2010–2019
घायल
अक्टूबर 2018


2:3

घायल

पृथ्वी की परिक्षाओं की कष्टकारी घड़ी में, जब हम धैर्य से स्थिर रहते हैं, उद्धारकर्ता की चंगाई देने वाली शक्ति ज्योति, समझदारी, शांति और आशा लाएगी ।

22 मार्च, 2016 को सुबह ठीक आठ बजे से पहले, ब्रसल्स हवाई अड्डे में दो आंतकवादी बम विसफोट हुए थे । एल्डर रिचर्ड नोरबी, एल्डर मैसन वेल्स, और एल्डर जोसफ एमपी बहन फैनी क्लेन को ओहायो, क्लीवलैंड में उनेक मिशन की उड़ान के लिये हवाई अड्डे लेकर गए थे । इस विसफोट में बत्तीस लोग मारे गए थे, और सारे प्रचारक घायल हुए ।

अत्याधिक गंभीररूप से घायल 66 वर्ष के एल्डर रिचर्ड नोरबी, थे जो अपनी पत्नी, बहन पैम नोरबी के साथ सेवा कर थे ।

एल्डर नोरबी ने उस क्षण के बारे में बताया था:

“तुरंत ही, मुझे पता चल गया था कि क्या हुआ था

“मैंने सुरक्षा के लिये दौड़ने का प्रयास किया, लेकिन में एकदम गिर गया । … मैं देख सकता था कि मेरा बांया पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था । मैंने ध्यान दिया काला, लगभग मकड़े के जाल की तरह, दोनों हाथों से काला पाउडर के समान कुछ लटका हुआ था । मैंने धीरे से इसे खींचा, लेकिन पता चला कि काला पाउडर नहीं बल्कि मेरी खाल थी जो जल चुकी थी । मेरी सफेद कमीज पीठ के घाव से लाल हो गई थी ।

“जो कुछ हुआ था जैसे ही यह मुझे समझ आया, मेरे मन में यह प्रबल विचार आया, … उद्धारकर्ता जानता था कि मैं कहां था, जो कुछ अभी हुआ था, और जिसे मैं उस क्षण अनुभव कर रहा था।”

रिचर्ड नोरबी कृत्रिम बेहोशी में

आगे आने वाले दिन रिचर्ड नोरबी और उनकी पत्नी, पैम के लिये बहुत कठीन थे । उन्हें अप्रैशन, संक्रमण, और अनिश्चितता (कि वह जीवित रहेंगे या नहीं) के चलते बेहोशी की अवस्था में रखा गया ।

रिचर्ड नोरबी बच गया, लेकिन उसका जीवन पहले जैसा न था । ढाई साल बाद भी, उसके घाव अभी भी भर रहे हैं; उसके पैर के कटे हुए हिस्से में कृत्रिम अंग जोड़ा गया है; उनका प्रत्येक कदम ब्रसेल्स हवाई अड्डे के उस क्षण से बहुत भिन्न है ।

रिचर्ड और पैम नोरबी

रिचर्ड और पैम नोरबी के साथ ऐसा क्यों हुआ था ? वे अपने अनुबंधों में सच्चे थे और उन्होंने आइवरी कोस्ट मिशन में सेवा की थी और शानदार परिवार को पाला था । कोई भी प्रत्यक्षरूप से कहा सकता था, “यह ठीक नहीं हुआ था ! यह न्याय नहीं था ! वे अपना जीवन यीशु मसीह के सुमाचार के लिये दे रहे थे; उनके साथ ऐसा कैसे हो सकता था ?”

यह नश्वरता है

यद्यपि परिस्थितियां भिन्न हो सकती हैं, लेकिन दुर्घटनाएं, अनपेक्षित परिक्षाएं और परिक्षण, शारीरिक और आत्मिक दोनों तरह की, हम में से प्रत्येक साथ होती हैं । क्योंकि यही नश्वरता है ।

जब मैंने आज सुबह इस महा सम्मेलन के वक्ताओं के बारे में विचार किया, तो मैंने देखा कि दो के बच्चे हैं और तीन के नाती/पोते हैं जो अप्रत्याशित रूप से अपने स्वर्गीय पिता के लौट गए । कोई भी बीमारी और दुख से बच पाया है, और इसी सप्ताह, पृथ्वी पर फरिश्ता जिसे हम सब प्रेम करते हैं, बहन बारबरा बलार्ड, दुनिया से कूच कर गई । आज सुबह हम अध्यक्ष बलार्ड की गवाही को कभी नहीं भूलेंगे ।

हम खुशी को खोजते हैं । हम शांति चाहते हैं । हम प्रेम की आशा करते हैं । और प्रभु हम पर आशीषों की वर्षा करता है । लेकिन आनंद और खुशी के साथ एक बात निश्चित है: साल में किसी क्षण, घंटे, दिन ऐसे होंगे जब आपकी आत्मा घायल होती है ।

धर्मशास्त्र सीखाते हैं कि हम कठिनाई और सुख दोनों तरह के समयों को अनुभव करेंगे और “हर बात में विरोध होगा ।” यीशु ने कहा था, “तुम्हारा पिता भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है ।”

आत्मा के घाव गरीब या अमीर, संस्कृति, राष्ट्र, या पीढ़ी में अलग-अलग नहीं होते हैं । वे सब पर आते हैं । ये इस नश्वर अनुभव में हमारे सीखने का हिस्सा हैं ।

धर्मी भी प्रतिरक्षित नहीं हैं

आज मेरा संदेश विशेषकर उनके लिये है जो परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन कर रहें हैं, परमेश्वर के साथ अपनी प्रतिज्ञाओं का पालन कर रहें हैं, और फिर भी नोरबी या इस विश्वव्यापी श्रोताओं में उनके समान अन्य पुरूष, महिलाएं, और बच्चे, परिक्षाओं और चुनौतियों का सामना करते हैं जोकि अनचाहे और दर्दनाक होते हैं ।

हमारे घाव प्राकृतिक आपदा या दुर्भाग्यपूर्ण घटना से हो सकते हैं । वे अविश्वासी पति या पत्नी से हो सकते हैं, धार्मिक पति या पत्नी और बच्चों के लिये जीवन में बहुत बाधा पहुंचाते हैं । घाव अंधकार और निराशा से आ सकते हैं, जिससे हम प्रेम करते हैं उसकी अनपेक्षित बीमारी, कष्ट या समयपूर्व मृत्यु से, परिवार के किसी सदस्य से जो अपने विश्वास को अस्वीकार करता / करती है; अकेलेपन से जब परिस्थितियोंवश अनंत जीवन साथी नहीं मिलता है; या सैकड़ों अन्य हृदय-विदारक, निराशाजनक, दर्दनाक “[दुख] हो सकते हैं जिन्हें आंख नही देख सकती ।”

हम सब जानते हैं कठिनाइयां जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन वे जब व्यक्तिगत रूप से आती हैं, तो वे हमें हैरत में डालती हैं । बिना चेतावनी दिए, हम तैयार रहने की जरूरत है । प्रेरित पौलुस कहता है, “इस से यह समझकर अचंभा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है ।” हमारे पिता की योजना के वस्त्र में सुख और आनंद के चमकदार रंगों के साथ परिक्षा और दुख के गहरे धागे भी बुने हुए हैं । ये संघर्ष, यद्यपि कठिन हैं, फिर भी हमें महात्तम सीख देती हैं ।

जब हम हिलामन के 2060 युवकों की चमत्कारी कहानी सुनाते हैं तो हम यह धर्मशास्त्र अच्छा लगता है: “परमेश्वर की दया से और हमारी पूरी सेना की सफलता से, एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जो मारा गया हो ।”

लेकिन वाक्य आगे कहता है: “और उनमें से ऐसा कोई व्यक्ति नहीं था जो बुरी तरह घायल न हुआ हो ।” लेकिन 2060 में से प्रत्येक घायल हुआ था, और हम में प्रत्येक जीवन के युद्ध में घायल होगा चाहे शारीरिकरूप से, आत्मिकरूप से, या दोनों रूप से ।

यीशु मसीह हमारा अच्छा सामरी है

आपकी आत्मा के घाव कितने भी गहरे हों कभी हिम्मत न हारें, उनका स्रोत कुछ भी हो, कहीं भी या कभी भी वे होते हों, और कितने कम या लंबे वे चलते हों, आप आत्मिकरूप से नष्ट होने के लिये नहीं बने हो । आप आत्मिकरूप से बने रहने और परमेश्वर में अपने विश्वास और भरोसे में जीवित रहने और विकास करने के लिये बने हो ।

परमेश्वर ने हमारी आत्माओं को उससे अलग होने के लिये नहीं बनाया था । हमारा प्रभु और उद्धारकर्ता, यीशु मसीह अपने प्रायश्चित के बेहिसाब उपहार के माध्यम से, न केवल हमें मृत्यु से बचाता और पश्चाताप के द्वारा, हमारे पापों से क्षमा दिलाता, बल्कि हमें हमारी घायल आत्मा के दुखों और दर्द से भी बचाने के तैयार है ।

अच्छा सामरी

उद्धारकर्ता हमारा अच्छा सामरी है उसे इसलिये भेजा गया था कि वह “टूटे हुए हृदय को चंगाई दे ।” वह हमारे पास आता है जब दूसरे हमारे सामने से निकल जाते हैं । करूणा से वह हमारे घावों पर बाम लगाता और पट्टी बांधता है । वह हमें उठाता है । वह हमारी देख भाल करता है । वह हम से कहता है, “मेरे पास आओ … और मैं तुम्हें चंगाई दूंगा ।”

“और वह [यीशु] पीड़ा और कष्ट और हर प्रकार के प्रलोभन को झेलेगा; … ताकि … वह अपने लोगों की पीड़ा और बीमारी को अपने ऊपर ले ले । “ … वह अनुग्रही होते हुए अपने ऊपर हमारी दुर्बलताओं को ले लेता है ।”

आओ, तुम टूटे हुओं, जहां कहीं तुम गिरे हो;

दया के सिंहासन के निकट आओ, घुटने टके हुए ।

अपने घायल हृदयों को यहां लाओ; अपनी पीड़ा बताओ ।

पृथ्वी पर ऐसा दुख नहीं जिसे स्वर्ग चंगाई नहीं दे सकता ।

कठिनत्तम समयों में जब प्रभु ने भविष्यवक्ता जोसफ से कहा था, “ये सब बातें तुम्हें अनुभव देंगी और तुम्हारी भलाई के लिये होंगी ।”भलाई के लिये दर्दनाक घाव कैसा हो सकता था ? पृथ्वी की परिक्षाओं की कष्टकारी घड़ी में, जब हम धैर्य से स्थिर रहते हैं, उद्धारकर्ता की चंगाई देने वाली शक्ति ज्योति, समझदारी, शांति और आशा लाएगी ।

कभी हिम्मत मत हारो

अपने संपूर्ण हृदय से प्रार्थना करो । यीशु मसीह में, उसकी सच्चाई में, उसके अनुग्रह में अपने विश्वास को मजबूत करो । उसके वचनों पर भरोसा रखो: “मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है ।”

याद रखें, पश्चाताप प्रभावशाली आत्मिक दवाई है । आज्ञाओं का पालन करें और “सहायक,” पवित्र आत्मा के योग्य बनें । उद्धारकर्ता के वादे को याद करते हुए, “मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं ।”

मंदिर की शांति घायल आत्मा को आराम देने वाला बाम है । जितना संभव हो अपने घायल हृदय और परिवार के साथ प्रभु के घर में जाएं । मंदिर अनंतता की व्यापकता को नश्वरता में हमारे संक्षिप्त क्षण प्रस्तुत करते हैं ।

यह याद करते हुए कि आपने अपनी योग्यता को नश्वरपूर्व अवस्था में साबित किया था, पीछे नजर डालें । आप परमेश्वर के सहासी बच्चे हो, और उसकी मदद से, आप इस पतित संसार के युद्धों को जीत सकते हैं । आपने इसे पहले किया है, और आप इसे फिर से कर सकते हैं ।

आगे नजर डालें । आपकी कठिनाइयां और दुख वास्तविक हैं, लेकिन वे हमेशा कायम नहीं रहेंगे । आपकी अंधकार भरी रात अवश्य बीतेगी । क्योंकि पुत्र फिर से जी उठा था “चंगाई की किरणों के साथ” ।

नोरबी ने मुझे कहा था, “कई अवसर पर निराशा मिलती है लेकिन हमेशा कायम नहीं रहती ।” प्रेरित पौलुस ने कहा था, “हम … क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते; सताए तो जाते हैं; पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते ।” “हम थक सकते हैं, लेकिन हार नहीं मानते हैं ।”

अपने दर्दनाक घावों के साथ भी, आप स्वाभाविकरूप से दूसरों तक पहुंचोगे । उद्धारकर्ता के वादे पर भरोसा करते हुए, “जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा, वह उसे पाएगा ।” वह घायल व्यक्ति जो दूसरों के घाव दूर करता है वे पृथ्वी पर परमेश्वर के दूत हैं ।

कुछ क्षणों में, हम हमारे प्रिय भविष्यवक्ता, अध्यक्ष रसल एम. नेलसन, यीशु मसीह में अविचलित विश्वास के व्यक्ति, आशा और शांति से भरपूर व्यक्ति को सुनेंगे, उन से परमेश्वर प्रेम करता है लेकिन वे भी आत्मा के घावों से नहीं बच पाए ।

1995 में उनकी बेटी एमली, को बच्चा होने वाला था, उसे कैंसर से पीड़ित पाया गया । जब उसके स्वस्थ बच्चा पैदा हुआ तो आशा और खुशी का समय था । लेकिन कैंसर लौट आया और उनकी प्रिय एमली अपने 37वें जन्मदिन के दो सप्ताह बाद अपने पीछे प्रेमी पति और पांच बच्चों को छोड़कर इस जीवन से चली गई ।

1995 में अध्यक्ष नेलसन बोलते हुए

उसके गुजरने के कुछ समय बाद, महा सम्मेलन में, एल्डर नेलसन ने कहा था: ”मेरे दुख के आंसु मेरी इन अभिलाषाओं के साथ बह गए, काश मैं हमारी बेटी के लिये कुछ अधिक कर पाता । … यदि मेरे पास पुनरुत्थान की शक्ति होती, तो मैं उसे वापस लाने के प्रलोभन करता । … लेकिन यीशु मसीह के पास इसकी कुंजियां हैं और एमली … और सब लोगों के लिये उपयोग करेगा प्रभु के नियत समय में ।”

अध्यक्ष नेलस प्यूरेटो रीको में

पिछले महिने, प्यूरेटो रीको में संतों से मिलते, और पिछले साल के तूफान को याद करते हुए, अध्यक्ष नेलसन ने प्रेम और करूणा से कहा था:

“यह जीवन का हिस्सा है । इसी कारण हम यहां हैं । हम यहां शरीर पाने और परिक्षा और जांच किए जाने के लिये हैं । कुछ की परिक्षाएं शारीरिक हैं, कुछ की आत्मिक हैं, और आपकी परिक्षाएं शारीरिक और आत्मिक दोनों रही हैं ।

“आपने हिम्मत नहीं हारी है । मुझे आप पर गर्व है । आप विश्वासी संतों ने बहुत कुछ खोया है, लेकिन इन सबके होते हुए, आपने प्रभु यीशु मसीह में अपने विश्वास को संभाल कर रखा है ।

“परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करने के द्वारा, हम अपनी कठिनत्तम परिस्थितियों में भी आनंद पा सकते हैं ।”

सभी आंसू पोंछ दिए जाएंगे

मेरे भाइयों और बहनों, यह मेरा वादा है कि प्रभु यीशु मसीह में अपना विश्वास बढ़ाने से अतिरिक्त शक्ति और महान आशा मिलती है । आप, धार्मिक लोगों के लिए, हमारी आत्माओं को चंगाई देने वाला, अपने समय और अपने तरीके से आपके सब घावों को चंगाई देगा । कोई अन्याय, कोई अत्याचार, कोई परिक्षा, कोई दुख, कोई हृदय का टूटना, कोई कष्ट, कोई घाव, चाहे कितना गहरा हो, कितना विशाल हो, कितना दर्दनाक हो---दिलासा, शांति, और उसकी अनंत आशा से वंचित नहीं कर सकता है जिसकी फैली हुए बाहें और जिसके घायल हाथ हमें अपनी उपस्थिति में वापस स्वागत करेंगे । उस दिन की, प्रेरित यहून्ना गवाही देता है, धार्मिक “बहुत क्लेश से निकलकर आएंगे”श्वेत वस्त्र पहने … परमेश्वर के सिंहासन के सामने खड़े होंगें ।” मेम्ना “जो सिंहासन के बीच में है … और परमेश्वर उनकी आंखों के सब आंसू पोंछ डालेगा ।” यह दिन अवश्य आएगा, मैं यह गवाही यीशु मसीह के नाम में देता हूं, आमीन ।

विवरण

  1. Personal conversation, Jan. 26, 2018.

  2. इस साल के शुरू में बातचीत में, रिचर्ड नोरबी ने कहा था, “जो हमें दिया जाता है हम उसका जवाब देते हैं । वह दैनिकी से यह साझा करता है: “परीक्षण और परिक्षाएं जो हम में से प्रत्येक पर आती हैं हमें उद्धारकर्ता और उसके प्रायश्चित बलिदान गहराई से समझने का अवसर और मौका होती हैं । यह वह है जिससे हम सहायता पाते हैं । यह वह है जिसकी हम तलाश करते हैं । यह वह है जिस पर हम निर्भर होते हैं । यह वह है जिस पर हमें विश्वास है । यह वह है जिससे हम अपने संपूर्ण हृदय से प्यार करते हैं, बिना किसी भी शर्त के । उद्धारकर्ता ने सभी शारीरिक और भावनात्मक दर्द सहा है जो नश्वरता का हिस्सा हैं । वह हम से दर्द लेता है । वह हमारे दुखों को धारण कर लेता है ।”

  3. देखेंसिद्धांत और अनुबंध 29:39 ।

  4. 2 नफी 2:11 ।

  5. मती 5:45 ।

  6. “Lord, I Would Follow Thee,” Hymns, no. 220.

  7. 1 पतरस 4:12

  8. “हम उन्हें इनके द्वारा साबित करने देंगे, यह देखने के लिये कि वे उन सब कार्यों को करते हैं जिसकी प्रभु उनका परमेश्वर उन्हें आज्ञा देता है ।” (इब्राहिम 3:25; सिद्धांत और अनुबंध 101:4–5 भी देखें) ।

  9. अलमा 57:25

  10. एक मित्र ने मुझे लिखा था: “लगभग पांच साल ’भावनात्मक अंधकार और अलग अवस्थाओं में’ निराशा के साथ की तुम्हारी लड़ाई तुम्हें संकल्प, विश्वास, और धैर्य की क्षमताओं के बहुत किनारे पर ले जाती है । ’दुखों के दिनों के बाद,’ तुम थक जाते हो । सप्ताह के ’दुखों,’ के बाद तुम हताश हो जाते हो । ’महीनों की पीड़ा के बाद,’ तुम अपनी जमीन खोना शुरू कर देते हैं । ’वर्षों के दुख के बाद,’ आप सोचते हैं कि आप कभी फिर से बेहतर नहीं हो सकते । आशा सबसे कीमती और उपहार में मायावी हो जाती है । संक्षेप में, मुझे यकीन नहीं होता कि मैं जानता हूं कि मैं कैसे इस परीक्षण से बच निकला, यदि [उद्धारकर्ता] न होता । यह केवल व्याख्या है । जिसे मैं समझा नहीं सकता कि मैं इसे कैसे जानता हूं, सिवाय इसके कि मैं समझता हूं । उसके कारण से, मैं इससे बच पाया हूं ।”

  11. देखें लूका 10:30–35

  12. लूका 4:18; यशायाह 61:1 भी देखें

  13. 3 नफी 18:32

  14. अलमा 7:11–12 । “वह सब बातों में नीचे भी उतरा था, इतना कि उसने सब बातों को समझा, ताकि वह सब में और सब बातों से हो, सच्चाई का ज्ञान”सिद्धांत और अनुबंध 88:6

  15. “Come, Ye Disconsolate,” Hymns, no. 115.

  16. सिद्धांत और अनुबंध 122:7

  17. “तुम परमेश्वर की महानता को जानते हो; और वह तुम्हारे कष्टों को तुम्हारे लाभ के लिए समर्पित करेगा ” (2 नफी 2:2) । “मैं जानता हूं कि जो कोई भी परमेश्वर में अपना विश्वास दिखाएगा, तो वह उनकी सहायता उनकी परेशानियों, और अनके दुखों, और उनके कष्टों में करेगा, और अंतिम दिन में वे उत्कर्षित किये जाएंगे ।” (अलमा 36:3) ।

  18. 2 कूरिन्थियों 12:9

  19. See Neil L. Andersen, “The Joy of Becoming Clean,” Ensign, Apr. 1995, 50–53.

  20. यहून्ना 14:18

  21. “यदि हम केवल इस जीवन में मसीह से आशा करते हैं तो हम सब मनुष्यों से अधिक अभागे हैं”(1 कूरिन्थियों 15:19) ।

  22. मॉरमन की पुस्तक के प्रथम पद में, नफी समझता है कि उसने “अपने समय के अनेक कष्टों को देखा “ (1 नफी 1:1) । बाद में, नफी कहता है, “फिर भी, मैंने अपने परमेश्वर की ओर नजरें उठाई, और मैंने पूरे दिन उसकी प्रशंसा की; और मैं अपने कष्टों के कारण प्रभु के विरूद्ध बड़बड़ाया नहीं ” (1 नफी 18:16) ।

  23. 3 नफी 25:2

  24. Personal conversation, Jan. 26, 2018.

  25. 2 कूरिन्थियों 4:8–9

  26. President Hugh B. Brown, while visiting Israel, was asked why Abraham was commanded to sacrifice his son. He responded, “Abraham needed to learn something about Abraham” (in Truman G. Madsen, Joseph Smith the Prophet [1989], 93).

  27. मती 16:25

  28. Russell M. Nelson, “Children of the Covenant,” Ensign, May 1995, 32.

  29. Russell M. Nelson, in Jason Swensen, “Better Days Are Ahead for the People of Puerto Rico,” Church News, Sept. 9, 2018, 4.

  30. Russell M. Nelson, in Swensen, “Better Days Are Ahead,” 3.

  31. Russell M. Nelson, in Swensen, “Better Days Are Ahead,” 3.

  32. See Russell M. Nelson, “Jesus Christ—the Master Healer,” Liahona, Nov. 2005, 85–88.

  33. प्रकाशितवाक्य 7:14

  34. देखें प्रकाशितवाक्य 7:13, 15, 17