क्या आप जानते हैं कि मैं एक ईसाई के रूप में मसीह में विश्वास क्यों करता हूं?
यीशु मसीह को पूरी मानवता को शारीरिक मृत्यु से बचाने और परमेश्वर के साथ अनंत जीवन देने के लिए, पीड़ित होना, मरना और फिर से जी उठना पड़ा था।
काम के बाद एक शाम, सालों पहले, मैं न्यूयॉर्क शहर से न्यूजर्सी के लिए अपने घर जाने के लिए बस में सवार हुआ था। जिस महिला के साथ मैं बैठा था, उसने देखा कि मैं अपने कंप्यूटर पर कुछ लिख रहा था और पूछा, “आप … मसीह में विश्वास करते हैं?” मैंने कहा, “हां, मैं करता हूं!” हमने बात आगे बढ़ाई तो, मुझे पता चला कि वह न्यूयॉर्क के किसी सूचना प्रौद्योगिकी व्यावसाय में काम करने के लिए अपने एशियाई देश से इस क्षेत्र में आई थी।
स्वाभाविक रूप से, मैंने उससे पूछा, “क्या आप जानती हैं कि मैं एक ईसाई के रूप में यीशु मसीह में विश्वास क्यों करता हूं?” उसने भी स्वाभाविक रूप से जवाब दिया और मुझे उसे बताने के लिए कहा। लेकिन जैसे ही मैं बोलने लगा, मेरे पास उन क्षणों में से एक ऐसा था जहां बहुत सारे विचार मन में आते हैं। यह पहली बार था जब मैं ईसाई धर्म के “क्यों” को किसी ऐसे व्यक्ति को समझा रहा था जो इससे बहुत अपरिचित और अत्यधिक बुद्धिमान था। मैं मात्र यह नहीं कह सकता था, कि “मैं यीशु मसीह का अनुसरण करता हूं क्योंकि उसने स्वेच्छा से मेरे पापों के लिए दुख उठाया और मारा गया।” उसने शायद सोच था, “क्या यीशु को मरना ही था? यदि हम परमेश्वर से मात्र कहते तो क्या वह हमें हमारे पापों को क्षमा और शुद्ध नहीं कर सकता है?”
आप ने कुछ ही मिनटों में इसका जवाब कैसे देते? आप इसे किसी मित्र को कैसे समझाएंगे? बच्चे और युवा: क्या आप बाद में अपने माता-पिता या किसी मार्गदर्शक से पूछोगे कि, “यीशु को क्यों मरना पड़ा था?” और भाइयों और बहनों, मुझे दोष स्वीकार करना है: उस समय में मैंने सोचा था कि मैं गिरजे के सिद्धांत, इतिहास, नीति, आदि के बारे में सब जानता हूं, पर हमारे विश्वास के इस महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर इतनी आसानी से नहीं आया था। उस दिन मैंने उस पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया जो अनंत जीवन के लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है।
खैर, मैंने अपनी नई मित्र1 को बताया कि शरीर के साथ-साथ हमारे पास एक आत्मा भी है और परमेश्वर हमारी आत्माओं का पिता है।2 मैंने उसे बताया कि हम इस नश्वर संसार में जन्म लेने से पहले अपने स्वर्गीय पिता के साथ रहते थे।3 क्योंकि वह उससे और अपने सभी बच्चों से प्यार करता है, उसने हमारे लिए एक योजना बनाई कि हम उसके महिमापूर्ण शरीर के समान शरीर प्राप्त करें,4 एक परिवार का हिस्सा बनें5 और अपने परिवारों के साथ अनंत जीवन का आनंद लेने के लिए उसकी प्रेमपूर्ण उपस्थिति में लौटें,6 जिस प्रकार वह रहता है।7 लेकिन, मैंने कहा, हमें इस पतित दुनिया में दो मुख्य बाधाओं का सामना करना पड़ता है:8 (1)शारीरिक मृत्यु—हमारे शरीर का हमारी आत्माओं से अलग होना। बेशक, वह जानती थी कि हम सब मर जाएंगे। और (2)आत्मिक मृत्यु—हमारे पापों और गलतियों के कारण परमेश्वर से हमारा अलग होना, और नश्वरता के दोष हमें उसकी पवित्र उपस्थिति से दूर कर देंगे।9 वह इसे भी जानती थी।
मैंने उसे बताया कि यह न्याय की व्यवस्था के कारण है। अनंत व्यवस्था की मांग है कि हमारे प्रत्येक पाप या परमेश्वर की व्यवस्थाओं और सच्चाई के उल्लंघन के लिए एक अनंत दंड का भुगतान किया जाए, अन्यथा हम उसकी पवित्र उपस्थिति में रहने के लिए वापस कभी नहीं लौट सकते।10 यह अन्याय होगा, और परमेश्वर “न्याय को ठुकरा नहीं सकता।”11 वह इसे आसानी से समझ गई कि परमेश्वर दयालु, प्रेम करने वाला और हमारे अनंत जीवन को देने के लिए उत्सुक भी है।12 मैंने अपनी मित्र को बताया किया कि हमारे पास एक चालाक, शक्तिशाली शैतान—बुराई और झूठ का स्रोत—हमारा विरोध करने वाला भी होगा।13 इसलिए, ऐसे सभी विरोधों और बाधाओं से उभरने के लिए अनंत ईश्वरीय शक्ति वाले किसी व्यकित को हमें बचाने की आवश्यकता होगी।14
फिर मैंने उसके साथ एक खुशखबरी साझा की—“सभी लोगों के लिए बड़े आनंद का सुसमाचार”15—“क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा, कि उसने अपना एकलौता बेटा दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो चाहिए, बल्कि हमेशा का जीवन पाए।”16 मैंने अपनी मित्र को गवाही दी और आप को भी देता हूं, कि यीशु मसीह वह उद्धारकर्ता है, जिसे समस्त मानवजाति को शारीरिक मृत्यु17 से बचाने और उन सभी को परमेश्वर और अपने परिवारों के साथ अनंत जीवन18 देने के लिए, जो उसका अनुसरण करेंगे, कष्ट सहना, मरना और फिर से जी उठना—उसका अनंत प्रायश्चित—देना पड़ा था। मॉरमन की पुस्तक बताती है, “इस प्रकार परमेश्वर ने … मृत्यु पर विजय प्राप्त की; पुत्र को मानव संतान के लिए प्रार्थना करने की शक्ति दी … ; [दया और] करुणा से भर जाना … ; मृत्यु की जंजीरों को तोड़कर, उनके अधर्म और अपराधों को अपने ऊपर ले लेना, और उन्हें मुक्ति दिलाना, और न्याय की मांगों को भी पूरा किया।”19
परमेश्वर ने जिन कदमों को प्रकट किया है, हमें यीशु का अनुसरण करने और अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए उन्हें उठाना चाहिए, उसी को मसीह का सिद्धांत कहा जाता है। उनमें “यीशु मसीह और उसके प्रायश्चित में विश्वास, पश्चाताप, बपतिस्मा [अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे में], पवित्र आत्मा का उपहार प्राप्त करना, और अंत तक धीरज धरना शामिल है।”20 मैंने इन कदमों को अपनी मित्र के साथ साझा किया, लेकिन यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिन्हें भविष्यवक्ताओं और प्रेरितों ने हाल ही में सिखाया है कि कैसे मसीह का सिद्धांत परमेश्वर के सभी बच्चों को आशीषें दे सकता है।
अध्यक्ष रसल एम. नेल्सन ने निर्देश दिया: मसीह का शुद्ध सिद्धांत शक्तिशाली है। यह प्रत्येक के जीवन को बदलता है जो इसे समझता है और अपने जीवन में लागू करना चाहता है।”21
एल्डर डीटर एफ. उक्डोर्फ ने सिखाया, “युवाओं की शक्ति के लिए [मार्गदर्शिका] … मसीह के सिद्धांत की घोषणा करने में [और उसके] आधार पर चुनाव करने के लिए आपको [युवाओं] निमंत्रण देने में साहसी है।”22
एल्डर डेल जी. रेनलैंड ने सिखाया, “हम प्रचारकों को उसे करने के लिए आमंत्रित करते हैं जो वे दूसरों को करने के लिए सीखाते हैं: … मसीह के सिद्धांत को अपने जीवन में लागू करें [और] अनुबंध मार्ग पर आएं और बने रहें।”23
मसीह का सिद्धांत उन लोगों को सशक्त बनाता है जो संघर्ष कर रहे हैं या महसूस करते हैं कि वे गिरजे से जुड़े नहीं हैं क्योंकि यह उनकी मदद करता है, जैसा कि एल्डर डी. टॉड क्रिस्टोफरसन ने कहा, “कि वे इसकि पुष्टि कर सकें: यीशु मसीह मेरे लिए मरा … [और] मुझसे प्यार करता है।”24
माता-पिता, यदि आपका बच्चा किसी सुसमाचार नियम या भविष्यवक्ताओं की शिक्षा का पालन करने में संघर्ष कर रहा है, तो कृपया गिरजे या इसके मार्गदर्शकों के प्रति किसी भी प्रकार का बुरा बोलने25 या करने से बचें। इस तरह के, गलत दृष्टिकोण आपके बच्चे के विश्वास के लिए घातक साबित हो सकते हैं।26 इससे आपके बारे में अच्छी तरह मालूम किया जा सकता है कि आप अपने अनमोल बच्चे की रक्षा करेंगे या उसकी वकालत करेंगे या उसके समर्थन में मजबूती से खड़े रहेंगे। लेकिन मेरी पत्नी, जेन, और मैं व्यक्तिगत अनुभव से जानते हैं कि अपने प्यारे बच्चे को यह सिखाना है कि हम सभी को यीशु मसीह की अत्यंत आवश्यकता क्यों है और उसके आनंदपूर्ण सिद्धांत को कैसे लागू किया जाए, जो उसे मजबूती और चंगाई देगा। आइए हम उन्हें यीशु की ओर मोड़ें, जो पिता के साथ उनका सच्चा सहायक है। प्रेरित यूहन्ना ने सिखाया, “जो कोई … मसीह के सिद्धांत में बना रहता है … उसके पास पिता और पुत्र दोनों हैं।” फिर वह हमें सावधान रहने की चेतावनी देता है “यदि कोई तुम्हारे पास आए, और यह सिद्धांत न दे।”27
जेन और मैंने हाल ही में उस निर्जन प्रदेश का दौरा किया था जहां मूसा ने इस्राएल के भटकते हुए बच्चों के सामने पीतल का सांप थामा था। प्रभु ने उन सभी को चंगा करने का वादा किया था जिन्हें जहरीले सापों ने काटा था अगर वे मात्र इसे देखते।28 हमारे सामने मसीह के सिद्धांत को थामकर, प्रभु का भविष्यवक्ता वही कर रहा है, “कि उसे राज्यों को चंगा करना है।”29 इस नश्वर निर्जन प्रदेश में हम जो भी काटे जाने या जहर या संघर्ष का अनुभव करते हैं, आओ हम उन लोगों की तरह न हों, जिन्हें प्राचीन काल और वर्तमान में चंगाई मिल सकती थी, लेकिन दुख की बात यह है कि, “उन्होंने विश्वास नहीं किया कि इससे उनके दुख दूर होंगे। ”30 मॉरमन की पुस्तक पुष्टि करती है: “देखो, … यही मार्ग है “इस के अलावा स्वर्ग के नीचे दूसरा कोई मार्ग या नाम नहीं है जिसके द्वारा मनुष्य को परमेश्वर के राज्य में बचाया जा सकता है। और अब देखो, यह मसीह का सिद्धांत है।”31
न्यूजर्सी में उस शाम, यह साझा करते हुए कि हमें यीशु मसीह और उसके सिद्धांत की आवश्यकता क्यों है, मुझे एक नई बहन और उसे एक नया भाई मिला था। हमने पवित्र आत्मा की शांतिपूर्ण, ठोस गवाही को महसूस किया। स्वाभाविक रूप से, मैंने उसे उसकी जानकारी साझा करने और हमारे प्रचारकों के साथ बातचीत जारी रखने के लिए आमंत्रित किया। वह ऐसा करके खुश हुई थी।
“इसलिए, संसार के लोगों को यह बताना कितना महत्वपूर्ण है,” मॉरमन की पुस्तक घोषित करती है—प्यार करना, साझा करना और आमंत्रित करना32 जब हम अपने सभी समुदायों और परिवारों में इस्राएल को इकट्ठा करते हैं—“कि वे जानें कि कोई भी मनुष्य पवित्र मसीहा की योग्यताओं, और दया, और अनुग्रह [और सिद्धांत] के बिना परमेश्वर की उपस्थिति में नहीं रह सकता।”33 यीशु मसीह के नाम में, आमीन।