महा सम्मेलन
अपने शत्रुओं से प्रेम करो
अक्टूबर 2020 महा सम्मेलन


16:19

अपने शत्रुओं से प्रेम करो

यह जानना कि हम सभी परमेश्वर के बच्चे हैं, हमें अन्य सभी के मूल्य और पूर्वाग्रह और नस्लवाद से ऊपर उठने की इच्छा और क्षमता का एक दिव्य दर्शन देता है।

प्रभु की शिक्षाएं अनंत काल और परमेश्वर के सभी बच्चों के लिए हैं। इस संदेश में मैं संयुक्त राज्य से कुछ उदाहरण दूंगा, लेकिन वे जो सिद्धांत सिखाते हैं, वे हर स्थान पर लागू होते हैं।

हम राजनीतिक संबंधों, नीतियों और प्रथाओं में क्रोध और घृणा के समय में रहते हैं। हमने इसे कई स्थानों में इस गर्मी में महसूस किया था जहां कुछ लोग शांतिपूर्ण विरोध करते हुए उग्र हो गए और काफी तोड़-फोड़ की थी। हम इसे सार्वजनिक पदों के लिए कुछ वर्तमान अभियानों में महसूस करते हैं। दुर्भाग्य से, इसमें से कुछ का प्रभाव राजनीतिक बयानों और द्वेषपूर्ण संदर्भों के रूप में हमारे गिरजे की सभाओं में भी प्रकट होना आरंभ हो गया है।

किसी लोकतांत्रिक सरकार में हमें हमेशा प्रस्तावित उम्मीदवारों और नीतियों पर मतभेद होता है। हालांकि, मसीह के अनुयायियों के रूप में हमें उस क्रोध और घृणा को छोड़ देना चाहिए जिससे राजनीतिक चुनावों पर बहस या किसी भी स्थान में निंदा की जाती है।

पहाड़ पर उपदेश

यह हमारे उद्धारकर्ता की शिक्षाओं में से एक है, हो सकता है इसे अच्छी तरह से जाना जाता हो, लेकिन शायद ही कभी पालन किया जाता है:

“तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था; कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर।

“परन्तु मैं तुम सुनने वालों से कहता हूं, कि अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उन का भला करो। जो तुम्हें स्राप दें, उन को आशीष दो: जो तुम्हारा अपमान करें, उन के लिये प्रार्थना करो”(मत्ती 5:43–44)।1

पीढ़ियों से यहूदियों को अपने दुश्मनों से नफरत करना सिखाया गया था, और वे तब रोम के अधिग्रहण के प्रभुत्व और क्रूरता के अधीन पीड़ित थे । फिर भी यीशु ने उन्हें, “अपने शत्रुओं से प्रेम करना” और “उनका भला करना सिखाया … जो आपसे नफरत करते हैं।”

यीशु अमरीका में शिक्षा देते हुए

व्यक्तिगत और राजनीतिक संबंधों के लिए बहुत ही प्रभावशाली शिक्षाएं! लेकिन यह अभी भी हमारे उद्धारकर्ता की आज्ञाएं हैं। मॉरमन की पुस्तक में हम पढ़ते हैं, “क्योंकि मैं तुमसे सच सच कहता हूं, जिसके पास मतभेद की आत्मा है वह मेरा नहीं है, परन्तु शैतान का है जो कि सारे मतभेदों का पिता है, और वह लोगों के हृदयों को क्रोध में, एक दूसरे से मतभेद करने के लिए भड़काता है” (3 नफी 11:29)।

अपने शत्रुओं और विरोधियों से प्रेम करना सरल नहीं हैं। “हम में से अधिकतर … प्रेम और क्षमा की उस अवस्था तक नहीं पहूंचे हैं,” अध्यक्ष गॉर्डन बी. हिंकली ने महसूस किया था, आगे कहते हैं, “इसके लिए हमारी क्षमता से अधिक आत्म-अनुशासन की आवश्यकता होती है।”2 लेकिन यह महत्वपूर्ण होना चाहिए, क्योंकि यह उद्धारकर्ता की दो महान आज्ञाओं “प्रभु अपने परमेश्वर से प्रेम रखो” और “अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखो” का हिस्सा है (मत्ती 22:37, 39)। और यह संभव होना चाहिए, क्योंकि उसने यह भी सीखाया था, “”मांगों, तो तुम्हें दिया जाएगा”(मत्ती 7:7)।3

हम किस प्रकार इन दिव्य आज्ञाओं का पालन उस संसार में कर सकते हैं जहां हम मनुष्य की व्यवस्था के अधीन भी हैं? सौभाग्य से, हमारे पास उद्धारकर्ता की शिक्षा और उदाहरण है कि मानव-निर्मित व्यवस्थाओं की व्यावहारिकता के साथ उसके स्वयं की अनंत व्यवस्थाओं को कैसे संतुलित किया जाए। जब विरोधी उसे एक प्रश्न से फंसाना चाहते थे कि क्या यहूदियों को रोम को करों का भुगतान करना चाहिए, तो उसने उनके सिक्कों पर कैसर की प्रतिमा की ओर इशारा किया और घोषणा की: “इसलिए जो कैसर का है, वह कैसर को दो और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो”(लूका 20:25) ।4

कैसर को दो

इसलिए, हमें नागरिक अधिकार के अधीन शांति से रहने के लिए मनुष्यों की व्यवस्था का पालन करना है (कैसर को देना है), और अपने अनंत गंतव्य की ओर आगे बढ़ने के लिए परमेश्वर की व्यवस्था का पालन भी करना है। लेकिन हम यह कैसे करें—विशेषकर हम अपने विरोधियों और शत्रुओं से प्रेम करना कैसे सीख सकते हैं?

उद्धारकर्ता की शिक्षा “क्रोध से मतभेद” नहीं करो, यह एक अच्छा पहला कदम है। शैतान मतभेद का पिता है, और वह लोगों को मतभेद करने के लिए भड़काता है। वह व्यक्तियों और समूहों के बीच शत्रुता और द्वेषपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देता है। अध्यक्ष मॉनसन ने सीखाया था कि क्रोध “शैतान का औजार है,” क्योंकि “क्रोध करना शैतान के प्रभाव में होना है। हमें कोई क्रोधित नहीं कर सकता है । इसे हम चुनते हैं।5 क्रोध करने से लोगों के बीच विभाजन और शत्रुता उत्पन्न होती है। जब हम उन लोगों के प्रति क्रोध और शत्रुता से बचते हैं जिनसे हम असहमत हों, तो हम अपने विरोधियों से प्रेम करने की ओर बढ़ते हैं। यह मदद भी करता है यदि हम उन से सीखने को भी तैयार रहते हैं ।

दूसरों से प्रेम करने की शक्ति विकसित करने के अन्य तरीकों में एक सरल विधि बहुत-पूरानी संगीत कथा के शब्दों में बताई गई है। जब हम किसी भिन्न संस्कृति के लोगों को समझने और जुड़ने का प्रयास करते हैं, तो हमें उन्हें जानने की कोशिश करनी चाहिए। अनगिनत परिस्थितियों में, अजनबियों के संदेह या यहां तक कि शत्रुता मित्रता या यहां तक कि प्रेम करने का मार्ग प्रशस्त करता है जब व्यक्तिगत संपर्क समझ और आपसी आदर उत्पन्न करती है।6

हमारे विरोधियों और हमारे शत्रुओं से प्रेम करना सीखने के लिए अधिक मदद के लिए प्रेम की शक्ति को खोजना होता है। इस बारे में बहुत सी भविष्यसूचक शिक्षाओं में से तीन इस प्रकार हैं।

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ ने सिखाया था कि “यह एक प्रचीनकाल की कहावत है कि प्रेम से प्रेम उत्पन्न होता है । आओ हम प्रेम की बौछार करें—संपूर्ण मानवजाति के प्रति अपनी दया को प्रकट करें।”7

अध्यक्ष हावर्ड डब्ल्यू. हंटर ने सिखाया था: “जिस संसार में हम रहते है उसे बहुत लाभ होगा यदि सभी स्थानों पर पुरुष और महिलाएं मसीह समान प्रेम प्रकट करते हैं, जोकि दया, नम्रता, और दीनता है। यह बिना बैर या घमंड है। … यह बदले में कुछ पाना नहीं है। … इसमें कट्टरता, घृणा या हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। … यह विविध लोगों को धार्मिक विश्वास, जाति-रंग, राष्ट्रीयता, आर्थिक स्थिति, शिक्षा, या संस्कृति में मतभेद किए बिना मसीही प्रेम में मिलकर रहने के लिए प्रोत्साहित करती है।8

और अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने हम से “पूरे मानव परिवार को गले लगाने के लिए प्रेम के हमारे दायरे का विस्तार” करने का आग्रह किया है।9

हमारे शत्रुओं को प्रेम करने का एक अनिवार्य हिस्सा हमारे विभिन्न देशों के व्यवस्थाओं का पालन करते हुए कैसर को देना है। यद्यपि यीशु की शिक्षाएं प्रभावशाली थी, उसने विद्रोह करने या कानून तोड़ने की शिक्षा नहीं दी थी। उसने एक बेहतर तरीका सीखाया था। वर्तमान प्रकटीकरण हमें यही सीखाता है:

“कोई मनुष्य देश की व्यवस्थाओं को न तोड़े,” आधुनिक प्रकटीरण आज्ञा देता है, “क्योंकि जो परमेश्वर की व्यवस्थाओं का पालन करता है उसे देश की व्यवस्थाओं को तोड़ने की आवश्यकता नहीं होती।

इसलिये, उन शक्तियों के आधीन रहो” (सिद्धांत और अनुबंध 58:21–22) ।

और हमारे विश्वास के अनुच्छेद, जिसे भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ द्वारा लिखा गया था जब आरंभिक संतों को मिस्सूरी के अधिकारियों से गंभीर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था, बताता है: “हम राजाओं, राष्ट्रपतियों, शासनकारियों और अधिकारियों के शासन में, व्यवस्था का पालन करने में, सम्मान देने में, और सहयोग देने में, विश्वास करते हैं”(विश्वास के अनुच्छे 1:12)।

इसका अर्थ यह नहीं है कि हम व्यवस्था के बल पर किए गए सभी कार्यों से सहमत होते हैं। इसका अर्थ है कि हमें वर्तमान व्यवस्था का पालन करना और इसे बदलने के लिए शांतिपूर्ण तरीके का उपयोग करना चाहिए। इसका यह भी अर्थ होता है कि हम चुनाव के परिणामों को शांतिपूर्वक स्वीकार करते हैं। हम परिणाम से निराश लोगों द्वारा धमकी दी गई हिंसा में भाग नहीं लेंगे।10 एक लोकतांत्रिक समाज में हम पास हमेशा अवसर और दायित्व होता है कि अगले चुनाव तक शांति बनाए रखें।

उद्धारकर्ता की शिक्षा हमारे शत्रु से प्रेम करने के लिए इस वास्तविकता पर आधारित है कि सभी मनुष्य परमेश्वर के प्यारे बच्चे हैं। इसे अमरिकियों ने कई शहरों में हाल के विरोधों में अनंत नियम और व्यवस्था के कुछ बुनियादी नियमों की परिक्षा की थी।

शांतिपूर्ण विरोध

कुछ हद तक, लगता है कुछ लोग यह भूल गए हैं कि संयुक्त राज्य के संविधान में पहला संशोधन “लोगों को शांतिपूर्वक इकट्ठा होने और शिकायतों के निवारण के लिए सरकार को याचिका देने के अधिकार की गारंटी देता है।” यह जन जागरूकता बढ़ाने और व्यवस्थाओं के विषय या प्रशासन में अन्याय पर ध्यान केंद्रित करने का अधिकृत तरीका है । और इसमें अन्याय रहा है। सार्वजनिक कार्यों और व्यक्तिगत रवैयों में हमें नस्लवाद और इससे संबंधित शिकायतें रही हैं। एक प्रेरणादायक व्यक्तिगत निबंध में रेवरेंड थेरेसा ए. काले लोगों की प्रगति के लिए राष्ट्रीय संघ (NAACP) के विशेष व्यक्ति ने हमें याद दिलाया है कि “नस्लवाद घृणा, उत्पीड़न, निष्क्रियता, उदासीनता और मौन से पनपती है।” 11 नागरिकों के रूप में और अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे के सदस्यों के रूप में, नस्लवाद जड़ से हटाने के लिए हमें बेहतर तरीके से मदद करनी चाहिए।

गैर-कानूनी विद्रोह

दूसरी ओर, इन विरोध प्रदर्शनों और उनके बाद किए गए अवैध कार्यों से लगता है कि इनमें भाग लेने वाले और समर्थक शायद भूल गए हैं कि संविधान द्वारा संरक्षित विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हैं । प्रदर्शनकारियों को संपत्ति को नष्ट करने, नुकसान पहुंचाने, या चोरी करने या सरकार की वैध पुलिस शक्तियों को कमजोर करने का कोई अधिकार नहीं है। संविधान और व्यवस्था में विद्रोह या अराजकता का कोई स्थान नहीं है । हम सभी-पुलिस, प्रदर्शनकारियों, समर्थकों और दर्शकों को-हमारे अधिकारों की सीमाओं और वर्तमान कानून की सीमाओं के भीतर रहने के हमारे कर्तव्यों के महत्व को समझना चाहिए। अब्राहम लिंकन ने सही कहा था: “ऐसी कोई शिकायत नहीं है जिसका निवारण भीड़ के द्वारा किया जाए।”12 भीड़ द्वारा शिकायतों का निवारण करना अवैध तरीकों से किया गया निवारण है। यह अराजकता है, एक ऐसी परिस्थिति है जिसमें कोई प्रभावी शासन नहीं है और कोई पुलिस नहीं है, जो व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करने के बजाय इसकी अनदेखी करती है।

संयुक्त राज्य में हाल ही में विरोध प्रदर्शन करने का एक कारण चौंकाने वाला था कि विभिन्न जातियों और अन्य देशों में अन्य समूहों के बीच महसूस की गई शत्रुता और अवैधता को संयुक्त राज्य में महसूस नहीं किया जाना चाहिए। इस देश को, न केवल काले अमेरिकियों के विरूद्ध नस्लवाद को नष्ट करने में बेहतर होना चाहिए है, जो हाल के विरोध में सबसे अधिक दिखाई दे रहे थे, लेकिन लेटिनियों, एशियाइयों, और अन्य समूहों में भी होना चाहिए। इस राष्ट्र का नस्लवाद का इतिहास ठीक नहीं रहा है और हम इससे बेहतर करना चाहिए ।

एलिस द्वीप
प्रवासी

संयुक्त राज्य विभिन्न देशों और विभिन्न जातियों के आप्रवासियों द्वारा स्थापित किया गया था। इसका एकीकृत उद्देश्य किसी विशेष धर्म की स्थापना करना या पूर्व देशों की किसी भी विविध संस्कृतियों या आदिवासी स्वामीभक्ति को बनाए रखना नहीं था। हमारी संस्थापक पीढ़ी ने एक नए संविधान और व्यवस्थायों द्वारा एकीकृत होने की इच्छा जाहिर की थी। इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे एकीकृत दस्तावेज या उनके अर्थ की उनकी तत्कालीन समझ परिपूर्ण थी। संयुक्त राज्य की पहली दो शताब्दियों के इतिहास में कई संशोधन की आवश्यकता दिखाई गई थी जैसे महिलाओं के लिए मताधिकार और विशेष रूप से गुलामी को समाप्त करने और यह आश्वासन है कि जो गुलाम बनाए गए थे उन्हें स्वतंत्रता की सभी शर्तों का आनंद लेना चाहिए था।

येल विश्वविद्यालय के दो विद्वानों ने हाल ही में हमें याद दिलाया है:

“यद्यपि इसमें बहुत सी कमियां हैं, फिर भी संयुक्त राज्य विशिष्ट रूप से एक विविध और विभाजित समाज को एकजुट करने में सक्षम है। …

“… इसके नागरिकों को राष्ट्रीय पहचान और बहुसंस्कृतिवाद के बीच चयन करने की जरूरत नहीं है । अमरिकियों में ये दोनों हो सकते हैं। लेकिन मुख्य बात संवैधानिक देशभक्ति है। हमें अपनी वैचारिक असहमतियों की परवाह किए बिना संविधान के द्वारा और इसके माध्यम से एकजुट रहना होगा।13

कई साल पहले एक ब्रिटिश विदेश सचिव ने हाउस ऑफ कॉमन्स में एक बहस में यह महान सलाह दी थी: “हमारा कोई स्थाई सहयोगी नहीं है और हमारा कोई स्थाई शत्रु नहीं है।” हमारे हितअनंत और स्थाई हैं, और इन हितों का पालन करना हमारा कर्तव्य है।14

यह “अनंत और स्थाई” हितों का पालन करने का एक अच्छा धर्मनिरपेक्ष कारण है । इसके अतिरिक्त, प्रभु के गिरजे का सिद्धांत हमें सिखाता है कि राजनीतिक मामलों सहित, अनंत हित जिन्हें हमारा मार्गदर्शन करना चाहिए: हमारे उद्धारकर्ता की शिक्षाएं हैं, जिन्होंने संयुक्त राज्य के संविधान और हमारे कई देशों के बुनियादी व्यवस्थाओं को प्रेरित किया था। अस्थायी “सहयोगियों” के बजाय स्थापित कानून के प्रति वफादारी हमारे विरोधियों और हमारे शत्रुओं से प्रेम करने का सबसे अच्छा तरीका है क्योंकि हम विविधता में एकता चाहते हैं।

यह जानते हुए कि हम सभी परमेश्वर के बच्चे हैं, हमें अन्य सभी के मूल्य और पूर्वाग्रह और नस्लवाद से ऊपर उठने की इच्छा और क्षमता का एक दिव्य दर्शन देता है। इस देश में विभिन्न राज्यों में कई वर्षों से रहते हुए प्रभु ने मुझे सिखाया है कि हमारे देश की व्यवस्थाओं का न केवल पालन करना और इसमें सुधार करना संभव है, बल्कि हमारे विरोधियों और हमारे शत्रुओं से प्रेम करना भी संभव है। जबकि सरल नहीं है, लेकिन यह हमारे प्रभु यीशु मसीह की प्रतिज्ञा की गई मदद से संभव है। उसने हमें प्रेम करने की आज्ञी दी थी, और वह सहायता की प्रतिज्ञा करता है जब हम इसका पालन करते हैं। मैं गवाही देता हूं कि हमें प्यार किया जाता है और स्वर्गयी पिता और उसके पुत्र, यीशु मसीह द्वारा हमारी सहायता की जाएगी। यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।

विवरण

  1. लूका 6:27–28, 30 भी देखें।

  2. Gordon B. Hinckley, “The Healing Power of Christ,” Ensign, Nov. 1988, 59; see also Teachings of Gordon B. Hinckley (1997), 230.

  3. सिद्धांत और अनुबंध 6:5 भी देखें ।

  4. मत्ती 22:21; मरकुस 12:17 भी देखें।

  5. Thomas S. Monson, “School Thy Feelings, O My Brother,” Liahona, Nov. 2009, 68.

  6. See Becky and Bennett Borden, “Moving Closer: Loving as the Savior Did,” Ensign, Sept. 2020, 24–27.

  7. Joseph Smith, in History of the Church, 5:517. इसी तरह, मार्टिन लूथर किंग जूनियर (1929-68) ने कहा था: “हिंसा के लिए हिंसा करना हिंसा बढ़ाता है, किसी स्थिति को बद से बदत्तर करने के समान है। अंधरे से अंधकार दूर नहीं होता है: केवल प्रकाश ही ऐसा कर सकता है। नफरत नफरत को दूर नहीं कर सकती है; केवल प्रेम ऐसा कर सकता है” (Where Do We Go from Here: Chaos or Community?” [2010], 64–65) ।

  8. Teachings of Presidents of the Church: Howard W. Hunter (2015), 263।

  9. Russell M. Nelson, “Blessed Are the Peacemakers,” Liahona, Nov. 2002, 41; see also Teachings of Russell M. Nelson (2018), 83.

  10. देखें “A House Divided,” Economist, Sept. 5, 2020, 17–20.

  11. Theresa A. Dear, “America’s Tipping Point: 7 Ways to Dismantle Racism,” Deseret News, June 7, 2020, A1.

  12. Abraham Lincoln, address at the Young Men’s Lyceum, Springfield, Illinois, Jan. 27, 1838, in John Bartlett, Bartlett’s Familiar Quotations, 18th ed. (2012), 444.

  13. Amy Chua and Jed Rubenfeld, “The Threat of Tribalism,” Atlantic, Oct. 2018, 81, theatlantic.com.

  14. Henry John Temple, Viscount Palmerston, remarks in the House of Commons, Mar. 1, 1848; in Bartlett, Bartlett’s Familiar Quotations, 392; emphasis added.