2010–2019
पश्चाताप हमेशा सकारात्मक है
अक्टूबर 2017


2:3

पश्चाताप हमेशा साकारात्मक है

जिस क्षण हम अपना पैर पश्चाताप के मार्ग पर रखते हैं, हम उद्धारकर्ता की मुक्ति देने वाली शक्ति को अपने जीवन में निमंत्रण देते हैं ।

कई वर्ष पहले, अध्यक्ष गोर्डन बी. हिंकली ब्रिगंम यंग विश्वविद्यालय फुटबाल खेल में आए थे । वह वहां घोषणा करने आए थे कि स्टेडियम का नाम टीम के पूराने, प्रिय कोच, जोकि सेवामुक्त होने वाले थे, के नाम पर रखा जाएगा । टीम का वर्ष अच्छा नहीं चल रहा था, और यदि वे इस खेल को हार जाते, तो 29 वर्षों में यह केवल दूसरी बार होगा जब टीम ने एक ही मौसम में जीतने से अधिक खेल हारे थे । आधे समय के दौरान, अध्यक्ष हिंकली लॉकर रूम में कुछ उत्साहित शब्दों को बांटने गये थे । उनके शब्दों से प्रेरित होके वे जीते और उसके बाद भी जीतते गए। ।

आज, मैं उन से बात करना चाहता हूं जो शायद चिंता करते हैं कि वे जीत नहीं रहे हैं। सच है, अवश्य ही, हम “सबों ने पाप किया है, और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं ।” हो सकता है कुछ टीमें हों जिन्होंने एक मौसम में कोई भी खेल न खोया हो, लेकिन असल जीवन में ऐसा नहीं होता । लेकिन मैं प्रमाणित करता हूं कि उद्धारकर्ता यीशु मसीह ने परिपूर्ण प्रायश्चित किया और हमें पश्चाताप का उपहार दिया था----परिपूर्ण आशा की चमक की ओर लौटने का हमारा मार्ग और एक सफल जीवन ।

पश्चाताप प्रसन्नता लाता है

बहुत बार हम सोचते हैं पश्चाताप दुख देने वाला और कष्टदायक होता है । लेकिन परमेश्वर की योजना प्रसन्नता की योजना है, न कि दुख की योजना ! पश्चाताप ऊपर उठाता और सुधार करता है । यह पाप है जिसके कारण दुख आता है । पश्चाताप हमारे बचाव का मार्ग है । जैसा एल्डर डी. टॉड क्रिस्टोफरसन ने समझाया है: “बिना पश्चाताप के, जीवन में कोई वास्तविक प्रगति या सुधार नहीं होता । … केवल पश्चाताप के द्वारा हम यीशु मसीह के प्रायश्चित अनुग्रह और उद्धार को प्राप्त कर सकते हैं । पश्चाताप …. हमें स्वतंत्रता, आत्म-विश्वास, और शांति की ओर ले जाता है ।” मेरा संदेश सबों के लिये ---- विशेषकर युवाओं के लिये यह है कि पश्चाताप हमेशा एक सकारात्मक कदम है ।

जब हम पश्चाताप के विषय में बोलते हैं, तो हम केवल स्वयं का सुधार करने के हमारे प्रयासों के बारे में बात नहीं करते । वास्तव में पश्चाताप इससे अधिक होता है --- यह प्रभु यीशु मसीह में और हमारे पापों को क्षमा करने की उसकी शक्ति में विश्वास द्वारा प्रेरित होता है । जैसा एल्डर डेल जी. रेनल्ड ने हमें सीखाया है, “बिना मुक्तिदाता के, … पश्चाताप हमारे व्यवहार को सुधारने की दुख दायी प्रक्रिया मात्र बन कर रह जाती है ।” हम अपने व्यवहार को सुधारने के लिये अपने-आप प्रयास कर सकते हैं, लेकिन केवल उद्धारकर्ता ही हमारे दागों को मिटा और हमारे बोझों को उठा सकता है, और हमें आज्ञाकारिता के मार्ग में चलने का आत्म-विश्वास और शक्ति दे सकता है । यह क्षमा का ही आनंद है, फिर से शुद्ध होना, और परमेश्वर के निकट जाना । एक बार जब हम इस आनंद का अनुभव कर लेते हैं, इससे कम में हमें संतुष्टि नहीं मिलती है ।

सच्चा पश्चाताप हमें हमारी आज्ञाकारिता को एक जिम्मेदारी---एक प्रतिज्ञा बनाने के लिये प्रेरित करता है, बपतिस्मे से आरंभ होकर और प्रत्येक सप्ताह प्रभु के प्रभु-भोज पर नवीन करने तक । जहां हम यह प्रतिज्ञा प्राप्त करते हैं कि हमारे पास “हमेशा उसकी आत्मा कायम रहेगी” उस संपूर्ण आनंद और शांति के साथ जो उसकी निरंतर संगति से आती है । पश्चाताप का यह प्रतिफल है, और यही है जो पश्चाताप को आनंददायक बनाता है ।

पश्चाताप को धैर्य की जरूरत होती है

मुझे उढ़ाऊ पुत्र का दृष्टांत अच्छा लगता है । उस निर्णायक क्षण के विषय में कुछ महत्वपूर्ण बात है जब उढ़ाऊ पुत्र “अपने आप में आया था ।” सुअरों के बाढ़े में बैठा, चाहता हुआ कि “वह उन फलियों से अपने पेट भर ले जो सुअर खाते थे,” उसने अंतत: महसूस किया कि उसने न केवल अपने पिता के धन को बरबाद किया है बल्कि अपने जीवन को भी बरबाद किया है । यह विश्वास होते हुए कि उसका पिता शायद उसे फिर से स्वीकार कर ले---यदि अपने बेटे के समान नहीं तो कम से कम एक सेवक के रूप में---वह अपने विद्रोही अतीत को पीछे छोड़ने और घर लौटने का निर्णय लेता है ।

मुझे अक्सर बेटे की घर के लिये लौटने की लंबी यात्रा के विषय में आश्चर्य होता है । क्या ऐसा समय आया था जब उसे झिझक हुई और आश्चर्य हुआ हो, “अपने पिता द्वारा मैं कैसे स्वीकार किया जाऊंगा ?” हो सकता है वह कुछ कदम पीछे सुअर के बाढ़े में लौटा भी हो । कल्पना करें कहानी किस प्रकार भिन्न होती यदि वह वापस लौट गया होता । लेकिन विश्वास के कारण वह आगे बढ़ते रहा, और विश्वास के कारण उसके पिता राह देखते और धैर्य से प्रतिक्षा करते रहे, जब अंतत:

“वह अभी दूर ही था, कि उसके पिता ने उसे देखकर तरस खाया, और दौड़कर उसे गले लगाया, और बहुत चूमा ।

“और पुत्र ने उससे कहा, पिता जी, मैंने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है, और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊं ।

“परन्तु पिता ने अपने दासों से कहा, झट से अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहिनाओ, और उसके हाथ में अंगूठी, और पांवों में जूतियां पहनाओ : …

“क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है: खो गया था, अब मिल गया है ।”

पश्चाताप प्रत्यके के लिये है

भाइयों और बहनों, हम सब उढ़ाऊ पुत्र के समान हैं । हम सबों को “अपने आप में आना है”---अक्सर एक से अधिक बार---और उस मार्ग को चुनना है जो हमें घर वापस ले जाता है । यह चुनाव हम प्रतिदिन करते हैं, अपने जीवन-भर ।

हम अक्सर पश्चाताप को घोर पापों से जोड़ते हैं जिसमें “महान परिवर्तन” आवश्यकता होती है। लेकिन पश्चाताप प्रत्येक के लिये है---जो वर्जित मार्गों में भटक रहें हैं और खो गए हैं“ उनके लिये भी जो “तंग और संकरे मार्ग में चलते हैं” और अब धीरज धरते हुए, आगे बढ़ते रहना है ।” पश्चाताप सही मार्ग में रखता है और सही मार्ग में बने रहने देता है । यह उनके लिये है जिसने विश्वास करना शुरू किया है, उनके लिये भी है जिसने जीवन-भर विश्वास नहीं किया है, और जिन्होंने फिर से विश्वास करना आरंभ करना है । जैसा एल्डर डेविड ए. बेडनार ने सीखाया: “हम स्पष्टरूप से समझते हैं कि प्रायश्चित पापियों के लिये है । फिर भी, मैं निश्चित नहीं हूं, कि हम जानते और समझते हैं कि प्रायश्चित संतों के लिये है---भले पुरुषों और महिलाओं के लिये जो आज्ञाकारी, योग्य, और … बेहतर बनने का प्रयास कर रहे हैं ।”

हाल ही मैं एक प्रचार प्रशिक्षण केंद्र गया था जब बिलकुल प्रचारक आए थे । मैं बहुत प्रभावित हुआ था जब मैंने उन्हें देखा और उनकी आंखों में चमक पर ध्यान दिया । वे बहुत आनंदित और खुश और उत्साहपूर्ण दिखते थे । तब मुझे एक विचार आया: “उन्होंने पश्चाताप के लिये विश्वास का अनुभव किया है । इसी कारण वे आनंद और आशा से भरे हुए हैं ।”

मैं नहीं सोचता कि इस अर्थ है कि उन सभी ने अतीत में गंभीर अपराध किए थे, लेकिन मैं सोचता हूं वे जानते हैं पश्चाताप कैसे करना है; वे जान गए थे कि पश्चाताप साकारात्मक होता है, और वे इस आनंददायक संदेश को संसार से बांटने के लिये तैयार और उत्साहित थे ।

ऐसा ही होता है जब हम पश्चाताप के आनंद को महसूस करते हैं । इनोस के उदाहरण पर विचार करें । उसने स्वयं के अपने-आप में आने के क्षण को महसूस किया था, और उसके अपराध पूर्णरूप से क्षमा कर दिए जाने के बाद, उसका हृदय उसी क्षण से दूसरों के कल्याण को मुड़ गया था । इनोस ने अपना शेष जीवन दूसरों को पश्चाताप के लिये निमंत्रण देने में बिताया और “इसमें उसने संसार के अन्य कामों से अधिक आनंद प्राप्त किया ।” पश्चाताप ऐसा करता है; यह हमारे हृदयों को हमारे साथियों की ओर मोड़ देता है, क्योंकि हम जानते हैं कि जो आनंद हम महसूस करते हैं यह सब के लिये है ।

पश्चाताप जीवन-भर कार्य है

मेरा एक मित्र है जो एक कम-सक्रिय अंतिम-दिनों के संत परिवार में बढ़ा हुआ था । जब वह युवक था, वह भी “अपने-आप में आया” और मिशन के लिये तैयारी करने का निर्णय लिया ।

वह एक उत्तम प्रचारक बना । घर आने से पहले अपने आखिरी दिन, मिशन अध्यक्ष ने उसका साक्षात्कार किया और उससे उसकी गवाही देने को कहा । उसने वैसा किया, और मिशन अध्यक्ष से आंसुओं के साथ गले मिलने के बाद, अध्यक्ष ने कहा, “एल्डर, तुमने जो अभी गवाही दी है कुछ महिनों के बाद तुम इसे भूल सकते या इंकार कर सकते हो यदि तुम उन कार्यों को करना जारी नहीं रखते हो जिस पर तुमने अपनी इस गवाही का निर्माण किया है ।”

मेरे मित्र ने मुझे बाद में बताया कि वह प्रतिदिन प्रार्थना करता और धर्मशास्त्र अध्ययन करता है जब से वह मिशन से लौटा है । “निरंतर परमेश्वर के अच्छे वचन से पोषण प्राप्त करने” के कारण वह “सही मार्ग पर बना रहा है ।”

आप जो पूरे-समय का मिशन की तैयारी कर रहे हो और जो वापस लौट रहे हो, इसे ध्यान से सुनो ! केवल गवाही प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं है; आपको इसे कायम रखना है और मजबूत करना है । प्रत्येक प्रचारक जानता है कि, यदि आपने साईकिल का पैडल मारना रोक दिया, तो यह गिर जाएगी, और यदि आपने अपनी गवाही का पोषण करना बंद कर दिया, तो यह कमजोर हो जाएगी । यही सिद्धांत पश्चाताप पर भी लागू होता है---यह जीवन-भर चलने वाला कार्य है, ऐसा अनुभव नहीं है जो जीवन में एक बार होता है ।

उन सबों को जो क्षमा चाहते हैं---युवा, अविवाहित, माता-पिता, दादा-दादी/नाना-नानी, और हां पड़ दादा-दादी/पड़ नाना-नानी भी---मैं आपको सही मार्ग में आने का निमंत्रण देता हूं । आरंभ करने का समय अब है । अपने पश्चाताप के दिन में देर न करें ।.

फिर, एक बार आपने निर्णय ले लिया है, सही मार्ग में बने रहें । हमारा पिता प्रतिक्षा कर रहा है, आप से मिलने की इच्छा रखता है । आपके लिये “पूरे दिन भर” उसकी बांहें फैली हुई हैं । प्रतिफल इसका प्रयास करने के योग्य है ।

नफी से इन शब्दों को याद करें: “तुम दृढ़ता में विश्वास करते हुए, आशा की परिपूर्ण चमक, और परमेश्वर और सभी मनुष्य से प्रेम करते हुए, हमेशा आगे बढ़ते चलो । इसलिये, यदि तुम मसीह की वाणी का प्याला पीते हुए, और अंत तक धीरज धरते हुए, आगे बढ़ते रहोगे, सुनो पिता इस प्रकार कहता है: तुम्हें अनंत जीवन मिलेगा ।”

कभी-कभी यात्रा लंबी लगेगी---आखिर कार, यह अनंत जीवन की ओर यात्रा है । लेकिन यह आनंदपूर्ण यात्रा हो सकती है यदि हम इसे यीशु मसीह में विश्वास और उसके प्रायश्चित में आशा के साथ जारी रखते हैं । मैं प्रमाणित करता हूं कि जिस क्षण हम अपना पैर पश्चाताप के मार्ग पर रखते हैं, हम उद्धारकर्ता की मुक्ति देने वाली शक्ति को अपने जीवन में निमंत्रण देते हैं । यह शक्ति हमारे पैरों को अटल रखेगी, हमारी दृष्टि को व्यापक करेगी, और आगे बढ़ने के इरादों को, एक-एक कदम द्वारा, मजबूत करेगी, उस महिमापूर्ण दिन तक जब हम अंतत: हमारे स्वर्गीय पिता के घर वापस पहुंचते और स्वर्ग में हमारे पिता को हमें कहते सुनते हैं, “शाबास” । यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।