महा सम्मेलन
उसके जैसा बनना
अक्टूबर 2020 महा सम्मेलन


10:21

उसके जैसा बनना

केवल उसकी दिव्य मदद से हम सब उसके जैसा बनने के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं।

यहां तक कि यीशु मसीह के जीवन और सेवकाई का होशियार छात्र के लिए भी, उद्धारकर्ता का कथन “वैसे जैसे कि मैं हूं” 1 कठिन और अप्राप्य प्रतीत होता है। शायद आप भी मेरे जैसे—अपनी सभी गलतियों और असफलताओं के बारे में जानते हो, इसलिए आप उस मार्ग पर चलना मानसिक रूप से अधिक आरामदायक समझते हो जिस मार्ग में कोई चढ़ाई न हो और विकास कम हो। “निश्चित रूप से, यह शिक्षा संभव नहीं लगती और बढ़-चढ़कर बताई जाती है”, हम इसके लिए तर्क देते हैं, जब हम ऐसे कम परिश्रम के कार्य का चयन करते हैं, जिसमें हमारी कम उर्जा खर्च होती है।

लेकिन क्या होगा यदि “वैसे जैसे कि [वह है]“ बनना लाक्षणिक न हो, बेशक हमारी नश्वरता में भी? क्या होगा यदि, कुछ हद तक, यह इस जीवन में संभव हो और, असल में, उसके साथ फिर से रहने के लिए एक आवश्यक शर्त हो ? क्या होगा यदि “वैसे जैसे कि मैं हूं” का अर्थ वही हो जो उद्धारकर्ता ने कहा है? फिर क्या होगा? फिर हम क्या प्रयास करेंगे कि उसकी उसकी चमत्कारिक शक्ति हमारे जीवन में आए ताकि हम अपना स्वभाव बदल सकें?

एल्डर नील ए. मैक्सवैल ने सीखाया था: “जब हम यीशु द्वारा उसके जैसे बनने की दी गई आज्ञा पर मनन करते हैं, तो हम देखते हैं कि हमारी वर्तमान परिस्थिति जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि, वह अवस्था है जिसमें हम उसके कार्य को आधे-अधूरे हृदय से और कम उत्साह से करते हैं—जोकि हमारा कार्य भी है!” हम उसकी प्रशंसा तो करते हैं लेकिन शायद उसका अनुसरण नहीं करते हैं।”2 एक युवा पास्टर, चार्ल्स एम. शेल्डन ने यही भाव इस प्रकार व्यक्त किए थे: “हमें सुसमाचार जीवन का सरल और आरामदायक होना इतना पसंद है कि हम मसीह के उस घोर कष्ट को जानते हुए जो उसने सलीब पर सहे थे हम अपनी सलीब उठाकर उसके पीछे चलने के लिए तैयार हो जाते हैं।”3

असल में, सभी को उसके समान बनने की आज्ञा दी गई है, वैसे ही जैसा यीशु मसीह पिता के समान बना था। 4 जब हम विकास करते हैं, तो हम अधिक परिपूर्ण, संपूर्ण और पूरी तरह विकसित हो जाते हैं।5 ऐसी शिक्षा किसी एक संप्रदाय के सिद्धांतों पर आधारित नहीं है बल्कि सीधे स्वामी से मिलती है। यह व्यक्ति द्वारा आज्ञाओं के अनुसार जीवन जीने, बात-चीत करने, और रिश्तों को बढ़ावा देने से संभव होता है। सच में, टूटे हुए रिश्तों या बटे हुए समाज के घावों को भरने का अन्य कोई तरीका नहीं है सिवाए इस के कि हम शांति के राजकुमार अर्थात मसीह का अनुसरण करें। 6

आओ हम विचार करें कि कैसे हम यीशु मसीह के गुणों को प्राप्त करके अपनी संपूर्ण इच्छा से उसके समान बनने के लिए उसका अनुसरण करना आरंभ करें।

निर्णय लें और समर्पित हों

कुछ वर्षों पहले, मेरी पत्नी और मैं जपान के सबसे ऊंचे पर्वत, फूजी की पगडंडी के सिरे पर खड़े थे। जब हमने ऊपर चढ़ना आरंभ किया तो हमने बहुत दूर शिखर की ओर देखा और सोचा क्या हम वहां पहुंच पाएंगे।

फूजी पर्वत

जब हम आगे बढ़े, तो हमें थकान, मांसपेशियों में दर्द और ऊंचाई के प्रभाव महसूस होने लगे। मानसिक रूप से, हमारे लिए केवल अगले कदम पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण हो गया था। हम कहते, “मैं जल्द ही चोटी पर नहीं पहुंच सकता हूं, लेकिन मैं यह अगला कदम उठा सकता हूं।” समय बीतने पर कठिन दिखने वाला कार्य अंतत: एक-एक-कदम द्वारा संभव हो पाया था।

यीशु मसीह के समान बनने के इस मार्ग पर पहला कदम ऐसा करने की इच्छा होना है। उसके समान बनने की आज्ञा को समझना अच्छा है, लेकिन समझने के साथ-साथ हमें स्वयं को बदलने की इच्छा की भी आवश्यकता होती है, एक समय पर एक कदम लेकर, हमारे प्राकृति स्वभाव से हटकर। 7 इस इच्छा का विकास करने के लिए, हमें जानना चाहिए कि यीशु मसीह कौन है। हमें उसके गुणों के बारे में जानना चाहिए, 8 और उसके गुणों की खोज हमें धर्मशास्त्रों, प्रार्थना सभाओं और अन्य पवित्र स्थानों पर करनी चाहिए। जब हम उसके बारे में अधिक जानना आरंभ करते हैं, तो हम उसके गुणों को दूसरों में देखेंगे। यह हमारी खोज को उत्साहित करेगा, क्योंकि यदि दूसरे कुछ हद तक उसके गुणों को प्राप्त कर सकते हैं, तो हम भी ऐसा कर सकते हैं।

यदि हम ईमानदारी से प्रयास करते हैं, तो हमारे भीतर का मसीह का प्रकाश 9हमें प्रेरणा देगा कि उद्धारकर्ता के समान गुण प्राप्त करने में अभी हमें अतिरिक्त कार्य करने की आवश्यकता है। 10 इस प्रकार की ईमानदारी अनिवार्य है यदि हमें उसके समान बनने का विकास करना है। अवश्य ही, ईमानदारी उसके गुणों में से एक है।

टेढ़ा-मेढ़ा दिखाने वाला मजाकिया शीशा

अब, हम में से जो साहसी हैं, वे एक विश्वसनीय परिवार के सदस्य, पति या पत्नी, दोस्त, या आत्मिक मार्गदर्शक से पूछ सकते हैं कि हमें यीशु मसीह के कौन से गुणों की आवश्यकता है—और जवाब पाने के लिए हमें शायद तैयार होना हो! कई बार हम अपने आप को मेले इत्यादि में विभिन्न प्रकार के दर्पणों में देखते हैं जिसमें हम बहुत मोटे या पतले या लंबे दिखाई देते हैं जितने हम वास्तव में नहीं होते हैं।

विश्वसनीय दोस्त और परिवार हमें स्वयं को उससे अधिक सही देखने में मदद कर सकते हैं जितना कि हम स्वयं को देख पाते हैं, लेकिन वे, कितना भी प्रेम करते और मददगार हों, बातों को पूरी तरह से नहीं देखते हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने प्रिय स्वर्गीय पिता से भी पूछें कि हमारी आवश्यकताएं क्या हैं और हमें अपने प्रयासों पर कहां ध्यान केंद्रित करना चाहिए। वह हमें परिपूर्णरूप से देखता है और प्रेम से हमारी कमजोरियां दिखाएगा। 11 हो सकता है आपको पता चले कि आपको अधिक धैर्य, विनम्रता, उदारता, प्रेम, आशा, परिश्रम, या आज्ञाकारिता, इत्यादि सीखने की आवश्यकता होगी।12

अधिक समय नहीं हुआ है, मुझे एक आत्मिक अनुभव हुआ था जिसमें गिरजे के एक सदस्य ने मुझे बताया कि मैं एक विशेष गुण का अत्याधिक उपयोग कर सकता था। उसने सच्चाई को छिपाया नहीं क्योंकि वह प्रेम करता था। उस रात, मैंने यह बात अपनी पत्नी को बताई थी। वह दयालु परोपकारी थी और वह उसकी बात से सहमत थी। पवित्र आत्मा ने मुझे पुष्टि दी कि उनकी सलाह प्रिय स्वर्गीय पिता की ओर से थी।

मेरा सुसमाचार सीखाओ के अध्याय 6 में मसीह समान गुण की गतिविधि को ईमानदारी से पूरा करना भी उपयोगी हो सकता है।

जब आप ईमानदारी से मसीह समान बनने को सोच लेते हैं और उस मार्ग पर चल पड़ते हैं, तो आपको पश्चाताप करने की आवश्यकता होगी। अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने प्रेम से सीखाया था: “जब हम पश्चाताप करने का चयन करते हैं, तो हम बदलने का चयन करते हैं! हम उद्धारकर्ता को हमारा सर्वोत्तम बनने के लिये बदलने की अनुमति देते हैं। हम आत्मिकरूप से विकास करना और आनंद प्राप्त करना चुनते हैं—उसमें मुक्ति का आनंद। जब हम पश्चाताप करने का चयन करते हैं, तो हम मसीह समान बनने का चयन करते हैं!” 14

यीशु मसीह समान बनने के लिए हम अपने हृदयों और मनों को, अर्थात हमारे चरित्र को बदलने की आवश्यकता होगी, और ऐसा केवल यीशु मसीह के अनुग्रह द्वारा ही संभव हो सकता है।15

पहचानना और कार्य करना

अब जबकि आपने बदलने और पश्चाताप करने और प्रार्थना, ईमानदारी से मनन करने, और दूसरों से सलाह करने के द्वारा मार्गदर्शन पाने का विचार कर लिया है, तो आपको उस गुण का चयन करना होगा जिस पर आप अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। आपको सार्थक प्रयास करने के लिए कटिबद्ध होने की आवश्यकता होगी। ये गुण बिना परिश्रम और तुंरत नहीं आएंगे, बल्कि उसके अनुग्रह द्वारा कठोर परिश्रम करते हुए ये धीरे-धीरे विकसित होंगे।

मसीह समान गुण हमें और हमारे आस-पास के लोगों को आशीषित करने के लिए प्रिय स्वर्गीय पिता के उपहार हैं। इसलिए, इन गुणों को प्राप्त करने के हमारे प्रयासों में उसकी दिव्य सहायता के लिए याचनाओं की आवश्यकता होगी। यदि दूसरों की बेहतर सेवा करने के लिए हम इन उपहारों को चाहते हैं, तो वह हमारे प्रयासों में आशीष देगा। अपने स्वार्थ के लिए परमेश्वर से उपहार चाहने से अंत में निराशा और हताशा हाथ लगती है।

एक आवश्यक गुण के लिए मुख्यरूप से केंद्रित रहने से, जब आप उस गुण को प्राप्त करने लगते हैं, तो आपको अन्य गुण स्वयं मिलने लगते हैं। जब कोई उदारता पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है तो क्या प्रेम और विनम्रता स्वयं नहीं बढ़ने लगता है? जब कोई आज्ञाकारिता पर ध्यान केंद्रित करता है तो क्या परिश्रम और आशा स्वयं नहीं बढ़ जाते हैं? एक गुण को प्राप्त करने के लिए आपके विशेष प्रयास दूसरे गुणों को भी बढ़ा देते हैं।

लिखो और पालन करो

मेरे लिये महत्वपूर्ण है जब मैं उसके समान बनने का प्रयास करता हूं तो अपने अनुभवों और जो मैं सीख रहा हूं उसे लिखूं। जब मैं उसके एक गुण का अपने मन में गहराई से अध्ययन करता हूं, तो धर्मशास्त्र मेरे लिए नया हो जाता है जब मैं उसकी शिक्षाओं, उसकी सेवकाई, और उसके शिष्यों में इस गुण के उदाहरण देखता हूं। मेरी आंखें उस गुण को दूसरों में देखने पर अधिक केंद्रित भी हो जाती हैं। मैंने गिरजे में और गिरजे के बाहर दोनों स्थानों पर ऐसे बेहतरीन लोगों को देखा है जिनमें उसके समान गुण हैं। वे इस बात के शक्तिशाली उदाहरण हैं कि कैसे ये गुण उसके अनुग्रह के द्वारा मनुष्यों में दिखाई दे सकते हैं।

वास्तविक विकास देखने के लिए, आपको निरंतर कठिन प्रयास करना होगा। जिस प्रकार पहाड़ पर चढ़ाई करने से पहले तैयारी करने के लिए धैर्य और दृढ़ता की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार इस यात्रा में भी कठिन प्रयास और बलिदान की आवश्यकता होगी। सुसमाचार का जीवन जीने में, हम अपने स्वामी के समान बनने का प्रयास करते हैं जिसके लिए हमेशा हमारे सर्वोत्तम प्रयासों की आवश्यकता होती है।16

अब एक संक्षिप्त चेतावनी। उसके समान होने की आज्ञा आपको दोषी, अयोग्य, या अप्रिय महसूस कराने के लिए नहीं है। हमारा संपूर्ण नश्वर अनुभव आगे बढ़ने, प्रयास करने, असफल होने, और सफल होने के बारे में है। यद्यपि मेरी पत्नी और मैंने कल्पना की थी कि पलक झपकते ही हम जादू से पर्वत की चोटी पर पहुंच जाएं, लेकिन जीवन इस तरह नहीं चलता है।

आप मेहनती हैं, आपसे प्रेम किया जाता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आप परिपूर्ण हो गए हैं। इस जीवन में और आने वाले जीवन में कार्य किया जाना अभी बाकी है। केवल उसकी दिव्य मदद से हम सब उसके समान बनने के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं।

ऐसे समय पर जब, “सब बातें व्याकुलता में [दिखाई देंगी]; और … [ऐसा प्रतीत होगा कि] सब लोगों पर भय आएगा,” 17 तो इसका केवल एक ही उपाय है, उद्धारकर्ता, 18 संपूर्ण मानवजाति के मुक्तिदाता, 19 संसार की ज्योति के 20 समान बनने का प्रयास करना, और उसे पाने का प्रयास करना जिसने कहा था, “मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं।” 21

मुक्तिदाता

मैं जानता हूं कि उसकी दिव्य सहायता और शक्ति से धीरे-धीरे उसके समान बना जा सकता है। यदि ऐसा नहीं होता, तो उसने यह आज्ञा को नहीं दी होती। 22 मैं इसे जानता हूं—क्योंकि मैंने उसके गुणों को आप में से बहुतों के भीतर देखता हूं। इन बातों की मैं यीशु मसीह के नाम में गवाही देता हूं, आमीन ।

विवरण

  1. 3 नफी 27:27 । उद्धारकर्ता की शिक्षाओं के लिए, देखें मत्ती5:48 (“इसलिये चाहिये कि तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा स्वर्गीय पिता सिद्ध है”); 1 यूहन्ना 2:6 (“सो कोई यह कहता है, कि मैं उस में बना रहता हूं, उसे चाहिए कि आप भी वैसा ही चले जैसा वह चलता था”); मुसायाह 3:19 (“क्योंकि प्राकृतिक मनुष्य परमेश्वर का शत्रु है, और आदम के पतन के समय से ही शत्रु था, और हमेशा हमेशा के लिए रहेगा, जब तक वह पवित्र आत्मा के आकर्षणों से आकर्षित नहीं होता, और अपनी स्वाभाविक प्रकृति का त्याग कर प्रभु मसीह के प्रायश्चित द्वारा संत बन कर, और बच्चों की तरह आज्ञाकारी, विनम्र, दीन, सहनशील, प्रेम से परिपूर्ण हो कर उन सारी बातों को जिन्हें प्रभु उनके लाभ के लिए लागू करता है, उसी तरह स्वीकार नहीं करता जैसे एक बच्चा अपने पिता की बातों को स्वीकार करता है”); अलमा 5:14 (“और अब देखो, गिरजे के मेरे भाइयों, मैं तुमसे पूछता हूं, क्या तुमने परमेश्वर में आत्मिक रूप से जन्म लिया है ?) क्या आपने अपने चेहरों में उसकी छवि प्राप्त की है?); 3 नफी 12:48 (“इसलिए मैं चाहूंगा कि तुम मेरे समान, और अपने उस पिता के समान परिपूर्ण हो जाओ जो स्वर्ग में है।”)

  2. Neal A. Maxwell, Even as I Am (1982), 16.

  3. Charles M. Sheldon, In His Steps (1979), 185.

  4. देखें सिद्धांत और अनुबंध 93:12–17

  5. देखें मत्ती 5:48, footnote b.

  6. देखें यशायाह 9:6; 2 नफी 19:26

  7. देखें 1 कुरूथिंयों 2:14; मुसायाह 3:19

  8. देखें मत्ती 7:23; 25:12; मुसायाह 26:24; footnotes to each scripture; David A. Bednar, “If Ye Had Known Me,” Liahona, Nov. 2016, 102–5 भी देखें।

  9. देखें सिद्धांत और अनुबंध 93:2

  10. देखें मॉरोनी 7:12–19

  11. देखें ईथर 12:27

  12. See Preach My Gospel: A Guide to Missionary Service, rev. ed. (2019), chapter 6, “How Do I Develop Christlike Attributes?” उद्धारकर्ता के अन्य गुणों के संदर्भ धर्मशास्त्र में बिखरे हुए हैं। कुछ उदाहरण हैं मुसायाह 3:19; अलमा 7:23; विश्वास के अनुच्छेद 1:13

  13. See Preach My Gospel, 132.

  14. Russell M. Nelson, “We Can Do Better and Be Better,” Liahona, May 2019, 67.

  15. See Bible Dictionary, “Grace”; Guide to the Scriptures, “Grace,” scriptures.ChurchofJesusChrist.org.

  16. See Sheldon, In His Steps, 246: “यदि ईसाई होने की हमारी परिभाषा मात्र उपासना करने विशेषाधिकारों का आनंद लेना है, और अपने स्वयं के उद्धार के लिए कुछ प्रयास नहीं करते हैं, भले मित्रों और आरामदायक वस्तुओं से घिरे बढ़िया समय व्यतीत करते हैं, सम्मानजनक रूप जीते और पाप के बोझ और परेशानी से दूर रहते हैं क्योंकि इन्हें सहना हमारी क्षमता से अधिक है—यदि हमारा ईसाई होने की यही परिभाषा है तो, अवश्य ही हम उसका अनुसरण नहीं कर रहे हैं जिसने संसार के पापों के लिए पीड़ा और कष्ट सहे थे, जिसका पसीना मानो लोहू की बड़ी बड़ी बूंदों की नाई भूमि पर गिरा था, जहां उसने बड़े शब्द से कराहते हुए कहा था, ‘हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?’”

  17. सिद्धांत और अनुबंध 88:91

  18. (देखें यशायाह 43:3

  19. देखें अय्यूब 19:25–25

  20. देखें यूहन्ना 8:12

  21. यूहन्ना 14:6

  22. देखें 1 नफी 3:7