सब कुछ मसीह में एकत्र करो
उद्धारकर्ता के सुसमाचार की शक्ति इसके सिद्धांतों, नियमों, और कार्यों के विभन्न पहलुओं को समझने और लागू करने से प्रवाहित होती है ।
रस्सी एक ऐसा साधन है जिसे हम सब जानते हैं । रस्सियां कपड़ों, पौधों, तार, और अन्य वस्तुओं के रेशों से बनती है जिन्हें प्रत्येक को आपस में मोड़कर या लपटे कर बनायी जाती हैं । दिलचस्प है कि वे वस्तुएं जो साधारण होती हैं आप में मिलकर असाधारणरुप से मजबूत हो जाती हैं । इस प्रकार, साधारण वस्तुएं प्रभावशाली रूप से आपस में जुड़कर और गूंधकर एक असाधारण साधन बन सकते हैं ।
जिस प्रकार रस्सी इसकी शक्ति कई रेशों के एकत्र होने से प्राप्त करती है, उसी प्रकार यीशु मसीह का सुसमाचार सच्चाई का महान दृष्टिकोण उपलब्ध कराती और भरपूर आशीषें प्रदान करती है जब हम पौलुस के उपदेश पर ध्यान देते हैं कि “समयों के पूरे होने का ऐसा प्रबंध हो कि जो कुछ स्वर्ग में है, और जो कुछ पृथ्वी पर है, सब कुछ वह मसीह में एकत्र करे ।” महत्वपूर्णरूप से यह सच्चाई का आपस एकत्र होना प्रभु यीशु मसीह में स्थापित और केंद्रित है क्योंकि वह “मार्ग, सच्चाई, और जीवन है” ।
मैं प्रार्थना करता हूं पवित्र आत्मा हम में से प्रत्येक को ज्ञान देगी जब हम विचार करते हैं कि कैसे मसीह में सब बातों का एकत्र होने का सिद्धांत हमारे प्रतिदिन के जीवनों में उसके पुनास्थापित सुसमाचार को सीखना और जीना व्यवहारिक रूप से लागू होता है ।
प्रकटीकरण का समय
हम यीशु मसीह के पुनास्थापित गिरजे के अद्वितीय और प्रकटीकरण के समय में रहते हैं । आज की गई ऐतिहासिक व्यवस्था की घोषणा का केवल एक ही व्यापक उद्देश्य है: स्वर्गीय पिता और उसकी योजना और उसके पुत्र यीशु मसीह और उसके प्रायश्चित में विश्वास को मजबूत करना । रविवार की सभा सिर्फ ऐसे ही नहीं चुनी थी । बलाकि, हम ने अवसरों को बढाया है और जिम्मेदारीयों को भी निजी और परिवारिक तौर पर ताकि हम अपने समय को सब्त को और अच्छे तरीके से माना सके अपने घर में और गिरजे में ।
गत अप्रैल, पौरोहित्य परिषदों के संगठनात्मक रचना को मात्र बदला ही नहीं गया था । न कि, हमारे भाइयों और बहनों की सेवकाई में उच्चतम और पवित्र तरीके पर जोर दिया और इसे मजबूत किया गया था ।
ठीक जिस प्रकार रेशे आपस में गूंधकर रस्सी को एक शक्तिशाली और मजबूत साधन बनाते हैं, उसी प्रकार उद्धारकर्ता के पुनास्थापित गिरजे के लक्ष्य, साधनों और कार्यों को बेहतर रूप से पंक्तिबद्ध करने के लिये ये आपस में जुड़े हुए कार्य एक संगठित प्रयास का हिस्सा हैं, इसके मूलभूत उद्देश्य के साथ: उस बच्चों को अमरत्व और अनंत जीवन को कार्यान्वित करने के परमेश्वर के कार्य में सहायता करना है। जो घोषित किया गया है उसे कैसे संभव किया जाएगा इसके विषय में विचार न करें । हमें व्यवहारिक बातों को अब किए जा रहे इन परिवर्तनों के अति महत्वपूर्ण आत्मिक कारणों पर से ध्यान हटाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए ।
हम चाहते हैं कि पिता की योजना और उद्धारकर्ता का मुक्ति उद्देश्य पृथ्वी पर बढ़ सके और कि परमेश्वर का अनंत अनुबंध स्थापित हो सके । हमारा एकमात्र उद्देश्य प्रभु में निरंतर परिर्वतन उपलब्ध कराना और अधिक संपूर्णता से प्रेम करना और अधिक प्रभावशाली रूप से अपने भाइयों और बहनों की सेवा करना है ।
उचित समूह की पहचान और अलग करना
कभी कभी गिरजे के सदस्य के तौर पर हम समुह बनाते, अलग करते, और अपने जीवनों में अध्ययन करने के अलग-अलग विषयों और कार्यों की लंबी-चौड़ी सूची बनाकर हम अपने जीवनों में सुसमाचार लागू करते हैं । लेकिन यह तरीका हमारी समझ और दृष्टि को सीमित कर सकता है । हमें ध्यान रखना चाहिए क्योंकि फरीसियों के समान दृष्टिकोण हमें प्रभु के निकट जाने से दूर रख सकता है ।
उद्देश्य और शुद्धिकरण, खुशी और आनंद, और निरंतर परिर्वतन और सुरक्षा जो “परमेश्वर के प्रति अपने हृदयों की समर्पणता” और “उसका प्रतिबिंब हमारे चेहरों पर आता है” आत्मिक बातों को मात्र पूरा करने और जांचने से नहीं पाया जा सकता । वास्तव में हमें बदलने और आशीष देने के लिये उद्धारकर्ता के सुसमाचार की शक्ति इसके सिद्धांतों, नियमों, और कार्यों के विभन्न पहलुओं को समझने और लागू करने से प्रवाहित होती है । केवल जब हम एकत्रित करते हैं, उस पर दृढ़ता से कंद्रित होते हुए, तो सुसमाचार की सच्चाइयां एकसाथ मिलकर हमें वैसा बनने के सब बातों को मसीह योग्य करती हैं जो परमेश्वर हमें बनाने की इच्छा करता है और अतं तक वीरता से कायम रहते हैं ।
सुसमाचार सच्चाइयों को सीखना और जोड़ना
यीशु मसीह का सुसमाचार सच्चाई की एक शानदार कढ़ाई है जो “बढ़िया तरह से” रची और बुनी गई है । जब हम सुसमाचार सच्चाइयों को सीखते और एक साथ जोड़ते हैं, तो हम अनमोल दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिये आशीषित होते हैं और आत्मिक क्षमता को बढ़ाते हैं उन आखों से जो हमारे जीवनों में प्रभु के प्रभाव देख सकती है और उन कानों को जो उसकी आवाज सुन सकते हैं । और एकसाथएकत्रित होने का सिद्धांत एक में--- अर्थात उसमें पारंपरिक सूची को संगठित, संकलित, और संपूर्ण से बदलने में मदद कर सकता है । जो मैं कह रहा हूं उसके सैद्धांतिक और गिरजे दोनों के उदाहरण मैं आपको देता हूं ।
उदाहरण 1. विश्वास का चौथा अनुच्छेद मसीह में सब बातों का मिलकर एक होने के महानत्तम उदाहरणों में से एक है : “हम विश्वास करते हैं कि सुसमाचार के मुख्य सिद्धांत और विधियां पहला, प्रभु यीशु मसीह में विश्वास; दूसरा, पश्चाताप; तीसरा, पापों की क्षमा के लिए डुबकी लेकर बपतिस्मा लेना; चौथा, हाथ रख कर पवित्रात्मा का उपहार पाना हैं ।”
सच्चा विश्वास प्रभु यीशु मसीह में और पर केंद्रित होता है---उस में एक दिव्य और पिता के एकलौते पुत्र में और उस पर एंव मुक्ति के मिशन पर जिसे वह परिपूर्ण करता है । “क्योंकि उसने सारे नियमों को पूरा किया है, और उन सब पर दावा करता है जो उसमें विश्वास करते हैं; और वे जो उसमें विश्वास करते हैं हर अच्छी बात को थामे रहेंगे; इसलिये वह मानव संतानों का पक्ष लेता है।” मसीह में विश्वास करना उस पर हमारे उद्धारकर्ता के तौर पर, उसके नाम पर, और उसकी प्रतिज्ञाओं में आश्वासन बनाए रखना और भरोसा करना है ।
उद्धारकर्ता में भरोसा करने का पहला और स्वाभाविक पश्चाताप बुराई से दूर हटना होता है । जब हम प्रभु में और पर विश्वास करते हैं, तो हम स्वाभाविकरूप से उसकी ओर मुड़ते, निकट आते, और उस पर निर्भर होते हैं । इस प्रकार, पश्चाताप मुक्तिदाता में भरोसा करना और उस पर निर्भर होना है जिसे हम स्वयं के लिये नहीं कर सकते हैं । हम में से प्रत्येक को “पूर्णरूप से उसके गुणों पर निर्भर होना चाहिए जोकि बचाने में पराक्रमी है” क्योंकि “केवल पवित्र मसीहा की योग्यताओं, और दया, और अनुग्रह” के द्वारा ही हम नये हो सकते हैं और अंतत: परमेश्वर की उपस्थिति में लौटते और निवास करते हैं ।
पापों की क्षमा के लिये डुबकी द्वारा बपतिस्मे की विधि के लिये हमें उस में भरोसा करने, उस पर निर्भर होने, और उसका अनुसरण करने की जरूरत होती है । नफी की घोषणा थी, “मेरे प्रिय भाइयों, मैं जानता हूं कि यदि तुम अपने संपूर्ण हृदय से पुत्र का अनुकरण करोगे, बिना दिखावे और बिना परमेश्वर को धोखा दिए, सच्ची इच्छा के साथ, अपने पापों से पश्चाताप करते हुए, पिता को गवाही देते हुए कि तुम मसीह का नाम अपने ऊपर धारण करने के इच्छुक हो, बपतिस्मे के द्वारा—हां, अपने प्रभु और अपने उद्धारकर्ता का अनुकरण करते हुए जल में डुबकी लगाकर, उसके वचन के अनुसार, तब देखो, तुम्हें पवित्र आत्मा का उपहार प्राप्त होगा; हां, फिर आग और पवित्र आत्मा का बपतिस्मा आता है ।”
पवित्र आत्मा के उपहार के लिये हाथों को रखने की विधि के लिये हमें उसमें भरोसा करने, उसपर निर्भर होने, उसका अनुसरण करने, और उसमें आगे बढ़ने की जरूरत है और उसकी पवित्र आत्मा की सहायता के साथ । जैसा नफी ने घोषित किया था, “और अब …मैं जानता हूं कि जब तक कि मनुष्य, जीवित परमेश्वर के पुत्र के उदाहरण का अनुकरण करते हुए अंततक धीरज न धरे, वह बचाया नहीं जा सकता।”
चौथा विश्वास के अनुच्छेद पुनास्थापित सुसमाचार के आवश्यक नियमों और विधियों को ही नहीं दर्शाता बल्कि, विश्वासों के प्रेरणादायक कथन कि सब कुछ मसीह में एकत्र करो, को दर्शाता है : उसमें और पर भरोसा करते हुए, उस पर निर्भर होते हुए, उसका अनुसरण करते हुए, और उसके साथ आगे बढ़ते हुए—उसके समान बनने के लिये ।
उदाहरण 2. अब मैं बताना चाहता हूं कैसे गिरजे के कार्यक्रम और कार्य सब कुछ मसीह में एकत्र करते हैं । बहुत से अन्य उदाहरण भी दिये जा सकते हैं; मैं केवल कुछ चुने हुओं का उपयोग करूंगा ।
1978 में, अध्यक्ष स्पेसर डब्लू. किंबल ने गिरजे के सदस्यों को संसार भर में सिय्योन की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया था । उन्होंने संतों को अपने देश में रहने और परमेश्वर के परिवार को एकत्र करके मजबूत स्टेकों को स्थापित करने और प्रभु के मार्ग सीखाने की सलाह दी थी । उन्होंने आगे कहा था कि अधिक मंदिरों का निर्माण किया जाएगा और संतों के लिये आशीषों वादा किया संसार में जहां-कहीं वे रहते थे ।
जब स्टेकों की संख्या बढ़ी, सदस्यों के लिये घरों की जरूरत बढ़ गई “जहां परिवार के सदस्यों को प्रेम मिले, जहां वे अपने जीवनों को समृद्ध कर सकें और आपसी प्रेम, समर्थन, प्रशंसा और प्रोत्साहन मिले ।” परिणामस्वरूप, 1980 में, रविवार सभाओं को “व्यक्तिगत और पारिवारिक जिम्मेदारियां सीखने, जीने, और सुसमाचार सीखाने के लिये” तीन-घंटे के लिये संगठित किया गया । परिवार और घर के इस महत्व की पुष्टि 1995 में फिर से “परिवार: दुनिया के लिये घोषणा” में अध्यक्ष गोर्डन बी. हिंकली द्वारा की गई थी ।
अप्रैल 1998 में, अध्यक्ष गोर्डन बी. हिंकली ने बहुत से छोटे मंदिरों के निर्माण की घोषणा की थी, इस प्रकार प्रभु के घर की पवित्र विधियों को संसार-भर में अंतिम-दिनों के संत लोगों और परिवारों के निकट लाए थे । और 2001 में संसारिक आत्म-निर्भरता में सहायक निरंतर शिक्षा कोष को आरंभ करने के द्वारा आत्मिक विकास और वृद्धि के इन अतिरिक्त मौकों बढ़ाया गया था ।
अपने प्रशासन के दौरान, अध्यक्ष थॉमस एस. मॉनसन ने संतों को “बचाने के लिये” जाने का बारबार आदेश दिया और गिरजे की दिव्यरूप से नियुक्त की गई जिम्मेदारियों में से एक के रूप में गरीब और जरुरतमंद की देखभाल करने पर जोर दिया था । संसारिक तैयारी पर बल देने के लिये, 2012 में आत्म-निर्भरता सेवाओं को लागू किया गया था ।
पिछले बहुत से वर्षों से, घर और गिरजे में सब्त दिन को आनंद बनाने के आवश्यक नियमों के बारे में जोर और इनका सर्मथन किया गया है, लिहाजा इस महा सम्मेलन में घोषित रविवार सभा की समय सारणी के लिये हमें तैयार कर रहें हैं ।
और छह महिने पहले, मलकिसिदिक पौरोहित्य परिषद को मजबूत किया गया और सेवकाई के उच्च और पवित्र कार्य को प्राप्त करने के लिये सहायक संस्थाओं के साथ अधिक प्रभावशाली ढंग से ताल-मेल किया गया था ।
मैं विश्वास करता हूं कि कई दशकों में इन कार्यों का सिलसिला और समय हमें एक संगठित और विस्तृत कार्य को समझने में मदद कर सकता है और न कि कुछ स्वतंत्र और अलग कार्यों की श्रृंखला को । “परमेश्वर ने विधियों, शिक्षाओं, कार्यक्रमों, और गतिविधियों के माध्यम से लोगों और परिवारों के लिये आत्मिक विकास के लिये नमूना प्रकट किया है जोकि घर पर कंद्रित और गिरजा समर्थित हैं । गिरजा संगठन और कार्यक्रम लोगों और परिवारों को आशीषित करने के लिये हैं न कि सिर्फ नाम के लिये ।”
मैं प्रार्थना करता हूं हम प्रभु के कार्य को महान विश्वव्यापी कार्य के रूप में पहचाने जोकि अत्याधिक घर पर कंद्रित और गिरजा समर्थित हो रहा है । मैं जानता और गवाही देता हूं कि परमेश्वर के “राज्य के संबंध में बहुत सी महान और महत्वपूर्ण बातों को प्रभु प्रकट कर रहा है और आगे प्रकट करेगा ।”
प्रतिज्ञा और गवाही
मैंने अपना संदेश पदार्थों के अलग-अलग रेशों द्वारा निर्मित रस्सी की शक्ति को दर्शाते हुए आरंभ किया था । उसी तरह से, मैं वादा करता हूं कि पुनास्थापित सुसमाचार के दृष्टिकोण, उद्देश्य, और शक्ति हमारी शिक्षा और जीवन में दिखाई देगी जब सब बातों को मसीह में एकत्रित करने का प्रयास करते हैं ।
सारे मौके और आशीषें जो अनंत कल्याण के लिये महत्वपूर्ण हैं प्रभु यीशु मसीह में उत्पन्न होते हैं, उसके कारण संभव और इनके उद्देश्य हैं, और उसके माध्यम से कायम रहते हैं । जैसा अलमा गवाही देता है: “मसीह के अलावा कोई और रास्ता या साधन नहीं है जिससे मनुष्य को बचाया जा सके । देखो, वह जीवन और संसार की ज्योति है ।”
मैं आनंदपूर्वक अनंत पिता और उसके प्रिय पुत्र, यीशु मसीह की दिव्यता और जीवित वास्तविकता की अपनी गवाही की घोषणा करता हूं । हमारे उद्धारकर्ता में, हम आनंद पाते हैं । और उसमें हम “इस संसार में शांति, और आने वाले संसार में अनंत जीवन का आश्वासन पाते हैं ।” मैं इसकी गवाही प्रभु यीशु मसीह के पवित्र नाम में देता हूं, आमीन ।