यीशु मसीह की शिक्षाएं
हमें अपने जीवन को निर्देशित करने के लिए पवित्र शास्त्र दिए गए हैं। आज मेरे संदेश में हमारे उद्धारकर्ता के उन वचनों का संकलन शामिल है—जिन्हें उसने कहा था।
हम मसीह में विश्वास करते हैं अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह का गिरजे के सदस्यों के रूप में, हम उसकी आराधना करते हैं और पवित्र शास्त्रों में उसकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हैं।
पतन से पहले, हमारे स्वर्गीय पिता ने आदम और हव्वा से सीधे बात की थी। इसके बाद, पिता ने अपने इकलौते पुत्र, यीशु मसीह को हमारे उद्धारकर्ता और मुक्तिदाता के रूप में पेश किया और हमें “उसे सुनने” की आज्ञा दी।”1 इस निर्देशन से हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि “परमेश्वर” या “प्रभु” द्वारा बोले गए वचनों के धर्मशास्त्र के अभिलेख लगभग हमेशा यहोवा, हमारे जी उठे हुए प्रभु, यीशु मसीह के वचन हैं।2
हमें अपने जीवन को निर्देशित करने के लिए पवित्र शास्त्र दिए गए हैं। जैसा भविष्यवक्ता नफी ने हमें सिखाया था, “मसीह के वचनों में आनंदित रहो; क्योंकि देखो, मसीह के वचन तुम्हें वह सब बातें बताएंगें जो तुम्हें करनी चाहिए।”3 यीशु की नश्वर सेवकाई का उल्लेख करने वाले अधिकांश पवित्र शास्त्र इस बात की व्याख्या करते हैं कि उसने क्या किया था। आज मेरे संदेश में हमारे उद्धारकर्ता के वचनों का संकलन शामिल है—जो उसने कहा था। ये नए नियम (जोसफ स्मिथ के प्रेरित अनुवाद सहित) और मॉरमन की पुस्तक में लिखे शब्द हैं। इनमें से अधिकांश संकलन उस क्रम में हैं जिसमें हमारे उद्धारकर्ता ने उन्हें बोला था।
“मैं तुझ से सच सच कहता हूं; कि जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता।”4
“आशीषित हैं वे जो धार्मिकता के लिए भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे पवित्र आत्मा से भर जाएंगे।”5
“धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं” उसने कहा था, “क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।”6
“तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, कि व्यभिचार न करना:
“परन्तु मैं तुमसे कहता हूं कि जो कोई भी किसी स्त्री की तरफ कामुकता भरी नजर से देखता है, तो उसने अपने मन में व्यभिचार कर लिया है।”7
“तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था; कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर।
“परन्तु देखो में तुमसे कहता हूं कि अपने शत्रुओं से प्रेम करो, जो तुम्हें श्राप दे उसे आशीष दो, जो तुमसे बैर करे उसके लिए भलाई करो, और उनके लिए प्रार्थना करो जो द्वेष में तुम्हारा उपयोग करे और तुम्हें सताए;
“जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धमिर्यों और अधमिर्यों दोनों पर ही मेंह बरसाता है।”8
“क्योंकि, यदि तुम मनुष्य के अपराधों को क्षमा करोगे तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता तुम्हें भी क्षमा करेगा:
“परन्तु यदि तुम मनुष्य के अपराधों को क्षमा नहीं करोगे तो क्या तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराधों को क्षमा करेगा।”9
“यदि तुम संसार के होते, तो संसार अपनों से प्रीति रखता, परन्तु इस कारण कि तुम संसार के नहीं, वरन मैं ने तुम्हें संसार में से चुन लिया है इसी कारण संसार तुम से बैर रखता है।”10
“इसलिये, इस दुनिया की वस्तुओं की खोज न करो लेकिन पहले तुम परमेश्वर के राज्य का निर्माण करो, और उसकी धार्मिकता को स्थापित करो, और ये सब वस्तुएं तुम्हें प्राप्त हो जाएंगी।”11
“इस कारण जो कुछ तुम चाहते हो कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो; क्योंकि व्यवस्था और भविष्यवक्तओं की शिक्षा यही है।”12
“झूठे भविष्यववक्ताओं से सावधान रहो, जो तुम्हारे पास भेड़ की खाल में आते हैं, परन्तु भीतर से भूखे और लालची भेड़िये होते।
“तुम उन्हें उनके फलों से जानोगे। क्या लोग कांटों से अंगूर और कांटेदार पेड़ से अंजीर तोड़ते हैं ?
“वैसे ही हर अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है; परन्तु एक भ्रष्ट पेड़ बुरा फल ही लाता है।”13
“जो मुझे हे प्रभु, हे प्रभु, कहता है, वह हर एक मनुष्य स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं करेगा; परन्तु वह प्रवेश करेगा जो स्वर्ग में रह रहे मेरे पिता की इच्छा पूरी करेगा।”14
“हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।
“मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे।
“क्योंकि मेरा जूआ सहज, और मेरा बोझ हल्का है।”15
“यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आपका इंकार करे, और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले।
“और अब मनुष्य को अपना क्रूस उठाना, अपने आप को सभी अधर्म, और हर सांसारिक वासना से इनकार करना है, और मेरी आज्ञाओं का पालन करना है।”16
“इसलिए संसार को त्याग दो, और अपनी आत्माओं को बचाओ; क्योंकि मनुष्य को क्या लाभ होगा, यदि वह सारी दुनिया को प्राप्त करेगा, और अपनी आत्मा को खो देगा? या कोई आदमी अपनी आत्मा के बदले में क्या देगा?”17
“यदि कोई उस की इच्छा पर चलना चाहे, तो वह इस उपदेश के विषय में जान जाएगा, कि वह परमेश्वर की ओर से है, या मैं अपनी ओर से कहता हूं।”18
“और मैं तुम से कहता हूं; कि मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ों तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।
“क्योंकि जो कोई मांगता है उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।”19
“मेरी और भी भेड़ें हैं, जो इस भेड़शाला की नहीं: मुझे उन को भी अवश्य लाना है, वे मेरा शब्द सुनेंगी; तब एक ही झुण्ड और एक ही चरवाहा होगा।”20
“यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं: जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा:
“और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है वह अनन्तकाल तक न मरेगा।”21
“[व्यवस्था में महान आज्ञा है] तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख।
“बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है।
“और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।
“ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यवक्ताओं का आधार है।”22
“जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है: और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा।”23
“मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूं, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता। तुम्हारा मन व्याकुलन हो,न घबराए और न डरे।”24
“मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैंने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।”25
“मेरे हाथ और मेरे पांव को देखो, कि मैं वही हूं; मुझे छूकर देखो; क्योंकि आत्मा के हड्डी मांस नहीं होता जैसा मुझ में देखते हो।”26
“इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो:
“उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।”27
पवित्र भूमि में अपनी सेवकाई के बाद, वह अमेरिकी महाद्वीप पर धर्मियों के समक्ष प्रकट हुआ था। ये कुछ ऐसे वचन हैं जिन्हें उसने वहां बोला था।
“देखो, मैं परमेश्वर का पुत्र यीशु मसीह हूं । मैंने स्वर्गों और पृथ्वी को, और उसमें की सारी वस्तुओं को बनाया है। मैं आरंभ से पिता के साथ था । मैं पिता में, और पिता मुझमें है; और मुझमें पिता ने अपने नाम को गौरान्वित किया है।”28
“मैं ही संसार की ज्योति और जीवन हूं। मैं ही अल्फा और ओमेगा अर्थात आदि और अंत हूं ।
“और अब तुम मुझे रक्तपात की भेंट नहीं दोगे; हां, तुम अपने बलिदान और अग्नि का चढ़ावा नहीं दोगे, क्योंकि मैं तुम्हारे किसी भी बलिदान और अग्नि भेंट को स्वीकार नहीं करूंगा।
“और एक बलिदान के रूप में तुम मुझे एक टूटा हुआ हृदय और एक शोकार्त आत्मा दोगे। और जो कोई भी मेरे पास टूटे हृदय और शोकार्त आत्मा के साथ आएगा, उसे मैं आग और पवित्र आत्मा से बपतिस्मा दूंगा । …
“देखो, संसार पर मुक्ति लाने के लिए, संसार को पापों से बचाने के लिए ही मैं संसार में आया हूं।”29
“और फिर से मैं तुमसे कहता हूं, तुम्हें पश्चाताप करना होगा, और मेरे नाम में बपतिस्मा लेना होगा, और एक छोटे बच्चे के समान होना होगा, अन्यथा तुम किसी भी तरीके से परमेश्वर के राज्य का उत्तराधिकारी नहीं हो सकते।”30
“इसलिए मैं चाहूंगा कि तुम मेरे समान, और अपने उस पिता के समान परिपूर्ण हो जाओ जो स्वर्ग में है।”31
“मैं तुमसे सच सच कहता हूं कि तुम्हें सदा जागते और प्रार्थना करते रहना चाहिए, कहीं ऐसा न हो कि तुम शैतान द्वारा लालच में पड़ जाओ, और उसके द्वारा दास बनाए जाओ।”32
“इसलिए तुम्हें सदा मेरे नाम में पिता से प्रार्थना करनी चाहिए।”33
“इसलिए, जो भी तुम करोगे, मेरे नाम में करोगे; इसलिए गिरजे का नाम तुम मेरे नाम पर रखोगे; और मेरे नाम में पिता को पुकारोगे।”34
“देखो मैंने तुम्हें अपना सुसमाचार दिया है, और यही सुसमाचार है जिसे मैंने तुम्हें दिया है—कि मैं इस संसार में अपने पिता की इच्छा पूरी करने आया, क्योंकि मेरे पिता ने मुझे भेजा था।
“और मेरे पिता ने मुझे इसलिए भेजा कि मैं क्रूस पर उठाया जाऊं; और मुझे क्रूस पर उठाए जाने के पश्चात, मैं सारे लोगों को अपने पास ला सकूं, … और अपने कर्मों के अनुसार न्याय पाने के लिए वे मेरे पिता द्वारा उठाए जाएं, चाहे वे भले हों या बुरे।”35
“अब यह आज्ञा है: संसार के सभी छोर के लोगों, पश्चाताप करो, और मेरे पास आओ और मेरे नाम में बपतिस्मा लो जिससे कि पवित्र आत्मा के स्वीकारे जाने से तुम्हारा पवित्रकरण हो सके, ताकि अंतिम दिन में तुम मेरे समक्ष निर्दोष खड़े रह सको।”36
हम मसीह में विश्वास करते हैं मैं उस बात से अपनी बात समाप्त करता हूं जो उसने कहा था कि हमें उसकी शिक्षाओं को कैसे जानना और अनुसरण करना चाहिए:
“परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगी, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगी।”37
मैं इन शिक्षाओं की सच्चाई की पुष्टि यीशु मसीह ने नाम में करता हूं, आमीन ।