देखने की आंखें
पवित्र आत्मा की शक्ति के माध्यम से, मसीह हमें अपनी तरह खुद को और दूसरों को देखने में सक्षम करेगा।
परमेश्वर के प्रभाव को देखना
मुझे पुराने नियम की यह कहानी पसंद हैं जो एक युवक के बारे में है, जो भविष्यवक्ता एलिशा की सेवा करता हैं। एक भोर को युवक उठा, बाहर चला गया, और उन्हें नष्ट करने आये एक महान सेना के इरादे से घिरा शहर पाया। वह एलिशा की और भागा: “हाय! मेरे स्वामी, हम क्या करें?“
एलिशा ने जवाब दिया, “मत डर; क्योंकि जो हमारी ओर हैं, वह उन से अधिक हैं, जो उनकी ओर हैं।”
एलिशा को पता था कि युवक को शांत आश्वासन से ज्यादा; दिव्य दर्शन की जरूरत है। तब “एलीशा ने यह प्रार्थना की, हे यहोवा, इसकी आंखें खोल दे कि यह देख सके। तब यहोवा ने सेवक की आंखें खोल दीं; और जब वह देख सका, तब क्या देखा, कि एलीशा के चारों ओर का पहाड़ अग्निमय घोड़ों और रथों से भरा हुआ है।“1
कई बार ऐसा भी होता है कि आप नौकर की तरह खुद को यह देखने के लिए संघर्ष करते हैं कि परमेश्वर आपके जीवन में कैसे मदद कर रहे हैं—जब आप पूर्णतया पराजित महसूस करते हैं—जब नश्वरता के मुसीबतें आपको विनम्र बनाते हैं। परमेश्वर और उसके समय की प्रतीक्षा करें और भरोसा रखें, क्योंकि आप उसके ह्रदय पर पूरा विश्वास कर सकते हैं। लेकिन यहां एक दूसरा सबक भी है। मेरी प्रिय बहनों और भाइयों, आप भी, प्रभु से प्रार्थना कर सकते हैं कि वे आपकी आँखें खोले कि उन चीजों को दिखाए दे जिन्हें आप सामान्य रूप से नहीं देखें सकते।
अपने आप को परमेश्वर के नजरिये से देखना समझें
हमारे लिए स्पष्ट रूप से देखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज यह कि परमेश्वर कौन है और हम वास्तव में कौन हैं—स्वर्गीय माता-पिता के पुत्र और पुत्रियां जो “दिव्य प्रकृति और अनन्त भाग्य” से भरपूर हैं ।”2 परमेश्वर से पूछिए इन सच्चाइयों को प्रकट करने के लिए, साथ ही वह आपके बारे में कैसा महसूस करता है। जितना अधिक आप अपनी वास्तविक पहचान और उद्देश्य, आत्मा-गहराई को समझेगें, उतना ही यह आपके जीवन की हर चीज को प्रभावित करेगा।
दूसरों को समझने का नजरिया
यह समझना कि परमेश्वर हमें किस नजरिये से देखता है, उसी प्रकार हमें दूसरों को देखने में मदद मिलेगी। कॉलमनिस्ट डेविड ब्रूक्स ने कहा: “हमारे समाज की बहुत सारी समस्याएं लोगों द्वारा देखी और महसूस नहीं की गई हैं। … जिस नजरिये से वह दूसरों को देखने में हमारी मदद करता है। [एक] मूल … विशेषता है कि जिसमें हम सभी को बेहतर होना है[, और वह है] एक दूसरे को गहराई से देखने और गहराई से देखने का गुण।”3
यीशु मसीह लोगों को गहराई से देखता है। वह व्यक्तियों, उनकी आवश्यकताओं और वह क्या बन सकता हैं, देखता हैं। जहाँ अन्य लोगों ने मछुआरों, पापियों या महसूल लोगों को देखा, यीशु ने शिष्यों को देखा; जहाँ अन्य लोगों ने भूतग्रस्त एक आदमी को देखा, यीशु ने अतीत के संकट को देखा, उसे अभिस्वीकृति किया, और उसे चंगा किया।4
अपने व्यस्त जीवन में भी, हम यीशु के उदाहरण का अनुसरण कर सकते हैं और व्यक्तियों को देख सकते हैं—उनकी ज़रूरतें, उनका विश्वास, उनका संघर्ष और वे भविष्य में कौन बन सकते हैं।5
जैसा कि मैं परमेश्वर से प्रार्थना करती हूं कि मेरी अपनी आंखें खोलने के लिए जिस से उन चीजों को देखूं जिन्हें मैं आमतौर पर नहीं देख सकती हूं, मैं अक्सर खुद से दो सवाल पूछती हूं और आने वाले प्रतिक्रियाओं पर ध्यान देती हूं: “ऐसा मैं क्या कर रही हूं जिसे कि मुझे नहीं करना चाहिए?” और “मैं क्या नहीं कर रही हूं जो मुझे शुरू करना चाहिए?”6
कई महीने पहले, प्रभुभोज के दौरान, मैंने खुद से ये सवाल पूछे और जो विचार आये, उससे हैरान थी। “जब आप कतार में इंतजार कर रहे हों तो अपने फोन को देखना बंद कर दें।” कतार में खड़े मेरा फोन देखना लगभग स्वाभाविक हो गया था; मुझे बहु कार्यण, ईमेल पर संबंध स्थापित करना, मुख्य समाचारको देखना या सोशल मीडिया फीड पठने का अच्छा अवसर मिलता हैं।
अगली सुबह, मैंने खुद को स्टोर में एक लंबी कतार में प्रतीक्षा करते हुए पाया। मैंने अपना फोन निकाला और फिर मुझे वह विचार ध्यान में याद आया। मैंने अपना फ़ोन रखा और इधर उधर देखा। मैंने अपने सामने एक बुजुर्ग सज्जन को देखा। कुछ बिल्ली के भोजन के डिब्बे और बाकि उसका कार्ट खाली था। मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था, पर वास्तव में चतुराई से ऐसे कहा, “मैं देख सकती हूं कि आपके पास एक बिल्ली है ।” उसने कहा कि एक तूफान आने वाला हैं,और वह बिल्ली के भोजन के बिना फसना नहीं चाहता था। हम ने थोड़ी देर बात की, और वह मेरी तरफ मुडा और कहा,”आप को पता हैं, कि आज मेरा जन्मदिन हैं, और ये मैंने किसी को नहीं बताया।“ मेरा ह्रदय भावनात्मक रूप से भावुक हो उठा। मैंने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और एक मौन प्रार्थना से धन्यवाद किया कि मैं अपने फोन में लीन नहीं थी और किसी अन्य ज़रूरतमंद व्यक्ति के साथ सही मायने में देखने और जुड़ने का अवसर नष्ट कर देती।
मैं अपने पूरे हृदय से जेरिको के सड़क पर पाए याजक या लेवी की तरह नहीं बनना चाहती—जो देखते है और गुजर जाते है।7 लेकिन काई बार मुझे लगता है कि मैं वैसी हूं।
मेरे लिए परमेश्वर के उद्देश्य काे देखना
मैंने हाल ही में रोजलिन नामक एक युवती से गंभीरतापूर्वक से देखने के बारे में एक महत्वपूर्ण सबक सीखा।
यह कहानी मेरे दोस्त ने मेरे साथ साझा की थी जो तबाह हो गई थी जब 20 साल के बाद उसका पति उसे छोड़ कर चला गया था। माता-पिता के बीच अपने बच्चों के बंटवारे के समय के साथ, अकेले गिरजा में भाग लेने की संभावना कठिन लग रही थी। वह बताती है:
“एक ऐसे गिरजे में जहाँ परिवार को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है, वहाँ अकेला बैठना दर्दनाक हो सकता है। उस पहले रविवार के दिन मैं प्रार्थना कर के चली गई कि कोई मुझसे बात नहीं करेगा। मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप के संभाल रखा था, और आँसू कगार पर थे। मैं अपने विशिष्ट स्थान पर बैठी रही, उम्मीद करती रही कि कोई भी ध्यान नहीं देगा कि बेंच कितना खाली लग रहा था।
“हमारे वार्ड की एक युवती ने मेरी ओर देखा। मैंने मुस्कुराने का नाटक किया। वह भी मुसकराई। उसके चेहरे पर मैं वह चिंता देख सकती थी। मैंने चुपचाप निवेदन किया कि वह मुझसे बात करने ना आए - मेरे पास कहने के लिए कुछ भी सकारात्मक नहीं था और मुझे पता था कि मैं रो दूंगी। मैंने वापस अपनी गोद में देखा और आँख से दूसरों के संपर्क से बची।
“अगले घंटे के दौरान, मैंने उसे कभी-कभार मेरी तरफ देखते हुए देखा। जैसे ही बैठक समाप्त हुई, वह सीधे केरे पास चली आई। ‘हाई रोसलीन,’ मैंने धीमे स्वर में कहा। उसने मुझे अपनी बाँहों में लपेट लिया और बोली,, सिस्टर स्मिथ, मैं बता सकती हूँ कि आज का दिन आपके लिए बुरा है। मुझे बहुत दुःख है। मैं आप से प्रेम करती हूं।” जैसा कि सोचा था, मेरे आंसू आ गए, क्योंकि उसने मुझे फिर से गले लगाया। लेकिन जब मैं चली गई, तो मैंने सोचा, ‘शायद मैं यह सब कर सकती हूं।’
“वह प्यारी 16 वर्षीय युवती, जो कम से कम मेरे से आधी उम्र की थी उसने मुझे उस वर्ष हर रविवार को गले लगाया और पूछती थी, ‘आप कैसे हैं?’ इससे मुझे गिरजे में आने के बारे में महसूस करने में फर्क पड़ा। सच तो यह है कि मैं उस गले मिलने की क्रिया पर भरोसा करने लगी थी। किसी ने मुझे देखा। किसी को मालूम था कि मैं वहां थी। किसी ने परवाह की।“
जैसा कि पिता सभी उपहारों को इतनी खुशी से प्रदान करते हैं, हमें गंभीरतापूर्वक से देखने की आवश्यकता है कि हम उनसे पूछें—और उसके बाद कार्य करें । पूछें दूसरों को जैसे वह देखते हैं वैसे हे हम उन्हें देखें—उसके सच्चे बेटे और बेटियां जाे अनंत और दैवीय क्षमता रखते हैं। फिर अधिनियम प्रेम से, सेवा और संकेत के रूप में उनकी मूल्य और क्षमता की पुष्टि करें। जैसे ही यह हमारे जीवन जीने का एक नियम बन जाता है, हम खुद को “यीशु मसीह के सच्चे अनुयायी” बनाने लगेंगे।”8 दूसरे अपने पुरे ह्रुदय से हम पर भरोसा कर सकेंगे। और इस नियम में, हम हमारी स्वयं की वास्तविक पहचान और उद्देश्य की भी खोज कर सकते हैं।
मेरे दोस्त ने उसी खाली जगह पर बैठेते हुए एक और अनुभव को याद किया, अकेले, सोच रही थी कि क्या उसके घर में सुसमाचार को जीने का 20 साल का सारा प्रयास महत्वहीन था। उसे तसल्ली आश्वासन करने से अधिक आवश्यकता थी; उसे दृष्टिकोण की आवश्यकता थी। एक सवाल उसके ह्रुदय को चुभा: “तुमने उन चीजों को क्यों किया? क्या तुमने उन्हें प्रतिफल, दूसरों की प्रशंसा या वांछित परिणाम के लिए किया था?” वह एक पल के लिए झिझकी, उसका दिल में ढूंढा, और फिर आत्मविश्वास से जवाब देने में सक्षम रही, “मैंने उन्हें इसलिए किया क्योंकि मैं उद्धारकर्ता से प्यार करती हूं। और में उसके सुसमाचार इस प्रेम करती हूं। प्रभु ने उसकी आँखें खोलीं उसे देखने में मदद किया। उस के परिस्थितियों के बावजूद, इस सरल लेकिन शक्तिशाली परिवर्तित परिकल्पना ने उसकी मसीह में विश्वास करके आगे बढ़ने में मदद की।
मैं गवाही देती हूं कि यीशु मसीह हमसे प्रेम करते है और हमें देखने की आंखें दे सकता है— यहां तक कि जब यह कठिन होता है, यहां तक कि जब हम थक जाते हैं, यहां तक कि जब हम अकेले हों, और यहां तक कि जैसी हमें उम्मीद थी वैसा परिणाम नहीं मिलता। उसकी महिमा से, वह हमें आशीष देगा और हमारी क्षमता बढ़ाएगा। पवित्र आत्मा की शक्ति के माध्यम से, मसीह हमें स्वयं देखने में सक्षम करवाएगा और ऐसे दूसरों को देखें जैसे वह देखता है। उसकी मदद से, हम समझ सके कि सबसे ज़्यादा क्या ज़रूरत है। हम और गंभीर तौर से देखेंगे जब हम अपने जीवन के सामान्य विवरणों को और प्रभु के माध्यम से कार्य को देखना शुरू करेंगें।
और फिर, उस महान दिन में “ताकि जब वह आएगा तब हम उसके समान होंगे, क्योंकिहम उसका वास्तविक रूप देख सकेंगे; ताकि हम इस आशा को प्राप्त कर सकें”9यही मेरी यीशु मसीह के नाम में प्रार्थना है, आमीन।