2010–2019
घबराना नहीं
अक्टूबर 2018


2:3

घबराना नहीं

भाइयो और बहनों, साहस रखो । हां हम बुराइयों से भरे समय में रह रहे है, पर यदि हम अपने अनुबंधों के मार्ग पर कायम बने रहते है तो हमे डरने की आवश्यकता नहीं है ।

प्रथम अध्यक्षता और बारह प्रेरितों की परिषद के तालमेल और एकमत होने के बारे में कुछ क्षण पहले अध्यक्ष रास्ल एम नेलसन और एल्डर क्युंटिन एल कुक के संदेशों से मैं अपनी गवाही जोड़ता हूं । मैं जानता हूं ये घोषणाएं प्रभु के मन और इच्छा से हैं और आने वाली कई पीढ़ियों तक लोगों, परिवारों, और अंतिम-दिनों के संतों के यीशु मसीह के गिरजे को आशीष देंगी और मजबूत करेंगी ।

कई साल पहले, हमारी विवाहित बेटियों में से एक और उसके पति ने बहन रसबैंड और मुझ से एक बहुत महत्वपूर्ण, जीवन-प्रभावित करने वाला प्रश्न पूछा: “क्या इस दुष्ट और भयानक संसार में जिसमें हम रहते हैं बच्चों को पैदा करना सुरक्षित और अक्लमंदी है ?”

अब, माता और पिता के लिये अपनी प्रिय बच्चों से विचार करने के लिये यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न था । हम उनकी वाणी में भय सुन सकते थे और उनके हृदयों में भय को महसूस कर सकते थे । उनको हमारा उत्तर दृढ़ था “हां, निश्चितरूप से हां,” जब हमने मूलभूत सुसमाचार शिक्षाओं और अपने स्वयं के वास्तविक अभिव्यक्तियों और जीवन के अनुभवों को साझा ।

भय नया नहीं है । यीशु मसीह के शिष्य, गलील के सागर पर, अंधेरी रात में “आंधी और लहरों से” भयभीत हुए थे । उसके शिष्य के रूप में आज, हम भी, भयभीत होते हैं । हमारे अविवाहित युवक/युवतियां कुछ निर्णय करने में भयभीत होते हैं जैसे विवाह करना । युवा विवाहित, हमारे बच्चों के समान इस तेजी से दुष्ट होते संसार में बच्चे पैदा करने से भयभीत हो सकते हैं । प्रचारकों बहुत सी बातों से भयभीत होते हैं, विशेषकर अजनबी से बातें करने में । विधवाएं अकेले जीवन बिताने में भयभीत होती हैं । किशोर/किशोरी मित्रों द्वारा स्वीकार न किये जाने से भयभीत होते हैं; स्कूल जाने वाले पहले दिन स्कूल जाने पर भयभीत होते हैं; विश्वविद्यालय के विद्यार्थी परिक्षा परिणामों से भयभीत होते हैं । हम असफलता, अस्वीकृत होने, निराशा, और अनजान से भयभीत होते हैं । हम चुने न जाने से भयभीत होते हैं और कभी चुने जाने पर भयभीत होते हैं । हम पर्याप्त अच्छा न होने पर भयभीत होते हैं; हम भयभीत होते हैं कि प्रभु के पास मेरे लिये कोई आशीष नहीं है । हम बदलाव से भयभीत होते हैं, और हमारा भय भयानक हो सकता है । क्या मैंने सब भयों को शामिल कर लिया है ?

पूराने समय से, भय ने परमेश्वर के बच्चों के दृष्टिकोण को सीमित किया है । मैंने 2 राजा में एलिशा के विवरण को हमेशा पंसद किया है । सीरिया के राजा ने सेना भेजी जिन्होंने “रात को आकर शहर को घेर लिया ।” उनका इरादा भविष्यवक्ता को पकड़ना और मार डालना था । हम पढ़ते हैं :

“और भोर को जब परमेश्वर का दास उठा, और बाहर गया, देखो, सेना ने शहर को घोड़ों और रथों सहित घेर रखा था । और उसके सेवक ने उससे कहा, हाय ! मेरे स्वामी, हम क्या करें ?”

वह भय बोल रहा था ।

“और [एलिशा] ने कहा, मत डर: क्योंकि जो हमारी ओर हैं, वह उनसे अधिक हैं, जो उनकी ओर हैं ।”

लेकिन वह यहीं नहीं रूका ।

“तब एलिशा ने यह प्रार्थना की, हे यहोवा, इसकी आंखें खोल दे कि यह देख सके । तब यहोवा ने सेवक की आंखें खोल दी, और जब वह देख सका, तब क्या देखा, कि एलिशा के चारों ओर का पहाड़ अग्निमय घोड़ों और रथों से भरा हुआ है ।”

हमारे भयों को दूरे करने और हमारे शैतानों को हराने के लिये हो सकता है की अग्नि के रथों को नहीं भेजा जाता है, लेकिन उपदेश स्पष्ट है । प्रभु हमारे साथ है, हमारा ख्याल रखता है और अपने तरीकों से हमें आशीष देता है । प्रार्थना उस बल और प्रकटीकरण को ला सकती है जिसकी हमें अपने विचारों को यीशु मसीह और उसके प्रायश्चित बलिदान पर केंद्रित करने की आवश्यकता होती है । प्रभु जानता था की हम कई बार भय महसूस करेंगे । मैंने भय महसूस किया है और आपने भी महसूस किया होगा, इसलिये धर्मशास्त्र प्रभु की सलाहों से भरे हैं :

“हिम्मत रखो, और भयभीत न हो ।”

“प्रत्येक विचार में मेरी ओर देखो; संदेह मत करो, भयभीत मत हो ।”

“डर मत, छोटे झुंड ।” मुझे “छोटे झुंड” की अभिव्यक्ति पंसद है । इस गिरजे में संसार की जनसंख्या के मुकाबले हमारी संख्या कम हो सकती है, लेकिन जब हम अपनी आत्मिक आंखों को खोलते हैं, “वे जो हमारी ओर हैं, वह उनसे अधिक हैं, जो उनकी ओर हैं ।” हमारा प्रेमी चरवाहा, यीशु मसीह, आगे कहता है, “बेशक संसार और नरक की शक्तियां मिलकर तुम्हारा विरोध करें, क्योंकि यदि तुमने मेरी चट्टान पर निर्माण किया है तो भी वे विजय प्राप्त नहीं कर सकते ।”

भय दूर कैसे होता है ? क्योंकि सेवक, परमेश्वर के भविष्यवक्ता एलिशा के बिलकुल साथ खड़ा था । हमारे पास भी वही प्रतिज्ञा है । जब हम अध्यक्ष रसल एम. नेलसन को सुनते, जब हम उनकी सलाह पर ध्यान लगाते है , हम परमेश्वर के भविष्यवक्ता के साथ खड़े होते हैं । जोसफ स्मिथ के शब्दों को याद करो : “और अब, उसके बारे में कई गवाहियां दिए जाने के पश्चात, यह वह गवाही है, सबसे अंतिम, जिसे हम उसके विषय में देते हैं: कि वह जीवित है !” यीशु मसीह जीवित है । उसके और उसके सुसमाचार के प्रति हमारा प्रेम भय को दूर करता है ।

“उसकी आत्मा सदा” हमारे साथ रहने की हमारी इच्छा भय को दूर करती है और हम अपने नश्वर जीवनों के अनंत दृश्य को देखते हैं । अध्यक्ष नेलसन ने चेतावनी दी है, “आने वाले दिनों में, पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन, निर्देशन, दिलासा, और निरंतर प्रभाव के बिना आत्मिकरूप से जीवन पाना संभव नहीं होगा ।”

उन विपत्तियां के संबंध में जो संसार में होंगी और कई के हृदयों को कठोर करेंगी, प्रभु ने कहा था: “मेरे शिष्य पवित्र स्थानों में खड़े रहेंगे, और हटाए नहीं जाएंगे ।”

और फिर यह दिव्य सलाह : “घबराना नहीं, क्योंकि, जब ये बातें होंगी, तुम जानोगे कि जो प्रतिज्ञाएं मैंने तुम से की हैं पूरी होंगी ।”

और फिर यह दिव्य सलाह : “घबराना नहीं, क्योंकि, जब ये बातें होंगी, तुम जानोगे कि जो प्रतिज्ञाएं मैंने तुम से की हैं पूरी होंगी ।”

पहला, पवित्र स्थानों में खड़े रहो । जब हम पवित्र स्थानों में—हमारे धार्मिक घर, हमारे समर्पित आराधनालय, पवित्र मंदिर खड़े होते हैं तो—हम प्रभु की आत्मा को अपने साथ महसूस करते हैं । हमें उन प्रश्नों के उत्तर मिलते हैं जो हमें परेशान करते हैं या उनके बारे में चिंता दूर होती है । यह आत्मा का कार्य है । परमेश्वर के राज्य में इन पवित्र स्थानों को हमारी श्रद्धा, दूसरे के प्रति आदर, सुसमाचार को जीने में हमारे सर्वोत्तम करने, और हमारे भयों को दूर करने की हमारी आशा और यीशु मसीह के प्रायश्चित के माध्यम से उसकी चंगाई की शक्ति पाने की आवश्यकता होती है ।

परमेश्वर के इन पवित्र स्थानों या उसके बच्चों के हृदयों में भय के लिये कोई जगह नहीं है । क्यों ? ऐसा प्रेम के कारण होता है । परमेश्वर हम से हमेशा प्रेम करता है——और हम उससे प्रेम करते हैं । परमेश्वर के लिये हमारा प्रेम सारे भयों का प्रतिकार करता है, और उसका प्रेम पवित्र स्थानों में बहुतायत से होता है । इसके बारे में विचार करें । जब हम प्रभु के प्रति अपने समर्पण में अनिश्चित होते हैं, तो हम अनंत जीवन की ओर उसके मार्ग से भटक जाते हैं, जब हम उसकी दिव्य रचना में अपने महत्व पर प्रश्न या संदेह करते हैं, जब हम भय करते हैं तो हम—निराशा, क्रोध, कुंठा, मायूसी को निंमत्रण देते हैं—आत्मा हमें छोड़े देती है, और हम अकेले हो जाते हैं । यदि आप जानते कि अकेले होना कैसा लगता है, तो आप बस इतना समझ लें कि यह अच्छा अनुभव नहीं होता । इसके विपरीत, जब हम पवित्र स्थानों में रहते हैं, तो हम परमेश्वर के प्रेम को महसूस कर सकते हैं, और “परिपूर्ण प्रेम सारा भय दूर कर देता है।”

अगली प्रतिज्ञा है “घबराना नहीं ।” बेशक पृथ्वी में दुष्टता और अव्यवस्था कितनी क्यों न हो जाए, यीशु मसीह, में हमारी प्रतिदिन की विश्वसनीयता के द्वारा “परमेश्वर की शांति जो समझ से बिलकुल परे है,” का वादा हमसे किया जाता है । और जब मसीह बड़ी सामर्थ और महिमा के साथ आता है, तो बुराई, विद्रोह, और अन्याय समाप्त हो जाएगा ।

बहुत पहले प्रेरित पौलुस ने हमारे समय की घोषणा की थी, युवा तीमुथियुस को कहते हुए:

“यह जान लो, कि अंतिम दिनों में कठिन समय आएंगे ।

“क्योंकि मनुष्य स्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निंदक, माता-पिता की आज्ञा टालने वाले, कृतघ्न, अपवित्र, …

“ … परमेश्वर के नहीं परंतु सुख-विलास को चाहने वाले होंगे ।”

याद रखें, “वे जो हमारी ओर हैं” परदे के दोनों ओर, जो प्रभु से अपने सारे हृदय, मन, और शक्ति से प्रेम करते हैं, “उन से अधिक हैं जो उनकी ओर हैं ।” यदि हम सक्रिय होकर प्रभु में और उसके मार्गों में भरोसा करते हैं, यदि हम उसका कार्य करते हैं, तो हम संसार के बदलावों से भयभीत नहीं होंगे या उनसे नहीं घबराएंगे । मैं आप से याचना करता हूं संसारिक प्रभावों और दबावों से प्रभावित न हों और अपने प्रतिदिन के जीवन में आत्मिकता का प्रयास करें । उससे प्रेम करें जिससे प्रभु प्रेम करता है, जिसमें शामिल हैं उसकी आज्ञाएं, उसके पवित्र घर, उसके साथ हमारे पवित्र अनुबंध, प्रत्येक सब्त दिन को प्रभु-भोज, प्रार्थना के माध्यम से हमारी बात-चीत, और आप घबराओगे नहीं ।

अंतिम बात: प्रभु और उसकी प्रतिज्ञाओं पर भरोसा रखें । मैं जानता हूं कि उसकी सारी प्रतिज्ञाएं पूरी होंगी । मैं इसे उतनी दृढ़ता से जानता हूं जितना मैं यहां आपके सामने इस पवित्र सभा में खड़ा हूं ।

प्रभु ने प्रकट किया है : “क्योंकि वे जो बुद्धिमान हैं और सच्चाई को पाया है, और पवित्र आत्मा को अपने मार्गदर्शक होने के लिये पाया है, और धोखा नहीं खाया है—मैं तुम से सच कहता हूं, वे काटे और आग में नहीं डाले जाएंगे, लेकिन उस दिन को सह लेगें ।”

इसलिये हमें वर्तमान की अनिश्चितता से घबराना नहीं चाहिए, उनके द्वारा जो बड़े और विशाल भवन में है, उनके द्वारा जो प्रभु यीशु मसीह के प्रति ईमानदार प्रयास और समर्पित सेवा का मजाक उड़ाते हैं । आशा, साहस, उदारता भी उस हृदय से आती है जो परेशानियों या अनिश्चितता से प्रभावित नहीं होता है । अध्यक्ष नेलसन, जो “भविष्य के बारे में आशावादी हैं,” ने हमें याद दिलाया है, “यदि हम सोचते हैं कि हम मनुष्य की उन मान्यताओं और विचारों के माध्यम से परखे जाएंगे जो सच्चाई पर हमला करती हैं, तो हमें प्रकटीकरण प्राप्त करना सीखना चाहिए ।”

वफादारी और आत्मिकता को प्रोत्साहित करने को प्राथमिकता देनी चाहिए व्यक्तिगत प्रकटीकरण प्राप्त करने के लिये, हमें सुसमाचार जीने और अन्यों के साथ-साथ स्वयं में ।

स्पेनसर डब्ल्यू. किंबल मेरी युवावस्था के भविष्यवक्ताओं में से एक थे । पिछले कुछ सालों से, प्रेरित नियुक्त किये जाने के बाद, मैंने अक्टूबर 1943 के महा सम्मेलन में उनके पहले संदेश में शांति पाई है । वह अपनी नियुक्ति से अभिभूत हुए थे । मैं जानता हूं उस समय कैसा महसूस होता है । एल्डर किंबल ने कहा था : “मैंने बहुत अधिक विचार और प्रार्थना, और उपवास और प्रार्थना की थी । बहुत से विपरीत विचार थे जो मेरे मन में आए थे—मानो कोई बोल रहा हो : ‘तुम इस कार्य को नहीं कर सकते । तुम काबिल नहीं हो । तुम्हारे में योग्यता नहीं है’—और अंत में प्रभावशाली विचार आया: ’तुम्हें यह कार्य करना चाहिए—तुम्हें स्वयं को योग्य, काबिल, और लायक बनाना चाहिए ।’ उनके लिये सरल नहीं था फिर भी उन्होंने दृढ़ता से निभाया और पूरा किया ।”

मैं इस प्रेरित की सच्चे हृदय की गवाही से उत्साहित होता हूं जो इस विशालकाय गिरजे के 12वें अध्यक्ष बने थे । वह जान गए थे कि “सौंपे गए कार्य को करने के लिये” उन्हें अपने भयों से प्रभावित नहीं होना है और कि उन्हें प्रभु की शक्ति पर निर्भर होना है जो उन्हें “योग्य, लायक, और काबिल बनाती है ।” हम भी ऐसा कर सकते हैं । युद्ध अभी जारी है, लेकिन हम इसका सामना प्रभु की आत्मा के साथ करेंगे । हम “घबराएंगे नहीं” क्योंकि जब हम प्रभु के साथ और उसके नियमों के लिये और उसकी अनंत योजना के लिये खड़े होते है, तो हम पवित्र भूमि पर खड़े होते हैं ।

अब, उस प्रश्न के बारे में जो बेटी और दमाद ने हृदय से और व्यक्तिगत भय से प्रभावित होकर वर्षों पहले पूछा था ? उन्होंने उस रात की हमारी बातचीत को गंभीरता से लिया; उन्होंने प्रार्थना और उपवास रखा और स्वयं के लिये निर्णय लिया । उनके लिये और हम, नाना-नानी के लिये, खुशी और आनंद है कि अब उन्हें सात सुंदर बच्चों की आशीष मिली है जब वे विश्वास और प्रेम में आगे बढ़ते जाते हैं ।

एल्डर और बहन रसबैंड के नाती-पोते

भाइयों और बहनों, उत्साहित हो । हां, हम कठिन समयों में रह रहे हैं, लेकिन जब हम अनुबंधित मार्ग में कायम रहते हैं, तो हमें भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है । मैं आपको आशीष देता हूं कि जब आप ऐसा करते हैं, तो आप अपनी आस-पास की परिस्थितियों या आपके मार्ग में आने वाली परेशानियों से नहीं घबराएंगे । मैं आपको पवित्र स्थानों पर डटे रहने और न हटने की आशीष देता हूं । मैं आपको यीशु मसीह की प्रतिज्ञाओं में विश्वास करने की आशीष देता हूं, कि वह जीवित है, वह हमारी रक्षा करता है, हमारा ख्याल रखता है और हमारे साथ खड़ा है । हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता, यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।