पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 10


खंड 10

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ को, संभवतः अप्रैल 1829 के आसपास, हारमनी, पेनसिलवैनिया में दिया गया प्रकटीकरण, यद्यपि हो सकता है कुछ अशं 1828 की गरमियों में प्राप्त कर लिए गए थे । इसमें प्रभु जोसफ को दुष्ट व्यक्तियों द्वारा मॉरमन की पुस्तक में, लेही की पुस्तक के अनुवाद के 116 हस्तलिपि पृष्ठों में बदलावों के विषय में सूचित करता है । ये हस्तलिपि पृष्ठ माट्रिन हैरिस के हाथों खो गए थे, जिसे ये पृष्ठ अस्थाई तौर पर सौंपे गए थे । (खंड 3 के शीर्षक को देखें ।) अधर्मी की योजना चोरी हुए पृष्ठों के विषय के पुनःअनुवाद की प्रतिक्षा करना और फिर बदलावों द्वारा की गई विसंगतियों को दिखाकर अनुवादक को बदनाम करना था । कि यह दुष्ट उद्देश्य शैतान द्वारा सोचा गया था और प्रभु को तब भी पता था जब मॉरमन, एक प्राचीन नफाई इतिहासकार, एकत्रित की गई पट्टियों को संक्षिप्त कर रहा था, जैसा मॉरमन की पुस्तक में दिखाया गया है (देखें मॉरमन के शब्द 1:3–7) ।

1–26, शैतान दुष्ट व्यक्तियों को प्रभु के काम का विरोध करने के लिए उकसाता है; 27–33, वह व्यक्तियों की आत्मा को नष्ट करने का प्रयास करता है; 34–52, सुसमाचार मॉरमन की पुस्तक के द्वारा लमानइयों और सभी राष्ट्रों में जाएगा; 53–63, प्रभु अपने गिरजे और सुसमाचार को लोगों के बीच स्थापित करेगा; 64–70, वह पश्चातापी को अपने गिरजे में एकत्रित करेगा और आज्ञाकारी को बचाएगा ।

1 अब, सुनो, मैं तुम से कहता हूं, कि क्योंकि तुमने उन अभिलेखों को जिन्हें अनुवाद करने की शक्ति यूरिम और थमिम के माध्यम से तुम्हें दी गई थी, दुष्ट व्यक्ति के हाथों में दिया था, तुम उन्हें खो चुके हो ।

2 और तुमने अपने उपहार को भी उसी समय खो दिया है, और तुम्हारी आत्मा अंधकारमय हो गई है ।

3 फिर भी, अब इसे तुम्हें फिर से वापस दे दिया गया है; इसलिए ध्यान रखो कि तुम विश्वासी रहो और अनुवाद के शेष कार्य को समाप्त करना जारी रखो जैसा तुमने आरंभ किया है ।

4 अनुवाद करने के लिए तुम्हें दी गई क्षमता और माध्यम से अधिक तेज न दौड़ना या न कार्य करना; परन्तु अंत तक मेहनती बने रहना ।

5 हमेशा प्रार्थना करना, ताकि तुम विजयी बनो; हां, ताकि तुम शैतान पर विजय प्राप्त करो, और कि तुम शैतान के सेवकों के हाथों से बच सको जोकि उसके कार्य का समर्थन करते हैं ।

6 देखो, वे तुम्हें नष्ट करना चाहते हैं; हां, यहां तक कि जिस व्यक्ति पर तुमने विश्वास किया उसने तुम्हें नष्ट करना चाहा है ।

7 और इस कारण से मैंने कहा है कि वह व्यक्ति दुष्ट है, क्योंकि उसने उन चीजों को ले जाने का प्रयास किया है जिन्हें तुम्हें सौंपा गया है; और तुम्हारे उपहार को भी नष्ट करना चाहा है ।

8 और क्योंकि तुमने अभिलेखों को उसके हाथों में दे दिया है, देखो, दुष्ट व्यक्तियों ने उन्हें तुम से ले लिया है ।

9 इसलिए, तुमने उन्हें सौंप दिया है, हां, जोकि पवित्र थे, दुष्टता को ।

10 और, देखो, शैतान ने उनके हृदयों में उन शब्दों को बदल डाला है जिन्हें तुम्हें लिखने के लिए कहा गया था, या जिनका तुमने अनुवाद किया था, जोकि तुम्हारे हाथों से चले गए हैं ।

11 और देखो, मैं तुम से कहता हूं, यह क्योंकि उन्होंने शब्दों को बदल दिया है, उनके अर्थ उससे भिन्न हैं जैसा तुमने अनुवाद किया था और तुम्हें लिखने को कहा गया था;

12 और, इस तरह से, शैतान ने धूर्त योजना बनानी चाही है, ताकि वह इस कार्य को नष्ट कर सके;

13 क्योंकि उसने उनके हृदयों में ऐसा करने के लिए डाला, ताकि झूठ के द्वारा वे कह सकें कि उन्होंने तुम्हें उन शब्दों में पकड़ लिया है जिन्हें तुम अनुवाद करने का नाटक कर रहे हो ।

14 तुम से सच कहता हूं, कि मैं शैतान को इस कार्य में उसकी अधर्मी योजना को पूरा करने की आज्ञा नहीं दूंगा ।

15 क्योंकि देखो, उसने उनके हृदयों में, फिर से इसका अनुवाद करने को कहकर, तुम्हें प्रभु अपने परमेश्वर की परिक्षा लेना डाला है ।

16 और फिर, देखो, वे अपने हृदयों में कहते और सोचते हैं—हम जांच करेंगे कि क्या परमेश्वर ने उसे अनुवाद करने की शक्ति दी है; यदि ऐसा है, वह उसे फिर से शक्ति देगा;

17 और यदि परमेश्वर उसे फिर से शक्ति देता है, या यदि वह फिर से अनुवाद करता है, या, अन्य शब्दों में, यदि वह फिर से उन्हीं शब्दों को लिख पाता है, देखो, वे हमारे पास हैं, और हमने उन्हें बदल दिया है;

18 इसलिए वे सहमत नहीं होंगे, और वे कहेंगे कि उसने अपने शब्दों में झूठ कहा है, और कि उसके पास कोई उपहार नहीं है, और कि उसके पास कोई शक्ति नहीं है;

19 इसलिए हम उसे नष्ट कर देंगे, और इस कार्य को भी; और हम ऐसा करेंगे ताकि हमें अंत में शर्मिंदा न होना पड़े, और ताकि हमें संसार की महिमा प्राप्त हो सके ।

20 मैं तुम से सच, सच, कहता हूं, कि शैतान का उनके हृदयों पर अधिक नियंत्रण है; वह उन्हें उसके विरूद्ध बुराई करने के लिए उकसाता है जोकि भला है;

21 और उनके हृदय भ्रष्ट हैं, और बुराई और घृणाओं से भरे हैं; और उन्हें ज्योति से अधिक अंधकार प्रिय है, क्योंकि उनके कार्य बुरे हैं; इसलिए वे मुझ से नहीं मांगते हैं ।

22 शैतान उन्हें उकसाता है, ताकि वह उनकी आत्माओं को विनाश की ओर ले जा सके ।

23 और इस प्रकार उसने एक धूर्त योजना बनाई है, परमेश्वर के कार्य को नष्ट करने का विचार करते हुए; लेकिन इसका लेखा मैं उन से लूंगा, और यह न्याय के दिन उनकी लज्जा और दंड का कारण बनेगा ।

24 हां, वह उनके हृदयों को इस कार्य के विरूद्ध क्रोध के लिए उकसाता है ।

25 हां, वह उनसे कहता: धोखे और झूठ में पकड़ने के लिए घात लगाओ, ताकि तुम नष्ट कर सको; देखो, इसमें कोई बुराई नहीं है । और इस प्रकार वह उन्हें फुसलाता है, और उनसे कहता कि झूठ बोलने में कोई पाप नहीं है जो किसी व्यक्ति को झूठ में पकड़ सके, ताकि वे उसे नष्ट कर सकें ।

26 और इस प्रकार वह उन्हें फुसलाता, और उन्हें तबतक गुमराह करता है जबतक कि वह उनकी आत्माओं को नीचे नर्क में नहीं खसीट लेता; और इस प्रकार वह उन्हें उनके ही जाल में फंसा देता है ।

27 और वह इस प्रकार पृथ्वी पर इधर-उधर घुमता फिरता है, मनुष्यों की आत्माओं को नष्ट करने का प्रयास करते हुए ।

28 मैं तुम से सच, सच कहता हूं, उस पर हाय जो धोखा देने के लिए झूठ बोलता है क्योंकि वह सोचता कि अन्य धोखा देने के लिए झूठ बोलता, क्योंकि ऐसे लोग परमेश्वर के न्याय से नहीं बचते हैं ।

29 अब, देखो, उन्होंने उन शब्दों को बदल दिया है, क्योंकि शैतान ने उनसे कहा: उसने तुम्हें धोखा दिया है—और इस प्रकार वह उन्हें पाप करने के लिए फुसलाता है, कि तुम प्रभु अपने परमेश्वर की परिक्षा करो ।

30 देखो, मैं तुम से कहता हूं, कि तुम उन शब्दों का फिर अनुवाद नहीं करोगे जो तुम्हारे हाथों से जा चुके हैं;

31 क्योंकि, देखो, उन शब्दों के विरूद्ध झूठ बोलकर वे अपनी अधर्मी योजनाओं को पूरा नहीं कर पाएंगे । क्योंकि, देखो, यदि तुम उन शब्दों को लिखते हो वे कहेंगे कि तुमने झूठ बोला और कि तुमने अनुवाद करने का नाटक किया है, लेकिन कि तुमने अपने ही शब्दों को खंडित किया है ।

32 और, देखो, वे इसका प्रचार करेंगे, और शैतान लोगों को तुम्हारे विरूद्ध क्रोध भड़काने के लिए उनके हृदयों को कठोर करेगा, कि वे मेरे शब्दों में विश्वास नहीं करेंगे ।

33 इस प्रकार शैतान इस पीढ़ी में तुम्हारी गवाही दबाने की सोचता है, ताकि यह कार्य इस पीढ़ी में प्रकट न किया जा सके ।

34 लेकिन देखो, इस में समझदारी है, और क्योंकि मैंने तुम्हें समझदारी दिखाई है, और इन बातों के संबंध में तुम्हें आज्ञाएं दी हैं, तुम्हें क्या करना होगा, इसे संसार को तबतक नहीं दिखाना जबतक तुम अनुवाद के कार्य को पूरा नहीं कर लेते ।

35 आश्चर्य मत करो कि मैंने तुम से कहा है: इसमें समझदारी है, इसे संसार को मत दिखाना—क्योंकि मैंने कहा है, इसे संसार को मत दिखाना, ताकि तुम सुरक्षित रहो ।

36 देखो, मैं यह नहीं कहता कि तुम इसे धर्मी को मत दिखाना;

37 लेकिन जबकि तुम हमेशा धर्मी को नहीं पहचान सकते, या जबकि तुम हमेशा दुष्ट में से धर्मी की पहचान नहीं कर सकते, इसलिए मैं तुम से कहता हूं, तबतक तुम शांत रहना जबतक मैं इस विषय के संबंध में संसार को बताना सुनिश्चित न कर लूं ।

38 और अब, मैं तुम से सच कहता हूं, कि उन बातों का विवरण जिन्हें तुमने लिखा है, जोकि तुम्हारे हाथों से चला गया है, नफी की पट्टियों पर खुदा हुआ है;

39 हां, और तुम्हें याद है उन हस्तलिपियों में कहा गया था कि इन बातों का अधिक विस्तृत विवरण नफी की पट्टियों में दिया गया था ।

40 और अब, क्योंकि वह विवरण जो नफी की पट्टियों में खुदा है इन बातों के संबंध में अधिक विस्तृत जिसे, अपनी समझ से, मैं इस विवरण में लोगों के ज्ञान में लाऊंगा—

41 इसलिए, तुम उन खुदाइयों का अनुवाद करोगे जोकि नफी की पट्टियों पर हैं, जबतक तुम राजा बिन्यामीन के शासनकाल तक पहुंचते हो, या जबतक तुम वहां तक नहीं पहुंच जाते जिसका तुम अनुवाद कर चुके हो, जोकि तुम्हारे पास रखा हुआ है;

42 और देखो, तुम नफी के अभिलेख को प्रकाशित करोगे; और इस प्रकार मैं उन्हें गलत साबित करूंगा जिन्होंने मेरे शब्दों को बदला है ।

43 मैं अनुमति नहीं दूंगा कि वे मेरे कार्य को नष्ट करें; हां, मैं उन्हें दिखाऊंगा कि मेरी समझ शैतान की धुर्तता से अधिक महान है ।

44 देखो, उनके पास केवल एक भाग है, या नफी के विवरण का संक्षेप ।

45 देखो, नफी की पट्टियों पर बहुत से बातें खुदी हुई हैं जोकि मेरे सुसमाचार पर अधिक प्रकाश डालती हैं; इसलिए, यह मेरी समझदारी है कि तुम पहले नफी की खुदाइयों के इस प्रथम भाग का अनुवाद करो, और इस कार्य को आगे भेज दो ।

46 और, देखो, इस कार्य के शेष हिस्से में मेरे सुसमाचार की वे सारी बातें सम्मलित हैं जिसे मेरे भविष्यवक्ताओं ने, हां, और मेरे शिष्यों ने भी, उनकी प्रार्थनाओं में चाहा है कि इन लोगों पर प्रकट की जाएं ।

47 और मैंने उनसे कहा, कि उनके विश्वास में उनकी प्रार्थनाओं के अनुसार यह स्वीकार किया जाएगा;

48 हां, और यह उनका विश्वास था—कि मेरा सुसमाचार, जिसे मैंने उन्हें दिया था ताकि वे अपने समय में सीखा सकें, उनके भाइयों लमनाइयों पर प्रकट किया जा सके, और उन सबों पर भी जो अपने मतभेदों के कारण लमनाई बन गए थे ।

49 अब, इतना ही नहीं—उनके विश्वास में उनकी प्रार्थनाएं थीं कि यह सुसमाचार प्रकट किया जाए, यदि संभव हो अन्य जातियों पर भी जो इस प्रदेश में रहती हैं;

50 और इस प्रकार उन्होंने अपनी प्रार्थनाओं में इस प्रदेश पर आशीष बुलाई, कि जो कोई इस प्रदेश में इस सुसमाचार में विश्वास करेगा अनंत जीवन प्राप्त कर सकेगा;

51 हां, कि यह सभी के लिए मुफ्त होगा चाहे वे किसी जाति, कुल, भाषा, या समाज के हों ।

52 और अब, देखो, उनके विश्वास में उनकी प्रार्थनाओं के अनुसार मैं अपने सुसमाचार के इस भाग को अपने लोगों के ज्ञान में लाऊंगा । देखो, मैं इसे उसे नष्ट करने के लिए नहीं लाता जो उनके पास है, लेकिन उसे मजबूत करने के लिए ।

53 और इस कारण मैंने कहा है: यदि यह पीढ़ी अपने हृदयों को कठोर नहीं करती, तो मैं अपना गिरजा उनके मध्य स्थापित करूंगा ।

54 अब मैं इसे अपने गिरजे को नष्ट करने के लिए नहीं कहता, लेकिन मैं इसे अपने गिरजे का निर्माण करने के लिए कहता हूं;

55 इसलिए, जो कोई मेरे गिरजे से संबंध रखता है उसे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि वह स्वर्ग के राज्य को प्राप्त करेगा ।

56 लेकिन यह वे हैं जो मेरा भय नहीं खाते, न ही मेरी आज्ञाओं का पालन करते बल्कि अपने लाभ के लिए गिरजों का निर्माण करते, हां, और वे सभी जो दुष्टता करते और शैतान के राज्य की स्थापना करते—हां, मैं उनसे सच, सच कहता हूं, कि ये वे हैं, जिन्हें मैं परेशान, और पूरी तरह से थरथराने और विचलित होने के लिए मजबूर करूंगा ।

57 देखो, मैं यीशु मसीह हूं, परमेश्वर का पुत्र । मैं अपने घर आया, और मेरे अपनों ने मुझे ग्रहण नहीं किया ।

58 मैं वह ज्योति हूं जो अंधकार में चमकती है, और अंधकार इसे ग्रहण नहीं करता ।

59 मैं वह हूं जिसने कहा था—मेरी और भी भेड़ें हैं जो इस भेड़शाला की नहीं हैं—अपने शिष्यों, और अन्य बहुतों से जो मुझे समझ नही पाए थे ।

60 और मैं इन लोगों को दिखाऊंगा कि मेरी और भी भेड़ें हैं, और वे याकूब के घराने की शाखा थीं;

61 और मैं उनके अद्भुत कार्यों को प्रकट करूंगा; जो उन्होंने मेरे नाम में किए थे;

62 हां, और अपने सुसमाचार को भी प्रकट करूंगा जोकि उन्हें प्रचारित किया गया था, और देखो, वे उसका इंकार नहीं करेंगे जोकि तुमने प्राप्त किया है, लेकिन वे इसे मजबूत करेंगे, और मेरे सिद्धांत की सच्ची बातों को प्रकट करेंगे, हां, और केवल वही सिद्धांत जोकि मुझ में है ।

63 और यह मैं करता हूं ताकि मैं अपने सुसमाचार को स्थापित कर सकूं, ताकि इतना अधिक विवाद न हो; हां, शैतान लोगों के हृदयों को मेरे सिद्धांत की बातों के संबंध विवाद करने के लिए उकसाता है; और इन बातों को समझने में वे गलती करते हैं, क्योंकि वे धर्मशास्त्रों के उलट पलट करते हैं और इन्हें समझते नहीं हैं ।

64 इसलिए, मैं उन पर इस महान रहस्य को प्रकट करूंगा;

65 क्योंकि, देखो, मैं उन्हें इस प्रकार एकत्रित करूंगा जैसे मूर्गी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे एकत्रित्र करती है, यदि वे अपने हृदयों को कठोर नहीं करते हैं;

66 हां, यदि वे आते हैं, वे आएं, और जीवन के जल को निःशुल्क ग्रहण करें ।

67 देखो, यह मेरा सिद्धांत है—जो कोई पश्चाताप करता और मेरे पास आता है, वह मेरे गिरजे का सदस्य है ।

68 जो कोई इससे अधिक या कम की घोषणा करता है, वह मेरे साथ नहीं, अपितु मेरे विरूद्ध है; इसलिए वह मेरे गिरजे का सदस्य नहीं है ।

69 और अब, देखो, जो कोई मेरे गिरजे का सदस्य है, और अंत तक मेरे गिरजे में दृढ़ बना रहता है, उसे मैं अपनी चट्टान पर स्थापित करूंगा, और नरक के फाटक उन पर प्रबल नहीं होगें ।

70 और अब, उसके शब्दों को स्मरण रखो जो संसार का जीवन और ज्योति है, तुम्हारा मुक्तिदाता, तुम्हारा प्रभु और तुम्हारा परमेश्वर । आमीन ।