण में विस्तार करें कि परिषदें क्यों संगठित की गई हैं। प्रभु कैसे चाहता है कि आप अपने जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए अपनी परिषद का उपयोग करो—अब? प्रभु से प्रकटीकरण पाने का प्रयास करें। स्वयं को विनम्र बनाएं! पूछो! सुनें! यदि आप का मार्गदर्शन करने के लिए नियुक्त किया गया है, तो अध्यक्षता के रूप में और परिषद सदस्यों के साथ सलाह करें। चाहे आपका पौरोहित्य पद या नियुक्ति कुछ भी हो, परमेश्वर को अपनी परिषद के एक सदस्य के रूप में और अपनी सेवा में अपनी जिम्मेदारियों में प्रभावशाली होने दो। खुशी के अनुभव के सा आप धार्मिकता को पूरा करेंगे जब आप “उत्सुकता से अच्छे कामों में व्यस्त रहते हैं।”12 परिषदें परदे के दोनों ओर इस्राएल को एकत्र करने में तेजी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थिति में हैं।
सबक 4: हम यीशु मसीह को अच्छी तरह सुन सकते हैं जब हम शांत होते हैं
हम सब ऐसे समय में रहते हैं जिसकी भविष्यवाणी बहुत पहले की गई थी, जब “सब बातें व्याकुलता में होगी, और अवश्य ही, लोगों के जी में जी न रहेगा; क्योंकि सब लोगों पर भय आएगा।” 13 यह महामारी से पहले सच था, और इसके बाद भी सच होगा। व्याकुलता दुनिया में बढ़ती जाएगी। इसके विपरीत, प्रभु की आवाज “न ही कोई भारी उपद्रवी आवाज थी, … यह पूरी तरह से मधुर आवाज थी, मानो जैसे फुसफुसाकर बोला गया हो, और इसने प्रत्येक आत्मा पर असर किया।”14 इस शांत आवाज को सुनने के लिए, आपको भी शांत होना चाहिए!15
कुछ समय के लिए, महामारी ने उन गतिविधियों को रद्द कर दिया है जो आम तौर पर हम अपने जीवन में करते हैं। जल्द ही हम उस समय को फिर से दुनिया के शोर और हलचल से भरने में सक्षम हो सकते हैं। या हम अपने समय का उपयोग प्रभु की आवाज सुनने के लिए कर सकते हैं जो उसका मार्गदर्शन, दिलासा और शांति प्रदान करती है। शांत समय पवित्र समय है—ऐसा समय जो व्यक्तिगत प्रकटीकरण को सरल बनाएगा और शांति पैदा करेगा।
अकेले और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताने के लिए अपने आपको अनुशासित करें। परमेश्वर के समक्ष प्रार्थना में अपने हृदय को खोलें। धर्मशास्त्र अध्ययन करने और मंदिर में आराधना के लिए समय निकालें।
मेरे प्यारे भाइयों, बहुत से बातें हैं जो परमेश्वर चाहता है कि हम इस महामारी के दौरान अपने अनुभवों से सीखें। मैंने केवल चार बताई हैं। मैं आपको अपनी सूची बनाने के लिए आमंत्रित करता हूं, इस पर ध्यान से विचार करें, और इसे उन लोगों के साथ बांटें जिन्हें आप प्यार करते हैं।
परमेश्वर का अनुबंध पालन करने वाले लोगों का भविष्य उज्ज्वल है।16 प्रभु मानवजाति को आशीष देने, दिलासा देने और मजबूत करने और दुनिया और उसके लोगों को उसके द्वितीय आगमन के लिए तैयार करने में मदद करने के लिए अपने सेवकों काआह्वान करेगा जो योग्यता से पौरोहित्य को धारण करते हैं। यह हम में से प्रत्येक को हमें प्राप्त हुई पवित्र नियुक्ति की अपेक्षाओं को पूरा करने के लाभ के लिए है। हम इसे कर सकते हैं! प्रत्येक के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करते हुए, मैं यह गवाही देता हूं, यीशु मसीह के पवित्र नाम में, आमीन।