महा सम्मेलन
परमेश्वर का प्रेम: आत्मा के लिए सबसे आनंदमय
अक्टूबर 2021 महा सम्मेलन


10:24

परमेश्वर का प्रेम: आत्मा के लिए सबसे आनंदमय

परमेश्वर का प्रेम हमारे जीवन की परिस्थितियों में नहीं, बल्कि हमारे जीवन में उसकी उपस्थिति में पाया जाता है।

भाइयों और बहनों, क्या आप जानते हैं कि परमेश्वर, हमारा स्वर्गीय पिता, आपसे कितना प्रेम करता है? क्या आपने उसके प्रेम को अपनी आत्मा में गहराई से महसूस किया है?

जब आप जानते और समझते हैं कि परमेश्वर की संतान के रूप में आपसे कितना प्रेम किया जाता है, तो यह सब कुछ बदल देता है। जब आप गलतियां करते हैं तो यह आपको अपने बारे में महसूस करने के तरीके को बदल देता है यह आपकी महसूस करने की योग्यता को बदलता है जब कठिन चीजें होती हैं यह परमेश्वर की आज्ञाओं के बारे में आपके दृष्टिकोण को बदल देता है। यह दूसरों के बारे में आपके दृष्टिकोण और फर्क करने की आपकी क्षमता को बदल देता है।

एल्डर जैफ्री आर. हॉलैंड ने सिखाया कि, “अनंतकाल की पहली महान आज्ञा यह है कि हम परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि और अपनी सारी शक्ति से प्रेम करें— यह पहली महान आज्ञा है। परंतु अनंतकाल का पहला महान सच यह है कि परमेश्वर हम से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि और अपनी सारी शक्ति से प्रेम करता है।”1

हम में से प्रत्येक अपनी आत्मा में अनंतकाल के उस महान सत्य को कैसे जान सकता है?

भविष्यवक्ता नफी को दर्शन में परमेश्वर के प्रेम का सबसे शक्तिशाली प्रमाण दिखाया गया था। जीवन के वृक्ष को देखकर नफी ने उसकी व्याख्या जानने को कहा। उत्तर में, एक स्वर्गदूत ने नफी को एक नगर, एक मां और एक बच्चा दिखाया। जब नफी ने नासरत शहर और धर्मी माता मरियम को देखा, शिशु यीशु को अपनी बाहों में पकड़े हुए, तो स्वर्गदूत ने कहा, “परमेश्वर के मेमने को देखो, हां, यह अनंत पिता का पुत्र है!”2

उस पवित्र क्षण में, नफी समझ गया कि उद्धारकर्ता के जन्म के माध्यम से, परमेश्वर अपने शुद्ध और पूर्ण प्रेम को प्रकट कर रहा था। परमेश्वर का प्रेम, नफी ने गवाही दी, “मानव संतान के हृदयों मेंप्रवेश करता है।3

जीवन का वृक्ष

हम परमेश्वर के प्रेम को जीवन के वृक्ष से निकलने वाले प्रकाश के रूप में देख सकते हैं, जो पूरी पृथ्वी पर अपने आप मनुष्यों के बच्चों के हृदयों में प्रवेश करता है। परमेश्वर का प्रकाश और प्रेम उसकी सभी कृतियों में व्याप्त है।4

कभी-कभी हम गलती से सोचते हैं कि लोहे की छड़ का अनुसरण करने और फल खाने के बाद ही हम परमेश्वर के प्रेम को महसूस कर सकते हैं। हालांकि, परमेश्वर का प्रेम न केवल उन्हें मिलता है जो वृक्ष तक आते हैं, बल्कि यह वह शक्ति है जो हमें उस वृक्ष की तलाश करने के लिए प्रेरित करती है।

“इसलिए, वह सभी अन्य वस्तुओं से अधिक वांछनीय है,”नफी ने सिखाया, और स्वर्गदूत ने कहा, “और हां, आत्मा को सबसे अधिक आनंदित करने वाली है।”5

बीस साल पहले, परिवार के एक प्रिय सदस्य ने गिरजा छोड़ दिया था। उसके पास कई अनुत्तरित प्रश्न थे। उसकी पत्नी, एक परिवर्तित, अपने विश्वास के प्रति सच्ची रही। उन्होंने मतभेदों चलते अपनी शादी को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की।

पिछले साल उसने गिरजे के बारे में तीन प्रश्न लिखे जिसका समाधान करना उसके लिए मुश्किल था और उन्हें दो दम्पतियों के पास भेज दिया जो कई सालों से उसके दोस्त थे। उसने उन्हें उन सवालों पर विचार करने और अपने विचार साझा करने के लिए रात के खाने पर आने के लिए आमंत्रित किया।

दोस्तों के साथ इस मुलाकात के बाद वह अपने कमरे में गया और एक प्रोजेक्ट पर काम करने लगा। शाम की बातचीत और उसके दोस्तों द्वारा उसे दिखाया गया प्रेम उसके मन में सबसे आगे था। बाद में उसने लिखा कि उसे अपना काम बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उसने कहा कि “एक उज्ज्वल प्रकाश ने मेरी आत्मा को भर दिया। … मैं आत्मज्ञान की इस गहरी भावना से परिचित था, लेकिन इस मामले में यह पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होती गई और कई मिनटों तक कायम रही। मैं उस भावना के साथ चुपचाप बैठा रहा, जिसे मैं अपने लिए परमेश्वर के प्रेम की अभिव्यक्ति के रूप में समझ पाया। … मुझे एक आत्मिक प्रभाव महसूस हुआ जिसने मुझे बताया कि मैं गिरजा लौट सकता हूं और जो कुछ मैं वहां करता हूं उसमें परमेश्वर के इस प्रेम को व्यक्त कर सकता हूं।”

फिर उसने अपने सवालों के बारे में सोचा। उसे यह महसूस हुआ कि परमेश्वर ने उसके प्रश्नों का सम्मान किया है, और स्पष्ट उत्तर न होना उसके आगे बढ़ने में बाधा नहीं बनना चाहिए।6 चिंतन करते हुए, उसे परमेश्वर के प्रेम को सबके साथ बांटना चाहिए। जब उसने उस धारणा पर काम किया, तो उसने जोसफ स्मिथ के साथ संबंध महसूस किया, जिन्होंने अपने प्रथम दिव्यदर्शन के बाद कहा था, “मेरी आत्मा प्रेम से भर गई थी, और कई दिनों तक मैं बहुत खुशी से आनन्दित था।”7

उल्लेखनीय रूप से, कुछ ही महीनों बाद, परिवार के इस सदस्य को वही नियुक्ति मिली जो उसके पास 20 साल पहले थी। पहली बार जब उसने नियुक्ति संभाली, तो उसने गिरजे के एक कर्त्तव्यनिष्ठ सदस्य के रूप में अपनी जिम्मेदारियों निभाया था। अब उसके लिए यह प्रश्न नहीं था कि “मैं इस नियुक्ति को कैसे पूरा कर सकता हूं?” परन्तु “मैं अपनी सेवा के द्वारा परमेश्वर का प्रेम कैसे दिखा सकता हूं?” इस नए दृष्टिकोण के साथ उसने अपनी नियुक्ति के सभी पहलुओं में खुशी,अर्थ और उद्देश्य महसूस किया।

बहनों और भाइयों, हम परमेश्वर के प्रेम की परिवर्तनकारी शक्ति को कैसे प्राप्त कर सकते हैं? भविष्यवक्ता मॉरमन हमें आमंत्रित करता है “हृदय की पूरी ऊर्जा से पिता से प्रार्थना करो, जिससे कि तुम उसके उस प्रेम से परिपूर्ण हो सको, जिसे उसने उन सभी लोगों को प्रदान किया है जो उसके पुत्र, यीशु मसीह के सच्चे अनुयाई हैं।”8 मॉरमन न केवल हमें प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित कर रहा है कि हम दूसरों के लिए उसके प्रेम से भर जाएं बल्कि प्रार्थना करें कि हम स्वयंके लिए परमेश्वर के शुद्ध प्रेम को जान सकें।9

जब हम उसके प्रेम को प्राप्त करते हैं, तो हम उसके समान प्रेम करने और उसकी जैसी सेवा करने का प्रयास करने में और अधिक आनंद पाते हैं, “उसके पुत्र, यीशु मसीह के सच्चे अनुयायी बनते हैं।”10

परमेश्वर का प्रेम हमारे जीवन की परिस्थितियों में नहीं, बल्कि हमारे जीवन में उसकी उपस्थिति में पाया जाता है। हम उसके प्रेम के बारे में तब जानते हैं जब हमें अपनी शक्ति से अधिक शक्ति प्राप्त होती है और जब उसकी आत्मा, शांति, सुख और दिशा लाती है। कई बार उसके प्यार को महसूस करना मुश्किल हो सकता है। हम प्रार्थना कर सकते हैं कि हमारे जीवन में उसका हाथ देखने के लिए हमारी आंखें खुल जाएं और उसकी रचनाओं की सुंदरता में उसके प्रेम को देखें।

जब हम उद्धारकर्ता के जीवन और उसके अनंत बलिदान पर विचार करते हैं, तो हम अपने लिए उसके प्रेम को समझने लगते हैं। हम आदर के साथ एलिजा आर. स्नो के शब्दों को गाते हैं: “उसका कीमती खून उसने खुलेआम बहाया; अपना जीवन उसने स्वतंत्र रूप से दिया।”11 यीशु की दीनता,पीड़ा हमारी आत्मा में व्याप्त हो जाती है, उसके हाथ से क्षमा मांगने के लिए हमारे हृदयों को खोलती है और हमें उसके जैसा जीने की इच्छा से भर देती है।12

अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने लिखा, “जितना अधिक हम उसके अनुसार अपने जीवन को ढालने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं, हमारा प्रेम उतना ही शुद्ध और अधिक दिव्य होता जाता है।।”13

हमारे बेटे ने बताया: “जब मैं 11 साल का था, तब मैंने और मेरे दोस्तों ने अपने शिक्षक से छिपने और अपनी प्राइमरी कक्षा के पहले भाग में न जाने का फैसला किया। जब हम अंत में पहुंचे, तो हम आश्चर्यचकित हुए कि शिक्षक ने गर्मजोशी से हमारा स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने प्रार्थना की, जिसके दौरान उन्होंने प्रभु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की हमने अपनी मर्जी सेउस दिन कक्षा में आने का फैसला किया था। मुझे याद नहीं है कि पाठ किस बारे में था या हमारे शिक्षक का नाम क्या था, लेकिन अब, लगभग 30 साल बाद, मैं अभी भी उस शुद्ध प्रेम से प्रभावित हूं जो उन्होंने मुझे उस दिन दिखाया था।”

पांच साल पहले मैंने रूस में प्राइमरी में जाते समय ईश्वरीय प्रेम का उदाहरण देखा। मैंने एक विश्वासी बहन को दो बच्चों के सामने घुटने टेकते देखा और उन्हें गवाही दी कि भले ही केवल वे ही पृथ्वी पर रहने वाले अकेले होते, यीशु उनके लिए दुख उठाता और केवल उनके लिए ही मरता।

मैं गवाही देती हूं कि हमारा प्रभु और उद्धारकर्ता वास्तव में हम में से प्रत्येक के लिए मरा था। यह हमारे और उसके पिता के लिए उसके असीम प्रेम की अभिव्यक्ति थी।

“मैं जानती हूं कि मेरा मुक्तिदाता जीवित है। यह मधुर वाक्य बहुत सुख देता है! … वह [हमें] अपने प्रेम से आशीषित करने के लिए जीवित है।14

मैं आशा करती हूं कि हम अपने दिलों को खोलें ताकि हम परमेश्वर के शुद्ध प्रेम प्राप्त करें और फिर हम जो कुछ भी करते और हैं उसमें उसका प्रेम प्रदर्शन करें। यीशु मसीह के पवित्र नाम में, आमीन ।

विवरण

  1. जैफ्री आर. हॉलौंड, “Tomorrow the Lord Will Do Wonders among You,” Liahona, मई 2016, 127।

  2. 1 नफी 11:21

  3. 1 नफी 11:22; महत्व जोड़ा गया है।

  4. देखें सिद्धांत और अनुबंध 88:13

  5. 1 नफी 11:22, 23

  6. देखें 1 नफी 11:17

  7. Joseph Smith, in Karen Lynn Davidson and others, eds., The Joseph Smith Papers, Histories, Volume 1: Joseph Smith Histories, 1832–1844 (2012), 13; punctuation and capitalization modernized।

  8. मोरोनी 7:48

  9. देखें Neill F. Marriott, “Abiding in God and Repairing the Breach,” लियाहोना, नवंबर 2017, 11: “शायद एक प्रेमपूर्ण पृथ्वी-पूर्व संसार में हमारे जीवन ने हमारी तड़प या सच्चे, स्थायी प्रेम के लिए यहां पूर्व पृथ्वी पर स्थापित किया है। हम ईश्वरीय रूप से प्रेम देने और प्रेम पाने के लिए बनाए गए हैं, और सबसे गहरा प्रेम तब आता है जब हम परमेश्वर के साथ एक हो जाते हैं।”

  10. मोरोनी 7:48

  11. “How Great the Wisdom and the Love,” Hymns, no. 195.

  12. देखें Linda S. Reeves “Worthy of Our Promised Blessings,” Liahonaनव.2015,11: “मेरा विश्वास है कि यदि हम प्रतिदिन उस प्रेम की गहराई को याद कर सकते हैं और पहचान सकते हैं जो हमारे स्वर्गीय पिता और हमारे उद्धारकर्ता ने हमारे लिए किया है, तो हम फिर से उसकी उपस्थिति में उसके प्रेम में अनंत काल तक घिरे रहने और वापस आने के लिए कुछ भी करने को तैयार होंगे।

  13. Russell M. Nelson, “Divine Love,” Liahona,, फर. 2003, 17।

  14. “I Know That My Redeemer Lives,” Hymnsनंब. 136।