पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 136


खंड 136

अध्यक्ष बिग्रम यंग द्वारा दिया गया प्रभु का वचन और इच्छा कैंप इस्राएल के ओमाहा राष्ट्र के विंटर क्वाटर्स में, मिसूरी नदी के पश्चिमी तट पर, कॉउंसिल ब्लफ्स, आयोवा के निकट ।

1–16, कैसे कैंप इस्राएल को संगठित करना है पश्चिम ओर यात्रा के लिए समझाया जाता है; 17–27, संतों को अनगिनत सुसमाचार आर्दशों के द्वारा जीने का आदेश दिया जाता है; 28–33, संतों को गाना, नाचना, प्रार्थना करना, और ज्ञान सीखना चाहिए; 34–42, भविष्यवक्तों को मारा जाता है ताकि उनका सम्मान हो और दुष्ट की निंदा ।

1 प्रभु का वचन और इच्छा कैंप इस्राएल के संबंध में पश्चिम की उनकी यात्राओं में:

2 अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे के लोग, और वे जो उनके साथ यात्रा करते हैं, समूह में संगठित हों, प्रभु हमारे परमेश्वर की सभी आज्ञाओं और नियमों का पालन करने के अनुबंध और प्रतिज्ञा के साथ ।

3 समूह सौ का प्रधान, पचास का प्रधान, और दस का प्रधान, के साथ संगठित हों, एक अध्यक्ष और उसके दो सलाहकार उनके ऊपर, बारह प्रेरितों के निर्देशन के अंतर्गत ।

4 और यह हमारा अनुबंध होगा—कि हम प्रभु की सभी विधियों का जीवन में पालन करेंगे ।

5 प्रत्येक समूह स्वयं को जानवरों, ठेलों, भोजन-वस्तुओं, कपड़ों और यात्रा के लिए अन्य जरूरी वस्तुओं को उपलब्ध कराए, जो वे कर सकते हैं ।

6 जब समूह संगठित हो जाएं वे अपनी क्षमता से चल पड़ें, उनकी तैयारी करने के लिए जो पीछे रह जाते हैं ।

7 प्रत्येक समूह, अपने प्रधानों और अध्यक्षों के साथ, निश्चय करें कितने अगली बंसत में जा सकते हैं; फिर पर्याप्त संख्या में योग्य शारीरिक क्षमता वाले और निपुण लोगों को चुनें, जानवरों, बीजों, और खेती-बाड़ी के औजारों को ले जाने के लिए, बसंत की फसल को उगाने पथप्रदर्शक के रूप में जाने के लिए ।

8 प्रत्येक समूह समान अनुपात में अपनी संपत्ति के हिस्से के अनुसार गरीब, विधवाओं, अनाथों, और उनके परिवारों को संभाले जो सेना में गए हुए हैं, ताकि विधवा और अनाथ की चिल्लाहट प्रभु के कानों तक न पहूंचे इन लोगों के विरूद्ध ।

9 प्रत्येक समूह घर, और बढ़ते आनाज के लिए खेत तैयार करे, उन के लिए जो इस मौसम में पीछे रह गए हैं; और यह प्रभु की इच्छा है अपने लोगों के संबंध में ।

10 प्रत्येक पुरूष अपने संपूर्ण प्रभाव और संपत्ति का उपयोग करे इन लोगों को उस स्थान पर ले जाने के लिए जहां प्रभु सिय्योन का स्टेक स्थापित करता है ।

11 और यदि तुम इसे शुद्ध हृदय के साथ करते हो, संपूर्ण विश्वसनीयता में, तुम आशीषित होगे; तुम अपने झुंड में आशीषित होगे, और अपने झुंडों में, और अपने खेतों में, और अपने घरों में, और अपने परिवारों में ।

12 मेरे सेवक एज्रा टी. बेनसन और एरास्टस स्नो समूह संगठित करें ।

13 और मेरे सेवक ओरसन प्रैट और विलफोर्ड वूडरफ समूह संगठित करें ।

14 मेरे सेवक एमासा लीमन और जॉर्ज ए. स्मिथ भी समूह संगठित करें ।

15 और अध्यक्षों, और सौ के, और पचास के, और दस के प्रधानों को नियुक्त करें ।

16 और मेरे सेवक जो नियुक्त हुए हैं जाएं और यह सीखाएं, मेरी इच्छा, संतों को, ताकि वे शांति के प्रदेश को जाने के लिए तैयार हों ।

17 अपने मार्ग पर जाओ और करो जैसा मैंने तुम्हें कहा है, और अपने शत्रुओं से भयभीत न हो; क्योंकि उनके पास मेरे कार्य को रोकने की शक्ति न होगी ।

18 सिय्योन मेरे स्वयं के उचित समय में पुनास्थापित होगा ।

19 और यदि कोई व्यक्ति स्वयं आगे बढ़ना चाहता है, और मेरी सलाह नहीं चाहता, तो उसके पास कोई शक्ति न होगी, और उसकी मूर्खता प्रकटी की जाएगी ।

20 तुम प्रयास करो; और अपनी सारी प्रतिज्ञाओं का एक दूसरे के साथ पालन करो; और उसका लालच मत करो जो तुम्हारे भाई का है ।

21 स्वयं को प्रभु का नाम व्यर्थ में लेने की बुराई से बचो, क्योंकि मैं प्रभु तुम्हारा परमेश्वर हूं, वास्तव में तुम्हारे पूर्वजों का परमेश्वर, इब्राहीम का और इसहाक का और याकूब का परमेश्वर ।

22 मैं वह हूं जो इस्राएल की संतान को मिस्र प्रदेश से बाहर निकाल लाया था; और मेरी भुजा अंतिम दिनों में प्रकट की जाएगी, इस्राएल के मेरे लोगों को बचाने के लिए ।

23 एक दूसरे से विवाद करना बंद करो; एक दूसरे की बुराई करना बंद करो ।

24 मदिरा पान छोड़ दो; और तुम्हारे शब्द एक दूसरे को ऊपर उठाएं ।

25 यदि तुम अपने पड़ोसी से उधार लेते हो, तुम उसे वापस करोगे जो तुमने उधार लिया था; और यदि तुम वापस नहीं कर सकते तो फिर सीधे जाओ और अपने पड़ोसी को बोल दो, कहीं ऐसा न हो वह तुम्हारी निंदा करे ।

26 यदि तुम उसे पाते हो जो तुम्हारे पड़ोसी ने खो दिया है, तो तुम परिश्रम से खोज करोगे जबतक तुम उसे फिर से लौटा नहीं देते ।

27 तुम उसे सुरक्षित रखने में परिश्रम करोगे जो तुम्हारे पास है, ताकि तुम बुद्धिमान प्रबंधक हो सको; क्योंकि यह प्रभु तुम्हारे परमेश्वर का मुफ्त उपहार है, और तुम उसके प्रबंधक हो ।

28 यदि तुम आनंदित हो, तो गाते हुए प्रभु की प्रशंसा करो, संगीत के साथ, नाचते हुए, और प्रशंसा और धन्यवाद की प्रार्थना के साथ ।

29 यदि तुम दुखी हो, तो प्रभु अपने परमेश्वर को याचना के साथ पूकारो, ताकि तुम्हारी आत्माएं आनंदित हो सके ।

30 अपने शत्रुओं से भयभीत मत हो, क्योंकि वे मेरे हाथों में हैं और मैं उनके साथ जो चाहूंगा करूंगा ।

31 मेरे लोगों की सब बातों में परिक्षा होनी चाहिए, ताकि वे उस महिमा को पाने के लिए तैयार हों जो मेरे पास उनके लिए हैं, अर्थात सिय्योन की महिमा; और वह जो मेरी ताड़ना को सहन नहीं करता मेरे राज्य के योग्य नहीं है ।

32 वह जो अनजान है ज्ञान सीखे स्वयं को विन्रम बनाकर और प्रभु अपने परमेश्वर को पुकार कर, ताकि उसकी आंखें खुल जाएं ताकि वह देख सके, और अपने कानों को खोले ताकि वह सुन सके ।

33 क्योंकि मेरी आत्मा संसार में भेजी जाती है विन्रम और पश्चातापी आलोकित करने को, और दुष्ट को दंड देने को ।

34 तुम्हारे भाइयों ने तुम्हें और तुम्हारी गवाही को अस्वीकार कर दिया है, अर्थात वह राष्ट्र जिसने तुम्हें बाहर निकाल दिया है;

35 और अब उनकी विपत्ति का दिन आने को है, अर्थात दुख के दिन, उस औरत के समान जो प्रसव पीड़ा में लाई जाती है; और उनके दुख विशाल होंगे जबतक वे शीघ्रता से पश्चाताप नहीं करते, हां, अति शीघ्रता से ।

36 क्योंकि उन्होंने भविष्यवक्ताओं की हत्या की, और उनकी जिन्हें उनके पास भेजा गया था; और उन्होंने निर्दोष का लहू बहाया है, जो भूमि से उनके विरूद्ध पुकारता है ।

37 इसलिए, इन बातों से आश्चर्यचकित न होना, क्योंकि तुम अभी पवित्र नहीं हुए हो; तुम अभी मेरी महिमा को सहन नहीं कर सकते; लेकिन तुम इसे देख सकोगे यदि तुम मेरे सभी वचनों का पालन करने में विश्वसनीय रहते हौ जो मैंने तुम्हें दिए हैं, आदम से इब्राहीम तक, इब्राहीम से मूसा तक, मूसा से यीशु और उसके प्रेरितों तक, और यीशु और उसके प्रेरितों से जोसफ स्मिथ तक, जिसे मैंने अपने स्वर्गदूतों, मेरे सेवा करने वाले सेवकों, द्वारा नियुक्त किया था, और आकाश से मेरी स्वयं की वाणी द्वारा, मेरे कार्य को करने के लिए;

38 जो बुनियाद उसने रखी थी, और विश्वसनीय रहा था; और मैंने उसे स्वयं के पास ले लिया है ।

39 उसकी मृत्यु के कारण बहुत से आर्श्चयचकित हुए हैं; लेकिन यह जरूरी था कि वह अपने लहू से अपनी गवाही को मुहरबंद करे, ताकि वह सम्मान प्राप्त करे और दुष्ट की निंदा हो ।

40 क्या मैंने तुम्हें तुम्हारे शत्रुओं से मुक्त नहीं कराया है, केवल उसमें मैंने अपने नाम की गवाही छोड़ी थी?

41 अब, इसलिए, सुनो, ओ तुम मेरे गिरजे के लोगों; और तुम एल्डरों मिलकर सुनो; तुमने मेरे राज्य को प्राप्त किया है ।

42 मेरी सारी आज्ञाओं का पालन करने में परिश्रमी रहो, ताकि तुम्हें दंड न दिया जाए, और तुम्हारा विश्वास तुम्हें असफल न करे, और तुम्हारे शत्रु तुम पर विजय प्राप्त न करें । वर्तमान के लिए और नहीं । आमीन और आमीन ।