महा सम्मेलन
मसीह में विश्वास करते हुए हमारे आत्मिक तूफानों का सामना करना
अक्टूबर 2021 महा सम्मेलन


9:49

मसीह में विश्वास करते हुए हमारे आत्मिक तूफानों का सामना करना

हम मसीह में विश्वास करने और उसकी आज्ञाओं का पालन करते हुए आत्मिक तूफानों का श्रेष्ठरूप से सामना कर सकते हैं।

पिछले छह वर्षों से, मेरी प्रिय, ऐन, और मैं खाड़ी तट के पास टेक्सास में रहते हैं, जहां सबसे बड़े तूफानों में कुछ ने संयुक्त राज्य अमेरिका में जबरदस्त विनाश किया और जानमाल को नुकसान पहुंचाया है। अफसोस की बात है कि हाल के कई महीने से ऐसी विनाशकारी घटनाएं होती रही हैं। हमारा प्यार और प्रार्थनाएं उन सभी के लिए है जो किसी भी तरह से प्रभावित हुए हैं। 2017 में, हमने व्यक्तिगत रूप से तूफान हार्वे का अनुभव किया, जिसने रिकॉर्ड 60 इंच (150 सेंमी) तक वर्षा की थी।

प्राकृतिक नियम तूफान की रचना को नियंत्रित करते हैं। समुद्र का तापमान कम से कम 80 डिग्री फारेनहाइट (27 डिग्री सेल्सीयस) होना चाहिए, 165 फीट (50 मीटर) तक समुद्र की सतह से नीचे फैला हुआ है। जैसे ही हवा गर्म समुद्र के पानी से मिलती है, तो यह पानी को वाष्पीकृत कर देती है और वातावरण में ऊपर उठती है, जहां यह तरल हो जाती है। तब बादल बनते हैं, और हवाएं समुद्र की सतह पर एक चक्राकार बनती हैं।

तूफान

तूफान आकार में विशाल होते हैं, 50,000 फीट(15240 मीटर) जो वायुमंडल में या उससे अधिक तक पहुंचते हैं और कम से कम 125 मील (200 किमी) तक फैले होते हैं। दिलचस्प बात यह है कि, जैसे ही तूफान जमीन से मिलते हैं, तो वे कमजोर होने लगते हैं क्योंकि उन्हें पानी की धरा का सोत्र नहीं मिलते हैं।1

हो सकता है आप कभी विनाशकारी भौतिक तूफान का सामना न करें। हालांकि, हम में से प्रत्येक ने सामना किया है, और सामना करेगा, उन आत्मिक तूफानों का जो हमारी शांति के लिए खतरा है और हमारे विश्वास को परखता है। आज की दुनिया में, वे आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि कर रहे हैं। शुक्र है, प्रभु ने हमें खुशी-खुशी उन पर विजय पाने का एक निश्चित तरीका प्रदान किया है। यीशु मसीह के सुसमाचार को जीने के द्वारा, हमें आश्वासन दिया जाता है कि “जब मुसीबत के काले बादल हम पर मंडराते हैं और हमारी शांति को नष्ट करने का खतरा खड़ा कर देते हैं, तो हमारे सामने आशा की उज्ज्वल मुस्कान होती है।”2

अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने समझाया था:

“संत हर परिस्थिति में खुश रह सकते हैं। हम एक बुरा दिन, एक बुरा सप्ताह, या एक बुरा साल होने पर भी आनंद महसूस कर सकते हैं!

“… आनंद जो हम महसूस करते हैं उसका हमारे जीवन की परिस्थितियों से बहुत कम लेना-देना है और जो हम अपने जीवन केन्द्रित करते वह मुख्य हैं।

“जब हमारे जीवन का ध्यान … यीशु मसीह और उनके सुसमाचार पर होता है, तो हमारे जीवन में क्या हो रहा है—या नहीं हो रहा है—की परवाह किए बिना हम आनंद महसूस कर सकते हैं।”3

जैसे प्राकृतिक नियम भौतिक तूफानों को नियंत्रित करते हैं, वैसे ही ईश्वरीय नियम यह नियंत्रित करते हैं कि हमारे आत्मिक तूफान के दौरान आनंद कैसे महसूस किया जाए। जीवन के तूफानों का सामना हम करते हुए जिस आनंद या दुख का अनुभव करते हैं, वह उन नियमों से बंधा होता है जिन्हें परमेश्वर ने निर्धारित किया है। अध्यक्ष नेलसन ने साझा किया है, “उन्हें आज्ञाएं कहा जाता है, लेकिन वे उतनी ही सत्य हैं जितनी कि ऊपर उठने का नियम, गुरुत्वाकर्षण का नियम, [और] वह नियम जो दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है।”

अध्यक्ष नेलसन आगे कहते हैं, “यह एक सरल सूत्र बन जाता है: यदि आप खुश रहना चाहते हैं, तो आज्ञाओं का पालन करें।”4

संदेह विश्वास और आनंद का शत्रु है। जैसे गर्म समुद्र का पानी तूफान के लिए जनन स्थल है, वैसे ही संदेह आत्मिक तूफानों के लिए जनन स्थल है। जैसे विश्वास एक विकल्प है, वैसे ही संदेह है। जब हम संदेह करना चुनते हैं, तो हम शत्रु को शक्ति प्रदान करना चुनते हैं, जो हमें कमजोर और असुरक्षित कर देते हैं।5

शैतान हमें संदेह के जनन स्थल तक ले जाना चाहता है। वह हमारे हृदयों को कठोर करना चाहता है ताकि हम विश्वास न करें।6 संदेह का जनन स्थल लुभावना प्रतीत हो सकता है क्योंकि इसके शांतिपूर्ण, गर्म पानी के लिए हमें “परमेश्वर के मुख से निकलनेवाले हर एक वचन के अनुसार” जीने की आवश्यकता नहीं है।”7 ऐसे जल में शैतान हमें अपनी आत्मिक सतर्कता को कम करने के लिए प्रलोभित करता है। वह असावधानी आत्मिक दृढ़ विश्वास की कमी को प्रेरित कर सकती है, जहां हम “न तो ठंडे हैं और न ही गर्म महसूस करते हैं।”8 यदि हम मसीह पर निर्भर नहीं हैं, तो संदेह और इसके आकर्षण हमें उदासीनता की ओर ले जाएंगे, जहां हमें न तो चमत्कार, न ही स्थायी खुशी मिलेगी, और न ही “[हमारी] आत्माओं को आराम मिलेगा।”9

ठीक जैसे तूफान भूमि पर कमजोर हो जाते हैं, वैसे ही संदेह के बजाए विश्वास करने से हम मसीह पर अपनी नींव का निर्माण करते हैं। तब हम आत्मिक तूफानों को उनके उचित परिप्रेक्ष्य में देखने में सक्षम होते हैं, और उन्हें दूर करने की हमारी क्षमता बढ़ जाती है। ताकि, “जब शैतान अपनी प्रबल हवाओं को फेंकेगा, हां, बवंडर मे अपनी बिजली चमकाएगा, हां, … तुम्हें दुखों की घाटी और अंतहीन श्राप में खींचने के लिए उसके पास बल नहीं होगा … क्योंकि जिस चट्टान पर [हमारा] निर्माण हुआ है वह मजबूत आधार है।”10

अध्यक्ष नेलसन ने सिखाया है:

यीशु मसीह में विश्वास सभी विश्वास और दिव्य शक्ति पाने का आधार है।

प्रभु की पूर्ण शक्ति तक पहुंचने के लिए उसे हमारे पूर्ण विश्वास की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन वह हमसे विश्वास करने को कहता है।”11

अप्रैल महा सम्मेलन के बाद से, मैं और मेरा परिवार यीशु मसीह और उनके प्रायश्चित में हमारे विश्वास को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि हमें “[हमारी] चुनौतियों को अद्वितीय विकास और अवसर में बदलने में मदद मिल सके।”12

हमारी पोती, रूबी, को एक मजबूत, कार्यभार संभालने की आशीष मिली है। जब वह पैदा हुई थी, उसकी अन्नप्रणाली उसके पेट से नहीं जुड़ी थी। एक शिशु के रूप में भी, रूबी ने अपने माता-पिता की मदद से इस परीक्षण को असामान्य दृढ़ संकल्प के साथ पूरा किया। रूबी अब पांच वर्ष की हो गई है। हालांकि वह अभी बहुत छोटी है, वह अपनी परिस्थितियों को अपनी खुशी का निर्धारण नहीं करने देने का एक शक्तिशाली उदाहरण है। वो हमेशा खुश रहती है।

पिछले मई में, रूबी ने अपने जीवन में विश्वास के साथ एक अतिरिक्त तूफान का सामना किया। उसके हाथ पूरी तरह से विकसित नहीं हुए थे जिसे पुनर्निर्माण सर्जरी की आवश्यकता थी। इस जटिल ऑपरेशन से पहले, हम ने उसे एक चित्र दिया जिसमें एक बच्चे के हाथ को स्नेह से उद्धारकर्ता का हाथ पकड़े हुए दिखाया गया था। जब हमने उससे पूछा कि क्या वह घबराई हुई है, उसने जवाब दिया, “नहीं, मैं खुश हूं!”

उद्धारकर्ता के हाथ की पेंटिंग के साथ रूबी

फिर हमने उससे पूछा, “रूबी, ऐसा कैसे?”

रूबी ने पूरे विश्वास के साथ कहा, “क्योंकि मुझे पता है कि यीशु मेरा हाथ थामे रहेंगे।”

रूबी की स्वास्थ्य लाभ चमत्कारी रहा है, और वह खुश रहती है। कैसे एक बच्चे के विश्वास की शुद्धता संदेह की मूर्खता के विपरीत होती है जो हमें बड़े होने पर बार-बार परीक्षा दे सकती है!13 लेकिन हम सब छोटे बच्चों की तरह बन सकते हैं और अपने अविश्वास को एक तरफ रखने का चुनाव कर सकते हैं। यह एक साधारण चुनाव है।

एक ध्यान रखने वाले पिता ने परिश्रम से उद्धारकर्ता से यह कहते हुए याचना की, “यदि तू कुछ कर सके, तो … हम पर तरस खाकर हमारा उपकार कर।”14

यीशु ने फिर उससे कहा:

“यदि तू विश्वास कर सकता है, विश्वास करनेवाले के लिये सब कुछ हो सकता है।

“बालक के पिता ने तुरंत … गिड़गिड़ाकर कहा, और आंसुओं के साथ कहा, हे प्रभु, मैं विश्वास करता हूँ; मेरे अविश्वास का उपाय कर।”15

इस विनम्र पिता ने बुद्धिमानी से अपने संदेह के बजाय मसीह में अपने विश्वास पर भरोसा करना चुना। केवल आपका अविश्वास आपके जीवन में पहाड़ों को हटाने के चमत्कार की आशीष देने से परमेश्वर को रोकेगा।16

हमारे विश्वास के स्तर पर प्रतिबंध लगाने के लिए परमेश्वर कितने दयालु हैं न कि उसे जानने के स्तर तक!

अलमा सिखाता है:

“आशीषित हैं वे जो परमेश्वर के वचन में विश्वास करते हैं।”17

“[क्योंकि]परमेश्वर उन सब पर दया करता है जो उसके नाम में विश्वास करते हैं; इसलिए वह चाहता है कि पहले ही चरण में तुम्हें विश्वास करना चाहिए।”18

हां, सबसे पहले, परमेश्वर चाहता है कि हम उस पर विश्वास करें।

हम मसीह में विश्वास करने और उसकी आज्ञाओं का पालन करते हुए आत्मिक तूफानों का श्रेष्ठरूप से सामना कर सकते हैं। हमारा विश्वास और आज्ञाकारिता हमें हमारे जीवन में “[जो कुछ भी हो रहा है—या नहीं हो रहा है—पर काबू पाने के लिए अपनी शक्ति से परे जोड़ता है।”19 हां, परमेश्वर “[हमें] शीघ्र ही आशीष देता है” विश्वास करने और पालन करने के लिए।20 वास्तव में, समय के साथ हमारी स्थिति खुशी में बदल जाती है और “हम मसीह में जीवित हो जाते हैं” जब हम उस पर अपने विश्वास का प्रयोग करते हैं और उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं।21

भाइयों और बहनों, चलो हम आज यह चुनाव करते हैं कि के “संदेह न करें, परन्तु विश्वास करें।”22 “उचित मार्ग है मसीह में विश्वास करना।”23 हम [उसकी] “हथेलियों पर अंकित … हैं।”24 वह हमारा उद्धारकर्ता और मुक्तिदाता है जो हमारे दरवाजे पर खड़ा है और दस्तक देता है।25 यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।