महा सम्मेलन
धार्मिकता और एकता में बंधे हुए हृदय
अक्टूबर 2020 महा सम्मेलन


14:44

धार्मिकता और एकता में बंधे हुए हृदय

हमारे गिरजे के इतिहास में इस 200 साल के महत्वपूर्ण समय पर, आओ हम स्वयं को धार्मिकरूप से रहने और एकजुट होने के लिए इतना प्रतिबद्ध करें जितना पहले कभी नहीं किया था।

धार्मिकता और एकता अत्याधिक महत्वपूर्ण हैं ।1 जब लोग परमेश्वर को अपने संपूर्ण हृदयों से प्रेम करते और धार्मिकता से उसके समान बनने का प्रयास करते हैं, तो समाज में बहुत कम संघर्ष और विवाद होता है। इसमें अधिक एकता होती है। मुझे एक घटना बहुत अच्छी लगती है जो इसका उदाहरण है।

जब एक युवक, जनरल थॉमस एल. केन ने, जो हमारे गिरजे का नहीं था संतों की मदद और बचाव किया था जब उन्हें नावू को छोड़ना पड़ा था। वह कई वर्षों तक गिरजे का समर्थक था।2

1872 में, जनरल केन, उसकी प्रतिभाशाली पत्नी, एलिजाबेथ वूड केन, और उनके दो बेटे अपने घर पैनसिलविनिया से सॉल्ट लेक सिटी आए थे। वे ब्रिघम यंग और उनके सहयोगियों के साथ सेंट जॉर्ज, यूटाह से दक्षिण की यात्रा पर गए थे। एलिजाबेथ ने यूटाह के लिए अपनी प्रथम यात्रा महिलाओं के बारे में चिंताओं के साथ की थी। कुछ बातें जो उसे पता चली थी उनसे वह आश्चर्यचकित थी। उदाहरण के लिए, उसने पाया कि किसी भी कैरियर जिसके द्वारा कोई महिला नौकरी कर सकती थी यूटाह में उसकी छूट थी।3 उसे यह भी पता चला कि गिरजे के सदस्य दयालु और मूल निवासी अमेरिकियों के संबंध को समझते थे । 4

यात्रा के दौरान वे थॉमस आर. और माटिल्डा रॉबिसन किंग के घर फिलमोर में रुके थे।5

एलिजाबेथ ने लिखा है कि जब माटिल्डा अध्यक्ष यंग और उनके साथियों के लिए भोजन तैयार कर रही थी, उसी तरह पांच अमेरिकी मूलनिवासी कमरे में आए थे। हालांकि वे बिन बुलाए आए थे, फिर भी यह स्पष्ट था कि वे साथियों में शामिल होना चाहते थे। बहन किंग उनसे “उनके बोली में बात कर रही थी।” वे अपने कंबल के साथ अपने चेहरे पर मुस्कान लिए बैठ गए। एलिजाबेथ ने किंग के एक बच्चे से पूछा, “तुम्हारी मां ने उन लोगों से क्या कहा था?”

माटिल्डा के बेटे ने जवाब दिया था “उसने कहा, ये लोग पहले आए थे, और मैंने केवल उनके लिए ही पकाया है; लेकिन आपका भोजन अभी पकने के लिए चुल्हे पर रखा है, और जैसे ही यह तैयार होता है मैं आपको फोन करूंगी ।”

एलिजाबेथ ने पूछा, “क्या वह सच में ऐसा करेंगी, या उनको रसोई-द्वार पर बचा हुआ खाना दे देगी?”6

माटिल्डा के बेटे ने जवाब दिया, “मां उनको ठीक वैसे ही अपनी मेज पर खाना खिलाएगी जैसे वह आपको खिला रही हैं ।”

और उन्होंने वैसा ही किया, और “उन्होंने हमारी तरह ही मेज पर भोजन दिया गया था।” एलिजाबेथ ने बताया था कि माटिल्डा उनकी नजर में कुशल और शालीन मेजबान थी।7 एकता तब अधिक बढ़ जाती है जब लोगों के साथ गरिमा और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाता है, भले ही वे भिन्न संप्रदाय के हों ।

मार्गदर्शकों के रूप में, हम इस भ्रम में नहीं हैं कि अतीत में सभी रिश्ते परिपूर्ण थे, सभी आचरण मसीह के समान थे, या सभी निर्णय एकदम उचित थे। हालांकि, हमारा विश्वास सिखाता है कि हम सभी स्वर्ग में हमारे पिता के बच्चे हैं, और हम उसकी और उसके पुत्र, यीशु मसीह, जो हमारे उद्धारकर्ता है की उपासना करते हैं। हमारी इच्छा है कि हमारे ह्रदय धार्मिकता और एकता के बंधन बंधे हों, और हम उनमें एक रहें।8

धार्मिकता एक व्यापक शब्द है, लेकिन इसमें अवश्य ही जीवित परमेश्वर की आज्ञाएं सम्मिलित हैं।9 यह हमें उन पवित्र विधियों के योग्य बनाता है जो अनुबंध के मार्ग को स्थापित करते हैं और हमें आशीष देते हैं ताकि आत्मा हमारे जीवन का निर्देशन करे।10

धर्मी होने का अर्थ यह नहीं है हम में से प्रत्येक को इस समय हमारे जीवन में हर आशीष मिलेगी। हो सकता है अभी हम विवाहित न हों या हमारे पास बच्चे या अन्य आशीषें न हों। लेकिन प्रभु ने प्रतिज्ञा की है कि जो धर्मी विश्वासी रहते हैं “वे अनंत सुख की स्थिति में परमेश्वर के साथ रहेंगे।”11

एकता भी एक बहुत व्यापक शब्द है, लेकिन अनिवार्य रूप से परमेश्वर और हमारे पड़ोसियों से प्रेम करने की पहली और दूसरी महान आज्ञाओं का उदाहरण है।12 यह बताती है कि सिय्योन के लोगों के हृदय और मन “एकता के बंधन में बंधे” होते हैं।13

मेरे संदेश का संदर्भ भिन्न और पवित्र शास्त्रों से लिए पाठ है।

1820 में पिता और उसके पुत्र के पहली बार दिखाई देने और यीशु मसीह के सुसमाचार की पुन:स्थापना हुए 200 साल बीत चुके हैं। मॉरमन की पुस्तक में 4 नफी के एक वर्णन में उद्धारकर्ता के प्रकट होने और प्राचीन अमेरिका में अपने गिरजा स्थापित करने के बाद की इसी तरह की 200 साल की अवधि शामिल है।

4 नफी में एक ऐतिहासिक अभिलेख में उन लोगों का वर्णन है जिनमें कोई शत्रुता नहीं थी, न ही झगड़ा, न हंगामा, न वेश्यावृत्ति, न झूठ-कपट, न हत्या, और न ही किसी प्रकार की कामुकता थी। इस धार्मिकता के कारण अभिलेख बताता है, “ जितने लोग परमेश्वर के हाथों द्वारा रचे गए थे, उन सारे लोगों में निश्चय ही इन लोगों से अधिक कोई भी आनंदमय नहीं था।” 14

इस एकता के संदर्भ में, 4 नफी में लिखा है, “परमेश्वर के उस प्रेम के कारण जो कि लोगों के हृदयों में बसा था, प्रदेश में कोई विवाद नहीं हुआ।” 15

दुर्भाग्य से, 4 नफी एक नाटकीय परिवर्तन की व्याख्या करता है जो “दो सौ एकवें वर्ष में आरंभ हुआ था,”16जब अधर्म और बटवारे ने धार्मिकता और एकता को नष्ट कर दिया था। तब हुई भ्रष्टता की गहराई बाद में इतनी बुरी थी कि अंततः महान भविष्यवक्ता मॉरमन ने अपने बेटे मोरोनी को विलाप करते हुए लिखा था:

“परन्तु हे मेरे बेटे, इस प्रकार के लोग कैसे हो सकते हैं, जिनकी खुशी इतनी घृणित हो गई—

“हम कैसे आशा कर सकते हैं कि परमेश्वर इनके विरूद्ध न्याय करने में अपने हाथ को रोकेगा?”17

इस युग में, हालांकि हम एक विशेष समय में रहते हैं, जहां संसार 4 नफी में बताई धार्मिकता और एकता से आशीषित नहीं है । असल में, हम विशेष रूप से शक्तिशाली विभाजन के एक पल में रहते हैं। हालांकि, यीशु मसीह के सुसमाचार को स्वीकार करने वाले लाखों लोगों ने धार्मिकता और एकता दोनों को प्राप्त करने के लिए स्वयं को कटिबद्ध किया है। हम सभी जानते हैं कि हम इससे बेहतर कर सकते हैं और आज के समय में यही हमारी चुनौती है। हम संपूर्ण समाज को ऊपर उठाने और आशीषित करने के लिए एक ताकत बन सकते हैं। हमारे गिरजे के इतिहास में इस 200 साल के महत्वपूर्ण समय पर, आओ हम आपस में प्रभु के गिरजे के सदस्यों के रूप में धार्मिकरूप से और एकता में इस तरह से बंध जाएं जितना पहले कभी बंधे थे। अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने हमें “अधिक सभ्य, नस्लीय और जातीय सद्भाव और पारस्परिक सम्मान प्रदर्शित करने के लिए कहा है।”18 इसका अर्थ है एक दूसरे और परमेश्वर से प्रेम करना और सच में सिय्योन लोग होने के नाते सभी को भाई-बहन के रूप में स्वीकार करना।

हमारे सर्वसमावेशी सिद्धांत के साथ, हम एकता का मरूद्वीप हो सकते हैं और विविधता का आनंद मना सकते हैं । एकता और विविधता विपरीत नहीं हैं । हम अधिक से अधिक एकता प्राप्त कर सकते हैं जब हम विविधता में समावेश और सम्मान के वातावरण को बढ़ावा देते हैं। इसअवधि के दौरान मैंने सैन फ्रांसिस्को कैलिफोर्निया स्टेक अध्यक्षता में सेवा की थी, हमारे पास स्पेनी-, स्पेनिश-, टोंगन-, समोआन-, तागालोग-, और मंदारिन-भाषा-बोलने वाली मंडलियां थीं। हमारे अंग्रेजी बोलने वाले वार्ड कई नस्लीय और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोगों से बने थे। इनमें प्रेम, धार्मिकता, और एकता थी।

अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे में वार्ड और शाखाओं का विभाजन भूगोल और भाषा द्वारा निर्धारित किया जाता है, 19 जाति या संस्कृति के आधार पर नहीं। सदस्यता रिकॉर्ड पर जाति की पहचान नहीं लिखी जाती है।

मसीह के जन्म से लगभग 550 साल पहले मॉरमन की पुस्तक के आरंभ में, हमें स्वर्ग में पिता के बच्चों के बीच संबंधों के बारे में मूलभूत आज्ञा सिखाई जाती है। सभी प्रभु की आज्ञाओं का पालन करना है, और सभी को प्रभु की अच्छाई में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है; “और उन सब को उसके पास आने और उसकी भलाई में भाग लेने का निमंत्रण देता है; और वह, काले और गोरे, गुलाम और स्वतंत्र, पुरूष और स्त्री किसी को भी अपने पास आने के लिए मना नहीं करता है; और वह मूर्तिपूजक को भी याद करता है; और यहूदी और अन्यजाति दोनों परमेश्वर के लिए समान हैं।”20

उद्धारकर्ता की सेवकाई और संदेश ने निरंतर सभी जातियों को घोषणा की है कि सभी जातियां और रंग परमेश्वर के बच्चे हैं। हम सब भाई और बहन हैं । अपने सिद्धांत में हम मानते हैं कि पुन:स्थापना के लिए मेजबान देश, संयुक्त राज्य अमेरिका में, अपूर्ण लोगों द्वारा लिखा गया अमेरिकी संविधान 21और संबंधित दस्तावेज, 22सभी लोगों को आशीष देने के लिए परमेश्वर से प्रेरित थे। जब हम सिद्धांत और अनुबंध पढ़ते हैं, तो ये दस्तावेज “लोगों की व्यवस्था और संविधान के अनुसार, जिसे [परमेश्वर ने] स्थापित होने की अनुमति दी है, और सभी लोगों के अधिकार और सुरक्षा को कायम रखना चाहिए, न्याय और पवित्र नियमों के अनुसार।”23 इनमें से दो नियम स्वतंत्रता और अपने स्वयं के पापों के लिए जिम्मेदारी थे। प्रभु ने घोषणा की थी:

“इसलिये, यह उचित नहीं है कि कोई मनुष्य एक दूसरे की दासता में हो।

“और इस उद्देश्य के लिये मैं इस प्रदेश के संविधान को स्थापित किया है, बुद्धिमान मनुष्यों के द्वारा जिन्हें मैंने इस उद्देश्य के लिये ऊपर उठाया, और लहू बहाने के द्वारा इस प्रदेश को मुक्त किया था।”24

यह प्रकटीकरण 1833 में प्राप्त हुआ था जब मिस्सूरी में संतों को बहुत अत्याचार सहना पड़ रहा था। सिद्धांत और अनुबंध खंड 101 का शीर्षक का कुछ अंश इस प्रकार है: “उपद्रवी भीड़ ने उन्हें जैक्सन काउंटी में उनके घरों से भगा दिया था। … गिरजे के सदस्यों के विरूद्ध हत्या की धमकियां बहुत सी थी।”25

यह कई मोर्चों पर तनाव का समय था। बहुत से मिस्सूरी निवासी अमेरिकी मूल निवासियों को कट्टर शत्रु मानते थे और उन्हें देश से हटा देना चाहते थे। इसके अतिरिक्त, मिस्सूरी बसने वालों में बहुत से गुलाम मालिक थे और वे उनसे खतरा महसूस करते थे जो गुलामी के खिलाफ थे।

इसके विपरीत, हमारा सिद्धांत मूल निवासी अमरिकियों का सम्मान करता था और हमारी इच्छा उन्हें यीशु मसीह का सुसमाचार सिखाने की थी। गुलामी के संबंध में हमारे धर्मशास्त्रों ने स्पष्ट कर दिया था कि कोई भी मनुष्य दूसरे को बंधन में नहीं बंध सकता था।26

अंततः, संतों को हिंसकरूप से मिस्सूरी से बाहर खदेड़ दिया 27और फिर पश्चिम की ओर जाने के लिए मजबूर किया था ।28 संत समृद्ध हुए और उस शांति को पाया जो धार्मिकता, एकता और यीशु मसीह का जीवित सुसमाचार के साथ मिलती है।

मुझे उद्धारकर्ता की मध्यस्थ प्रार्थना में आनंद मिलता है जो यूहन्ना के सुसमाचार में लिखी है। उद्धारकर्ता ने स्वीकार करता है कि पिता ने उसे भेजा था और उद्धारकर्ता ने उस कार्य को पूरा कर दिया था जिसे करने के लिए उसे भेजा गया था। फिर उसने अपने शिष्यों और उन लोगों के लिए प्रार्थना की थी जो मसीह में विश्वास करेंगे: “ताकि वे सब एक हों; जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, वैसे ही वे भी हम में हों।”29 इस एकता के लिए मसीह ने अपने साथ विश्वासघात किए जाने और सलीब पर चढ़ाए जाने से पहले प्रार्थना की थी ।

यीशु मसीह के सुसमाचार की पुन:स्थापना के पहले वर्ष में, सिद्धांत और अनुबंध के खंड 38 लिखा गया था, जिसमें प्रभु युद्ध और दुष्टता की बात करता है और घोषणा करता है, “मैं तुम से कहता हूं, एक रहो; और यदि तुम एक नहीं हो तो तुम मेरे नहीं हो।” 30

हमारे गिरजे की संस्कृति यीशु मसीह के सुसमाचार से प्रभावित है। रोमियों को प्रेरित पौलुस की पत्री प्रभावशाली है।31 रोम में आरंभिक गिरजा यहूदियों और अन्यजातियों से मिलकर बना था। इन आरंभिक यहूदियों के पास एक यहूदी संस्कृति थी और उन्होंने “अपनी मुक्ति प्राप्त की थी, और वृद्धि और प्रगति करने लगे थे।32

रोम में अन्यजातियों में एक महत्वपूर्ण यूनानी प्रभाव वाली संस्कृति थी, जिसे प्रेरित पौलुस ने एथेंस और कुरिंथ में अपने अनुभवों के कारण अच्छी तरह से समझा था।

पौलुस व्यापक तौर से यीशु मसीह के सुसमाचार को स्थापित करता है। वह यहूदी और गैर-यहूदी संस्कृति दोनों के प्रासंगिक पहलुओं को लिखता है 33जो यीशु मसीह के सच्चे सुसमाचार के साथ संघर्ष करते हैं। वह अनिवार्य रूप से उनमें से प्रत्येक को उनके विश्वासों और संस्कृति से उन बाधाओं को छोड़ने के लिए कहता है जो यीशु मसीह के सुसमाचार के अनुरूप नहीं हैं। पौलुस यहूदियों और अन्यजातियों को आज्ञाओं का पालन करने, एक-दूसरे से प्रेम करने का उपदेश देता है और कि धार्मिकता उद्धार की ओर ले जाती है।34

यीशु मसीह के सुसमाचार की संस्कृति गैर-यहूदी या यहूदी संस्कृति नहीं है। यह किसी की त्वचा के रंग या जहां वह रहता है उसके द्वारा निर्धारित नहीं की जाती है। जब हम विभिन्न संस्कृतियों में आनंदित होते हैं, तो हमें उन संस्कृतियों के उन पहलुओं को पीछे छोड़ देना चाहिए जो यीशु मसीह के सुसमाचार के साथ विरोध उत्पन्न करते हैं। हमारे सदस्य और नए परिवर्तित अक्सर विविध नस्लीय और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से आते हैं । यदि हमें बिखरे हुए इस्राएल एकत्रित करने के लिए अध्यक्ष नेलसन की आज्ञा का पालन करना है, तो हम पाएंगे कि हम यहूदियों और अन्यजातियों के समान भिन्न हैं जैसे पॉल समय में थे। फिर भी हम यीशु मसीह में हमारे प्रेम और विश्वास में एकजुट किए जा सकते हैं। रोमियों को पौलुस की पत्री इस नियम को स्थापित करती है कि हम यीशु मसीह के सुसमाचार की संस्कृति और सिद्धांत का पालन करते हैं । यह आज भी हमारे लिए आदर्श है। 35 मंदिर की विधियां हमें विशेष तरीकों से एकजुट करती हैं और हमें अनंतकाल के लिए महत्वपूर्ण तरीके से एक होने की अनुमति देती हैं।

हम संसार भर में अपने पथप्रदर्शक सदस्यों का सम्मान करते हैं, इसलिए नहीं कि वे परिपूर्ण थे, बल्कि इसलिए कि उन्होंने कठिनाइयों पर काबू पाया था, बलिदान किए थे, मसीह के समान बनना चाहते थे, और विश्वास का निमार्ण करने और उद्धारकर्ता के साथ एक होने के लिए प्रयासरत थे। उद्धारकर्ता के साथ उनकी एकता ने उन्हें एक-दूसरे के साथ एक कर दिया। आज यह नियम आपके लिए और मेरे लिए सच है।

अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे के सदस्यों के लिए सिय्योन के लोग बनने का आह्वान है, जो एक हृदय और एक मन हैं और धार्मिकता में निवास करने का प्रयास करते हैं।36

यह मेरी प्रार्थना है कि हम धर्मी और एकता में रहेंगे और पूर्णरूप से हमारे उद्धारकर्ता, यीशु मसीह की सेवा और आराधना करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जिसकी मैं गवाही देता हूं। यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।

विवरण

  1. देखें सिद्धांत और अनुबंध 38:27

  2. सदस्यों की ओर से थॉमस केन की सेवा को निरंतर “एक युवा आदर्शवादी द्वारा निस्वार्थ बलिदान के कार्य के रूप में बताया गया है, जिसने क्रूर और शत्रुतापूर्ण बहुसंख्यकों द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ किए गए अन्याय को देखा था” (introduction to Elizabeth Wood Kane, Twelve Mormon Homes Visited in Succession on a Journey through Utah to Arizona, ed. Everett L. Cooley [1974], viii)।

  3. See Kane, Twelve Mormon Homes, 5.

  4. See Kane, Twelve Mormon Homes, 40.

  5. See Lowell C. (Ben) Bennion and Thomas R. Carter, “Touring Polygamous Utah with Elizabeth W. Kane, Winter 1872–1873,” BYU Studies, vol. 48, no. 4 (2009), 162.

  6. स्पष्ट है, एलिजाबेथ ने उस समय मान लिया था कि अधिकतर अमरिकी लोग मूल निवासियों को सिर्फ बचा हुआ भोजन देते थे और उनके साथ अन्य मेहमानों से भिन्न व्यवहार किया जाता था।

  7. See Kane, Twelve Mormon Homes, 64–65. गौरतलब है कि कई प्रमुखों सहित कई मूल निवासी अमरिकी गिरजे के सदस्य बने थे। See also John Alton Peterson, Utah’s Black Hawk War (1998) 61; Scott R. Christensen, Sagwitch: Shoshone Chieftain, Mormon Elder, 1822–1887 (1999), 190–95.

  8. इस युग में “और ऐसा होगा कि धर्मी सभी राष्ट्रों के बीच से निकल कर एकत्रित होंगे, और सिय्योन को आएंगे, अनंत आनंद के गीत गाते हुए” (सिद्धांत और अनुबंध 45:71)।

  9. देखें सिद्धांत और अनुबंध 105:3–5 । धर्मशास्त्रों ने गरीबों और जरूरतमंदों की देखभाल को धार्मिकता का एक आवश्यक तत्व के रूप में माना है।

  10. देखें अलमा 36:30; 1 नफी 2:20; मुसायाह 1:7 भी देखें। अलमा 36:30 के अंतिम भाग में लिखा है, “जितना तुम परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन नहीं करोगे उतना ही तुम्हें उसकी उपस्थिति से अलग किया जाएगा। अब ऐसा उसके वचन के अनुसार है।”

  11. मुसायह 2:41 । अध्यक्ष लोरैंजो स्नो (1814–1901) ने सीखाया था: “ऐसा कोई अंतिम-दिनों का संत नहीं है जो विश्वासी जीवन जीने के बाद मर जाता है वह जीवन में कुछ भी खोएगा क्योंकि वह कुछ कार्य करने में असफल रहता है जब उसे कार्य करने के अवसर प्रदान नहीं किए जाते हैं। अन्य शब्दों में, यदि किसी युवक या युवती को विवाह करने का कोई अवसर नहीं मिलता है, और वे अपनी मृत्यु के समय तक विश्वासी जीवन जीते हैं, तो उनके पास वह सभी आशीषें, उत्कर्ष और महिमा होगी जो किसी भी पुरुष या महिला के पास होगी जिसे यह अवसर मिला था और इसमें सुधार किया था। यह निश्चित और साकारात्मक है” (Teachings of Presidents of the Church: Lorenzo Snow [2012], 130)। See also Richard G. Scott, “The Joy of Living the Great Plan of Happiness,” Ensign, Nov. 1996, 75 भी देखें।

  12. देंखें 1 यूहन्ना 5:12

  13. मुसायाह 18:21;देंखें मूसा 7:18

  14. 4 नफी 1:16

  15. 4 नफी 1:15

  16. 4 नफी 1:24

  17. देखें मोरोनी 9:13-14

  18. Russell M. Nelson, in “First Presidency and NAACP Leaders Call for Greater Civility, Racial Harmony,” May 17, 2018, newsroom.ChurchofJesusChrist.org; see also “President Nelson Remarks at Worldwide Priesthood Celebration,” June 1, 2018, newsroom.ChurchofJesusChrist.org.

  19. सिद्धांत और अनुबंध 90:11 लिखा है, “प्रत्येक व्यक्ति सुसमाचार की परिपूर्णता … उसकी स्वयं की भाषा में सुनेगा।” इसके अनुसार, भाषा मंडली इकाइयों को आमतौर पर मंजूरी दे दी जाती है।

  20. 2 नफी 26:33

  21. See Constitution of the United States.

  22. See United States Declaration of Independence (1776); Constitution of the United States, Amendments I–X (Bill of Rights), National Archives website, archives.gov/founding-docs.

  23. सिद्धांत और अनुबंध 101:77; महत्व जोड़ा गया है।

  24. सिद्धांत और अनुबंध 101:79–80

  25. सिद्धांत और अनुबंध 101, खंड शीर्षक।

  26. See Saints: The Story of the Church of Jesus Christ in the Latter Days, vol. 1, The Standard of Truth, 1815–1846 (2018), 172–74; James B. Allen and Glen M. Leonard, The Story of the Latter-day Saints, 2nd ed. (1992), 93–94; Ronald W. Walker, “Seeking the ‘Remnant’: The Native American during the Joseph Smith Period,” Journal of Mormon History, vol. 19, no. 1 (Spring 1993), 14–16.

  27. See Saints, 1:359–83; William G. Hartley, “The Saints’ Forced Exodus from Missouri, 1839,” in Richard Neitzel Holzapfel and Kent P. Jackson, eds., Joseph Smith, the Prophet and Seer (2010), 347–89; Alexander L. Baugh, “The Mormons Must Be Treated as Enemies,” in Susan Easton Black and Andrew C. Skinner, eds., Joseph: Exploring the Life and Ministry of the Prophet (2005), 284–95.

  28. See Saints: The Story of the Church of Jesus Christ in the Latter Days, vol. 2, No Unhallowed Hand, 1846–1893 (2020), 3–68; Richard E. Bennett, We’ll Find the Place: The Mormon Exodus, 1846–1848 (1997); William W. Slaughter and Michael Landon, Trail of Hope: The Story of the Mormon Trail (1997).

  29. यूहन्ना 17:21

  30. सिद्धांत और अनुबंध 38:27

  31. रोमियों को लिखी पत्री व्यापकरूप से सिद्धांत घोषित करती है। नए नियम में रोमियों में ही प्रायश्चित का एकमात्र उल्लेख है। मैं यीशु मसीह के सुसमाचार के माध्यम से विविध लोगों को एक करने के लिए रोमियों की पत्री की सराहना करने आया था जब मैंने कई जातियों और संस्कृतियों के सदस्यों के साथ एक स्टेक अध्यक्ष के रूप में सेवा की थी जो कई अलग-अलग भाषाएं बोलते थे।

  32. Frederic W. Farrar, The Life and Work of St. Paul (1898), 446.

  33. See Farrar, The Life and Work of St. Paul, 450 .

  34. देखें रोमियों 13

  35. See Dallin H. Oaks, “The Gospel Culture,” Liahona, Mar. 2012, 22–25; see also Richard G. Scott, “Removing Barriers to Happiness,” Ensign, May 1998, 85–87.

  36. देखें मूसा 7:18