महा सम्मेलन
क्रोध दिलाने वाला अन्याय
अप्रैल 2021 महा सम्मेलन


14:51

क्रोध दिलाने वाला अन्याय

यीशु मसीह अन्याय को समझता है और उसके पास इसे हल करने की शक्ति भी है।

1994 में, पूर्वी अफ्रीकी देश रवांडा में एक नरसंहार हुआ था जिसका कारण आंशिक रूप से गहन आदिवासी तनाव था। अनुमान है कि पांच लाख से अधिक लोग मारे गए थे। 1 उल्लेखनीय है कि रवांडा के लोगों ने बड़े हिस्से में सुलह कर ली है,2 लेकिन ये घटनाएं लगातार होती रहती हैं।

एक दशक पहले, रवांडा का दौरा करते समय, मेरी पत्नी और मैंने किगाली हवाई अड्डे पर एक अन्य यात्री के साथ बातचीत की थी। उसने नरसंहार पर अफसोस व्यक्त किया था और मार्मिकता से पूछा था, “यदि कोई परमेश्वर होता, तो क्या उसने इसके बारे में कुछ नहीं किया होता?” इस व्यक्ति के लिए—और हम में से बहुतों के लिए—पीड़ा और क्रूरता एक दयालु, प्रेमी स्वर्गीय पिता की वास्तविकता से असंगत लग सकती है। फिर भी वह वास्तव में है, वह दयालु है, और वह अपने प्रत्येक बच्चे से पूरी तरह से प्रेम करता है। यह विरोधाभास मानव जाति के समान बहुत पुराना है और इसे किसी साधारण नारे में या किसी बंपर स्टीकर से नहीं समझाया जा सकता है ।

इस विषय में कुछ समझने के लिए, आओ हम अन्याय के विभिन्न प्रकार का पता लगाते हैं। एक ऐसे परिवार पर विचार करें जिसमें प्रत्येक बच्चे को आम घरेलू काम करने के लिए साप्ताहिक आर्थिक भत्ता मिलता है। एक बेटा, जॉन ने, कैंडी खरीदी; एक बेटी, एन्ना ने अपने पैसे बचाए। बाद में, एन्ना ने स्वयं के लिए एक साइकिल खरीदी। जॉन ने सोचा कि यह पूरी तरह से अनुचित है कि एन्ना को साईकिल मिली जबकि उसे नहीं। लेकिन जॉन के विकल्पों के कारण असमानता उत्पन्न हुई थी, माता पिता के कार्यों से नहीं। एन्ना के कैंडी न खाने के निर्णय ने जॉन के साथ कोई अन्याय नहीं किया था क्योंकि उसके पास अपनी बहन के जैसे एकसमान अवसर था ।

हमारे निर्णय इसी प्रकार दीर्घकालिक लाभ या नुकसान उत्पन्न कर सकते हैं। जैसा प्रभु ने बताया था, “यदि कोई व्यक्ति इस जीवन में अपने परिश्रम और आज्ञाकारिता के द्वारा दूसरे से अधिक विद्या और ज्ञान प्राप्त करता है, तो उसके पास आने वाले संसार में अत्याधिक लाभ होगा।”3 जब दूसरों को उनके परिश्रमी विकल्पों के कारण लाभ मिलता है, तो हम यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते कि हमारे साथ गलत व्यवहार किया गया है जबकि हमारे पास एकसमान अवसर होता है।

अन्याय का एक अन्य उदाहरण एक ऐसी स्थिति से उत्पन्न होता है, जिसका सामना मेरी पत्नी रूथ ने एक बच्ची के रूप में किया था। एक दिन रूथ को पता चला था कि उसकी मां छोटी बहन, मेरला को नए जूते खरीदने के लिए ले जा रही थी । रूथ ने शिकायत की, “मम्मी, यह बहुत अनुचित है! मेरला को पिछली बार जूते मिले थे।”

रूथ की मां ने पूछा, रूथ, क्या आपके जूते फिट हैं?

रूथ ने जवाब दिया, “हां।”

रूथ की मां ने फिर कहा, “मेरला के जूते फिट नहीं हैं।”

रूथ इस बात पर सहमत थी कि परिवार के हर बच्चे के पास ऐसे जूते होने चाहिए जो फिट हों। हालांकि रूथ को नए जूते पसंद आते, लेकिन जब उसने अपनी मां की दृष्टि से परिस्थितियों को देखा तो उसकी अपने साथ गलत व्यवहार किए जाने की धारणा दूर हो गई थी।

कुछ अन्याय को समझाया नहीं जा सकता; बेवजह अन्याय क्रोध उत्पन्न करता है। अन्याय की भावना उन शरीरों के साथ रहने से आती है जो अपूर्ण, घायल या रोगग्रस्त होते हैं। नश्वर जीवन स्वाभाविक रूप से अनुचित है। कुछ लोग समृद्धि में पैदा होते हैं, दूसरे नहीं होते।; कुछ के पास प्यार करने वाले माता पिता होते हैं; दूसरों के पास नहीं। कुछ कई साल जीवित रहते हैं; जबकि दूसरे कम। और इसी प्रकार अन्य बातें होती है। कुछ व्यक्ति भलाई करने का प्रयास करते हुए भी हानिकारक गलतियां कर देते हैं। कुछ अन्याय को कम करने का चुनाव नहीं करते है जबकि वे कर सकते हैं। दुख की बात है, कि कुछ लोग उन्हें परमेश्वर द्वारा दी गई स्वतंत्रता का उपयोग दूसरों को आहत करने के लिए करते हैं जबकि उन्हें ऐसा कभी नहीं करना चाहिए।

विभिन्न प्रकार के अनुचित वातावरण आपस में मिल सकते हैं, जिससे अधिक अनुचित परिस्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। या उदाहरण के लिए, कोविड-19 महामारी असमान रूप से उन लोगों को अधिक प्रभावित करती है जो पहले से ही कई प्रकार की मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। इस प्रकारे के अनुचित व्यवहार का सामना करने वालों के प्रति मैं हृदय से संवेदनशील हूं, लेकिन मैं अपने संपूर्ण हृदय से घोषणा करता हूं कि यीशु मसीह इस अनुचित व्यवहार को समझता है और इसका उपाय प्रदान करने की शक्ति रखता है। उसके साथ किए गए अन्याय की तुलना किसी के साथ नहीं की जा सकती है। यह उचित नहीं था कि वह संपूर्ण मानवजाति के कष्टों और वेदनाओं को अनुभव करे। यह उचित नहीं था कि वह मेरे और आपके पापों और गलतियों के लिए पीड़ा सहे। लेकिन उसने हमारे प्रति और स्वर्गीय पिता के प्रति अपने प्रेम के कारण इसे सहने का फैसला किया था। वह अच्छी तरह से समझता है कि हम क्या अनुभव कर रहे हैं। 4

धर्मशास्त्र में लिखा है कि प्राचीन इस्राएलियों ने शिकायत की थी कि परमेश्वर उनके साथ अनुचित व्यवहार कर रहा था। इसके जवाब में, प्रभु ने पूछा था, “क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपिउवे बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे? यह संभव नहीं है कि एक प्यार करने वाली मां अपने नन्हे बच्चे को भूल जाए, प्रभु ने घोषणा की थी कि उसकी भक्ति इससे भी अधिक मजबूत है। उसने माना था: “हां, वह तो भूल सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता।” देख, मैं ने तेरा चित्र हथेलियों पर खोदकर बनाया है; तेरी शहरपनाह सदैव मेरी दृष्टि के सामने बनी रहती है।”5 क्योंकि यीशु मसीह अनंत, प्रायश्चित बलिदान सहा था, वह हमारे साथ पूरी तरह से सहानुभूति रखता है । 6 वह हमेशा हमारे बारे में और हमारी परिस्थितियों के बारे में जानता है।

नश्वरता में, हम उद्धारकर्ता के निकट “निर्भीकता से” आ सकते हैं और करुणा, चंगाई और सहायता प्राप्त कर सकते हैं। 7 जबकि हम बेवजह पीड़ित होते हैं, तब भी परमेश्वर हमें सरल, साधारण और महत्वपूर्ण तरीकों से आशीष दे सकता है। जब हम इन आशीषों को पहचानना सीखते हैं, तो परमेश्वर पर हमारा भरोसा बढ़ेगा। अनंत काल में, स्वर्गीय पिता और यीशु मसीह सभी अनुचित व्यवहार का समाधान करेंगे। हम समझना चाहते हैं कैसे और कब। वे इसे कैसे करेंगे? वे इसे कब करेंगे? मेरी जानकारी में, उन्होंने नहीं बताया है कैसेया कब8 मैं केवल इतना अवश्य जानता हूं वे ऐसा करेंगे

अनुचित स्थितियों में, हमारे कार्यों में से एक इस बात पर भरोसा रखना है कि “वह सब जो जीवन में अनुचित है यीशु मसीह के प्रायश्चित के द्वारा सही किया जा सकता है।” 9 यीशु मसीह दुनिया पर विजय प्राप्त की थी और सभी अन्याय को “सहा” था। उसके कारण ही हम इस संसार में शांति पा सकते हैं और ढाढ़स बांध सकते हैं। 10 यदि हम उसे अनुमति देते हैं, तो यीशु मसीह हमारे लाभ के लिए अन्याय को समर्पित करेगा। 11 वह सिर्फ हमें सांत्वना और जो खो गया था उसे पुन:स्थापित नहीं करेगा; 12 वह हमारे लाभ के लिए अन्याय का उपयोग करेगा। जब कैसे और कब की बात आती है, तो हम पहचानने और स्वीकार करने की जरूरत है, जैसा अलमा ने किया था, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता; … क्योंकि परमेश्वर इन सारी बातों को जानता है; और मेरे लिए इतना जानना पर्याप्त है कि ऐसा ही है।”13

हम कैसे और कबप्रश्नों के बारे में बाद में बात करने और हम यीशु मसीह में विश्वास विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, कि उसके पास सब कुछ सही करने की शक्ति और ऐसा करने की चाहत दोनों हैं।14 क्योंकि हमारे लिए कैसे या कब जानने के लिए जोर डालना लाभप्रद नहीं है और, आखिरकार, अदूरदर्शीता है।15

जब हम यीशु मसीह में विश्वास विकसित करते हैं, तो हमें उनके जैसा बनने का प्रयास भी करना चाहिए। फिर हम करुणा के साथ दूसरों के निकट जाते हैं और अन्याय को कम करने की कोशिश करते हैं जहां हम इसे पाते हैं; 16 हमारे लिए जो संभव हो हम उन बातों को सही करने की कोशिश कर सकते हैं। वास्तव में, उद्धारकर्ता ने निर्देश दिया कि हमें “उत्सुकता से अच्छे कामों में व्यस्त रहना चाहिए, और अपनी स्वयं की स्वतंत्र इच्छा से बहुत से अच्छे कार्य करने चाहिए, और अधिक धार्मिकता को पूरा करना चाहिए।”17

कोई है जो उत्सुकता से अन्याय के विरूद्ध लड़ रहा है वह वकील ब्रायन स्टीवेंसन हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में उनका कानूनी कार्य गलत तरीके से आरोपी बनाए गए लोगों की रक्षा करना, अत्यधिक सजा समाप्त करना और बुनियादी मानवाधिकारों की रक्षा करना के लिए समर्पित है। कुछ साल पहले श्रीमान स्टीवेंसन ने एक ऐसे व्यक्ति का बचाव किया था, जिस पर हत्या का झूठा आरोप लगाया गया और मृत्युदंड दिया गया था। श्री स्टीवेंसन ने उस व्यक्ति के स्थानीय ईसाई गिरजे से समर्थन के लिए कहा था, भले ही उसे अपने गिरजे में सक्रिय नहीं था और व्यापक रूप से ज्ञात विवाह के बाहर संबंधों के कारण समुदाय में अपमानित किया गया था।

कलीसिया का उस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जो वास्तव में महत्वपूर्ण थी, श्रीमान स्टीवेंसन ने उस महिला के बारे में बोला था जिसे व्यभिचार के कारण यीशु के पास लाया गया था। आरोप लगाने वाले उस पर पत्थराव करना चाहते थे, लेकिन यीशु ने कहा, “तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उस को पत्थर मारे।”18 महिला पर आरोप लगाने वाले वापस चले गए थे। यीशु ने महिला को दंड नहीं दिया, लेकिन उसे फिर पाप न करने का निर्देश दिया था। 19

इस घटना को याद करने के बाद, श्रीमान स्टीवेंसन ने कहा कि आत्म-धार्मिकता, भय और क्रोध ने भी ईसाइयों को उन लोगों पर पत्थर फेंकने की वजह बना दिया है जो ठोकर खाते हैं। बाद में उन्होंने कहा था, “हम सिर्फ ऐसा होता हुआ नहीं देख सकते हैं,” और उन्होंने कलिसिया के लोगों को “पत्थर रोकने वाले” बनने के लिए प्रोत्साहित किया था। 20 भाइयो-बहनो, पत्थर न फेंकना दूसरों के साथ करुणा के साथ व्यवहार करने का पहला कदम है। दूसरा कदम दूसरों द्वारा फेंके गए पत्थरों को पकड़ने की कोशिश करना है।

हम फायदे और नुकसान से कैसे निपटते हैं, यह जीवन की परिक्षा का हिस्सा है। हम जो कहते हैं, उससे हमारी जांच नहीं की जाएगी बल्कि हम कमजोर और वंचित लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं इससे जांचा जाएगा।21 अंतिम-दिनों संतों के रूप में, हम उद्धारकर्ता के उदाहरण का पालन करना चाहते हैं, हमेशा भलाई करते जाना।22 हम सभी स्वर्गीय पिता के बच्चों की प्रतिष्ठा स्थापित करने के लिए अपने पड़ोसी के प्रति अपने प्रेम का प्रदर्शन करते हैं।

मन में हमारे स्वयं के फायदे और नुकसान के साथ, विचार करना ठीक होता है। या जॉन के लिए यह समझना कि क्यों एन्ना को साइकिल मिली थी एक प्रकटीकरण था। रूथ के लिए अपनी मां की दृष्टि से जूते के लिए मेरला की जरूरत को देखना शिक्षाप्रद था। अनंत दृष्टिकोण से बातों को देखने का प्रयास करने से इन्हें स्पष्ट किया जा सकता है। जब हम उद्धारकर्ता के समान होते हैं, तो हम अधिक सहानुभूति, समझ और उदारता विकसित करते हैं।

मैं किगाली में हमारे साथी यात्री द्वारा पूछे गए प्रश्न पर लौटता हूं जिसने रवांडा नरसंहार के अन्याय पर अफसोस व्यक्त किया और पूछा था, “यदि कोई परमेश्वर होता, तो क्या उसने इसके बारे में कुछ नहीं किया होता?”

नरसंहार के कारण होने वाले कष्टों को कम आंके बिना, और इस तरह के दुख को समझने में हमारी असमर्थता को स्वीकार करने के बाद, हमने उत्तर दिया था कि यीशु मसीह ने दुखद अन्याय के बारे में कुछ किया है ।23 हमने यीशु मसीह और उसके गिरजे की पुन:स्थापना से संबंधित कई सुसमाचार उपदेशों की व्याख्या की थी।24

इसके बाद, हमारे परिचित ने पूछा, अपनी आंखों में आंसू के साथ, “आपका मतलब है कि मैं अपने मृत माता-पिता और चाचा के लिए कुछ कर सकता हूं?”

हमने कहा था, “हां, बिलकुल!” तब हमने गवाही दी कि जीवन के बारे में जो कुछ अनुचित है, उसे यीशु मसीह के प्रायश्चित के द्वारा सही किया जा सकता है और उसके अधिकार के द्वारा परिवारों को हमेशा के लिए मिलाया जा सकता है।

जब हम अन्याय का सामना करते हैं, तो हम अपने आप को परमेश्वर से दूर कर सकते हैं या हम मदद और समर्थन के लिए उसकी ओर आकर्षित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, नफाइयों और लमनाइयों के बीच लंबे समय के युद्ध ने लोगों को भिन्न प्रकार से प्रभावित किया था। मॉरमन ने देखा था कि “कई लोग कठोर हो गए थे” और दूसरे ‘अपने कष्टों के कारण नरम हो गए थे, इतना अधिक कि उन्होंने विनम्रता की गहराई में परमेश्वर के सामने स्वयं को विनम्र कर लिया था।”25

अन्याय को आपको कठोर, या परमेश्वर पर आपके विश्वास कम न होने दें। अवश्य ही, परमेश्वर से मदद के लिए कहें। उद्धारकर्ता के प्रति अपनी प्रशंसा और निर्भरता बढ़ाएं। कड़वा बनाने के बजाय, उन्हें आपको बेहतर बनाने दें।26 उसे आपको दृढ़ रहने में मदद करने की अनुमति दें, अपनी वेदनाओं को “मसीह के आनंद में समा जाने दें।” 27 “कुचले हुओं को छुड़ाने,” के उसके मिशन में शामिल हो जाएं 28 अन्याय को कम करने का प्रयास करते हैं, और एक पत्थर रोकना वाला बन जाएं।29

मैं गवाही देता हूं कि यीशु मसीह जीवित है। वह अन्याय को समझता है। उसके हाथों की हथेलियों के निशान निरंतर उसे आपकी और आपकी परिस्थितियों की याद दिलाते हैं। वह आपके सभी संकट में आपकी सेवा करता है। जो लोग उसके पास आते हैं, उनके लिए सौंदर्य का मुकुट शोक की राख की जगह लेगा; आनंदऔर खुशी विलाप और दुख का स्थान ले लेगी; प्रशंसा और उत्सव निराशा और उदासी की जगह लेगा।30 स्वर्गीय पिता और यीशु मसीह में आपके विश्वास को आपकी कल्पना से अधिक पुरस्कृत किया जाएगा। सभी अन्याय—विशेष रूप से क्रोध उत्पन्न करने वाले अन्याय को—आपके लाभ के लिए समर्पित किया जाएगा। मैं यह गवाही यीशु मसीह के नाम में देता हूं, आमीन ।

विवरण

  1. See John Reader, Africa: A Biography of the Continent (1999), 635–36, 673–79.

  2. हालांकि उम्मीद है, रवांडन सुलह जटिल है। कुछ इसकी गहराई और स्थायित्व पर सवाल उठाते हैं। देखें, for example, “The Great Rwanda Debate: Paragon or Prison?,” Economist, Mar. 27, 2021, 41–43.

  3. सिद्धांत और अनुबंध 130:19; महत्व जोड़ा गया है।

  4. देखें इब्रानियों 4:15

  5. 1 नफी 21:15 -16

  6. देखें अलमा 7:11–13

  7. देखें इब्रानियों 4:16; यशायाह 41:10; 43:2; 46:4; 61:1–3 भी देखें।

  8. सावधानी का शब्द: हम कैसे और कब के विषय में, चाहे कितनी अच्छे तर्क या प्रशंसनीय हों हमें अपने मत बनाने के प्रलोभन से बचना चाहिए। जिस विषय में परमेश्वर ने अभी तक कुछ नहीं बताया है, उस विषय में हम उचित रूप बात नहीं कर सकते हैं।

  9. Preach My Gospel (2018), 52; यशायाह 61:2–3; प्रकाशितवाक्य 21:4 भी देखें। “जीवन के बारे में जो कुछ अनुचित है उसे सही किया जा सकता है” इसका संभावित अर्थ है कि हमारे प्रति अन्याय के परिणामों का समाधान, शमन, या उठाया जाएगा। अपने अंतिम महा सम्मेलन “Come What May, and Love It,” वार्ता में, एल्डर जोसफ बी. वर्थलीन ने कहा था, “हर आंसू आज अंततः खुशी और कृतज्ञता के आंसू के साथ एक सौ गुना वापस आ जाएगा। … A principle of compensation prevails” (Liahona, Nov. 2008, 28).

  10. देखें यूहन्ना 16:33

  11. देखें 2 नफी 2:2

  12. देखें नीतिवचन 42:10, 12–13; याकूब 3:1

  13. अलमा 40:5

  14. देखें मुसायाह 4:9

  15. See Russell M. Nelson, “Let God Prevail,” Liahona, Nov. 2020, 93. माइआपिक का अर्थ होता है नजदीक का कम दिखना

  16. उदाहरण के लिए, सेनापति मोरोनी ने पुष्टि की थी कि लोग खड़े रहें और “कुछ नहीं करें” जबकि वे दूसरों की सहायता कर सकते हैं (अलमा 60:9–11); 2 कूरिंथियों 1:3 भी देखें।

  17. (सिद्धांत और अनुबंध 58:27; और पद 26, 28–29{ भी देखें।

  18. यूहन्ना 8:7

  19. देखें यूहन्ना 8:10–11; पद 11 का जोसफ स्मिथ अनुवाद जोड़ता है, “और महिला ने उस समय से परमेश्वर की महिमा, और उसके नाम पर विश्वास,” किया था,” बताता है कि उद्धारकर्ता का दंड नहीं दिया जाना और उसकी आज्ञा “अब पाप न करना” ने महिला के शेष जीवन को प्रभावित किया था।

  20. Bryan Stevenson, Just Mercy: A Story of Justice and Redemption (2015), 308–9.

  21. देखें मत्ती 25:31–46

  22. See प्ररितों के काम 10:38; see also Russell M. Nelson, “The Second Great Commandment,” Liahona, Nov. 2019, 96–100।

  23. देखें सिद्धांत और अनुबंध 1:17, 22–23

  24. ये विचार “यीशु मसीह के सुसमाचार की परिपूर्णता की पुनःस्थापना: दुनिया के लिए द्विशतवार्षिक घोषणा,” ChurchofJesusChrist.org में स्पष्ट रूप से व्यक्त किए गए हैं।

  25. अलमा 62:41

  26. देखें Amos C. Brown, in Boyd Matheson, “‘It Can Be Well with This Nation’ If We Lock Arms as Children of God,” Church News, July 25, 2019, churchnews.com.

  27. अलमा 31:38

  28. देखें लूका 4:16–19। To heal the brokenhearted is to restore those whose minds, will, intellect, or inner self has been shattered or crushed (see James Strong, The New Strong’s Expanded Exhaustive Concordance of the Bible [2010], Hebrew dictionary section, 139 and 271).

  29. See, for instance, Russell M. Nelson, “Let God Prevail,” Liahona, Nov. 2020, 94; Dallin H. Oaks, “Love Your Enemies,” Liahona, Nov. 2020, 26–29. अध्यक्ष नेलसन ने कहा था: “मैं हर जगह अपने सदस्यों से आह्वान करता हूं कि वे पक्षपात को त्याग दें। मैं आप सभी से परमेश्वर की संतानो के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने की विनती करता हूं। This is more than just being opposed to attitudes and actions of prejudice. President Oaks quoted the Reverend Theresa A. Dear: “Racism thrives on hatred, oppression, collusion, passivity, indifference and silence.” Then he said, “As members of The Church of Jesus Christ of Latter-day Saints, we must do better to help root out racism.”

  30. (देखें यशायाह 61:3 । सौंदर्य का ताज प्राप्त करने का मतलब है कि हम परमेश्वर के राज्य में यीशु मसीह के साथ संयुक्त वारिस बन जाते हैं। See also Donald W. Parry, Jay A. Parry, and Tina M. Peterson, Understanding Isaiah (1998), 541–43.