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चौथे दिन के बाद
जब हम यीशु मसीह में विश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं, तो चौथा दिन हमेशा आएगा। वह हमेशा हमारी सहायता के लिए आएगा।
जैसा कि हमें आज सुबह याद दिलाया गया है, आज खजूर का रविवार है, जो उद्धारकर्ता के यरूशलेम में विजयी प्रवेश और उसके महान प्रायश्चित से पहले के उस पवित्र सप्ताह की शुरुआत को दर्शाता है, जिसमें उसकी पीड़ा, सूली पर चढ़ना और पुनरुत्थान शामिल होगा।
भविष्यवाणी के अनुसार शहर में प्रवेश से कुछ ही समय पहले, यीशु मसीह अपनी सेवकाई में पूरी तरह से व्यस्त था जब उसने अपने प्रिय मित्रों मरियम और मारथा से यह समाचार प्राप्त किया कि उनका भाई लाजर बीमार था।1
यद्यपि लाजर की बीमारी गंभीर थी, परन्तु प्रभु “उसी स्थान पर जहां वह था, दो दिन और रुका रहा। इसके बाद उस ने अपने चेलों से कहा, आओ, हम फिर यहूदिया को चलें।2 बेथानी में अपने दोस्तों के घर की यात्रा शुरू करने से पहले, “यीशु ने [अपने शिष्यों] से साफ कह दिया, लाजर मर गया है।”3
जब यीशु बैतनिय्याह में आया और पहले मारथा और फिर मरियम से मिला—शायद उसके देर से आने की निराशा से—प्रत्येक ने उसका अभिवादन यह कहते हुए किया, “हे प्रभु, यदि तू यहां होता, तो मेरा भाई न मरता।”4 मारथा ने आगे कहा, “उस में से अब तो दुर्गन्ध आती है, क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए हैं।”5
ये चार दिन मरियम और मारथा के लिए महत्वपूर्ण थे। कुछ यहूदी विचारधाराओं के अनुसार, यह माना जाता था कि मरने वालों की आत्माएं शरीर के साथ तीन दिनों तक रहती हैं, जिससे यह आशा होती है कि जीवन अभी भी संभव है। हालांकि, चौथे दिन बाद वह आशा खो गई, शायद इसलिए कि शरीर सड़ना शुरू हो जाएगा और “दुर्गन्ध” शुरू हो जाएगी।6
मरियम और मारथा निराशा की स्थिति में थे। “जब यीशु ने [मरियम] को रोते देखा, … तो वह आत्मा में बहुत ही व्याकुल हुआ,
“और कहा, तुम ने उसे कहां रखा है? उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, आकर देख।”7
यह वह समय है जब हम उद्धारकर्ता की नश्वर सेवकाई के दौरान महान चमत्कारों में से एक को देखते हैं। पहले प्रभु ने कहा, “पत्थर को हटाओ।”8 फिर अपने पिता का धन्यवाद करने के बाद, “उसने बड़े शब्द से पुकारा, हे लाजर, निकल आ।
“और जो मर गया या, वह कफन से हाथ पांव बन्धे हुए निकल आया, और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ या। यीशु ने उन से कहा, उसे खोल दो और जाने दो।9
मरियम और मारथा की तरह, हमारे पास भी नश्वरता का अनुभव करने का अवसर है, यहां तक कि दुख10 और कमजोरी भी।11 हममें से प्रत्येक व्यक्ति उस दिल के दर्द का अनुभव करेगा जो किसी ऐसे व्यक्ति के चले जाने से होता है जिसे हम प्यार करते हैं। हमारी नश्वर यात्रा में व्यक्तिगत बीमारी या किसी प्रियजन की दुर्बल करने वाली बीमारी शामिल हो सकती है; अवसाद, चिंता, या अन्य मानसिक स्वास्थ्य चुनौतिया; वित्तीय कठिनाई; विश्वासघात; पाप इत्यादि। और कभी-कभी ये निराशा की भावनाओं के साथ होती हैं। मैं कोई अलग नहीं हूं। आपकी तरह, मैंने भी इस जीवन में अपेक्षित असंख्य चुनौतियों का अनुभव किया है। मैं उद्धारकर्ता के बारे में इस विवरण और यह जो मुझे उसके साथ हमारे संबंधों के बारे में सिखाता है उससे आकर्षित होता हूं।
हमारी सबसे बड़ी चिंताओं के दौरान, हम, मरियम और मारथा की तरह, उद्धारकर्ता की तलाश करते हैं या पिता से उसके दिव्य हस्तक्षेप के लिए कहते हैं। लाजर की कहानी हमें ऐसे नियम सिखाती है जिन्हें हम अपनी व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करते हुए अपने जीवन में लागू कर सकते हैं।
जब उद्धारकर्ता बैतनिय्याह पहुंचा, तो सभी ने उम्मीद खो दी थी कि लाजर बचाया जा सकता था—चार दिन हो गए थे, और वह मर चूका था। कभी-कभी हमारी स्वयं की चुनौतियों के दौरान, हमें ऐसा लग सकता है कि मसीह ने बहुत देर कर दी है और हम अपनी आशा और विश्वास में कमी भी महसूस कर सकते है। मेरी गवाही यह है कि जब हम यीशु मसीह में विश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं, तो चौथा दिन हमेशा आएगा। वह हमेशा हमारी सहायता के लिए या हमारी आशाओं को वापस जीवन में लाने के लिए आएगा। उसने हम से प्रतिज्ञा की है:
“तुम्हारा मन न घबराए।”12
“मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं।”13
कभी-कभी ऐसा लग सकता है कि वह उस चौथे दिन, जब सभी आशाएं लगभग समाप्त हो जाएंगी, तक हमारे पास नहीं आता है।। लेकिन इतनी देर क्यों होती है? अध्यक्ष थॉमस एस. मॉनसन ने बताया है, “हमारे स्वर्गीय पिता, जो हमारी खुशी के लिए बहुत कुछ देता है, वह यह भी जनता है कि हम सीखते हैं और बढ़ते हैं और मजबूत बनते हैं जब हम उन परीक्षाओं का सामना करते हैं जिनसे हम गुजरते और जीवित रहते हैं।”14
यहां तक कि भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ ने भी चौथे दिन के दर्दनाक अनुभव का सामना किया था। उसकी विनती याद है? “हे परमेश्वर, तू कहां है? और कहां है वह मंडप जो तेरे छिपने के स्थान को ढकता है?”15 जब हम उस पर भरोसा करते हैं, हम ऐसे ही उत्तर की अपेक्षा कर सकते हैं: “मेरे बेटे [या बेटी], तेरी आत्मा को शांति मिले; तेरी विपत्ति और तेरे क्लेश पल भर के होंगे।”16
लाजर की कहानी से हम एक अन्य संदेश सीख सकते हैं कि हम जिस परमेश्वर के हस्तक्षेप की तलाश कर रहे हैं, उसमें हमारी अपनी भूमिका क्या हो सकती है। जब यीशु मकबरे के पास पहुंचा, तो उसने सबसे पहले जो वहां थे, उनसे कहा, “पत्थर हटाओ।”17 उद्धारकर्ता के पास जो शक्ति थी, क्या वह चमत्कारिक रूप से बिना कोशिश किए पत्थर नहीं हटा सकता था? यह देखने में एक प्रभावशाली और कभी न भुलाया जाना वाला अनुभव होता, फिर भी उसने दूसरों से कहा, “पत्थर को हटाओ।”
दूसरा, प्रभु ने, “बड़े शब्द से पुकारा, हे लाजर, निकल आ।”18 क्या यह अधिक प्रभावशाली न होता यदि प्रभु ने स्वयं, चमत्कारिक रूप से लाजर को जीवित रखा होता ताकि जब पत्थर हटाया जाता तो वह भीड़ को तुरंत दिखाई देता?
तीसरा, जब लाजर बाहर आया, तो उसके “हाथ पांव बंधे हुए निकल आया, और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ था। यीशु ने उनसे कहा, “उसे खोल दो और जाने दो।”19 मुझे यकीन है कि परमेश्वर लाजर को, पहले से ही साफ और अच्छी तरह से रखे हुए कब्र के कपड़ों के साथ, जीवित करने में सक्षम था।
इन पहलुओं को बताने का क्या मतलब है? इन तीनों कार्यों में से प्रत्येक में कुछ न कुछ समान था—किसी में भी मसीह की दिव्य शक्ति के उपयोग की आवश्यकता नहीं थी। जो उसके शिष्य कर सकते थे, उसने उन्हें करने का निर्देश दिया। शिष्य निश्चय ही पत्थर को स्वयं हटाने में सक्षम थे; लाजर, जी उठने के बाद, गुफा के खुलने पर स्वयं को बाहर आने की क्षमता रखता था; और जो लोग लाजर से प्यार करते थे वे कब्र के कपड़े उतारने में उसकी पूरी मदद कर सकते थे।
हालांकि, यह केवल मसीह ही था जिसके पास लाजर को मरे हुओं में से जीवित करने की शक्ति और अधिकार था। मेरी धारणा यह है कि उद्धारकर्ता हमसे वह सब करने की अपेक्षा करता है जो हम कर सकते हैं, और वह, वह करेगा जिसे केवल वही कर सकता है।20
हम जानते हैं कि “विश्वास [प्रभु यीशु मसीह में] कार्य का एक नियम है”21 और “चमत्कार विश्वास उत्पन्न नहीं करते हैं, लेकिन मजबूत विश्वास यीशु मसीह के सुसमाचार की आज्ञा को मानने से विकसित होता है। दूसरे शब्दों में, विश्वास धार्मिकता से आता है।”22 जब हम पवित्र अनुबंधों को बनाने और उनका पालन करने और अपने जीवन में मसीह के सिद्धांत को लागू करने के द्वारा धार्मिक रूप से कार्य करने का प्रयास करते हैं, तो हमारा विश्वास न केवल हमें चौथे दिन तक ले जाने के लिए पर्याप्त होगा, बल्कि प्रभु की सहायता से हम पत्थरों को हटाने में सक्षम होंगे जो हमारे मार्ग में हैं, हम निराशा से बाहर निकलेंगे, और स्वयं को उन सभी से मुक्त कर पाएंगे जो हमें बांधते हैं। जबकि प्रभु हमसे अपेक्षा करता है कि हम “वह सब कुछ करें जो हमारी शक्ति में है,”23 याद रखें कि जब हम उस पर भरोसा करते हैं तो वह इन सभी कामों में आवश्यक सहायता प्रदान करेगा।
हम कैसे पत्थरों को हटा सकते हैं और मसीह यीशु की चट्टान पर निर्माण कर सकते हैं?24 हम भविष्यवक्ताओं की सलाह का पालन कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, पिछले अक्टूबर अध्यक्ष रसल एम. नेल्सन ने हमसे उद्धारकर्ता और उसके सुसमाचार की अपनी गवाहियों को बनाने, उनके लिए काम करने और मजबूत करने, उन्हें सच्चाई में बढ़ने, और अविश्वासियों के झूठी धारणाओों से उन्हें प्रदूषित होने से बचने के लिए कहा था। उसने हम में से प्रत्येक से प्रतिज्ञा की है “जब आप यीशु मसीह की अपनी गवाही को निरंतर मजबूत करना अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाते हैं, तो अपने जीवन में चमत्कारों की आशा करें।25
हम इसे कर सकते हैं!
हम कैसे उठ और बाहर आ सकते हैं? हम खुशी से पश्चाताप और आज्ञाओं का पालन करने का चुनाव कर सकते हैं। प्रभु ने कहा, “जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है; और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा।”26 हम प्रतिदिन पश्चाताप करने का प्रयास कर सकते हैं और प्रभु के लिए प्रेम से भरे एक इच्छुक हृदय के साथ खुशी से आगे बढ़ सकते हैं।
हम इसे कर सकते हैं!
हम कैसे, प्रभु की सहायता से, अपने आप को उस सब से मुक्त कर सकते हैं जो हमें बांधता है? हम अनुबंधों के माध्यम से सम्पूर्ण हृदय से स्वयं को सबसे पहले अपने स्वर्गीय पिता और उसके पुत्र, यीशु मसीह से बांध सकते हैं। एल्डर डी. टॉड क्रिस्टोफरसन ने बताया: “[हमारी] नैतिक और आत्मिक शक्ति का स्रोत क्या है, और हम इसे कैसे प्राप्त करते हैं? यह स्रोत परमेश्वर है। उस शक्ति तक हमारी पहुंच उसके साथ हमारे अनुबंधों के माध्यम से है। … इन दिव्य अनुबंधों में, परमेश्वर हमें बनाए रखने के लिए, पवित्र करने के लिए और उसकी आज्ञाओं का पालन करने के लिए वह हमारी प्रतिबद्धता के बदले में वह हमें उन्नत करने के लिए स्वयं को बांधता है।”27 हम पवित्र अनुबंध बना और उनका पालन कर सकते हैं।
हम इसे कर सकते हैं!
”पत्थर को हटा दो।” “बाहर आ जा।” “उसे खोल दो और जाने दो।”
सलाह, आज्ञा, और अनुबंध। हम इसे कर सकते हैं!
एल्डर जैफ्री आर. हॉलैंड ने वादा किया, “कुछ आशीषें जल्दी आती हैं, कुछ देर से आती हैं, और कुछ स्वर्ग तक नहीं आती हैं; लेकिन जो यीशु मसीह के सुसमाचार को अपनाते हैं, उनके लिए वे आती हैं।”28
और अंत में, “इसलिए, ढाढ़स बांधो, और मत डरो, क्योंकि मैं यहोवा तुम्हारे संग हूं, और तुम्हारे पास खड़ा रहूंगा।”29
यह मेरी गवाही है, उसके पवित्र नाम में जो हमेशा आएगा, यीशु मसीह के नाम से, आमीन।