पवित्रशास्त्र
सिद्धांत और अनुबंध 132


खंड 132

भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ द्वारा, नावू, एलिनोए, में 12 जुलाई 1843 को लिखा गया, नये और अनंत अनुबंध के संबंध में, अनंतकाल का विवाह अनुबंध और बहुविवाह सिद्धांत सहित । यद्यपि यह प्रकटीकरण 1843 में लिखा गया था, साक्ष्य दर्शाता है कि इस प्रकटीकरण में सम्मलित कुछ सिद्धांत भविष्यवक्ता को 1831 में पहले ही ज्ञात हो गए थे । देखें आधिकारिक घोषणा 1 ।

1–6, उत्कर्ष नए और अनंत अनुबंध के माध्यम से प्राप्त किया जाता है; 7–14, इस अनुबंध के नियम और विनियम निर्धारित किए जाते हैं; 15–20, सिलेस्टियल विवाह और पारिवारिक इकाई निरंतरता मनुष्य को ईश्वर बनने के योग्य बनाता है; 21–25, सीधा और संकरा मार्ग अनंत जीवनों की ओर ले जाता है; 26–27, पवित्र आत्मा के विरूद्ध निंदा के संबंध में नियम दिया जाता है; 28–39, अनंत वृद्धि और उत्कर्ष की प्रतिज्ञाएं सभी युगों में भविष्यवक्ताओं और संतों से बनाई जाती हैं; 40–47, जोसफ स्मिथ को पृथ्वी पर और स्वर्ग में बांधने और मुहरबंद करने की शक्ति दी जाती है; 48–50, प्रभु उस पर उसके उत्कर्ष को मुहरबंद करता है; 51–57, एम्मा स्मिथ को विश्वासी और सच्चे रहने की सलाह दी जाती है; 58-66, बहुविवाह को नियंत्रण करने वाले नियम कायम किए जाते हैं ।

1 सच में, प्रभु तुम से इस प्रकार कहता है मेरे सेवक जोसफ, क्योंकि तुमने मुझ से जानना और समझना चाहा है कि कैसे, मैं, प्रभु, ने अपने सेवकों इब्राहीम, इसहाक, और याकूब, मूसा, दाऊद और सुलेमान, मेरे सेवकों को भी, बहुत पत्नियां और रखैल रखने के संवेदनशील नियम और सिद्धांत को उचित ठहराया था—

2 देखो, और नजर उठाओ, मैं प्रभु तुम्हारा परमेश्वर हूं, और तुम्हें इस संवेदनशील विषय का उत्तर दूंगा ।

3 इसलिए, अपने हृदय को उन निर्देशों को पाने और पालन करने के लिए तैयार करो जो मैं तुम्हें देने वाला हूं; क्योंकि वे सब जिन्हें यह व्यवस्था दी गई है उन्हें इसका पालन करना चाहिए ।

4 क्योंकि देखो, मैं तुम्हें एक नया और अनंत अनुबंध देता हूं; और यदि तुम इस अनुबंध का पालन नहीं करते हो, तो तुम्हारा इंकार किया जाता है; क्योंकि कोई भी इस अनुबंध को अस्वीकार करके मेरी महिमा में प्रवेश करने की अनुमति नहीं प्राप्त कर सकता ।

5 क्योंकि वे सब जो मेरे हाथों से आशीष प्राप्त करेंगे उस व्यवस्था का पालन करेंगे जिसे स्थापित किया गया था क्योंकि वह आशीष, और इसकी शर्तें, जैसे कि संसार की नींव से पहले स्थापित की गई थी ।

6 और जैसा कि नये और अनंत अनुबंध के संबंध में, इसे मेरी महिमा की परिपूर्णता के लिए स्थापित किया गया था; और वह जो इसकी परिपूर्णता को प्राप्त करता है इस व्यवस्था का पालन करना चाहिए और करेगा, वरना उसका इंकार कर दिया जाएगा, प्रभु परमेश्वर कहता है ।

7 और मैं तुम से सच कहता हूं, कि इस व्यवस्था की शर्तें ये हैं: सभी अनुबंधों, इकरारनामे, बंधनों, दायित्वों, शपथों, वचनों, प्रदर्शनों, संबंधों, समितियों, या आशाओं, जो पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा द्वारा नहीं बनाए और कायम और मुहरबंद किए जाते हैं, उसके द्वारा जिसे नियुक्त किया गया है, समय और अनंतकाल दोनों के लिए, और जोकि अत्यधिक पवित्र है, प्रकटीकरण और आज्ञा के द्वारा मेरे अभिषिक्त के माध्यम से, जिसे मैंने इस पृथ्वी पर नियुक्त किया है इस शक्ति को पाने के लिए (और मैंने अपने सेवक जोसफ को इस शक्ति को पाने के लिए अंतिम दिनों में नियुक्त किया है, और कभी भी एक समय में एक अधिक नहीं हुआ है जिसे इस पौरोहित्य की शक्ति और कुंजियां प्रदान की गई हो), में कोई क्षमता, प्रभाव, या बल नहीं है मरे हुओं से जी उठने में और इसके बाद; क्योंकि सारे इकरारनामे जो इस उद्देश्य से नहीं बनाए जाते हैं मनुष्य की मृत्यु के साथ समाप्त हो जाते हैं ।

8 देखो, मेरा घर अनुशासन का घर है, प्रभु परमेश्वर कहता है, और अव्यवस्था घर नहीं है ।

9 क्या मैं उस भेंट को स्वीकार करूंगा, प्रभु कहता है, जो मेरे नाम में नहीं दी गई है?

10 या क्या मैं तुम्हारे हाथों से उसे स्वीकार करूंगा जिसे मैंने नियुक्त नहीं किया है?

11 और क्या मैं तुम्हारे लिए नियुक्त करूंगा, प्रभु कहता है, जबतक यह व्यवस्था द्वारा न हो, जिस प्रकार मैंने और मेरे पिता ने तुम्हारे लिए नियुक्त किया, संसार की नींव से पहले?

12 मैं प्रभु तुम्हारा परमेश्वर हूं; और मैं तुम्हारे लिए यह आज्ञा देता हूं—कि कोई मनुष्य पिता के पास नहीं पहुंच सकता सिवाय मेरे द्वारा या मेरे वचन के द्वारा, जोकि मेरी व्यवस्था है, प्रभु कहता है ।

13 और प्रत्येक बात जो संसार में है, बेशक मनुष्य द्वारा नियुक्त हो, सिंहासनों द्वारा, या प्रभुताओं, या शक्तियों, वस्तुओं के नाम के द्वारा, वे चाहे कुछ भी हों, कि वे मेरे द्वारा या मेरे वचन के द्वारा नहीं हैं, प्रभु कहता है, नीचे फेंक दी जाएगी, मनुष्य के मरने के बाद कायम नहीं रहेंगी, न तो पुनरूत्थान में और न ही इसके बाद, प्रभु तुम्हारा परमेश्वर कहता है ।

14 क्योंकि जो बातें कायम रहती हैं मेरे द्वारा हैं; और जो बातें मेरे द्वारा नहीं हैं भंग और नष्ट की जाएंगी ।

15 इसलिए, यदि पुरूष अपनी पत्नी से संसार विवाह करता है, और वह उससे विवाह करता है मेरे द्वारा नहीं और न ही मेरे वचन के द्वारा, और उससे अनुबंध करता है जब तक वह इस संसार में है और वह उसके साथ है, उनका अनुबंध और विवाह कायम नहीं रहते हैं जब वे मर जाते हैं, और जब वे इस संसार से जाते हैं; इसलिए, वे किसी नियम द्वारा बंधे नहीं रहते हैं जब वे इस संसार से जाते हैं ।

16 इसलिए, जब वे इस संसार से जाते हैं वे न तो विवाह करते हैं और न ही विवाह में दिए जाते हैं; स्वर्ग में दूत नियुक्त किए जाते हैं, ये दूत सेवा करने वाले सेवक हैं, उनकी सेवा करने के लिए जो बहुत ही योग्य हैं, और महत्वपूर्ण, और अनंत महिमा उत्पन्न करता है ।

17 क्योंकि इन दूतों ने मेरी व्यवस्था का पालन नहीं किया था; इसलिए, इनकी वृद्धि नहीं हो सकती है, बल्कि अकेले और अविवाहित रहते हैं, बिना उत्कर्ष के, अपनी उद्धार की अवस्था में, संपूर्ण अनंतकाल के लिए; और अब ईश्वर नहीं है, बल्कि हमेशा और सदैव के लिए परमेश्वर के दूत हैं ।

18 और फिर, मैं तुम से सच कहता हूं, यदि पुरूष पत्नी से विवाह करता है, और उसके साथ अनुबंध बनाता है समय और अनंतकाल के लिए, यदि यह अनुबंध मेरे द्वारा नहीं या मेरे वचन द्वारा नहीं है, जोकि मेरी व्यवस्था है, और पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा द्वारा मुहरबंद नहीं है, उसके माध्यम से जिसे मैंने अभिषिक्त और नियुक्त किया है इस शक्ति से, तब यह न तो वैध है और न ही कायम रहती है जब वे इस संसार से जाते हैं, क्योंकि वे मेरे द्वारा नहीं जोड़े गए हैं, प्रभु कहता है, और न ही मेरे वचन द्वारा; जब वे इस संसार से जाते हैं वहां स्वीकार नहीं किए जाते हैं, क्योंकि दूत और ईश्वर जो वहां नियुक्त किए गए हैं, उनके द्वारा वे रोके जा सकते; वे, इसलिए, वे मेरी महिमा को नहीं प्राप्त कर सकते; क्योंकि मेरा घर अनुशासन का घर है, प्रभु परमेश्वर कहता है ।

19 और फिर, मैं तुम से सच कहता हूं, यदि कोई पुरूष अपनी पत्नी से मेरे वचन के द्वारा विवाह करता है, जोकि मेरी व्यवस्था है, और नये और अनंत अनुबंध के द्वारा, और इसे उनके लिए पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा के द्वारा मुहरबंद किया जाता है, उसके द्वारा जो कि अभिषिक्त है, जिसे मैंने इस पौरोहित्य की इस शक्ति और कुंजियों से नियुक्त किया है; और इसे उनके लिए कहा जाएगा—तुम प्रथम पुनरूत्थान में जी उठोगे; और यदि यह प्रथम पुनरूत्थान के बाद होगा, तो अगले पुनरूत्थान में; और सिंहासनों, राज्यों, प्रभुताओं, और शक्तियों, अधिकारों, सभी उंचाइयां और गहराइयां—तब यह मेमने के जीवन की पुस्तक में लिखी जाएगी, जिसके द्वारा वह निर्दोष का लहू बहा कर हत्या नहीं करेगा, और यदि वह मेरे अनुबंध का पालन करता है, और निर्दोष का लहू बहा कर हत्या नहीं करता, तो ये उनके लिए किया जाएगा वे सब बातें जो मेरा सेवक उनके लिए कहता है, समय में, और अनंतता के द्वारा; और पूर्णरूप से कायम होगा जब वे इस संसार से जाते हैं; और वे दूतों द्वारा और ईश्वरों नहीं रोके जाएंगे, जो वहां नियुक्त किए गए हैं, उनके उत्कर्ष और महिमा के लिए सब बातों में, जैसा उनके सिरों पर मुहरबंद किया गया है, जिसकी प्रभुता संतानों की परिपूर्णता और निरंतरता होगी हमेशा और सदैव के लिए ।

20 तब वे ईश्वर होगें, क्योंकि उनका कोई अंत नहीं है; इसलिए वे अनंतता से अनंतता तक कायम रहेंगे, क्योंकि वे आगे बढ़ते रहेंगे; तब वे सब बातों से बढ़कर होगें, क्योंकि सब बातें उनके अधीन होंगी । तब वे ईश्वर होंगे, क्योंकि उनके पास सारी शक्ति है, और दूत उनके अधीन हैं ।

21 मैं तुम से, सच, सच कहता हूं, जब तक तुम मेरी व्यवस्था का पालन नहीं करते तुम इस महिमा को नहीं प्राप्त कर सकते ।

22 क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो उत्कर्ष को पहुंचाता और जीवनों की वृद्धि करता है, और थोड़े हैं जो इस पाते हैं, क्योंकि तुम मुझे इस संसार में ग्रहण नहीं करते और न ही तुम मुझे जानते हो ।

23 लेकिन यदि तुम मुझे इस संसार में ग्रहण करते हो, तो तुम मुझे जानोगे, और अपने उत्कर्ष को प्राप्त करोगे; कि जहां मैं हुं तुम भी होगे ।

24 यह अनंत जीवन है—एकमात्र और सच्चे परमेश्वर को जानना, और यीशु मसीह को, जिसे उनसे भेजा । मैं वह हूं । तुम ग्रहण करो, इसलिए, मेरी व्यवस्था ।

25 वह फाटक चौड़ा है, और चाकल है वह मार्ग जो मृत्यु को ले जाता है; और बहुत से हैं जो उसमें से जाते हैं, क्योंकि वे मुझे ग्रहण नहीं करते, और न ही मेरी व्यवस्था का पालन करते हैं ।

26 मैं तुम से, सच, सच, कहता हूं, यदि पुरूष पत्नी से विवाह करता है मेरे वचन के द्वारा, और वे प्रतिज्ञा की पवित्र आत्मा द्वारा मुहरबंद होते हैं, मेरी नियुक्ति के अनुसार, और वह नये और अनंत अनुबंध के प्रति कोई पाप या अपराध करता या करती है किसी भी प्रकार से, और सभी प्रकार की निंदाएं, और यदि वे कोई हत्या नहीं करते हैं जिसमें वे किसी निर्दोष का लहू बहाएं, फिर भी वे प्रथम पुनरूत्थान में जी उठेंगे, और अपने उत्कर्ष में प्रवेश करेंगे; लेकिन वे शरीर में नष्ट किए जाएंगे, और शैतान के कष्टों के लिए सौंपे जाएंगे मुक्ति के दिन, प्रभु परमेश्वर कहता है ।

27 पवित्र आत्मा के विरूद्ध निंदा, जिसे न तो इस संसार में क्षमा किया जाएगा और न ही इस संसार के बाहर, मानो तुमने हत्या की हो जिसमें तुमने निर्दोष का लहू बहाया हो, और मेरी मृत्यु की सहमति दी है, मेरे नये और अनंत अनुबंध को प्राप्त करने के बाद, प्रभु परमेश्वर कहता है; और वह जो इस व्यवस्था का पालन नहीं करता किसी भी प्रकार से मेरी महिमा में प्रवेश नहीं कर सकता है, बल्कि इससे वंचित किया जाएगा, प्रभु कहता है ।

28 मैं प्रभु तुम्हारा परमेश्वर हूं, और तुम्हें मेरी पवित्र पौरोहित्य की व्यवस्था दूंगा, जैसे मुझे और मेरे पिता को अभिषिक्त की गई थी इस संसार की नींव से पहले ।

29 इब्राहीम ने सब बातों को प्राप्त किया था, जो कुछ उसने प्राप्त किया था, प्रकटीकरण और आज्ञा के द्वारा, मेरे वचन के द्वारा, प्रभु कहता है, और अपने उत्कर्ष को प्राप्त किया था और अपने सिंहासन पर बैठा था ।

30 इब्राहीम ने अपने वंशंजों, और संतानों के संबंध में प्रतिज्ञाएं प्राप्त की थी—जिसकी संतान तुम हो, अर्थात, मेरे सेवक जोसफ—जोकि निरंतर कायम रहेंगी जबतक वे इस संसार में हैं; और इब्राहीम और उसके वंशज के संबंध में, इस संसार के बाद वे कायम रहेंगे; इस संसार में और इस संसार के बाद अनगिनत तारों के समान कायम रहेंगे; या, यदि तुम समुद्र तट पर बालू को गिनो तो तुम इन्हें गिन नहीं सकते ।

31 यह प्रतिज्ञा तुम्हारी भी है, क्योंकि तुम इब्राहीम के हो, और यह प्रतिज्ञा इब्राहीम से बनाई गई थी; और इस व्यवस्था के द्वारा मेरे पिता के कार्य जारी रहते हैं, जिसमें वह स्वयं को गौरवान्वित करता है ।

32 तुम जाओ, इसलिए, और इब्राहीम के कार्यों को करो; तुम मेरी व्यवस्था में प्रवेश करो और तुम मुक्ति पाओगे ।

33 लेकिन यदि तुम मेरी व्यवस्था में प्रवेश नहीं करते तो तुम मेरे पिता की प्रतिज्ञा को प्राप्त नहीं कर सकते, जो उसने इब्राहीम से बनाई थी ।

34 परमेश्वर ने इब्राहीम को आज्ञा दी थी, और सारा ने हाजिरा इब्राहीम को पत्नी के रूप में दी थी । और उसने ऐसा क्यों किया? क्योंकि यह व्यवस्था थी; और हाजिरा से कई लोग उत्पन्न हुए । यह, इसलिए, परिपूर्ण हुआ, अन्य बातों, प्रतिज्ञाओं के साथ ।

35 क्या इब्राहीम, इसलिए दंड की अवस्था में था? मैं तुम से सच कहता हूं, नहीं; क्योंकि मैं, प्रभु, ने इसकी आज्ञा दी थी ।

36 इब्राहीम को अपने बेटे इसहाक को भेंट चढ़ाने की आज्ञा दी गई थी; हालांकि, लिखा गया था: तुम हत्या न करना । फिर भी, इब्राहीम ने इसे अस्वीकार नहीं किया, और इसे उसके लिए धार्मिकता माना गया था ।

37 इब्राहीम के पास रखैलें थी, और उनसे उसकी संतानें पैदा हुई थी; और इसे उसकी धार्मिकता माना गया था, क्योंकि वे उसे दी गई थीं, और उसने मेरी व्यवस्था का पालन किया था; ऐसे इसहाक और याकूब ने वही कार्य किए थे जिनकी उन्हें आज्ञा दी गई थी; उन्होंने अपने उत्कर्ष में प्रवेश किया था, प्रतिज्ञाओं के अनुसार, और सिंहासनों पर बैठे, और दूत नहीं वरन ईश्वर हैं ।

38 दाऊद को भी बहुत पत्नियां और रखैलें मिली थी, और सुलेमान और मूसा मेरे सेवकों को भी, ऐसे ही अन्य बहुत से मेरे सेवकों को, सृष्टि के आरंभ से अबतक; और उन्होंने किसी भी कार्य में पाप नहीं किया सिवाय उन कार्यों के जो उन्होंने मुझ से प्राप्त नहीं किए थे ।

39 दाऊद की पत्नियां और रखैलें मेरे द्वारा उसे दी गई थीं, नातान के द्वारा, मेरे सेवक, और अन्य भविष्यक्ता जिनके पास इस शक्ति की कुंजियां थीं; और इन में से किसी भी कार्य में उसने मेरे विरूद्ध पाप नहीं किया सिवाय ऊरिय्याह और उसकी पत्नी के विषय में; और इसलिए वह अपने उत्कर्ष से गिरा था, और उसे अपना भाग मिला था; और वह इस संसार के बाद उन्हें प्राप्त नहीं करेगा, क्योंकि मैंने इन्हें दूसरों को दे दिया था, प्रभु कहता है ।

40 मैं प्रभु तुम्हारा परमेश्वर हूं, और मैंने तुम्हें, मेरे सेवक जोसफ, जिम्मेदारी दी है, और सब बातों को पुनास्थापित किया है । तुम जो चाहते हो पूंछो, और इसे तुम्हें दिया जाएगा मेरे वचन के अनुसार ।

41 और जैसा तुम ने व्यभिचार के संबंध में पूछा है, मैं तुम से, सच, सच, कहता हूं, यदि पुरूष नये और अनंत अनुबंध में पत्नी प्राप्त करता है, और यदि वह किसी अन्य पुरूष की है, और मैंने उसे पवित्र अभिषेक के द्वारा नियुक्त नहीं किया है, तो वह व्यभिचार करती है और नष्ट की जाएगी ।

42 यदि वह नये और अनंत अनुबंध में नहीं है, और वह अन्य के पुरूष के साथ रहती है, तो उसने व्यभिचार किया है ।

43 और यदि पति अन्य स्त्री के साथ रहता है, और वह शपथ के अधीन था, तो उसने अपनी शपथ को तोड़ा है और व्यभिचार किया है ।

44 और यदि उसने व्यभिचार नहीं किया है, लेकिन निर्दोष है और अपने शपथ को नहीं तोड़ा है, और वह इसे जानती है, और मैंने तुम्हें इसे प्रकट किया है, मेरे सेवक जोसफ, तब तुम्हारे पास शक्ति होगी, मेरे पवित्र पौरोहित्य की शक्ति के द्वारा, उसे ले लो और उसे दे दो जिसने व्यभिचार नहीं किया है बल्कि विश्वासी रहा है; क्योंकि वह बहुत बातों का अधिकारी बनाया जाएगा ।

45 क्योंकि मैंने तुम्हें इस पौरोहित्य की कुंजियां और शक्ति प्रदान की हैं, जिसमें मैंने सब बातें पुनास्थापित की हैं, और तुम्हें सब बातें बताऊंगा उचित समय में ।

46 और मैं तुम से, सच, सच, कहता हूं, कि जो कुछ तुम पृथ्वी पर मुहरबंद करते हो स्वर्ग में मुहरबंद होगा; और जो कुछ तुम पृथ्वी पर बांधते हो, मेरे नाम में और मेरे वचन के द्वारा, प्रभु कहता है, वह अनंतरूप से स्वर्गों में बंधेगा; और जिन पापों को तुम पृथ्वी पर क्षमा करते हो वे अनंतरूप से स्वर्गों में क्षमा किए जाएंगे; और जिन पापों को तुम पृथ्वी पर स्मरण रखते हो स्वर्गों में स्मरण किए जाएंगे ।

47 और फिर, मैं सच कहता हूं, जिस किसी को तुम आशीष देते हो मैं आशीष दूंगा, और जिस किसी को तुम शाप देते हो मैं शाप दूंगा, प्रभु कहता है; क्योंकि मैं, प्रभु, तुम्हारा परमेश्वर हूं ।

48 और फिर, मैं तुम से सच कहता हूं, मेरे सेवक जोसफ, कि जो कुछ तुम पृथ्वी पर देते हो, और जिस किसी का विवाह तुम करते हो, मेरे वचन के द्वारा और मेरी व्यवस्था के अनुसार, उसे आशीषें प्राप्त होंगी और शाप नहीं, और मेरी शक्ति के द्वारा, प्रभु कहता है, और बिना दंड के होगा पृथ्वी पर और स्वर्ग में ।

49 क्योंकि मैं प्रभु तुम्हारा परमेश्वर हूं, और तुम्हारे साथ संसार के अंत तक भी रहूंगा, और संपूर्ण अनंतकाल में; क्योंकि मैं तुम पर तुम्हारा उत्कर्ष मुहरबंद करता हूं, और अपने पिता के राज्य में तुम्हारे लिए सिंहासन तैयार करता हूं, तुम्हारे पूर्वज इब्राहीम के साथ ।

50 देखो, मैंने तुम्हारे बलिदानों को देखा है, और तुम्हारे सारे पापों को क्षमा करूंगा; मैंने तुम्हारे बलिदानों को देखा है उन आज्ञाकिरता के प्रति जो मैंने तुम्हें कहे है । इसलिए, जाओ, और मैं तुम्हारे बचने के लिए मार्ग तैयार करता हूं, जैसे मैंने इब्राहीम की उसके बेटे इसहाक की भेंट को स्वीकार किया था ।

51 सच में, मैं तुम से कहता हू: एक आज्ञा मैं तुम्हें अपनी दासी देता हूं, एम्मा स्मिथ, तुम्हारी पत्नी, जिसे मैंने तुम्हें दिया है, कि वह स्वयं को दूर रखती है और उसमें शामिल न हो जिसकी आज्ञा मैंने तुम्हें उसे भेंट करने को दी है; क्योंकि मैंने इसे किया था, प्रभु कहता है, तुम दोनों को साबित करने को, जैसा मैंने इब्राहीम के साथ किया था और कि मुझे तुम्हारे हाथ से भेंट की आवश्यकता हो सकती है, अनुबंध और बलिदान के द्वारा ।

52 और मेरी दासी, एम्मा स्मिथ, उन बातों को प्राप्त करे जो मेरे सेवक जोसफ को दी गई हैं, और वे जो मेरे समक्ष सदाचारी और शुद्ध हैं; और वे जो शुद्ध नहीं है, और कहते हैं वे शुद्ध हैं, नष्ट किए जाएंगे, प्रभु परमेश्वर कहते हैं ।

53 क्योंकि मैं प्रभु तुम्हारा परमेश्वर हूं, और तुम मेरी वाणी की आज्ञा पालन करोगे; और मैं तुम्हें अपना सेवक जोसफ देता हूं कि वह बहुत सी बातों में अधिकारी बनाया जाएगा; क्योंकि वह कुछ बातों में विश्वासी रहा है, और अब से मैं उसे बल दूंगा ।

54 और मैं अपनी दासी, एम्मा स्मिथ, को आज्ञा देता हूं, मेरे सेवक जोसफ के साथ बनी और लगी रहे, और किसी अन्य से नहीं । लेकिन यदि वह इस आज्ञा का पालन नहीं करेगी तो वह नष्ट हो जाएगी, प्रभु कहता है; क्योंकि मैं प्रभु तुम्हारा परमेश्वर हूं, और उसे नष्ट कर दूंगा यदि वह मेरी व्यवस्था का पालन नहीं करती है ।

55 लेकिन यदि वह इस आज्ञा का पालन नहीं करती है, तो मेरा सेवक उसके लिए सब कार्यों को करेगा, जैसा कि उसने कहा है; और मैं उसे आशीष दूंगा और उसकी वद्धि करूंगा और मैं उसे इस संसार में सौ-गुणा दूंगा, पिताओं और माताओं, भाइयों और बहनों, घरों और भूमियों, पत्नियों और संतानों की, और अनंत जीवनों के ताज अनंत संसारों में ।

56 और फिर, मैं तुम से सच कहता हूं, मेरी दासी मेरे सेवक जोसफ को उसका अपराध क्षमा कर दे; और तब उसे उसके अपराध क्षमा किए जाएंगे, जिसमें उसने मेरे विरूद्ध अपराध किया है; और मैं, प्रभु तुम्हारा परमेश्वर, उसे आशीष दूंगा, और उसे कई गुणा दूंगा, और उसके हृदय को आनंदित करूंगा ।

57 और फिर, मैं कहता हूं, मेरा सेवक जोसफ अपने हाथों से न जाने दे, कहीं ऐसा न हो कि शत्रु आए और उसे नष्ट कर दे; क्योंकि शैतान नष्ट करने का प्रयास करता है; क्योंकि मैं प्रभु तुम्हारा परमेश्वर हूं, और वह मेरा सेवक है; और देखो, और नजर उठाओ, मैं तुम्हारे साथ हूं, जैसा मैं इब्राहीम के साथ था, तुम्हारे पूर्वज, उसके उत्कर्ष और महिमा में भी ।

58 अब, पौरोहित्य की व्यवस्था के संबंध में, उसके विषय में बहुत सी बातें हैं ।

59 सच में, यदि पुरूष मेरे पिता की ओर से नियुक्त किया जाता है, जैसे हारून किया गया था, मेरी स्वयं की वाणी से, और उसकी वाणी के द्वारा जिसने मुझे भेजा था, और मैंने उसे इस पौरोहित्य की कुंजियां की प्रदान की थी, यदि वह कुछ भी मेरे नाम में करता है, और मेरी व्यवस्था के अनुसार और मेरे वचन के द्वारा, और वह पाप नहीं करेगा, और मैं उसे उचित ठहराऊंगा ।

60 इसलिए, कोई भी, मेरे सेवक जोसफ की आलोचना न करे; क्योंकि मैं उसे उचित ठहराऊंगा; क्योंकि वह उसका बलिदान करेगा जो मैं उसके अपराधों के लिए उससे चाहता हूं, प्रभु तुम्हार परमेश्वर कहता है ।

61 और फिर, इस पौरोहित्य की व्यवस्था के संबंध में—यदि कोई पुरूष कुंवारी से विवाह करता है, और अन्य से विवाह करने की इच्छा करता है, और पहली अपनी अनुमति देती है, और यदि वह अन्य से विवाह करता है, और वे कुंवारी हैं, और किसी अन्य पुरूष से शपथ नहीं ली है, तब वह उचित है; वह व्यभिचार नहीं कर सकता क्योंकि वे उसे दी गई हैं; क्योंकि वह उसके साथ व्यभिचार नहीं कर सकता जो उससे बंधा है और किसी अन्य से नहीं ।

62 और यदि वह उसे दस कुंवारियां देता है इस व्यवस्था के अनुसार, तो वह व्यभिचार नहीं कर सकता, क्योंकि उसके साथ बंधी हैं, और वे उसे दी गई हैं; इसलिए वह उचित है ।

63 लेकिन यदि उन दस कुंवारियों में से एक या अन्य, विवाह के होने के बाद, किसी अन्य पुरूष के साथ जाती है, तो वह व्यभिचार करती है, और नष्ट की जाएगी; क्योंकि वे उसे वृद्धि करने और पृथ्वी को भरने के लिए दी गई हैं, मेरी आज्ञा के अनुसार, और उस आज्ञा को पूरा करने के लिए जो मेरे पिता द्वारा इस संसार की नींव से पहले दी गई थी, और उनके उत्कर्ष के लिए अनंत संसारों में, ताकि वे मनुष्य की आत्माओं को पैदा कर सकें; क्योंकि इसके द्वारा मेरे पिता का कार्य जारी रहता है, ताकि वह महिमा प्राप्त करे ।

64 और फिर, मैं तुम से, सच, सच, कहता हूं, यदि किसी पुरूष के पास पत्नी है, जो इसकी शक्ति की कुंजियों को धारण करता है, और वह उसे मेरे पौरोहित्य की व्यवस्था सीखाता है, इन बातों के संबंध में, फिर वह उसका विश्वास और उसकी सेवा करेगी, वरना वह नष्ट कर दी जाएगी, प्रभु तुम्हारा परमेश्वर कहता है; क्योंकि मैं उसे नष्ट करूंगा; क्योंकि मैं अपने नाम की उन सबों पर बड़ाई करूंगा जो मेरी व्यवस्था को स्वीकार करते और इसका पालन करते हैं ।

65 इसलिए, यह मुझ में न्यायोचित होगा, यदि वह इस व्यवस्था को स्वीकार नहीं करती, क्योंकि उसे सब बातें स्वीकार करनी है जो कुछ मैं, प्रभु उसका परमेश्वर, उसे दूंगा, क्योंकि उसने विश्वास नहीं किया और मेरे वचन के अनुसार उसकी सेवा नहीं की; और तब वह अपराधी बन जाती है; और वह सारा की व्यवस्था से मुक्त हो जाता है, जिसने इब्राहीम की सेवा की थी व्यवस्था के अनुसार जब मैंने इब्राहीम को हजिरा को पत्नी के रूप में लेने की आज्ञा दी थी ।

66 और अब, इस व्यवस्था के संबंध में, मैं तुम से, सच, सच, कहता हूं, मैं तुम पर अधिक प्रकट करूंगा, इसके बाद; इसलिए, वर्तमान के लिए इतना पर्याप्त है । देखो, मैं अलफा और ओमेगा हूं । आमीन ।