“मिस्र में यूसुफ,” पुराने नियम की कहानियां (2022)
“मिस्र में यूसुफ,” पुराने नियम की कहानियां
मिस्र में यूसुफ
एक गुलाम जो एक मार्गदर्शक बन जाता है
यूसुफ को एक गुलाम के रूप में पोतीपर नामक व्यक्ति के हाथ बेच दिया गया था। पोतीपर, मिस्र के शासक फिरौन के लिए काम करता था। पोतीपर को यकीन था कि प्रभु ने यूसुफ की मदद की थी। उसने यूसुफ पर भरोसा किया और अपने घर का काम–काज और सब कुछ उसके हाथों सौंप दिया था।
पोतीपर की पत्नी यूसुफ को पसंद करती थी। वह चाहती थी यूसुफ उसके साथ मिलकर प्रभु की आज्ञाओं का उल्लंघन करे। यूसुफ ने उसे मना कर दिया।
पोतीपर की पत्नी ने उसकी एक न सुनी, इसलिए यूसुफ वहां से भाग गया। वह यूसुफ पर गुस्सा थी।
उसने पोतीपर को यूसुफ के वस्त्र का एक टुकड़ा दिखाया। उसने पोतीपर से यूसुफ के बारे में झूठ बोला था। पोतीपर ने यूसुफ को जेल में डाल दिया था।
यूसुफ को उसके परिवार से अलग कर दिया गया था। वह एक गुलाम बन गया था, और अब वह एक बन्दी बन गया था। लेकिन फिर भी प्रभु ने यूसुफ की सहायता की थी। यूसुफ ने हार नहीं मानी। प्रभु ने जेल के पहरेदारों को यूसुफ में भलाई देखने की आशीष दी थी। वह रक्षक उस पर भरोसा करने लगा, इसलिए उसने अन्य कैदियों को यूसुफ के हाथ में सौंप दिया था।
यूसुफ दो कैदियों, रोटी पकाने वाले और रसोइए से मिला था, जो फिरौन के यहां काम करते थे। उन दोनों ने ही अजीब से सपने देखे थे। प्रभु की शक्ति द्वारा, यूसुफ ने उन्हें उनके सपनों का मतलब समझाया था। रसोइए के सपने का मतलब था कि वह अब स्वतंत्र हो जाएगा। तीन दिन बाद, उसे फिरौन के यहां काम करने देने के लिए स्वतंत्र कर दिया गया था।
एक दिन फिरौन अपने सपनों से परेशान हो गया। उसे कोई भी नहीं बता पाया था कि उसके सपनों का क्या मतलब था।
तब रसोइए को याद आया कि यूसुफ उन सपनों का मतलब बता सकता था।
फिरौन के सपनों का मतलब बताने के लिए यूसुफ को जेल से बाहर लाया गया था। यूसुफ ने कहा कि इन सपनों का मतलब यह है कि मिस्र में सात वर्ष तक अनाज बहुतायात में होगा और उसके बाद के अगले सात वर्ष अकाल के आएंगे जिसमें अनाज बहुत कम मात्रा में उपलब्ध होगा। यूसुफ ने फिरौन को बताया कि मिस्र को इन अच्छे वर्षों के दौरान अतिरिक्त अनाज जमा करके रख लेना चाहिए।
फिरौन जानता था कि यूसुफ ने उसके सपनों की बारे में जो कुछ कहा था वह सच था। उसने यूसुफ को जेल से मुक्त कर दिया और उसे मिस्र का एक बड़ा अधिकारी बना दिया था। सात वर्ष तक, यूसुफ ने अतिरिक्त अनाज जमा करने में मिस्र की मदद की थी।
उसके बाद अकाल आया। इस समय के दौरान, कोई भी व्यक्ति अनाज की उपज नहीं कर सका था। लोग यूसुफ द्वारा जमा किए गए अनाज को खरीदने के लिए मिस्र आने लगे। यूसुफ की वजह से, मिस्र–वासियों ने खुद को और अन्य लोगों की अकाल से बचाने में मदद करने के लिए पर्याप्त अनाज बचा लिया था।