महा सम्मेलन
पुत्र का उत्तम उपहार
अक्टूबर 2020 महा सम्मेलन


9:46

पुत्र का उत्तम उपहार

यीशु मसीह के माध्यम से, हम अपनी नैतिक विफलताओं की पीड़ा से बच सकते हैं और हमारे नश्वर दुर्भाग्य के अयोग्य पीड़ाओ को दूर कर सकते हैं।

पिछली गर्मियों में आओ, मेरा अनुसरण करो पाठ पढ़ते हुए, मैं अलमा के संदेश से प्रभावित हुआ जब वह अपने सभी पापों के बारे में पूरी तरह से सचेत हो गया, और वहां “कुछ भी इतनाउत्तमऔर कड़वा नहीं था जितना [उसका]दर्द था।”1 मैं मानता हूं कि सात-मिलीमीटर गुर्दे की पथरी से मेरी लड़ाई के कारण ही उस सप्ताह आंशिक रूप से दर्द की कही गई बात पर मेरा ध्यान गया। कभी भी एक आदमी ने ऐसी “महान चीज़ों” का अनुभव नहीं किया होगा जब एक “छोटी और सरल” चीज़ “पारित करने के लिए” लाई गई हो। “2

अलमा की भाषा मेरे लिए भी थी क्योंकि शब्द उत्तम, मॉरमन की पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद में, आमतौर पर असाधारण सुंदरता या अद्वितीय भव्यता की चीजों का वर्णन करता है। उदाहरण के लिए, जोसफ स्मिथ ने ध्यान दिलाया कि स्वर्गदूत मोरोनी ने “उत्तम सफेदी” के वस्त्र पहने थे, एक ऐसी सफेदी जो उन्होंने कहा कि “सांसारिक सफेदी से भी परे थी ” जो कभी नहीं देखी थी।3 फिर भी उत्तम भी भयानक चीजों के लिए भी अत्यधिक तीव्रता को व्यक्त कर सकता हैं। इस प्रकार, अलमा और शीर्ष शब्दकोशों ने अति पीड़ा को “पीड़ा”, “कष्ट देना”, और “सताना” को “सबसे बड़ा स्तर” कहा है।4

अलमा की कल्पना में इस तथ्य को दर्शाया गया है कि किसी भी समय हमारे द्वारा किए गए हर पाप के पूर्ण, कष्टदायी अपराध को हमे महसूस करना चाहिए। न्याय यह मांग करता है और परमेश्वर खुद इसे बदल नहीं सकता।5 जब अलमा ने अपने “सभी” पापों को याद किया—विशेष रूप से उन पापों को जिन्होंने दूसरों के विश्वास को नष्ट कर दिया था—उसका दर्द वास्तव में असहनीय था, और परमेश्वर के सामने खड़े होने के विचार ने उसे “अवर्णनीय भय ” से भर दिया। उसने दुख से कहा कि “आत्मा और शरीर दोनों नष्ट हो सकते हैं।”6

हलांकि अलमा के लिए सब कुछ बदलने लगा, वह कहता है, “उसका मन” “यीशु मसीह के आने पर लग गया … जो संसार के पापों का प्रायश्चित करने के लिए आएगा” और वह “[अपने] हृदय के भीतर रोया: हे यीशु, तू परमेश्वर का पुत्र है, मुझ पर दया कर।” उस एक विचार और उस एक दलील के साथ, अलमा “अति” आनंद से भर गया “जितना ही [उसका] दर्द था।”।”7

हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि पश्चाताप का उद्देश्य कुछ दुख लेना और उसे उत्तम आनंद में बदलना है। उसकी “तत्कालीन अच्छाई,” 8 के लिए धन्यवाद, जैसे ही हम विश्वास और वास्तविक पछतावे, एक ह्रदय— का सच्चे परिवर्तन के साथ उद्धारकर्ता— की ओर मुड़ते हैं, हमारे पापों का वजन हमारी पीठ से उसकी ओर स्थानांतरित होने लगता है। यह केवल इसलिए संभव हुआ क्योंकि वह जिसने बिना पाप के “अनंत और अवर्णनीय पीड़ा को सहा”9 उसके निर्मित संपूर्ण संसार में हर एक पाप के लिए, उसकी सभी सभी रचनाओं के लिए —एक इतनी गंभीर पीड़ा, की उसके हर एक छिद्र से खून बाहर निकलने लगा। व्यक्तिगत अनुभव से, उद्धारकर्ता आज के धर्मशास्त्र में, हमें इस प्रकार चेतावनी देता है, हम सोच भी नहीं सकते कि अगर हम पश्चाताप नहीं करते तो हमारे “कष्ट” कैसे “अति भयवा” होंगे। लेकिन अथाह उदारता के साथ वह यह भी स्पष्ट करता है कि “मैं, परमेश्वर, ने इन सब पीड़ा को सबके लिए सहा है, कि यदि वे पश्चाताप करें तो वे पीड़ा नहीं सहेंगे”10—पश्चाताप एक “स्वाद” “आनंद से अधिक” जो अलमा ने चखा।11 इस एक सिद्धांत में, “मैं आश्चर्यचकित हूं।”12 फिर भी, आश्चर्यजनक रूप से, मसीह और भी अधिक प्रदान करता है।

कभी-कभी अधिक पीड़ा पाप से नहीं, बल्कि ईमानदार गलतियों, दूसरों के कार्यों के कारण या हमारे नियंत्रण से परे ताकतों से आती है। इन क्षणों में, आप धर्मी भजन गा कर रो सकते हैं:

“मेरे हृदय में मेरे भीतर दर्द भरा है: और मौत का आतंक मुझ पर गिर रहा हैं।

“… और डर ने मुझे भयभीत कर दिया है।

“… ओह, काश मेरे पास कबूतर! की तरह पंख होते तब मैं दूर उड़ जाता, और आराम करता। ”13

चिकित्सा विज्ञान, पेशेवर सलहाकार या कानूनी सुधार ऐसे कष्ट को कम करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन ध्यान दें, सभी अच्छे उपहार—यह वाले भी—उद्धारकर्ता से आते हैं।14 हमारे सबसे बुरे दिन और मनोव्यथा के कारणों के बावजूद, राहत का अंतिम स्रोत एक ही है: यीशु मसीह। वह अकेले ही हर गलती को सुधारने, हर गलत को सही करने, हर खामी को समेटने, हर जख्म को मिटाने और हर विलंबित आशीष को देने के लिए पूरी शक्ति और उपचारात्मक मरहम काअधिकार रखता है। पुराने गवाहों की तरह, मैं भी गवाही देता हूं कि “हमारे पास एक ऐसा उच्च याजक नहीं है जिसे हमारी दुर्बलताओं की भावना से छुआ नहीं जा सकता है,” 15 बल्कि एक प्रेमपूर्ण उद्धारक है जो अपने सिंहासन से उतरा है और हर तरह के प्रलोभन, पीड़ा को सहन किया है… वह जानता है … कैसे अपने लोगों को आगे बढ़ाना और बचाना है।16

आज किसी के लिए भी दर्द इतना तीव्र या इतना अनोखा है कि आपको लगता है कि कोई और पूरी तरह से उनकी सराहना नहीं कर सकता, आपके पास एक तर्क हो सकता है। ना कोई परिवार का सदस्य, मित्र, या पुरोहिती लीडर—हालांकि प्रत्येक व्यक्ति संवेदनशील और अच्छी तरह से अर्थ वाले हो सकते है —जो जानते है कि आप क्या महसूस कर रहे हैं या सही शब्दों में जो आपको ठीक करने में मदद करते हैं। लेकिन यह जानिए: कोई है जो पूरी तरह समझता है, आप क्या अनुभव कर रहे हैं, वह जो “सारी पृथ्वी से शक्तिशाली है”17और जो “सब से ऊपर है “ जो कुछ भी करने में सक्षम है, [आप] जो भी पूछें या सोचें।”18 यह प्रक्रिया उसके तरीके से और उसके समय के अनुसार होगी, लेकिन मसीह आपकी हर छोटी पीड़ा को ठीक करने के लिएहमेशा तैयार है।

जैसे ही आप उसे ऐसा करने देते हैं, आप जानेंगे की आपकी पीड़ा व्यर्थ नहीं थी। बाईबल के कई महान नायकों और उनके दुखों के बारे में बात करते हुए, प्रेरित पौलुस ने कहा है कि “परमेश्वर … ने उनके कष्टों के माध्यम से उनके लिए कुछ बेहतर चीजें प्रदान कीं, बिना किसी कष्ट के उन्हें पूर्ण नहीं बनाया जा सकता था।”19 आप देखते हैं, परमेश्वर का स्वभाव और हमारे सांसारिक अस्तित्व का उद्देश्य खुशी है,20 लेकिन हम उन अनुभवों के बिना परमेश्वर के आनन्द के पूर्ण प्राणी नहीं बन सकते हैं, कभी-कभी हमारे बहुत ही मूल के लिए। जैसा कि पौलुस ने बार-बार बताया हैं, उद्धारकर्ता कष्टों के माध्यम से ही सदा “परिपूर्ण [या पूर्ण] बनाया गया था।”21 तो शैतान की कानाफूसी से खुद को बचायें कि यदि आप एक बेहतर व्यक्ति है, तो आप इस तरह के परीक्षणों से बचेंगे।

आपको उस झूठ का भी विरोध करना चाहिए जो आपके कष्टों में सुझाव देता है कि आप परमेश्वर के चुने हुए लोगों के घेरे के बाहर खड़े हो जाये, जो एक धन्य राज्य से दूसरे में धीमे धीमे बढ़ते हैं। इसके बजाय, अपने आप को प्रक्टीकर्ता यूहन्ना के रूप में देखें जिसने निश्चित रूप से आपको बाद के दिनों के राजसी प्रकटीकरण में देखा। यूहन्ना ने दृष्‍टि की, और देखो,एक ऐसी बड़ी भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था हर एक जाति और कुल और लोग और भाषा में से, [जो] सिंहासन के सामने और श्‍वेत वस्त्र पहिने मेम्ने के सामने खड़ी है, और बड़े शब्द से पुकारकर कहती है “उद्धार के लिये हमारे परमेश्‍वर का, जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ने की जय-जय कार हो।”22

जब पूछा,“ये श्‍वेत वस्त्र पहिने हुए कौन हैं? और कहां से आए हैं? यूहन्ना ने कहा: “ये वे हैं, जो उस महाक्लेश,में से निकलकर आए हैं, इन्होंने अपने-अपने वस्त्र मेम्ने के लहू में धोकर श्‍वेत किए हैं।23

भाइयों और बहनों, धार्मिकता में पीड़ित होना आपको परमेश्वर के चुने हुए से अलग करने के बजाय, आपको योग्य बनाने में मदद करता है। और यह उनके वादों को आपके वादे बनाता है। यहुन्ना के अनुसार “वे फिर भूखे और प्यासे न होंगे; और न उन [तुम], पर धूप, न कोई तपन पड़ेगी। मेम्ना, जो सिंहासन के बीच में है, [तुम] को खिलायेगा, और [तुम] को जीवित जल के फव्वारे के निकट ले जायेगा: और परमेश्वर [तुम्हारी] आखों से सभी आंसू पोंछ डालेगा।”24

“और न मृत्यु होगी, न दुःख, न ही रोना, और न ही कोई और पीड़ा होगी।”25

मैं आपको इस बात की गवाही देता हूं कि यीशु मसीह और उसकी असीम प्रायश्चित वाली भलाई के माध्यम से, हम अपनी नैतिक अयोग्यताओं असफलताओं के दुखों से बच सकते हैं और अपनी नश्वर विपत्तियों की दुर्भाग्य भरी पीड़ाओं से छुटकारा पा सकते हैं। उसकी दिशा के तहत, आपका अनंत सफर अद्वितीय महान और अवर्णनीय आनंद में से एक होगा —एक खुशी जो आपके लिए इतनी गहन और इतनी अनोखी है,कि यह “सांसारिक किसी भी चीज से परे” साबित होगी।26 मैं आपको आमंत्रित करता हूं वाे करने के लिए जो अलमा ने किया था: कि आप इस खुशी का स्वाद ले सकें और हमेशा : अपने मन को दृढ़ता से परमेश्वर के अति सुंदर उपहार उसके पुत्र को माने, जैसा कि उसका सुसमाचार बताता है इस में ,उसके सच्चे और जीवित गिरजे में। यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।