महा सम्मेलन
बदलाव कायम रखो
अक्टूबर 2020 महा सम्मेलन


9:37

बदलाव कायम रखो

यीशु मसीह के माध्यम से, हमें स्थाई परिवर्तन करने के लिए शक्ति दी जाती है। जब हम विनम्रतापूर्वक उसकी ओर मुड़ते हैं, तो वह बदलाव करने की हमारी क्षमता में वृद्धि करेगा।

बहनों, आपके साथ होना आनंद की बात है।

बाजार में भुगतान करना

कल्पना करें कि कोई बाजार जा रहा है एक चीज खरीदने के लिए। यदि वह दुकानदार को सामान की कीमत से अधिक पैसा देती है तो वह उसे पैसे वापस करेगा।

शेष पैसे पाते हुए

राजा बिन्यामीन ने प्राचीन अमेरिका में अपने लोगों को आश्चर्यजनक आशीषों के बारे में सीखाया था जिन्हें हम हमारे उद्धारकर्ता, यीशु मसीह से प्राप्त करते हैं। उसने स्वर्ग, पृथ्वी और सभी सुंदरता बनाई है जिसका हम आनंद लेते हैं।1 अपने प्रिय प्रायश्चित द्वारा, वह हमें पाप और मृत्यु से मुक्ति पाने का मार्ग उपलब्ध कराता है।2 जब हम परिश्रम से उसकी आज्ञाओं को जीने के द्वारा उसके प्रति कृतज्ञता दिखाते हैं, तो वह तुरंत हमें आशीष देता है, और हमें हमेशा उसका ऋणी बना देता है।

वह हमें बहुत कुछ देता है, उससे कहीं अधिक जिसे हम कभी भी उसे लौट पाते हैं। तो, हम उसे क्या दे सकते हैं, जिसने हमारे पापों की अनमोल कीमत चुकाई थी? हम उसे लौटा सकते हैं। हम उसे अपना बदलाव दे सकते हैं। यह विचारों में बदलाव, आदत में बदलाव या हम जिस दिशा में जा रहे हैं, उसमें बदलाव हो सकता है। हम में से प्रत्येक के लिए अमूल्य कीमत चुकाने के बदले में, प्रभु हमें हृदय परिवर्तन करने के लिए कहता है। वह हमसे जो परिवर्तन करने का अनुरोध करता है वह उसके लाभ के लिए नहीं है बल्कि हमारे लाभ के लिए है। इसलिए, उस खरीदार के विपरीत जो बाकी पैसों को वापस ले लेगी, हमारा अनुग्रहकारी उदधारकर्ता हमें इशारा करता है कि बदलाव कायम रखो

राजा बिन्यामीन द्वारा कहे गए वचनों को सुनने के बाद, उसके लोग चिल्ला उठे, एंव घोषणा की कि उनके हृदयों में बदलाव हुआ था, और कहने लगे, “क्योंकि सर्वशक्तिमान प्रभु की आत्मा ने हमारे भीतर यानि हमारे हृदय में एक महान परिवर्तन कर दिया है, … हम शैतान के कार्यों को नहीं करेंगे, लेकिन निरंतर भले कार्य ही करेंगे।”3 धर्मशास्त्र यह नहीं कहते हैं कि वे तुरंत परिपूर्ण हो गए थे; निश्चय ही, बदलने की उनकी इच्छा ने उन्हें कार्य करने के लिए मजबूर कर दिया था। उनके हृदय में बदलाव का अर्थ है प्राकृतिक पुरुष या महिला के स्वभाव को बदलना और आत्मा की प्रेरणा से यीशु मसीह के समान बनने के लिए प्रयास करना था।

अध्यक्ष हेनरी बी. आयरिंग सिखाते हैं: “सच्चा बदलाव विश्वास में स्वतंत्र रूप से, महान प्रयास और कुछ दर्द के साथ चाहने पर निर्भर करता है। फिर यह प्रभु है जो पवित्रकरण और परिवर्तन का चमत्कार … प्रदान कर सकता है।4 उद्धारकर्ता की हमें बदलने की क्षमता के साथ हमारे प्रयास शामिल करने से, हम नए प्राणी बन जाते हैं।

जब मैं छोटी थी, तो मैंने स्वयं को अनन्त जीवन के अपने लक्ष्य की ओर एक ऊपर, सीधे मार्ग पर बनाए रखने की कल्पना की थी। हर बार जब मैं कुछ गलत करती या कहती थी, तो मैं स्वयं को मार्ग में नीचे फिसलता महसूस करती, और अपनी यात्रा को नए सिरे से आरंभ करती थी। यह बच्चों के खेल सांप-सीढ़ी जैसा था जिसमें आप बोर्ड के ऊपर से फिसलकर नीचे के खाने में आकर खेल को फिर से आरंभ करते हैं! यह हतोत्साहित करता था! लेकिन जब मैं मसीह के सिद्धांत को समझने लगी 5 और कैसे इसे अपने जीवन में प्रतिदिन लागू करना था, तो मुझे आशा मिली थी।

परिवर्तन की प्रक्रिया में सहनशील होना शामिल है

यीशु मसीह ने हमें बदलाव के लिए एक सतत उदाहरण दिया है। वह हमें उस पर विश्वास करने के लिए आमंत्रित करता है, जो हमें पश्चाताप करने के लिए प्रेरणा देता है—“वही विश्वास और पश्चाताप हृदयों को बदल देता है।”6 जब हम पश्चाताप करते और अपने हृदयों को उसकी ओर मोड़ते हैं, तो हम पवित्र अनुबंधों को बनाने और जीने की अधिक इच्छा प्राप्त करते हैं। हम अपने जीवन भर इन नियमों को निरंतर लागू करने और प्रभु को हमें बदलने के लिए आमंत्रित करने के लिए अंत तक धैर्य रखते हैं। अंत तक धैर्य रखने का अर्थ है अंत तक बदलाव करते रहना । अब मैं समझती हूं कि मैं प्रत्येक असफल प्रयास के साथ फिर से आरंभ नहीं करती हूं, बल्कि प्रत्येक के साथ, मैं बदलाव की अपनी प्रक्रिया जारी रखती हूं।

युवतियों के थीम में एक प्रेरणादायक वाक्यांश है जिसमें दृढ़ता से कहा गया है, “मैं पश्चाताप के उपहार को संजोती हूं और प्रतिदिन सुधार करने की खोज करती हूं।” 7 मैं प्रार्थना करती हूं कि हम इस सुंदर उपहार को संजो कर रखें और कि हम स्वेच्छा से बदलाव की तलाश करें। कई बार हमें जिन बदलावों को करने की आवश्यकता होती है, वे गंभीर पाप से जुड़े होते हैं। लेकिन अक्सर, हम यीशु मसीह के गुणों को अपनाने के लिए अपने चरित्र को सभ्य करने का प्रयास करते हैं। हमारे प्रतिदिन के चुनाव हमरी प्रगति में या तो मदद करेंगे या इसमें बाधा डालेंगे। छोटे लेकिन स्थाई, एंव स्वेच्छा से किए गए बदलावों से हमें बेहतर बनने में मदद मिलेगी। निराश न हों। बदलाव एक जीवन-भर की प्रक्रिया है। मैं आभारी हूं कि बदलाव करने के हमारे संघर्षों दौरान, प्रभु धैर्य रखता है।

यीशु मसीह के माध्यम से, हमें स्थाई परिवर्तन करने के लिए शक्ति दी जाती है। जब हम विनम्रतापूर्वक उसकी ओर मुड़ते हैं, तो वह बदलाव करने की हमारी क्षमता में वृद्धि करेगा।

हमारे उद्धारकर्ता के प्रायश्चित की बदलने की शक्ति के अतिरिक्त, पवित्र आत्मा हमारा समर्थन और मार्गदर्शन करती है जब हम अपने प्रयास में आगे बढ़ेंगे। वह हमारी जानने में भी मदद कर सकती है कि हमें क्या बदलाव करने की जरूरत है। हम पौरोहित्य आशीषों, प्रार्थना, उपवास, और मंदिर में भाग लेने के द्वारा भी मदद और प्रोत्साहन प्राप्त कर सकते हैं।

इसी तरह परिवार के विश्वसनीय सदस्य, मार्गदर्शक और मित्र भी बदलाव की हमारी कोशिशों में सहायक साबित हो सकते हैं। जब मैं आठ साल की थी, तो मेरा बड़ा भाई, ली, और मैं अपने मित्रों के साथ समय बिताने के लिए पड़ोस के एक पेड़ की शाखाओं में खेलते हुए समय बीताते थे। हमें उस पेड़ की छाया में अपने मित्रों के साथ मिलकर समय बिताना अच्छा लगता था। एक दिन ली पेड़ से गिर गया और उसकी बांह टूट गई थी। एक टूटी हुई बांह के कारण उसके लिए स्वयं पेड़ पर चढ़ना कठिन हो गया था। लेकिन पेड़ में समय बिताना उसके बिना बिल्कुल भी वैसा नहीं लग रहा था। तो, हम में से कुछ ने उसे पीछे से थामा जबकि दूसरों ने उसकी ठीक बांह को ऊपर खींचा था और बिना अधिक प्रयास किए ली पेड़ में फिर चढ़ गया था। उसकी बांह अभी भी टूटी हुई थी, लेकिन वह हमारे साथ फिर से हमारी मित्रता का मजा ले रहा था जैसे वह पहले लेता था ।

मैंने अक्सर यीशु मसीह के सुसमाचार में हमारी गतिविधि की तुलना पेड़ में खेलने के अपने अनुभव से की है। सुसमाचार शाखाओं की छाया में, हम अपने अनुबंधों से जुड़ी बहुत सी आशीषों का आनंद लेते हैं। कुछ अपने अनुबंधों की सुरक्षा से गिर सकते हैं और उन्हें सुसमाचार शाखाओं में वापस चढ़ाने में हमारी मदद की जरूरत होती है। ऐसे में उनके लिए अपने दम पर वापस आना कठिन हो सकता है। क्या हम उन्हें इधर से या उधर से हल्का धक्का देकर और खींच कर हमारी संगति का फिर से आनंद लेने में उनकी सहायता कर सकते हैं?

यदि आप गिरने की चोट पीड़ित हैं, तो कृपया अपने अनुबंधों और उनके द्वारा मिलने वाली आशीषों में लौटने में दूसरों की सहायता स्वीकार करें। उद्धारकर्ता आपको चंगा होने और बदलने में मदद कर सकता है जबकि आप उन से घिरे होते हो जिन से आप प्रेम करते हो।

मैं अक्सर उन मित्रों से मिलती हूं जिन्हें मैंने एक लंबे समय से नहीं देखा होता है। कई बार वे कहते हैं, “तुम बिल्कुल नहीं बदली हो!” हर बार जब मैं यह सुनती हूं, तो मुझे शर्मिंदगी महसूस होती है, क्योंकि मैं आशा करती हूं कि मैं वर्षों में बदल गई हूं। मैं आशा करती हूं कि मैं कल से कुछ बदल गई हूं! मैं आशा करती हूं कि मैं कुछ दयालु, कम आलोचना करने वाली, और अधिक विनम्र हो गई हूं। मैं आशा करती हूं कि मैं दूसरों की आवश्यकताओं का जवाब तुरंत देती हूं, और मैं आशा करती हूं कि मैं सिर्फ थोड़ा अधिक धैर्यवान हो गई हूं।

मुझे अपने घर के पास पहाड़ों में पैदल चलना अच्छा लगता है। अक्सर, पगडंडी पर चलते हुए मेरे जूते में छोटा सा कंकड़ घुस जाता है। इसलिए, मैं रूकती हूं और अपने जूते को हिलाकर उसे निकालती हूं। लेकिन इससे मैं अचंभित होती हूं कि मैं कब तक दर्द को सहती हुई चलती हूं इससे पहले कि मैं रूककर अपने आप को इसे कंकड़ से छुटकारा दिलाऊं।

जब हम अनुबंध के मार्ग पर चलते हैं, तो कभी-कभी हमारे जूतों में कंकड़ों के रूप में गलत आदतें, पाप या बुरे व्यवहार घुस जाते हैं। जितनी जल्दी हम उन्हें हिलाकर अपने जीवन से बाहर करेंगे, तो हमारी नश्वर यात्रा उतनी ही अधिक आनंदपूर्ण होगी।

बदलाव को बनाए रखने के लिए प्रयास करना पड़ता है। मैं मार्ग में रूककर उस कष्टदायक और दर्दनाक कंकड़ को फिर से अपने जूते में डालने की कल्पना नहीं कर सकती हूं जिसे मैंने अभी-अभी हटाया था। मैं ऐसा बिलकुन नहीं करनी चाहती हूं जैसे कोई सुंदर तीतली फिर से अपने कोकून में लौटने का चुनाव करे।

मैं गवाही देती हूं यीशु मसीह के कारण, हम बदलाव कर सकते हैं । हम अपनी आदतों में बदलाव कर सकते हैं, अपने विचारों को बदल सकते हैं, और अपने चरित्र को परिष्कृत कर उसे के समान बन सकते हैं। और उसकी सहायता से, हम उस बदलाव को कायम रख सकते हैं। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।