2010–2019
पवित्रता और प्रसन्नता की योजना
अक्टूबर 2019 महा सम्मेलन


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पवित्रता और प्रसन्नता की योजना

अधिक खुशी अधिक व्यक्तिगत पवित्रता से आती है ।

मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, मैंने सुख के लिये आपकी व्यक्तिगत खोज में आपकी मदद करने की शक्ति के लिये प्रार्थना की है । हो सकता है कुछ लोग पहले से ही काफी सुखी हों, लेकिन अवश्य ही कोई भी अधिक सुखी होने से मना नहीं करेगा । हर कोई स्थाई सुख को पाने के लिये उत्साहित होगा ।

यही स्वर्गीय पिता; उसका प्रिय पुत्र, यीशु मसीह; और पवित्र आत्मा स्वर्गीय पिता के प्रत्येक आत्मिक बच्चे को देना चाहते हैं जो अभी इस जीवन रहते हैं, भविष्य में आएंगे, या कभी इस संसार में रहते थे । इस प्रस्ताव को कभी कभी प्रसन्नता की योजना कहते हैं । इसे यह नाम भविष्यवक्ता अलमा द्वारा दिया गया था जब उसने अपने बेटे को सीखाया था जो पाप की पीड़ा को अनुभव कर रहा था । अलमा जानता था कि दुष्टता कभी प्रसन्नता नहीं हो सकती थी उसके बेटे के लिये—या स्वर्गीय पिता के किसी भी बच्चे के लिये ।

उसने अपने बेटे को सीखाया था कि पवित्रता में विकास करना प्रसन्नता पाने का एकमात्र तरीका था । उसने इसे स्पष्ट किया था कि यीशु मसीह के प्रायश्चित की हमें शुद्ध करने और परिपूर्ण करने द्वारा अधिक पवित्रता संभव होती है । केवल यीशु मसीह में विश्वास, निरंतर अनुभव, और अनुबंधों का पालन करने के द्वारा हम उस स्थाई प्रसन्नता जिसे हम सदा के लिये पाना और अनुभव करना चाहते हैं ।

आज मेरी प्रार्थना है कि मैं आपको समझने में मदद कर सकूं कि अधिक प्रसन्नता अधिक व्यक्तिगत पवित्रता से आती है ताकि आप इस के लिये कार्य करेंगे । मैं उसे साझा करूंगा जो मैं अपने स्वयं के अनुभव से जानता हूं कि उस उपहार को पाने के लिये हम क्या कर सकते हैं ।

अन्य बातों के अलावा धर्मशास्त्र हमें सीखाते हैं, कि हम पावन या अधिक पवित्र बन सकते हैं, जब हम यीशु मसीह में विश्वास करते, अपनी आज्ञाकारिता प्रदर्शित करते, पश्चाताप करते, उसके लिये बलिदान करते, पवित्र विधियों को प्राप्त करते, और उसके साथ अपने अनुबंधों का पालन करते हैं । पवित्रता के उपहार के लिये मानवता, करूणा, और धैर्य की आवश्यकता होती है ।

अधिक पवित्रता पाने का एक अनुभव मुझे सॉल्ट लेक मंदिर में हुआ था । मैंने मंदिर में पहली बार प्रवेश किया था मुझे थोड़ा बहुत बताया गया था कि अंदर क्या हो सकता है । मैंने भवन पर इन शब्दों को देखा : “प्रभु के लिये पवित्र” और “प्रभु का घर” । मुझे आशा की गंभीर अनुभूति हुई । फिर भी मुझे संदेह था कि क्या में प्रवेश करने के योग्य था ।

मेरी मां और पिता मेरे आगे चल रहे थे जब हमने मंदिर में प्रवेश किया था । हम से हमारी संस्तुतियां दिखाने को कहा गया, अपनी योग्यता प्रमाणित करने के लिये ।

मेरे माता-पिता संस्तुति मेज के व्यक्ति को जानते थे । इसलिये वे उससे कुछ क्षण बातें करने के लिये रूक गए । मैं अकेला ही आगे एक विशाल स्थान पर पहुंच गया जहां सबकुछ चमचमाता हुआ सफेद । मैंने ऊपर छत की ओर देखा जो बहुत ऊपर थी ऐसा लगता था मानो खुला आकाश हो । उस क्षण, मेरे मन में एक स्पष्ट प्रभाव आया कि मैं इस स्थान पर पहले आ चुका था ।

लेकिन फिर, मैंने बहुत ही कोमल वाणी सुनी—जो मेरी स्वयं की नहीं थी । वे बहुत ही कोमल कोमल शब्द थे: “तुम यहां पहले कभी नहीं आए हो । तुम उस क्षण को याद कर रहे जहां तुम पैदा होने से पहले थे । तुम इसी प्रकार के पावन स्थान में थे । जिस स्थान पर तुम खड़े थे तुमने वहां उद्धारकर्ता के शीघ्र आने को महसूस किया था । और तुमने प्रसन्नता महसूस की थी क्योंकि तुम उसे देखने को उत्साहित थे ।”

सॉल्ट लेक मंदिर में यह अनुभव केवल एक क्षण के लिये था । फिर भी इसकी याद अभी भी शांति, आनंद, और स्थिर प्रसन्नता लाती है ।

उस दिन मैंने बहुत पाठ सीखे थे । पवित्र आत्मा धीमी स्थिर आवाज में बोलती है । मैं उसे सुन सकता हूं जब मेरे हृदय आत्मिक शांति होती है । वह प्रसन्नता और आवश्वासन की अनुभूति लाती है कि मैं अधिक पवित्र बन रहा हूं । और यह हमेशा उस प्रसन्नता को लाती है जो मैंने परमेश्वर के मंदिर में उन पहले क्षणों में महसूस किए थे ।

आपने अपने स्वयं के जीवन और दूसरों के जीवन में प्रसन्नता के उस चमत्कार को अनुभव किया किया है जो पवित्रता में विकास करने से आती है । हाल के सप्ताहों में, मैं मृत्यु का सामना कर रहे बीमार लोगों से मिला था जिन्हें उद्धारकर्ता में पूर्ण विश्वास और चेहरों पर प्रसन्नता थी ।

एक व्यक्ति के आस-पास उसका परिवार था । वह और उसकी पत्नी बातें कर रहे थे जब मैं और मेरा बेटा अंदर गए थे । मैं उन्हें कई सालों से जानता था । मैं यीशु मसीह के प्रायश्चित को उनके जीवन और उनके परिवार के सदस्यों के जीवन में कार्य करते देखा था ।

उन्होंने उसके जीवन को बढ़ाने के लिये चिकित्सीय उपकरणों का सहारा न लेने का निर्णय लिया था । हम से बात करते समय वह शांत था । सुसमाचार और स्वयं पर और अपने प्रिय परिवार पर इसके परिष्कृत करने के प्रभावों का आभार व्यक्त करते समय वह मुस्कराया था । उसने मंदिर में अपनी सेवा के आनंददायक वर्षों के बारे में बात की थी । इस व्यक्ति के अनुरोध पर, मेरे बेटे ने समर्पित तेल से उसके सिर का अभिषेक किया था । मैंने अभिषेक को मुहरबंद किया था । जब मैंने इसे किया, मुझे स्पष्ट आभास हुआ कि वह जल्द ही उद्धाकर्ता को देखेगा, आमने-समाने ।

मैंने उससे प्रतिज्ञा की थी कि वह प्रसन्नता, प्रेम, और उद्धारकर्ता की अनुमति को महसूस करेगा । वह दया और प्रेम से मुस्काराया था जब हम वहां से निकले । मुझे उसके अंतिम ये शब्द थे “कैथी को मेरा प्यार देना ।” मेरी पत्नी, कैथलीन, ने कई सालों से इसके परिवार की पीढ़ियों को उसके निकट आने के उद्धारकर्ता का निमंत्रण स्वीकार करने, पवित्र अनुबंधों को बनाने और पालन करने, और इस प्रकार उस प्रसन्नता के योग्य होने के लिये प्रोत्साहित किया था जो इसके परिणामस्वरूप आती है ।

कुछ घंटों बाद वह गुजर गया । उसके गुजर जाने के सप्ताहों के भीतर, उसकी विधवा मेरी पत्नी और मेरे लिये उपहार लाई थी । बात करते समय वह मुस्काराई थी । उसने आनंदपूर्वक कहा था, “मुझे लगता था कि मैं दुख और अकेलापन महसू करूंगी । मैं बहुत खुश हूं । क्या आपको यह सब ठीक लगता है ?”

जानते हुए कि वह अपने पति से कितना प्यार करती थी और किस प्रकार उन दोनों को प्रभु को जानने, प्रेम करने, और सेवा करने का पता चला था, मैंने उसे बताया कि उसकी प्रसन्नता की अनुभूतियां प्रतिज्ञा किया उपहार था जिसे उसने अपनी विश्वासी सेवा के कारण अधिक पवित्र किया था । उसकी पवित्रता ने उसे उस प्रसन्नता के लिये योग्य बनाया था ।

आज जो सुन रहे हैं कुछ सोच रहे होंगे: “मुझे क्यों ने वैसी शांति और प्रसन्नता की अनुभूति होती है जिसका वादा विश्वासी से किया गया है ? मैं भंयकर कष्टों मे विश्वसनीय रहा हूं, लेकिन मुझे प्रसन्नता का अनुभूति नहीं होती है ।”

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ ने भी इस परिक्षा का सामना किया था । उन्होंने राहत के लिये प्रार्थना की थी जब वे लिब्रटी मसूरी, की जेल में कैद थे । वे प्रभु के प्रति विश्वसनीय रहे थे । वे पवित्रता में बढ़े थे । फिर भी उन्होंने अनुभव किया कि उन्हें प्रसन्नता नहीं दी गई थी ।

प्रभु ने उन्हें धैर्य का सबक सीखाया था जिसकी हम सबों को हमारी नश्वरता के दौरान कभी न कभी और शायद लंबी अवधि के लिये जरूरत होती है । प्रभु ने यह संदेश अपने विश्वसनीय और कष्ट सह रहे भविष्यवक्ता को दिया था:

“यदि तुम्हें गड्डे में फेंक दिया जाए, या हत्यारों के हाथों सौंप दिया जाए, और तुम्हें मृत्युदंड दे दिया जाए; यदि तुम्हें गहरे में फेंक दिया जाए; यदि खतरनाक लहरें तुम्हारे विरूद बहती हैं; यदि खतरनाक आंधी तुम्हारी शत्रु बन जाती है; यदि आकाश काला हो जाता है, और सारे तत्व मार्ग को घेर लेते हैं; और सबसे बढ़कर, यदि नरक के जबड़े मुंह पसार कर तुम्हारे पीछे पड़ते हैं, तुम जानो, मेरे बेटे, कि ये सब बातें तुम्हें अनुभव देंगी और तुम्हारी भलाई के लिये होंगी ।

“मानव पुत्र ने इस सब को सहा था । क्या तुम उससे अधिक महान हो ?

“इसलिये, अपने मार्ग पर अटल रहो, और पौरोहित्य तुम्हारे साथ रहेगा; क्योंकि उनकी सीमाएं तय की गई हैं, वे उससे आगे नहीं जा सकते । तुम्हारे दिन ज्ञात हैं, और तुम्हारे वर्ष कम नहीं होंगे; इसलिये, डरो नहीं कि मनुष्य क्या कर सकता है, क्योंकि परमेश्वर तुम्हारे साथ हमेशा और सदैव रहेगा ।”

यही निर्देश प्रभु ने अय्यूब को दिया था, जिसने उसे अधिक पवित्र बनाने के लिये प्रायश्चित को स्वीकार करने के लिये अत्याधिक कष्ट सहे थे । हम इस परिचय से जानते हैं कि अय्यूब पवित्र था: “ऊज, देश में अय्यूब नाम का एक पुरूष था; वह खरा और सीधा था और परमेश्वर का भय मानता और बुराई से परे रहता था ।”

फिर अय्यूब ने अपनी संपति, अपना परिवार, और अपना स्वास्थ्य खो दिया । हो सकता है आपको याद हो कि अय्यूब को अपनी पवित्रता पर संदेह हुआ था जिसे उसने कठोर कष्ट से प्राप्त किया था, ताकि वह अधिक प्रसन्नता के योग्य हो सके । अय्यूब को लगा कि पवित्रता के कारण कष्ट आए थे ।

फिर भी प्रभु ने अय्यूब को वही सबक दिए थे जो उसने जोसफ स्मिथ को दिए थे । उसने अय्यूब को अपनी हृदय विदारक परिस्थिति को आत्मिक आंखों से दिखाया था । उसने कहा था:

“पुरूष की नाई अपनी कमर बांध ले, क्योंकि मैं तुझ से प्रश्न करता हूं, और तू मुझे उत्तर दे ।

“जब मैंने पृथ्वी के नेव डाली, तब तू कहां था ? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे ।

“उसकी नाप किसने ठहराई, क्या तू जानता है उस पर किस ने सूत खींचा ?

“उसकी नेव कौन सी वस्तु पर रखी गई, वा किसने उसके कोने का पत्थर लिठाया,

“जबकि भोर के तारे एक संग आनंद से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जयजयकार करते थे ?”

फिर, परमेश्वर को अन्यायी कहने पर पश्चाताप करने बाद, अय्यूब को उसकी परिक्षाओं को अधिक आत्मिक और पवित्र तरीके से समझने की अनुमति दी गई । उसने पश्चाताप किया था ।

“तब अय्यूब ने प्रभु को उत्तर दिया, और कहा,

“मैं जानता हूं कि तू सबकुछ कर सकता है, और तेरी युक्तियों में से कोई रुक नहीं सकती ।

“वह कौन है जो ज्ञान रहित होकर युक्ति पर परदा डालता है ? परंतु मैंने तो जो नहीं समझता था वही कहा, अर्थात जो बातें मेरे लिये अधिक कठिन और मेरी समझ से बाहर थी जिनको मैं जानता भी नहीं था ।

“मैं निवेदेन करता हूं सुन, मैं कुछ कहूंगा, मैं तुझ से प्रश्न करता हूं, तू मुझे बता दे ।

“मैंने कानों से तेरा समाचार सुना था, परंतु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं;

“इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चाताप करता हूं ।”

अय्यूब के पश्चाताप करने के बाद और ऐसा करने से वह अधिक पवित्र हो गया, प्रभु ने जो उसने खोया था उससे अधिक से उसे आशीषित किया था । लेकिन शायद अय्यूब के लिये अत्याधिक आशीष यह थी कि दुख और पश्चाताप के द्वारा उसकी पवित्रता का विकास हुआ था । वह अपने आने वाले दिनों के लिये अधिक प्रसन्नता पाने के योग्य हुआ था ।

अधिक पवित्रता मात्र मांगने से नहीं मिलेगी । यह उसे करने से आती है जो परमेश्वर हमें बदलने के लिये करवाना चाहता है ।

मुझे लगता है अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने उत्तम सलाह दी है कि अधिक पवित्र के मार्ग में कैसे चलना है । उन्होंने उस मार्ग को दिखाया था जब उन्होंने कहा:

“हर दिन थोड़ा अच्छा करते हुए—प्रतिदिन पश्चाताप करने की मजबूती देने वाली शक्ति को अनुभव करें ।

“जब हम पश्चाताप करने का चुनाव करते हैं, तो हम बदलने का चुनाव करते हैं ! हम उद्धारकर्ता को हमारा सर्वोत्तम बनने के लिये बदलने की अनुमति देते हैं । हम आत्मिकरूप से विकास करना और आनंद प्राप्त करना चुनते हैं—उसमें मुक्ति का आनंद । जब हम पश्चाताप करने का चुनाव करते हैं, तो हम यीशु मसीह के समान बनने का चुनाव करते हैं !”

अध्यक्ष नेलसन ने हमारे पवित्र बनने के प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिये सलाह देना जारी रखते हैं: “प्रभु हमसे इस क्षण से परिपूर्ण होने की आशा नहीं करता है । … लेकिन वह अवश्य ही चाहता है कि हम अधिक शुद्ध बनें । प्रतिदिन पश्चाताप करना शुद्धता का मार्ग है ।”

पहले के सम्मेलन संबोधन में, अध्यक्ष डालिन एच. ओक्स ने भी स्पष्टरूप से समझने में मेरी मदद की थी कि हम कैसे पवित्रता में विकास करते और हम कैसे जान सकते हैं कि हम इसकी ओर आगे बढ़ रहे हैं । उन्होंने कहा था : “हम कैसे आत्मिकता प्राप्त करते हैं ? हम कैसे पवित्रता के उस स्तर तक पहूंचते हैं जहां हम पवित्र आत्मा की स्थाई संगति प्राप्त कर सकते हैं ? हम किस प्रकार इस संसार की बातों को अनंतता की दृष्टि से देख और समझ सकते हैं ?”

अध्यक्ष ओक्स का उत्तर यीशु मसीह पर हमारे उद्धारकर्ता की भूमिका में अधिक विश्वास करने से आरंभ होता है । यह प्रतिदिन क्षमा चाहने और उसकी आज्ञाओं का पालने के द्वारा उसे याद करने की ओर ले जाता है । यीशु मसीह में यह अधिक विश्वास प्रतिदिन उसके वचनों का अध्ययन करने से आता है ।

स्तुतिगीत “More Holiness Give Me” अधिक पवित्र होने में मदद के मार्ग का सुझाव देता है । लेखक समझदारी से सुझाव देता है कि जिस पवित्रता को हम चाहते हैं वह प्रेमी परमेश्वर से एक उपहार है, जो समय आने पर मिलता है, सबकुछ करने के पश्चात । इसकी अंतिम पंक्ति आपको याद होगी:

अधिक शुद्धता मुझे दो,

विजय पाने की अधिक शक्ति,

संसार के दुखों से अधिक मुक्ति,

स्वर्गीय घर की अधिक चाहत ।

राज्य के लिये अधिक योग्यता,

मैं अधिक करना चाहता हूं,

अधिक आशीषित और पवित्र—

उद्धारक, तुम्हारे समान होने के लिये ।

हमारी व्यक्तिगत परिस्थितियां कुछ भी हों, घर जाने के अनुबंध मार्ग में हम कहीं भी हों, मैं चाहता हूं कि अधिक पवित्रता की हमारी प्रार्थना का उत्तर दिया जाए । मैं जानता हूं कि जब हमारी प्रार्थना स्वीकार होती है, तो हमारी प्रसन्नता बढ़ेगी । हो सकता है यह धीरे-धीरे आए, लेकिन यह आएगी अवश्य । मेरे पास प्रेमी स्वर्गीय पिता और उसके प्रिय पुत्र, यीशु मसीह का यह आश्वासन है ।

मैं गवाही देता हूं कि जोसफ स्मिथ परमेश्वर के भविष्यवक्ता थे, कि अध्यक्ष रसल एम. नेलसन हमारे समय के जीवित भविष्यवक्ता हैं । परमेश्वर पिता जीवित है और हम से प्रेम करता है । वह चाहता है हम उसके परिवार में घर वापस आएं । हमारा प्रेमी उद्धारकर्ता हमारी यात्रा पर हमें उसका अनुसरण करने का निमंत्रण देता है । उन्होंने हमारे लिये मार्ग तैयार किया है । यीशु मसीह के पवित्र नाम में, आमीन ।