मसीह के द्वितीय आगमन की तैयारी करना
पहले से कहीं अधिक, हमें इस वास्तविकता का सामना करने की आवश्यकता है कि हम यीशु मसीह के द्वितीय आगमन के और भी करीब आ रहे हैं।
जैसा कि मॉरमन की पुस्तक में दर्ज है, यीशु मसीह के जन्म से छह साल पहले, समूएल, एक धर्मी लमनाई, ने नफी लोगों से भविष्यवाणी की, जो तब तक अधिकतर धर्मत्यागी लोग बन चुके थे, हमारे उद्धारकर्ता के जन्म के साथ आने वाले1 चिन्हों के बारे में कहा था। दुर्भाग्य से, अधिकांश नफाइयों ने उन संकेतों को अस्वीकार कर दिया क्योंकि यह “विचारपूर्ण नहीं लगता [था] कि इस तरह का कोई मसीह आएगा।”2
अफसोस की बात है कि धर्मशास्त्रों के प्रमाण के अनुसार, कई यहूदी, इसी तरह, यह स्वीकार नहीं कर पाए थे कि यीशु नाम का एक व्यक्ति, जो गलील के छोटे प्रांत में बहुत कम जाना जाता था, वही मसीहा है जिसकी प्रतीक्षा वे लंबे समय से कर रहे थे।3 यीशु, जो वास्तव में इब्रानी भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणी को पूरा करने आया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया था और यहां तक कि क्रूस पर भी चढ़ाया गया था, क्योंकि जैसा कि मॉरमन की पुस्तक के भविष्यवक्ता याकूब की पुस्तक ने सिखाया था, यहूदी “लक्ष्य से परे देख रहे थे।” परिणामस्वरूप, याकूब ने भविष्यद्वाणी की कि “परमेश्वर ने अपनी स्पष्टता को उनसे वापस ले लिया, और उन्हें वे बातें दी जो वे नहीं समझ सकते थे, क्योंकि उन्होंने इसकी इच्छा की थी। क्योंकि उन्होंने इच्छा की परमेश्वर ने ऐसा किया है, कि वे ठोकर खाएं।”4
यह अजीब लग सकता है, कि कोई शिक्षा, कोई चमत्कार, और यहां तक कि किसी स्वर्गीय दूत का दिखाई देना भी, जैसा कि लमान और लेमुएल द्वारा देखा गया था,5 कुछ व्यक्तियों को उनके मार्ग, दृष्टिकोण, या विश्वास को बदलने के लिए प्रेरित नहीं कर सकता है। यह विशेष रूप से ऐसा मामला है जब शिक्षाएं या चमत्कार किसी व्यक्ति की पहले से बनाई धारणाओं, इच्छाओं या विचारों से सहमत नहीं होती हैं।
कृपया एक क्षण के लिए निम्नलिखित दो धर्मशास्त्रों की तुलना करें, पहला प्रेरित पौलुस द्वारा अंतिम दिनों के बारे में बात करना और और दूसरा अलमा भविष्यवक्ता की ओर से दिखाया गया है कि कैसे परमेश्वर मानवजाति के बीच अपना कार्य करता है। पहला पौलुस से:
“पर यह जान रख, कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे।
“क्योंकि मनुष्य अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालने वाले, कृतघ्न, अपवित्र,
“दयारिहत, क्षमारिहत, दोष लगाने वाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी,
“विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं वरन सुखविलास ही को चाहने वाले होंगे।
“और सदा सीखती तो रहती हैं पर सत्य की पहिचान तक कभी नहीं पहुंचतीं।”6
और अब अलमा से, यीशु मसीह के सुसमाचार के मूलभूत सिद्धांत को बताते हुए:“अब तुम मान सकते हो कि यह मेरी मूर्खता है; परन्तु देखो मैं तुमसे कहता हूं, कि छोटी और साधारण बातों से ही बड़ी बातें होती हैं; और कभी-कभी छोटे माध्यम ज्ञानी को भ्रम में डाल देते हैं ।”7
हम एक आधुनिक दुनिया में रहते हैं जो महान ज्ञान और बहुत साहस से भरी हुई है। बहरहाल, ये चीजें भी अक्सर उस अस्थिर नींव को छिपा देती हैं जिस पर वे बने होते हैं। परिणामस्वरूप, वे वास्तविक सत्य और परमेश्वर की ओर और प्रकटीकरण प्राप्त करने की शक्ति, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने, और उद्धार की ओर ले जाने वाले यीशु मसीह में विश्वास विकसित करने की ओर नहीं ले जाते हैं।8
प्रायश्चित बलिदान की पूर्व संध्या पर हमें थोमा और अन्य प्रेरितों को अपने प्रभु के शब्दों की गहराई से याद दिलाई जाती है: “यीशु ने उससे कहा, “मार्ग, सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।”9
जिनके पास देखने के लिए आंखें हैं, सुनने के लिए कान हैं, और महसूस करने के लिए दिल हैं, पहले से कहीं अधिक, हमें इस वास्तविकता का सामना करने की आवश्यकता है कि हम यीशु मसीह के दूसरे आगमन के और भी करीब आ रहे हैं। सच है, उसके लौटने पर पृथ्वी पर अभी भी बड़ी कठिनाइयाँ प्रतीक्षा कर रही हैं, लेकिन इस संबंध में, विश्वासियों को डरने की आवश्यकता नहीं है।
अब मैं “यीशु मसीह का द्वितीय आगमन” शीर्षक के तहत गिरजा के सुसमाचार के विषयों से एक पल के लिए उद्धृत करता हूं:
“जब उद्धारकर्ता फिर से आएगा, तो वह पृथ्वी पर अपने राज्य के रूप में दावा करने के लिए शक्ति और महिमा में आएगा। उसका दूसरा आगमन सहस्राब्दी की शुरुआत को चिह्नित करेगा।
“दूसरा आगमन दुष्टों के लिए एक भयानक, शोकपूर्ण समय होगा, लेकिन यह धर्मियों के लिए शांति का दिन होगा। प्रभु ने घोषणा की थी:
“क्योंकि वे जो बुद्धिमान हैं और सच्चाई को पाया है, और पवित्र आत्मा को अपने मार्गदर्शक होने के लिये पाया है, और धोखा नहीं खाया है—मैं तुम से सच कहता हूं, वे काटे और आग में नहीं डाले जाएंगे, लेकिन उस दिन को सह लेगें ।”
और पृथ्वी उनको उनको को विरासत के तौर पर दी जाएगी; और वे संख्या में बढ़ेंगे और मजबूत होंगे, और उनकी संतान बिना पाप के उद्धार में बड़े होंगे।
क्योंकि प्रभु उनके मध्य होगा, और उसकी महिमा उन पर होगी, और वह उनका राजा और उनका नियम बनाने वाला होगा।(सिद्धांत और अनुबंध 45:57–59)।”10
यीशु मसीह के द्वितीय आगमन के लिए हमारी तैयारी में, मैं पुराने नियम के भविष्यवक्ता आमोस से लिए गए विश्वासियों के लिए एक महत्वपूर्ण, सुकून देने वाली टिप्पणी प्रदान करता हूं: “इसी प्रकार से प्रभु यहोवा अपने दास भविष्यवक्ताओं पर अपना मर्म बिना प्रकट किए कुछ भी नहीं करेगा।”11
इसी भावना से, संसार के लिए आज के प्रभु के भविष्यवक्ता, अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने हमें यह हाल की प्रेरक सलाह दी है: “यीशु मसीह का सुसमाचार पश्चाताप का सुसमाचार है। उद्धारकर्ता के प्रायश्चित के कारण, उसका सुसमाचार, बदलते रहने, आगे बढ़ने और अधिक शुद्ध बनने का निमंत्रण प्रदान करता है। यह आशा, चंगाई, और प्रगति का सुसमाचार है। इस प्रकार, सुसमचार का संदेश एक आनंदमयसंदेश है! हमारी आत्माएं हमेशा आगे बढ़ने के लिए गए हर छोटे कदम के साथ आनंदित होती हैं।12
मैं निःसंदेह रूप से परमेश्वर की वास्तविकता और जीवन के निम्न और उच्च दोनों स्तरों के अनगिनत लोगों के दैनिक जीवन में चमत्कारों की गवाही देता हूं और उनकी पुष्टि करता हूं। सच है, कई पवित्र अनुभवों के बारे में शायद ही कभी बात की जाती है, आंशिक रूप से उनके दिव्य मूल और कुछ लोगों द्वारा उपहास की परिणामी संभावना के कारण जो बेहतर नहीं जानते हैं।
इस संबंध में, मॉरमन भविष्यवक्ताओं की अंतिम पुस्तक, मोरोनी हमें याद दिलाता है:
और फिर से मैं उन लोगों से कहता हूं जो परमेश्वर के प्रकटीकरणों को अस्वीकार करते हैं, और कहते हैं कि वे हो चुके हैं, कि अब न तो कोई प्रकटीकरण मिलते हैं, न ही भविष्यवाणियां होती हैं, न ही उपहार और चंगाई प्राप्त होती हैं, न ही अन्य भाषाएं बोली जाती हैं, और न ही भाषाओं के अनुवाद होते हैं ।
“देखो मैं तुमसे कहता हूं, वह जो इन बातों को अस्वीकार करता हैं उसे मसीह का सुसमाचार नहीं पता है; हां, उसने धर्मशास्त्रों को नहीं पढ़ा है; यदि पढ़ा है तो वह उन्हें समझ नहीं पाया है ।
“क्योंकि क्या हम नहीं पढ़ते हैं कि परमेश्वर जो कल था, वही आज है, और सदा वैसे ही रहेगा, और उसमें न तो कोई परिवर्तनशीलता है न ही बदलाव का कोई आसार है?”13
मैं अपनी बात को भविष्यवक्ता जोसफ स्मिथ की एक सच्ची प्रेरक भविष्यवाणी के साथ समाप्त करता हूं, जो उनकी सेवकाई के अंत में दिया गया था, जब वे यीशु मसीह के दूसरे आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे: “क्या हम इतने महान कारण पर नहीं चलेंगे? आगे की ओर बढ़ें और पीछे नहीं। हिम्मत रखें, भाइयों; [और में बहनों को शामिल करता हूँ] निरंतर विजय की ओर आगे बढ़ते रहें ! … तुम्हारे हृदय आनंद मनाएं, और अत्यधिक खुश हों।”14 इसमें मैं अपनी गवाही भी शामिल करता हूं यीशु मसीह के नाम से, आमीन।