“मेरे पास तुम्हारे लिये कार्य है”
हमें से प्रत्येक के पास परमेश्वर के कार्य को आगे बढ़ाने के लिये एक महत्वपूर्ण भूमिका है ।
मूसा को, परमेश्वर ने कहा था, “मेरे पास तुम्हारे लिये कार्य है” (मूसा 1:6) । क्या आप कभी सोचते हैं कि स्वर्गीय पिता के पास आपके लिये क्या कार्य है ? क्या उसने आपके लिये महत्वपूर्ण कार्य तैयार किए हैं---विशेषरूप से आपके लिये ? मैं गवाही देता हूं उत्तर “हां” है !
गिरीश घिमिरे का विचार करें, जो नेपाल देश में पैदा और बड़ा हुआ था । किशोर के रूप में, उसने चीन में अध्ययन किया, जहां साथियों ने उसका परिचय यीशु मसीह के सुसमाचार से कराया । अंतत: गिरीश स्नातक करने और अपनी भविष्य की पत्नी से मिलने ब्रिंगम यंग विश्वविद्यालय आया था । वे साल्ट लेक सिटी में बस गए और नेपाल से दो बच्चों को गोद लिया ।
वर्षों बाद, जब 1500 से अधिक शरणार्थी नेपाल में शिविर से यूटाह में पुनास्थापित किए गए थे, गिरीश मदद करने के लिये प्रेरित हुआ था । स्थानीय भाषा में धारा प्रवाह होने और सास्कृतिक समझ के साथ, गिरीश ने दुभाषिया, शिक्षक, और सलाहकार के रूप में सेवा की थी । समाज के पुनास्थापित हो जाने के बाद, कुछ नेपाली शरणर्थियों ने सुसमाचार में दिलचस्पी दिखाई थी । नेपाली-भाषा की शाखा का संगठन किया गया, और बाद में गिरीश ने इसके शाखा अध्यक्ष के रूप में सेवा की थी । वह मॉरमन की पुस्तक का नेपाली में अनुवाद करने में शामिल था ।
क्या आप देख सकते हो किस प्रकार स्वर्गीय पिता ने गिरीश को तैयार किया और उपयोग कर रहा है ?
परमेश्वर के पास हम में से प्रत्येक के लिये कार्य है
भाइयों और बहनों, परमेश्वर के पास हम में से प्रत्येक के लिये महत्वपूर्ण कार्य है । बहनों को बोलते हुए लेकिन उन सच्चाइयों को सीखाते हुए जो सब पर लागू होती हैं, अध्यक्ष स्पनेसर डब्ल्यू. किंबल ने सीखाया: “हमारे पृथ्वी पर आने से पहले, हमें कुछ कार्य दिए गए थे । … जबकि अब हमें इनका विवरण याद नहीं है, लेकिन यह उस महिमापूर्ण सच्चाई को बदल नहीं सकती जिस के लिये हम कभी सहमत हुए थे ।” यह एक प्रेरणादायक सच्चाई है ! हमारे स्वर्गीय पिता के पास आपके और मेरे लिये महत्वपूर्ण कार्य हैं । (देखें इफिसियों 2:10) ।
ये दिव्य कार्य केवल कुछ लोगों के लिये सुरक्षित नहीं रखे गए हैं बल्कि हम सबों के लिये हैं---चाहे हमारा लिंग, जाति, राष्ट्रीयता, आय, समाजिक स्तर, या गिरजे की नियुक्ति कुछ भी हो । हमें से प्रत्येक के पास परमेश्वर के कार्य को आगे बढ़ाने के लिये एक महत्वपूर्ण भूमिका है (देखें मूसा 1:39) ।
हम में से कुछ प्रश्न करते हैं क्या स्वर्गीय पिता महत्वपूर्ण योगदान देने के लिये हमारा उपयोग कर सकता है । लेकिन याद रखें, उसने आसाधारण कार्य को पूरा करने के लिये हमेशा साधारण लोगों को उपयोग किया है (देखें 1 कुरिन्थियों 1:27–28; सिऔरअ 35:13; 124:1) । “हम प्रतिनिधि हैं” और “हम में शक्ति है” “धार्मिकता को पूरा करने की” (सिऔरअ 58:27–28).
अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने सीखाया:
“आप से भी ज़्यादा परमेश्वर आपके लिए अधिक ध्यान रखते हैं! आपको इस समय और स्थान के लिए आरक्षित और संरक्षित किया गया है। …
“प्रभु को आपकी ज़रुरत है दुनिया को बदलने के लिए जैसा कि आप स्वीकार करते हैं और आप उसकी इच्छा का पालन करते हैं, आप अपने आप असंभव को पूरा करेंगे!”
तो हम उस कार्य को कैसे समझ और कर सकते हैं जो परमेश्वर हम से करवाना चाहता है ? मैं आप से चार सिद्धांत बांटता हूं जो सहायता करेंगे ।
दूसरों पर ध्यान दें
प्रथम, दूसरों पर ध्यान दें । हम मसीह का अनुसरण कर सकते हैं, “जो भलाई करता रहा था” (प्रेरितों के काम 10:38) (2 नफी 26:24 भी देखें) ।
पूरे-समय का मिशन से वापस आने के बाद, मैंने उन प्रतिदिन के उद्देश्यों को याद किया जो मैं किया करता था । स्पष्ट था, मुझे अपने अनुबंधों का पालन करने, शिक्षा पाने, परिवार आरंभ करने, और रोजगार करने की आवश्यकता थी । लेकिन मैंने सोचा क्या मुझे कुछ अधिक भी करना चाहिए, या विशेष भी, जो प्रभु मुझ से करवाना चाहता था । कई महिनों तक विचार करने के बाद, मैंने इस आयत को पढ़ा: “यदि तुम इच्छा करते हो, तो तुम इस पीढ़ी में बहुत अच्छा करने के माध्यम बनोगे” (सिऔरअ 11:8) । आत्मा ने मुझे समझने में मदद की कि दिव्य कार्य का मुख्य उद्देश्य दूसरों को आशीषित और “अधिक भलाई” करना है ।
हम अपने जीवन में निर्णय लेने के मोड़ पर पहुंच सकते हैं --जैसे क्या अध्ययन करना है, क्या कार्य करना है, या कहां रहना है---दूसरों की सहायता करने के संदर्भ में ।
एक परिवार एक नये शहर में आया । एक समृद्ध पड़ोस में घर खोजने के बजाए, वे समाजिक और आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने वाले क्षेत्र को खोजने के लिये प्रेरित हुए । वर्षों बाद, प्रभु ने बहुत से लोगों की मदद करने और उनके वार्ड और स्टेक का निर्माण करने के लिये उनके द्वारा कार्य किया ।
एक चिकित्सक ने सामान्य अभ्यास जारी रखा लेकिन प्रत्येक सप्ताह एक दिन ऐसे लोगों को मुफ्त इलाज करने के लिये निर्धारित किया जिनके पास कोई स्वास्थ्य बीमा नहीं था । इस व्यक्ति और उसकी पत्नी की दूसरों को आशीषित करने की इच्छा के कारण, प्रभु ने उनके लिये सैकड़ों जरूरतमंद रोगियों को सहारा देने का मार्ग उपलब्ध कराया, जबकि उन्होंने अपने बड़े परिवार को भी पाला था ।
आत्मिक उपहारों को खोजें और बढ़ाएं
दूसरा, आत्मिक उपहारों को खोजें और बढ़ाएं । स्वर्गीय पिता ने हमारे लिये उसके दिये कार्य को पहचानने, पूरा करने, और आनंद लेने में मदद के लिये हमें इन उपहारों को दिया है
हम में से कुछ सोचते हैं, “क्या मेरे पास कोई उपहार है ?” फिर से, उत्तर है “हां” ! “प्रत्येक पुरुष और स्त्री को परमेश्वर की आत्मा द्वारा एक उपहार दिया गया है … ताकि सब उसके द्वारा लाभ प्राप्त कर सकें” (सिऔरअ 46:11–12; महत्व जोड़ा गया है) । बहुत सारे उपहारों को धर्मशास्त्रों में लिखा गया है (देखें 1 कुरिन्थियों 12: 1–11, 31; मोरोनी 10:8–18; सिऔरअ 46:8–26), लेकिन बहुत से अन्य भी हैं । कुछ उदाहरणों में शामिल हो सकता है करूणा होना, आशा व्यक्त करना, लोगों से बात करना, प्रभावपूर्णरूप से संगठित करना, प्रेरणादायक बातें बोलना या लिखना, स्पष्टरूप से सीखाना, और कठिन परिश्रम करना ।
हम अपने उपहारों को कैसा पहचान सकते हैं ? हम अपनी कुलपति की आशीष को संदर्भ कर सकते हैं, उन से पूछ सकते हैं जो हमें अच्छी तरह जानते हैं, और स्वयं पहचान सकते हैं हम स्वाभाविकरूप किस में अच्छे और आनंद लेते हैं । अधिक महत्वपूर्ण हम परमेश्वर से पूछ सकते हैं (देखें याकूब 1:5 ; सिऔरअ 112:10) । वह हमारे उपहारों को जानता है, क्योंकि उसने इन्हें हमें दिया है (देखें सिऔरअ 46:26) ।
जब हमें अपने उपहारों का पता चलता है, उनका विकास करना हमारी जिम्मेदारी है (देखें मत्ती 25:14–30 । यहां तक कि यीशु मसीह ने भी “परिपूर्णता को पहले प्राप्त नहीं किया था, लेकिन अनुग्रह से अनुग्रह प्राप्त किया था” (सिऔरअ 93:13) ।
एक युवक ने धार्मिक मूल्य को बढ़ाने के लिये ने चित्रकारी की थी । मेरा पंसदीदा चित्र उद्धारकर्ता का है, जो हमारे घर में टंगा हुआ है । इस भाई ने अपनी कलात्मक उपहारों को विकसित और उपयोग किया था । उसके द्वारा कार्य करते हुए, स्वर्गीय पिता ने दूसरों को उनकी शिष्यता में सुधार करने के लिये प्रेरित किया था ।
कई बार हम महसूस करते हैं कि हमारे पास विशेषरूप से महत्वपूर्ण उपहार नहीं है । एक दिन एक निराश युवा मां ने प्रार्थना की, “प्रभु, मेरी व्यक्तिगत सेवकाई क्या है ?” उसने उत्तर दिया, “दूसरों पर ध्यान दो” । यह एक आत्मिक उपहार था ! तब से उसे उन लोगों का ध्यान रखने में आनंद मिला जो नियमितरूप से भूले गए थे, और परमेश्वर ने बहुतों को आशीषित करने के लिये उसके द्वारा कार्य किया था । कई आत्मिक तोफे ज़ाहिर नहीं होतें सांसारिक रूप में, वे ज़रूरी हैं परमेश्वर और उनके कार्य के लिए। .
कठिनाई का उपयोग करें
तीसरा, कठिनाई का उपयोग करें । हमारी परिक्षाएं हमारे लिये स्वर्गीय पिता के कार्य को खोजने और तैयार करने में मदद करती हैं । अलमा ने व्याख्या की थी, “भारी दुख झेलने के पश्चात, प्रभु ने … मुझे अपने हाथों का औजार बनाया था” मुसायाह 23:10) । उद्धारकर्ता के समान, जिसका प्रायश्चित बलिदान उसे हमारी सहायता के योग्य बनाता है (देखें अलमा 7:11–12), हम कठिन अनुभवों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग, दूसरों को ऊपर उठाने, मजबूती देने, और आशीषित करने के लिये कर सकते हैं ।
एक सफल मानव संसाधन कार्यकारी को नौकरी से निकालने के बाद, उसने अपनी कुलपति की आशीष को पढ़ा और अन्य पेशावर लोगों को नौकरी खोजने में मदद के लिये एक कंपनी आरंभ करने के लिये प्रेरित हुआ । (उसने मुझे भी काम खोजने में मदद की थी जब हमारा परिवार मिशन में सेवा करके लौटा था ।) प्रभु ने उसकी परिक्षा को दूसरों को आशीषित करने में एक माध्यम के रूप में उपयोग किया था, जबकि स्वयं उसके लिये अधिक अर्थपूर्ण पेशा उपलब्ध कराया था ।
एक युवा दंपति का मृत शिशु पैदा हुआ था । टूटे हृदयों के साथ, उन्होंने इस तरह की परेशानियों को झेल रहे माता-पिता को परामर्श और संसारिक सहारा उपलब्ध कराने के लिये अपनी बेटी को सम्मान दिलाने का निश्चय लिया । परमेश्वर ने इस दंपति की विशेष सहानुभूति के कारण उनके द्वारा काम किया है, जो विपत्ति के द्वारा उनमें विकसित हुई थी ।
परमेश्वर पर भरोसा रखें
और चौथा, परमेश्वर पर भरोसा रखें । 980जब वास्तविक उद्देश्य से विश्वास करते हुए उससे पूछते हैं, तो वह हमारे दिव्य कार्य को प्रकट करेगा । . एक बार मालूम होने पर, वह उन्हें पूरा करने में हमारी मदद करेगा । “सब बातें उसकी आंखों के सामने हैं (सिऔरअ 38:2), और सही समय पर, वह द्वारों को खोलेगा (देखें इब्राहीम 2:8) जो हमारे लिये जरूरी हैं (देखें रहस्योद्घाटन 3: 8 )। । उसने अपने पुत्र, यीशु मसीह को भी भेजा था, ताकि हम अपनी स्वाभाविक योग्यताओं से अधिक उस की योग्यता पर निर्भर हो सकें (देखें फिलिप्पियों 4:13; अलमा 26:12 ।
एक भाई, स्थानीय प्रशासन के निर्णयों से चिंतित, स्थानीय चुनाव मे खड़ा होने के लिये प्रेरित हुआ । चुनौतीपूर्ण अभियान के बावजूद, उसने विश्वास रखा और चुनाव लड़ने के संसाधन एकत्रित किए । अंतत: वह जीत नहीं पाया लेकिन उसने महसूस किया प्रभु ने उसका मार्गदर्शन किया और शक्ति दी समाज में महत्वपूर्ण विषयों को उठाने के लिये ।
एक अकेली मां ने, विकास संबंधी अयोग्य बच्चों को पाला, प्रश्न किया कि क्या वह पर्याप्त रूप से अपनी परिवार की जरूरतों को पूरा कर सकती है । यद्यपि यह कठिन कार्य रहा था, फिर भी उसने अपने उद्देश्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिये प्रभु की शक्ति को महसूस किया था ।
चेतावनी का एक शब्द
दिव्य कार्य को पूरा करने के लिये जिस समय परमेश्वर हमारी मदद करता है, उसी समय शैतान हमें जीवन के अर्थ से विचलित और निराश करने के लिये काम करता है ।
पाप शायद हमारी सबसे बड़ी बाधा है, पवित्र आत्मा के प्रति हमारी संवेदनशीलता को कमजोर करने और आत्मिक शक्ति तक पहुंच को सीमित करने में । उस कार्य को करने के लिये जो स्वर्गीय पिता ने हमें दिए हैं, हमें शुद्ध रहने के प्रयास करना चाहिए (देखें 3 नफी 8:1) । क्या हम उस प्रकार जीवन जी रहे हैं कि परमेश्वर हमारे द्वारा कार्य कर सके ?
शैतान कम महत्व के कामों से भी हमें भटकाने का प्रयत्न करता है । प्रभु ने आरंभिक गिरजा मार्गदर्शक को चेतावनी दी थी, “तुम्हारा मन मुझ, और उस सेवकाई जिसके लिये तुम्हें नियुक्त किया है; से अधिक पृथ्वी की बातों पर लगा रहा है” (सिऔरअ 30:2) । क्या हम संसारिक बातों में इतने व्यस्त हैं कि हम अपने दिव्य कार्यों से भटक गए हैं ?
इसके अलावा, शैतान हमें अपर्याप्त होने की भावना से निराश करता है । वह हमारे कार्य को बहुत कठिन या डरावना प्रतीत करवाता है । हलांकि, हम परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं ! “वह हमारे आगे आगे चलता है; वह हमारे साथ रहेगा, वह हमें असफल नहीं होने देगा” (व्यवस्थाविवरण 31:8; भजन संहिता 32:8; नीतिवचन 3:5–6; मत्ती 19:26; सिऔरअ 78:18) ।
शैतान हमें हमारे कार्यों को दूसरों की तुलना में कम महत्वपूर्ण समझने के लिये फुसला भी सकता है । लेकिन “हम उस से अधिक कार्य करने की इच्छा क्यों रखूं जिसे करने के लिये मुझे नियुक्त किया गया है” ? (अलमा 29:6) । परमेश्वर से मिला प्रत्येक कार्य महत्वपूर्ण है, और हमें आनंद मिलेगा जब हम “प्रभु हमें आज्ञा देता है” (अलमा 29:9) ।
जब परमेश्वर हमारे द्वारा कार्य करता है, शैतान हमें किसी भी उपलब्धियों का श्रेय लेने के लिये प्रलोभित कर सकता है । हालांकि, हम व्यक्तिगत प्रशंसा को हटाकर उद्धारकर्ता की विनम्रता का अनुकरण कर सकते हैं और पिता की महिमा करें (देखें मत्ती 5:16 ; मूसा 4:2) । जब एक पत्रकार ने मदर टेरेसा को उनके जीवन के मिशन के लिये सम्मान देने का प्रयास किया तो, उन्होंने जवाब दिया: “यह परमेश्वर कार्य है । मैं उसके हाथ में एक पेनसिल के समान हूं । … वह सोचने का कार्य करता है । वह लिखता है । पेनसिल का इससे कुछ लेना देना नहीं होता है । पेनसिल केवल उपयोग किए जाने की अनुमति देती है ।”
मेरे प्रिय भाइयों और बहनों, मैं हम में से प्रत्येक निमंत्रण देता हूं “स्वयं को परमेश्वर को सौंप दो … धार्मिकता के औजारों के रूप में” (रोमियों 6:13) । सौंपने में शामिल होता है उसे बताना कि हम उपयोग होना चाहते हैं, उसका निर्देशन चाहते हुए, और उसकी शक्ति को प्राप्त करते हुए ।
हमेशा हम येसु मसीह को देख सकते हैं, वे हमारा उत्तम उदाहरण हैं। पूर्व-पृत्वी की ज़िन्दगी में स्वर्गीय पिता ने पूछा, “में किसको भेजूंगा ?”
और यीशु ने जवाब दिया था, “मैं यहां हूं ! मुझे भेज” (इब्राहीम 3:27; यशायाह 6:8 भी देखें) ।
यीशु मसीह ने हमारे उद्धारकर्ता और मुक्तिदाता के रूप में अपनी पूर्व-नियुक्त भूमिका को स्वीकार किया, इसके लिये तैयार हुआ, और इसे पूरा किया था । उसने पिता की इच्छा को किया (देखें (see यहूना 5:30; 6:38; 3 नेफी 27:13)) और अपने दिव्य कार्यों को पूरा किया था ।
जब हम मसीह के उदाहरण का अनुसरण करते और स्वयं को परमेश्वर को निष्ठापूर्वक सौंप देते हैं, तो मैं गवाही देता हूं वह हमें भी अपने कार्य को आगे बढ़ाने और दूसरों को आशीषित करने के लिये उपयोग करेगा । यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।