महा सम्मेलन
अपूर्ण फसल
अप्रैल 2023 महा सम्मेलन


11:2

अपूर्ण फसल

उद्धारकर्ता हमारी विनम्र भेंटों को स्वीकार करने और अपने अनुग्रह से उन्हें परिपूर्ण करने के लिए तैयार खड़ा है। मसीह के साथ, कोई अपूर्ण फसल नहीं है।

जब में एक युवा लड़का था, मैंने दक्षिण-पश्चिम मोंटाना के मौसमों में होने वाले बदलावों से प्यार करना सीखा, जहां मैं बड़ा हुआ। मेरा पसंदीदा मौसम पतझड़ था—फसल काटने का समय। हमारे परिवार ने प्रार्थना की थी और हमें आशा थी कि हमारी महीनों की मेहनत का प्रतिफल भरपूर फसल से मिलेगा। मेरे माता-पिता मौसम, जानवरों के स्वास्थ्य और फसलों और कई अन्य बातों को लेकर चिंतित रहते थे, जिन पर उनका नियंत्रण कम था।

जब मैं बड़ा हुआ, तो मैं इसमें शामिल अति-आवश्यक बातों के प्रति अधिक जागरूक हो गया। हमारी आजीविका फसल पर निर्भर रहती थी। मेरे पिता ने मुझे उन उपकरणों के बारे में सिखाया था जिनका उपयोग हम अनाज की कटाई के लिए करते हैं। मैंने देखता था जब वह मशीन को खेत में ले जाकर अनाज का एक छोटा सा हिस्सा काटते, और फिर यह सुनिश्चित करते कि जितना अधिक संभव हो उतना अनाज बिना भूसे के मशीन के संग्रह टैंक में गिरे। वह हर बार मशीन को अनुकूल करते हुए इस क्रिया को कई बार दोहराते थे। मैं उनके साथ-साथ दौड़ता और उनके साथ भूसे को थपथपा कर ऐसा दिखाता मानो कि मुझे मालूम था कि मैं क्या कर रहा हूं।

मशीन के समायोजन से संतुष्ट होने के बाद, मैंने जमीन पर भूसे में अनाज के कुछ दाने देखे और सोचने लगा मशीन ने दाने क्यों फैंके थे। मैं यह नहीं भूल सकता जो मेरे पिता ने मुझसे कहा था: “यह बहुत अच्छा है और यह मशीन इससे अच्छा नहीं कर सकती है।” उनके उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ, और मैंने इस फसल की कमियों पर विचार किया।

थोड़े समय बाद, जब शाम को मौसम ठंडा हो गया, तो मैंने देखा कि हजारों प्रवासी हंस, कलहंस और बत्तख दक्षिण की अपनी लंबी यात्रा पर भोजन की खोज में हमारे खेतों में उतरे थे। उन्होंने हमारी अपूर्ण फसल का बचा हुआ अनाज खा लिया। परमेश्वर ने इसे संपूर्ण किया था। और एक दाना भी नहीं खोया।

अक्सर हमारी दुनिया में और यहां तक कि गिरजे के लोगों के बीच भी परिपूर्ण होने की लालसा होती है। सोशल मीडिया, अनुचित आशाएं, और अक्सर हमारी स्वयं की आत्म-आलोचनात्मक भावनाएं कमी का एहसास उत्पन्न करती हैं—कि हम पर्याप्त रूप से अच्छे नहीं हैं और न कभी होंगे। कुछ लोग उद्धारकर्ता के “इसलिये तुम परिपूर्ण बनो” के निमंत्रण को भी गलत समझते हैं।1

याद रखें कि यह परिपूर्ण होने का भावना मसीह में परिपूर्ण होने के समान नहीं है।2 परिपूर्ण होने के लिए किसी आदर्श की आवश्यकता होती है जो हमारी दूसरों से तुलना करता है। यही दोष और चिंता का कारण बनता है और हमें पीछे हटने और स्वयं को अलग करने के लिए मजबूर कर सकता है।

मसीह में परिपूर्ण होना इससे भिन्न बात है। यह पवित्र आत्मा के प्रेमपूर्वक मार्गदर्शन द्वारा उद्धारकर्ता के समान बनने की एक प्रक्रिया है। इन आदर्शों को एक दयालु स्वर्गीय पिता द्वारा निर्धारित किया गया है और उन अनुबंधों में स्पष्ट रूप से समझाया गया है जिन्हें अपनाने के लिए हमें आमंत्रित किया जाता है। यह हमें दोष और अनचाहे बोझ से मुक्त करता है, हमेशा इस बात पर बल देता है कि हम परमेश्वर की दृष्टि में कौन हैं। जबकि यह प्रक्रिया हमारा विकास करती है और बेहतर बनने के लिए प्रेरित करती है, हम परमेश्वर के प्रति हमारी व्यक्तिगत निष्ठा से मापे जाते हैं जिसे हम विश्वास में उसका अनुसरण करने के अपने प्रयासों में प्रकट करते हैं। जब हम उसके पास आने के लिए उद्धारकर्ता के आमंत्रण को स्वीकार करते हैं, तो हम जल्द ही महसूस करते हैं कि हम बेहतर हैं और एक प्रेमी उद्धारकर्ता की कृपा से हम उसे प्राप्त करेंगे जिनकी हम कल्पना नहीं कर सकते हैं।

हम इस नियम के प्रभाव को देख सकते हैं जब उद्धारकर्ता ने पांच हजार लोगो को खिलाया।

“जब यीशु ने आंखें उठाई, और एक बड़ी भीड़ को अपने पास आते देखा, तो उस ने फिलिप्पुस से कहा, हम कहां से रोटी मोल लाएं, कि ये खाएं? …

“फिलिप्पुस ने उस को उत्तर दिया, कि दो सौ दीनार की रोटियां उन के लिए पूरी भी न होंगी कि उन में से हर एक को थोड़ी थोड़ी मिल जाए।”

“उसके चेलों में से शमौन पतरस के भाई अन्द्रियास ने उस से कहा,

“यहां एक लड़का है, जिसके पास जौ की पांच रोटिया और दो मछलियां हैं; परन्तु इतने लोगों में वे क्या हैं?”3

क्या आपको कभी आश्चर्य हुआ है कि उद्धारकर्ता ने इस छोटे लड़के के बारे में कैसा महसूस किया होगा, जिसने अपने बच्चे के विश्वास के साथ भोजन की पेशकश की थी वह अवश्य ही जानता था कि इतने लोगों का इससे पेट भरना अपर्याप्त था?

“तब यीशु ने रोटियां लीं, और धन्यवाद करके बैठने वालों को बांट दी: और वैसे ही मछिलयों में से जितनी वे चाहते थे बांट दिया।

जब वे खाकर तृप्त हो गए तो उस ने अपने चेलों से कहा, कि बचे हुए टुकड़े बटोर लो, कि कुछ फेंका न जाए।”4

उद्धारकर्ता ने इस विनम्र भेंट को परिपूर्ण किया।

इस अनुभव के कुछ ही समय बाद, यीशु ने अपने शिष्यों को एक नाव पर आगे भेजा। उन्होंने जल्द ही स्वयं को आधी रात में एक तूफानी समुद्र में घिरा पाया। जब उन्होंने पानी पर एक प्रेत की आकृति देखी और उसे अपनी ओर आते देखा तो वे भयभीत हो गए।

“यीशु ने तुरन्त उन से बातें की, और कहा; ढाढस बान्धो; मैं हूं; डरो मत।

“पतरस ने उस को उत्तर दिया, हे प्रभु, यदि तू ही है, तो मुझे अपने पास पानी पर चलकर आने की आज्ञा दे।

“और उस ने कहा, आ। तब पतरस नाव पर से उतरकर यीशु के पास जाने के लिए, पानी पर चलने लगा।

“पर हवा को देखकर डर गया, और जब डूबने लगा, तो चिल्लाकर कहा, … हे प्रभु, मुझे बचा।

“यीशु ने तुरन्त हाथ बढ़ाकर उसे थाम लिया, और उस से कहा, हे अल्प-विश्वासी, तू ने क्यों सन्देह किया?”5

भाइयों और बहनों, हो सकता है कि उनकी बातचीत समाप्त न हुई हो। मेरा मानना है कि जब पतरस और उद्धारकर्ता एक दूसरे का हाथ थाम कर वापस नाव पर गए होंगे, तो पतरस भीगा हुआ होगा और शायद मूर्खता महसूस कर रहा होगा, तो उसको उद्धारकर्ता ने कुछ इस तरह कहा होगा: “ओह, पतरस, डर मत और चिंता मत कर। यदि तुम स्वयं को उस रूप में देख सको जैसे मैं तुम्हें देखता हूं, तो तुम्हारा संदेह मिट जाएगा और तुम्हारा विश्वास बढ़ जाएगा। मैं तुमसे प्यार करता हूं, प्रिय पतरस; तुम नाव से उतर गए। तेरी भेंट ग्रहणयोग्य है, और चाहे तू लड़खड़ाए, तौभी मैं तुझे गहिरे से गहिरे में से उठाने के लिथे सदा मौजूद रहूंगा, और तेरी भेंट परिपूर्ण ठहरेगी।”

एल्डर डिटर एफ. उक्डोर्फ बताया:

मेरा मानना है कि उद्धारकर्ता यीशु मसीह चाहता है कि आप देखें, महसूस करें और जानें कि वह आपकी शक्ति है। कि उसकी सहायता से, आप जो प्राप्त कर सकते हो उसकी कोई सीमा नहीं है। कि आपकी क्षमता असीम है। वह चाहता है कि आप स्वयं को वैसे ही देखें जैसे वह आपको देखता है। और यह संसार के आपको देखने के तरीके से बहुत भिन्न है। …

“वह थके हुए को बल देता है; और जो लोग शक्तिहीन महसूस करते हैं, वह उनकी शक्ति बढ़ाता है।”6

हमें याद रखना चाहिए कि बेशक हमारी अति उत्तम भेंट अपूर्ण है, लेकिन उद्धारकर्ता उसे परिपूर्ण बना सकता है। बेशक हमारे प्रयास कितने भी महत्वहीन हो, हमें कभी भी उद्धारकर्ता की शक्ति को कम नहीं समझना चाहिए। दयालुता का एक सरल शब्द, ईमानदारी से सेवकाई करना, या एक प्राथमिक पाठ जिसे प्यार से सिखाया जा सके, उद्धारकर्ता की मदद से, दिलासा प्रदान कर सकता है, दिलों को नरम कर सकता है, और अनन्त जीवन को बदल सकता है। हमारे अनाड़ी प्रयासों से भी चमत्कार हो सकते हैं, और इस प्रक्रिया में, हम उत्तम फसल काटने के भागीदार हो सकते हैं।

अक्सर हम ऐसी स्थितियों में होते है जहां हमें परेशानियों का सामना करना पडता है। हो सकता है कि उसक कार्य को करने का हमारा मन न हो। हम उन लोगों को देख सकते हैं जिनकी हम सेवा करते हैं और महसूस करते हैं कि हम कभी भी योग्य नहीं होंगे। भाइयों और बहनों, यदि आप ऐसा महसूस करते हैं, तो मेरे पीछे बैठे इन असाधारण पुरुषों और महिलाओं को देखें जिनके साथ मैं सेवा करता हूं।

मै आपका दर्द समझ सकता हू।

हालांकि, मैंने सीखा है कि ठीक जैसे संसारिक परिपूर्णता मसीह में परिपूर्ण होने के समान नहीं है, वैसे ही स्वयं की तुलना करना भी सही अनुकरण नहीं है। जब हम दूसरों से अपनी तुलना करते हैं तो इसके दो ही परिणाम हो सकते हैं। या तो हम स्वयं को दूसरों से बेहतर देखेंगे और दूसरों प्रति नकारात्मक और आलोचनात्मक बनेंगे, या हम स्वयं को दूसरों से कम देखेंगे और चिंतित, दुखी और निराश हो जाएंगे। इस प्रकार स्वयं की तुलना दूसरों से करना शायद ही कभी ठीक होता हो, इससे प्रगति नहीं होती, और कभी-कभी यह निराशाजनक भी हो सकता है। वास्तव में, ऐसी तुलना करना आत्मिक रूप से विनाशकारी हो सकता है, जो हमें आवश्यक आत्मिक सहायता प्राप्त करने से रोकता है। दूसरी ओर, उन लोगों का अनुकरण करना जिनका हम सम्मान करते हैं जो मसीह के समान गुण प्रदर्शित करते हैं, शिक्षाप्रद और प्रगतिशील हो सकता हैं और हमें यीशु मसीह के बेहतर शिष्य बनने में मदद कर सकता हैं।

उद्धारकर्ता ने पिता का अनुसरण करने के लिए हमें एक आदर्श उदाहरण दिया है। उसने अपने शिष्य फिलिप्पुस को निर्देश दिया “हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूं, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है; तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा?”7

और फिर उसने सिखाया, “मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूं वह भी करेगा।”8

भले ही हमारे प्रयास कितने भी महत्वहीन क्यों न लगें, अगर हम सच्चे हैं, तो उद्धारकर्ता अपना कार्य पूरा करने के लिए हमारा उपयोग करेगा। यदि हम बस अपना सर्वोत्तम प्रयास करें और कमियों को दूर करने के लिए उस पर भरोसा करें, तो हम उन चमत्कारों का हिस्सा बन सकते हैं जो हमारे आस पास हैं।

एल्डर डेल जी. रेनलैंड ने कहा, “आपको परिपूर्ण होने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन हमें आपकी आवश्यकता है, क्योंकि हर कोई जो इच्छा करता है वह कुछ भी कर सकता है।”9

और अध्यक्ष रसल एम. नेल्सन ने हमें सिखाया है, “प्रभु को प्रयास पसंद है।”10

उद्धारकर्ता हमारी विनम्र भेंटों को स्वीकार करने और अपने अनुग्रह से उन्हें परिपूर्ण करने के लिए तैयार खड़ा है। मसीह के साथ, कोई अपूर्ण फसल नहीं है। हमें यह विश्वास करने का साहस होना चाहिए कि उसकी कृपा हमारे लिए है—और वह हमारी मदद करेगा, जब भी हम लड़खड़ाएंगे तो वह हमें गहराइयों से बाहर निकालेगा, और हमारे अपूर्ण प्रयासों को भी परिपूर्ण करेगा।

बोने वाले के दृष्टान्त में, उद्धारकर्ता उन बीजों का वर्णन करता है जो अच्छी भूमि में बोए जाते हैं। कोई सौ गुना, कोई साठ गुना और कोई तीस गुना उत्पादन करता है। सभी उसकी उत्तम फसल का हिस्सा हैं।11

भविष्यवक्ता मोरोनी ने सभी को आमंत्रित किया, “हां, मसीह के पास आओ, और उसमें परिपूर्ण बनो, … और यदि तुम स्वयं सारी अधार्मिकताओं को अस्वीकार करोगे, और परमेश्वर से अपनी योग्यता, बुद्धि और बल से प्रेम करोगे, तब उसके अनुग्रह तुम्हारे लिए पर्याप्त है, जिससे कि उसके अनुग्रह द्वारा तुम मसीह में परिपूर्ण हो सको हैं।”12

भाइयों और बहनों, मैं मसीह की गवाही देता हूं, जिसके पास हमारी सबसे विनम्र भेंट को भी परिपूर्ण करने की शक्ति है। आइए हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें, जो कुछ हमारे पास है उसे लेकर आएं, और विश्वास के साथ अपनी अपूर्ण भेंट को उनके चरणों में रखें। उसके नाम पर जो परिपूर्ण फसल का स्वामी है, अर्थात यीशु मसीह, आमीन।