खंड 107
भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ द्वारा, पौरोहित्य पर, कर्टलैंड, ओहायो में, लगभग अप्रैल 1835 में, दिया गया प्रकटीकरण । हालांकि यह खंड 1835 में लिखा गया था, ऐतिहासिक अभिलेख पुष्टि करते हैं कि 60 से 100 तक आयतें 11 नवंबर 1831 में जोसफ स्मिथ द्वारा दिए प्रकटीकरण को शामिल करती हैं । यह खंड फरवरी और मार्च 1835 में बारह की परिषद के संगठन से संबंधित था । भविष्यवक्ता को इसे उनकी उपस्थिति में देने की संभावना थी जो 3 मई 1835 को अपने पहले परिषद मिशन पर जाने की तैयारी कर रहे थे ।
1–6, दो पौरोहित्य हैं: मेल्कीसेदेक और हारूनी; 7–12, जिनके पास मेल्कीसेदेक पौरोहित्य है उनके पास गिरजे के सभी पदों पर कार्य करने का अधिकार है; 13–17, धर्माध्यक्षता हारूनी पौरोहित्य की अध्यक्षता करता है, जो बाहरी विधियों को समंपन्न करते हैं; 18–20, मेल्कीसेदेक पौरोहित्य सभी आत्मिक आशीषों की कुंजियां धारण करता है; हारूनी पौरोहित्य स्वर्गदूतों की सेवकाई की कुंजियां धारण करता है; 21–38, प्रथम अध्यक्षता, बारह, और सत्तर मिलकर अधीक्षण परिषद गठित करते हैं, जिनके निर्णय एकता और धार्मिकता में लिए जाते हैं; 39–52, आदम से नूह तक कुलपति की व्यवस्था स्थापित की गई है; 53–57, प्रचीन संत आदम-ओंदी-आमन में एकत्रित हुए थे, प्रभु उन्हें प्रकट हुआ था; 58–67, बारह को गिरजे के अधिकारियों को नियमानुसार संगठित करना है; 68–76, धर्माध्यक्ष इस्राएल के सामान्य न्यायधीक्ष के रूप में सेवा करते हैं; 77–84, प्रथम अध्यक्षता और बारह मिलकर गिरजे में उच्चतम न्यायालय का गठन करते हैं; 85–100, पौरोहित्य अध्यक्ष अपनी अपनी परिषदों को नियन्त्रित करते हैं ।
1 गिरजे में दो पौरोहित्य हैं, जैसे कि, मेल्कीसेदेक और हारूनी, लेवीय पौरोहित्य सहित ।
2 पहली को मेल्कीसेदेक पौरोहित्य इसलिए कहते हैं क्योंकि मेल्कीसेदेक एक बहुत महान उच्च याजक था ।
3 उसके समय से पहले इसे पवित्र पौरोहित्य, परमेश्वर के पुत्र की रीति पर कहा जाता था ।
4 लेकिन सर्वशक्तिमान के नाम के प्रति आदर या श्रद्धा के कारणवश, उसके नाम को लगातार दोहराने से बचने के लिए, गिरजे ने, प्रचीन समय में, इस पौरोहित्य को मेल्कीसेदेक के नाम पर, या मेल्कीसेदेक पौरोहित्य बुलाया ।
5 गिरजे में अन्य सभी पदाधिकारी या अधिकारी इस पौरोहित्य से जुड़े हुए हैं ।
6 लेकिन दो विभाजन या मुख्य भाग हैं—एक मेल्कीसेदेक पौरोहित्य है, और दूसरा हारूनी या लेवीय पौरोहित्य है ।
7 एल्डर का पद मेल्कीसेदेक पौरोहित्य के अंतर्गत आता है ।
8 मेल्कीसेदेक पौरोहित्य अध्यक्षता करने के अधिकार रखता है, और इसके पास गिरजे में सभी पदों पर विश्वभर में सभी युगों में आत्मिक कार्यों को निर्देशित की शक्ति और अधिकार होता है ।
9 उच्च पौरोहित्य की अध्यक्षता, मेल्कीसेदेक की रीति से, के पास गिरजे में सभी पदों पर कार्य करने का अधिकार होता है ।
10 उच्च याजकों के पास मेल्कीसेदेक की रीति से उनकी स्वयं की नियुक्ति में, अध्यक्षता के निर्देशन के अंतर्गत, आत्मिक कार्यों को निर्देशित करने का अधिकार है, और एल्डर, याजक (लेवीय रीति से), शिक्षक, डीकन, और सदस्य के पद में भी ।
11 एक एल्डर के पास कार्य करने का अधिकार होता है जब उच्च याजक उपस्थित न हो ।
12 उच्च याजक और एल्डर को आत्मिक कार्यों करना होता है, गिरजे के अनुबंधों और आदेशों के अनुसार; और उनके पास गिरजे के इन सभी पदों में कार्य करने का अधिकार है जब कोई अन्य उच्चतर अधिकार उपस्थित न हो ।
13 द्वितीय पौरोहित्य को हारूनी पौरोहित्य कहते हैं, क्योंकि यह हारून और उसके वंश को प्रदान की गई थी, उनकी संपूर्ण पीढ़ियों को ।
14 इसे लघुतर पौरोहित्य क्यों कहा जाता है क्योंकि यह उच्चतर से जुडी है, या मेल्कीसेदेक पौरोहित्य, और इसके पास बाह्य विधियों को करने का अधिकार है ।
15 धर्माध्यक्ष इस पौरोहित्य की अध्यक्षता करता है, और इसकी कुंजियां या अधिकार को धारण करता है ।
16 किसी भी पुरूष के पास इस पद के लिए कानूनी अधिकार नहीं है, इस पौरोहित्य की कुंजियों को धारण करने का, सिवाय वह जो हारून के वास्तविक वंशज से हो ।
17 लेकिन मेल्कीसेदेक पौरोहित्य के उच्च याजक के पास सभी लघुतर पदों पर कार्य करने का अधिकार है, वह धर्माध्यक्ष के पद पर कार्य कर सकता है जब हारून का कोई वास्तविक वंशज नहीं मिलता है, बशर्ते उसे मेल्कीसेदेक पौरोहित्य अध्यक्षता के हाथों द्वारा इस अधिकार के लिए बुलाया और समर्पित और नियुक्त किया गया हो ।
18 उच्चतर या मेल्कीसेदेक पौरोहित्य की शक्ति और अधिकार, गिरजे की सभी आत्मिक आशीषों की कुंजियां धारण करना है—
19 स्वर्ग के राज्य के रहस्यों को प्राप्त करने का विशेषाधिकार होना, उनके लिए स्वर्गों को खोलना, पहिलौठे की साधारण सभा और कलीसिया की संगति करना, और परमेश्वर पिता और नये अनुबंध के मध्यस्थ यीशु की उपस्थिति और संगति का आनंद लेना ।
20 लघुतर या हारूनी पौरोहित्य की शक्ति और अधिकार, स्वर्गदूतों की सेवकाई की कुंजियां धारण करना, और बाह्य विधियों को निर्देशित करना, सुसमाचार के शब्द, पापों की क्षमा के पश्चाताप का बपतिस्मा, अनुबंधों और आज्ञाओं के अनुरूप ।
21 यह जरूरी है अध्यक्ष हों, या संचालनकर्ता अधिकारी विकसित हों, या नियुक्त किए जाएं या उनमें से जो इन दो पौरोहित्यों में बहुत से पदों पर नियुक्त किए गए हैं ।
22 मेल्कीसेदेक पौरोहित्य के, तीन संचालकर्ता उच्च याजक, परिषद द्वारा चुने गए, उस पद पर बुलाए और नियुक्त किए, और गिरजे के भरोसे, विश्वास, और प्रार्थना द्वारा समर्थित किए गए, गिरजे की अध्यक्षता की परिषद गठित करने के लिए ।
23 बारह यात्रा करने वाले पार्षदों को बारह प्रेरितों, या संसार भर में यीशु के नाम के विशेष गवाहों को बुलाया जाता है—इस प्रकार गिरजे के अन्य अधिकारियों से अपनी नियुक्ति के कर्तव्यों में भिन्न होते हैं ।
24 और वे एक परिषद का गठन करते हैं, अधिकार और शक्ति में उन तीनों अध्यक्षों के समान जिनका संदर्भ पहले किया गया है ।
25 सत्तर को भी सुसमाचार का प्रचार करने और अन्य जातियों और सारे संसार में विशेष गवाह होने के लिए बुलाया जाता है—इस प्रकार गिरजे के अन्य अधिकारियों से अपनी नियुक्ति के कर्तव्यों में भिन्न होते हैं ।
26 और वे परिषद का गठन करते हैं, अधिकार में उन बारह विशेष गवाहों या प्रेरितों के समान जिनका जिक्र अभी किया गया है ।
27 और इनमें से किसी परिषद द्वारा लिया गया प्रत्येक निर्णय अवश्य ही सर्व-सम्मति से लिया जाना चाहिए; यानि, प्रत्येक परिषद में प्रत्येक सदस्य को इसके निर्णयों को स्वीकार करना चाहिए, एक दूसरे से मिलकर उनके निर्णयों को उसी शक्ति या वैधता से लागू करने के लिए—
28 जब परिस्थितियां इसे असंभव करे तो बहुमत की परिषद गठित हो सकती है—
29 यदि मामला ऐसा होता है, तो उनके निर्णय उसी आशीषों के योग्य नहीं हैं जो निर्णय तीन अध्यक्षों की परिषद के प्राचीन रूप से थे, जिन्हें मेल्कीसेदेक की रीति से नियुक्त किया गया था, और धर्मी और पवित्र पुरूष थे ।
30 इन परिषदों के निर्णय, या उनमे से कोई एक, संपूर्ण धार्मिकता में किए जाते हैं, पवित्रता में, और हृदय की दीनता, नम्रता और धीरज धर कर, विश्वास, और नैतिकता, और गुण, समझ, संयम, धैर्य, भक्ति, भाई-चारा, और उदारता में;
31 क्योंकि प्रतिज्ञा है, कि यदि ये बातें उनमें बहुतायत से हैं वे प्रभु के ज्ञान में निष्फल न होंगे ।
32 और ऐसा होता है कि इन परिषदों का कोई निर्णय अधार्मिकता से किया जाता है, तो इसे कई परिषदों की महा सभा के सम्मुख लाया जाएगा, जो गिरजे की आत्मिक अधिकारियों से मिलकर गठित होगी; वरना उनके निर्णयों का कोई पुनर्विचार नहीं किया जा सकता है ।
33 बारह यात्रा करने वाले अधीक्षण उच्च परिषद हैं, गिरजे की अध्यक्षता के निर्देशन के अंतर्गत प्रभु के नाम में कार्य करने वाले, स्वर्ग की संस्था को स्वीकार्य; गिरजे का निर्माण करने, और इसके सभी कार्यों को सारे राष्ट्रों में नियंत्रित करने के लिए, पहले अन्य जातियों को और बाद में यहूदियों को ।
34 सत्तर प्रभु के नाम में कार्य करते हैं, बारह या यात्रा करने वाले उच्च परिषद के निर्देशन के अंतर्गत, गिरजे का निर्माण करने और इसके सारे कार्यों को सारे राष्ट्रों में नियंत्रित करने के लिए, पहले अन्य जातियों को और फिर यहूदियों को—
35 बारह को बाहर भेजा जाता है, कुंजियों के साथ, यीशु मसीह के सुसमाचार की घोषणा करने के द्वार को खोलने के लिए, और पहले अन्य जातियों को और फिर यहुदियों को ।
36 स्थाई उच्च परिषदें, सिय्योन के स्टेकों पर, परिषद का गठन करती हैं गिरजे के कार्यों को करने के अधिकार में समान, उनके सभी निर्णयों में, अध्यक्षता की परिषद को, या यात्रा करने वाली उच्च परिषद ।
37 सिय्योन में उच्च परिषद एक परिषद गठित करती है गिरजे के कार्यों को करने के अधिकार में समान, उनके सभी निर्णयों में, सिय्योन के स्टेकों में बारह परिषदों के लिए ।
38 यह यात्रा करने वाली उच्च परिषद का कर्तव्य है सत्तर को बुलाना, जब उन्हें सहायता की आवश्यकता हो, सुसमाचार का प्रचार और कार्य करने कई नियुक्तयों को भरने के लिए, किसी अन्य के बजाय ।
39 यह बारह का कर्तव्य है, गिरजे की सभी बड़ी शाखाओं में, सुसमाचार शिक्षकों को नियुक्त करना, जैसा उन्हें प्रकटीकरण द्वारा दर्शाया जाएगा—
40 इस पौरोहित्य की रीति पिता से बेटे को प्रदान करने की पुष्टी की गई थी, और वैधानिकरूप से चुने गए वास्तविक वंश से सबंध रखती है, जिन से प्रतिज्ञाएं की गई थी ।
41 यह रीति आदम के समय में स्थापित की गई थी, और निम्नलिखित प्रकार से वंश में चलती आई है:
42 आदम से शेत, जो आदम द्वारा उनहत्तर वर्ष की आयु में नियुक्त किया गया था, और उसके द्वारा उसकी (आदम की) मृत्यु के पहले आशीषित किया गया था, और अपने पिता द्वारा परमेश्वर की आशीष को प्राप्त किया था, कि उसके वंशज प्रभु द्वारा चुनें जाने चाहिए, और कि वे पृथ्वी के अंत तक सुरक्षित रखे जाने चाहिए;
43 क्योंकि वह (शेत) परिपूर्ण पुरूष था, और उसका स्वरूप उसके पिता के समान व्यक्त किया गया था, जब तक कि वह सब बातों में अपने पिता के समान लगता था, और केवल अपनी आयु के द्वारा उससे भिन्न था ।
44 इनोस को एक सौ चौंतीस वर्ष और चार महिने की आयु में नियुक्त किया गया था, आदम के हाथों के द्वारा ।
45 परमेश्वर ने केनान को उसकी आयु के चालीसवें वर्ष में निर्जन प्रदेश में बुलाया था; और वह आदम से शेडोलामाक स्थान में यात्रा करते हुए मिला था । वह सत्तासी वर्ष का था जब उसने अपनी नियुक्ति प्राप्त की थी ।
46 माहालालील चार सौ पिचानवे वर्ष और सात दिन की आयु का था जब वह आदम के हाथों नियुक्त किया गया था, जिसने उसे आशीषित भी किया था ।
47 जेरड दो सौ वर्ष की आयु का था जब वह आदम के हाथों नियुक्त किया गया था, जिसने उसे आशीषित भी किया था ।
48 इनोक पच्चीस वर्ष की आयु का था जब वह आदम के हाथों नियुक्त किया गया था; और वह पैंसठ वर्ष की आयु का था और आदम ने उसे आशीषित किया था ।
49 और उसने प्रभु को देखा, और उसके साथ चला था, और निरंतर उसके चेहरे के सामने रहा था; और वह परमेश्वर के साथ तीन सौ और पैंसठ वर्ष चला था, वह चार सौ और तीस का वर्ष का था जब वह परिवर्तित हुआ था ।
50 मेथूसेलाह एक सौ वर्ष की आयु का था जब वह आदम के हाथों नियुक्त किया गया था ।
51 लामेक बत्तीस वर्ष की आयु का था जब वह शेत के हाथों नियुक्त किया गया था ।
52 नूह दस वर्ष की आयु का था जब वह मेथूसेलाह के हाथों नियुक्त हुआ था ।
53 आदम की मृत्यु से तीन वर्ष से पहले, उसने शेत, इनोस, कैनन, माहालालील, जेरड, इनोक, और मेथूसेलाह को बुलाया था, वे सब उच्च याजक थे, उसके वंशज के अवशेष के साथ जोकि धार्मिक थे, आदम-ओंदी-आमन की घाटी में, और वहां उन पर उसकी अंतिम आशीष प्रदान की थी ।
54 और प्रभु उन्हें प्रकट हुआ था, और वे उठे और आदम को आशीषित किया, और उसे माइकल, राजकुमार, प्रधान दूत, बुलाया था ।
55 और प्रभु ने आदम को दिलासा प्रदान की थी, और उससे कहा था: मैंने तुम्हें प्रधान होना नियुक्त किया है; बहुत से राष्ट्र तुम से उत्पन्न होंगे, और तुम उनके लिए हमेशा के लिए राजकुमार हो ।
56 और आदम समूह के बीच खड़ा हुआ; और यद्यपि वह आयु के कारण झुका हुआ था, क्योंकि वह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण था, भविष्यवाणी की जो कुछ भी उसके वंश की वर्तमान पीढ़ी पर होने को था ।
57 ये सब बातें इनोक की पुस्तक में लिखी हैं, और निश्चित समय पर प्रमाणित की जाएंगी ।
58 यह बारह का कर्तव्य है, गिरजे के अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति करना और सब कुछ संगठित करना, प्रकटीकरण के अनुसार जो कहता है:
59 सिय्योन प्रदेश में मसीह के गिरजे को, गिरजे के काम-काज के संबंध में गिरजे की व्यवस्था के अतिरिक्त—
60 मैं तुम से, सच, कहता हूं, सेनाओं का प्रभु कहता है, जो एल्डर के पद पर हैं उनका संचालन करने के लिए अवश्य ही एल्डरों को होना चाहिए;
61 और जो याजक के पद पर हैं उनका संचालन करने के लिए भी याजकों को होना चाहिए;
62 और जो शिक्षक के पद पर हैं उनका संचालन करने के लिए शिक्षकों को होना चाहिए, इसी प्रकार, डीकनों पर भी—
63 इसलिए, डीकन से शिक्षक, और शिक्षक से याजक, और याजक से एल्डर, बहुत से जब वे नियुक्त किए जाते हैं, गिरजे के अनुबंधों और आदेशों के अनुसार ।
64 फिर आता है उच्च पौरोहित्य, जोकि सबसे बड़ा है ।
65 इसलिए, यह जरूरी है कि एक उच्च पौरोहित्य को इस पौरोहित्य का संचालन करने के लिए नियुक्त किया जाए, और वह गिरजे की उच्च पौरोहित्य का अध्यक्ष कहलाया जाएगा;
66 या, अन्य शब्दों में, गिरजे की उच्च पौरोहित्य का अधीक्षण उच्च याजक ।
67 उसी से गिरजे का विधियों का प्रशासन और आशीषें आती हैं, हाथों को रखने के द्वारा ।
68 इसलिए, धर्माध्यक्ष का पद इसके समान नहीं है; क्योंकि धर्माध्यक्ष का पद सभी संसारिक बातों का प्रबंध करने के लिए है;
69 फिर भी धर्माध्यक्ष को उच्च पौरोहित्य से चुना जाना चाहिए, जब तक वह हारून का वास्तविक वंशज न हो;
70 क्योंकि जब तक वह हारून का वास्तविक वंशज है वह उस पौरोहित्य की कुंजियों को धारण नहीं कर सकता है ।
71 फिर भी, उच्च याजक, यानि, मेल्कीसेदेक की रीति के अनुसार, संसारिक बातों के लिए समर्पित किया जा सकता है, सच्चाई की आत्मा से उनके ज्ञान के होते हुए;
72 और इस्राएल का न्यायाधीक्ष होना भी, गिरजे का काम-काज करने के लिए, उल्लंघन करने वाले की गवाही का न्याय करने के लिए जब इसे उसके सम्मुख व्यवस्था के अनुसार रखा जाएगा, अपने सलाहकारों की सहायता से, जिसे उसने चुना है या चुनेगा गिरजे के एल्डरों के बीच से ।
73 यह धर्माध्यक्ष का कर्तव्य है जोकि हारून का वास्तविक वंशज नहीं है, लेकिन मेल्कीसेदेक की रीति से उच्च पौरोहित्य में नियुक्त किया गया है ।
74 इस प्रकार वह न्यायाधीश होगा, सिय्योन के निवासियों के बीच सामान्य न्यायाधीश, या सिय्योन के स्टेक में, या गिरजे की किसी शाखा में जहां उसे इस सेवकाई के लिए समर्पित किया जाएगा, जब तक सिय्योन की सीमाएं फैलाई जाती हैं और यह जरूरी हो जाता है अन्य धर्माध्यक्षों या न्यायाधीश को सिय्योन में या कहीं और रखना ।
75 और जब तक अन्य धर्माध्यक्ष नियुक्त किए जाते हैं वे उसी पद पर कार्य करते रहेंगे ।
76 लेकिन हारून के वास्तविक वंशज के पास इस पौरोहित्य की अध्यक्षता करने का कानूनी हक है, इस सेवकाई की कुंजियां पाने का, धर्माध्यक्ष के पद पर स्वतंत्ररूप से कार्य करने का, बिना सलाहकारों के, सिवाय उस दशा में जहां उच्च पौरोहित्य के अध्यक्ष की, मेल्कीसेदेक की रीति के अनुसार, सुनवाई चल रही हो, इस्राएल का न्यायाधीश बनने के लिए ।
77 और इन में से किसी भी परिषदों के निर्णय, उस आदेश के अनुसार जो कहता है:
78 फिर, मैं तुम से, सच, कहता हूं, गिरजे का अति महत्वपूर्ण काम-काज, और गिरजे की सबसे कठिन समस्यों में, जब तक धर्माध्यक्ष या न्यायाधीशों के निर्णय पर संतुष्टि नहीं होती, इसे गिरजे की परिषद को सौंप दिया और आगे ले जाया जाएगा, उच्च पौरोहित्य की अध्यक्षता के सम्मुख ।
79 और उच्च पौरोहित्य की परिषद की अध्यक्षता के पास अन्य उच्च याजकों, बारह को भी, सलाहकारों के रूप में बुलाने का अधिकार होगा; और इस उच्च पौरोहित्य की अध्यक्षता और इसके सलाहकारों के पास गिरजे की व्यवस्था के अनुसार गवाही पर निर्णय लेने का अधिकार होगा ।
80 और इस निर्णय के बाद इसे प्रभु के समक्ष बिलकुल भी याद नहीं किया जाएगा; क्योंकि यह परमेश्वर के गिरजे की उच्चतम परिषद है, और आत्मिक बातों के विवादों पर अंतिम निर्णय ।
81 गिरजे से संबंध रखने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे गिरजे की इस परिषद छूट मिलती है ।
82 जब तक उच्च पौरोहित्य का अध्यक्ष उल्लंघन करता है, वह गिरजे की सामान्य परिषद में याद किया जाएगा, जिसकी सहायता उच्च पौरोहित्य के बारह सलाहकारों द्वारा की जाएगी;
83 और उनका निर्णय उसके संबंध में उसके सिर पर विवाद का अंत होगा ।
84 इस प्रकार, कोई परमेश्वर के न्याय और व्यवस्था से छूट नहीं सकेगा, कि उसके समक्ष सब बातें रीति अनुसार और गंभीरता से की जाएंगी; सच्चाई और धार्मिकता के अनुसार ।
85 और फिर मैं तुम से सच कहता हूं, डीकन के पद पर अध्यक्ष का कर्तव्य बारह डीकनों का संचालन करना है, उनके साथ परिषद में बैठना है, और उन्हें उनके कर्तव्यों को सीखाना है, एक दूसरे को ऊंचा उठाना है, जैसा यह अनुबंधों के अनुसार दिया गया है ।
86 और शिक्षकों के पद पर अध्यक्ष का कर्तव्य भी चौबीस शिक्षकों का संचालन करना है, और उनके साथ परिषद में बैठना है, उन्हें उनके पद के कर्तव्यों को सीखाना है, जैसे अनुबंधों में दिया गया है ।
87 हारून की पौरोहित्य पर अध्यक्ष का कर्तव्य अड़तालीस याजकों का संचालन करना है, और उनके साथ परिषद में बैठना है, उनके पदों के कर्तव्यों को उन्हें सीखाना है, जैसे अनुबंधों में दिया गया है—
88 इस अध्यक्ष को धर्माध्यक्ष होना चाहिए; क्योंकि यह इस पौरोहित्य के कर्तव्यों में से एक है ।
89 फिर, एल्डरों के पद पर अध्यक्ष का कर्तव्य छियानवे एल्डरों का संचलान करना है, और उनके साथ परिषद में बैठना है, और उन्हें अनुबंधों के अनुसार सीखाना है ।
90 यह अध्यक्षता उससे भिन्न है जो सत्तर की होती है, और उनके लिए नियुक्त है जो सारे संसार में यात्रा नहीं करते हैं ।
91 और फिर, उच्च पौरोहित्य के पद के अध्यक्ष का कर्तव्य संपूर्ण गिरजे का संचालन करना है, और मूसा के समान होना है—
92 देखो, इसमें समझदारी है; हां, दूरदर्शी, प्रकटीकर्ता, अनुवादक, और भविष्यवक्ता होना, परमेश्वर के सारे उपहार प्राप्त करते हुए जिन्हें परमेश्वर गिरजे के प्रधान पर प्रदान करता है ।
93 और यह उस द्वियदर्शन के अनुसार है जो सत्तर के संगठन को दर्शाता है, कि उनका संचालन करने के लिए उन पर सात अध्यक्ष हों, जो सत्तर की संख्या में से चुनें जाएं;
94 और इस अन्य अध्यक्षों में से सातवां अध्यक्ष छह का संचालन करता है;
95 और इन सात अध्यक्षों को अन्य सत्तर को चुनना है उस प्रथम सत्तर के अलावा जिससे ये संबंध रखते हैं, और उनका संचालन करना है;
96 और अन्य सत्तर भी, जब तक सात बार सत्तर न हो, यदि दाख की बारी में कार्य करने की आवश्यकता हो ।
97 और ये सत्तर यात्रा करने वाले सेवक होने चाहिए, पहले अन्यजातियों के लिए और बाद में यहूदियों के लिए भी ।
98 जबकि गिरजे के अन्य पदाधिकारी, जो बारह से संबंध नहीं रखते हैं, और न ही सत्तर से, सारे राष्ट्रों में यात्रा करने की जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन उनकी परिस्थितियों के अनुसार यात्रा करते है, तौभी वे गिरजे में उच्च और जिम्मेवार पदों को धारण कर सकते हैं ।
99 इसलिए, अब प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्य को सीखे, और उस पद के अनुसार कार्य करे जिस पर उसे नियुक्त किया जाता है, संपूर्ण परिश्रम से ।
100 वह जो आलसी है उसे खड़े रहने के योग्य नहीं समझा जाएगा, और वह जो अपने कर्तव्यों को नहीं सीखता है और स्वयं को अयोग्य प्रदर्शित करता है वह खड़े रहने के योग्य नहीं समझा जाएगा । तो भी । आमीन ।