योजना और घोषणा
परिवार घोषणा प्रभु की फिर से जोर डाली गई सुसमाचार सच्चाइयों हैं जिनकी वर्तमान पारिवारिक चुनौतियों में हमें समर्थन करने की जरूरत है ।
जैसा कि हमारे परिवार की घोषणा में स्पष्ट है, अंतिम-दिनों के सतों के यीशु मसीह के गिरजे के सदस्य बेजोड़ सिद्धांत और संसार को भिन्न तरीके से देखने से आशीषित हैं । हम बहुत सी संसारिक गतिविधियों में भाग लेते और उत्तम करते हैं, लेकिन कुछ विषयों पर हम भाग नहीं लेते क्योंकि हम यीशु मसीह और उसके अतीत और वर्तमान के प्रेरितों की शिक्षाओं का अनुसरण करते हैं ।
I.
एक दृष्टांत में, यीशु ने उनकी व्यख्या की थी जो “वचन को सुनते तो हैं” लेकिन “निष्फल” हो जाते हैं जब इस “संसार की चिंता और धन के धोखे द्वारा” उस वचन का “दम घोंट दिया जाता है” (मत्ती 13:22) । बाद में, यीशु ने पतरस को “परमेश्वर की बातों की ओर मन लगाने के बजाए, मनुष्यों की बातों पर मन लगाने के लिये,” फटकारते हुए कहा, “यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा ?” (मत्ती 16:23 26) । अपनी अंतिम शिक्षा में, उसने अपने प्रेरितों से कहा, “यदि तुम संसार के होते, तो संसार अपनों से प्रीति रखता, परंतु इस कारण कि तुम संसार के नहीं, … संसार तुम से बैर रखता है” ( यूहन्ना 15:19; यूहन्ना17:14, 16 भी देखें) ।
इसी प्रकार, यीशु के मूल प्रेरितों के लेख सुसमाचार शिक्षाओं का विरोध प्रदर्शित करने के लिये “संसार” की छवि को निरंतर उपयोग करते हैं । “इस संसार के सदृश न बनो” (रोमियों 12:2), प्रेरित पौलुस ने सीखाया, “क्योंकि उस संसार का ज्ञान परमेश्वर के निकट मूर्खता है” (1 कुरिन्थियों 3:19) । और, “सतर्क रहो” वह चेतावनी देता है, “कोई तुम्हें उस तत्व-ज्ञान … के द्वारा अहेर न कर ले, जो मनुष्यों के परंपराई मत और संसार की आदी शिक्षा के अनुसार है, पर मसीह के अनुसार नहीं” (कूलूसियों 2:8) । प्रेरित याकूब ने सीखाया था कि “संसार की मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है … सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है” (याकूब 4:4) ।
मॉरमन की पुस्तक अक्सर “संसार” के विरोध की छवि का उपयोग करती है । नफी ने अंतत: उनके विनाश की भविष्यवाणी की थी “जो संसार की दृष्टि में लोकप्रिय होने के लिये बनाए गए हैं, और जो … संसार की बातों की खोज करते हैं” (1 नफी 22:23; 2 नफी 9:30 भी देखें) । अलमा ने उनकी निंदा की थी जिनके “संसार की व्यर्थ की चीजों से … फूले हुए हैं” (अलमा 31:27) । लेही का सपना दिखाता है कि जो लोहे की छड़, परमेश्वर के वचन, का अनुसरण करने की खोज करते हैं, संसार में विरोध का सामना करेंगे । लेही ने देखा जो “बड़े और विशाल भवन” में खड़े थे उनका व्यवहार “मजाक उड़ाने वाला” था और “घृणा से ऊंगली” उठाई थी (1 नफी 8:26–27, 33) । इस सपने की व्याख्या करते हुए अपने दिव्यदर्शन में, नफी ने सीखा कि यह मजाक और विरोध “पृथ्वी की भीड़ की ओर से हुआ था, … संसार और उसके विवेक को देखो; … संसार का अहंकार था“ (1 नफी 11:34–36) ।
“इस संसार का न होने” की आत्मिक चेतावनियों और आज्ञाओं या “संसारिक बातों को छोड़ने” की आधुनिक आज्ञा का क्या अर्थ है (सिऔरअ 53:2) ? अध्यक्ष थॉमस एस. मॉनसन ने इन शिक्षाओं को संक्षिप्त किया है: “हम ऐसे संसार में सतर्क रहना चाहिए, जो आत्मिकता से बहुत दूर हो गया है । यह आवश्यक है कि हम ऐसी किसी भी वस्तु को अस्वीकार कर दें जो हमारे आदर्शों के अनुरूप नहीं है, और उस प्रक्रिया के प्रति आत्मसमर्पण करती है जिसे हमें सबसे अधिक चाहते हैं: परमेश्वर के राज्य में अनंत जीवन ।”
परमेश्वर ने इस पृथ्वी की सृष्टि अपनी योजना के अनुसार अपने आत्मिक बच्चों को नश्वरता का अनुभव कराने के लिये की थी जोकि उन महिमाओं के लिये एक आवश्यक कदम है जो वह अपने सब बच्चों के लिये चाहता है । जबकि विभिन्न राज्य और महिमाएं हैं, लेकिन उसके बच्चों के लिये हमारे स्वर्गीय पिता की अंतिम इच्छा वह है जिसे अध्यक्ष मॉनसन ने “परमेश्वर के राज्य में अनंत जीवन” कहा है, जोकि परिवारों में उत्कर्ष है । यह मात्र उद्धार से बढ़कर है । अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने हमें स्मरण कराया है, “परमेश्वर की अनंत योजना में, उद्धार व्यक्तिगत विषय है; लेकिन उत्कर्ष परिवार का विषय है ।”
यीशु मसीह का पुनास्थापित सुसमाचार और प्रेरणादायक परिवार घोषणा, जिसकी चर्चा मैं बाद में करूंगा, उत्कर्ष की मार्गदर्शन नश्वर तैयारी के लिये आवश्यक शिक्षाएं हैं । यद्यपि हमें गिरते संसार के विवाह की व्यवस्थाओं और अन्य परंपराओं के अनुसार जीवन जीना चाहिए, वे जो उत्कर्ष के लिये प्रयास करते हैं अवश्य ही प्रभु के तरीके अनुसार पारिवारिक जीवन में व्यक्तिगत चुनावों को करना चाहिए, जब कभी यह संसार के तरीके से भिन्न हो ।
इस नश्वर जीवन में, हमें उसकी याद नहीं है जो हमारे जन्म से पहले हुआ था, और अब हम विरोध का अनुभव करते हैं । सही चुनावों के परिणामस्वरूप परमेश्वर की आज्ञाओं का चयन करके हम आत्मिकरूप से विकसित और परिपक्व होते हैं । इसमें आवश्यक अनुबंध और विधियां और पश्चाताप शामिल हैं जब हम हमारे चुनाव गलत होते हैं । इसके विपरीत, यदि हम में परमेश्वर की योजना में विश्वास की कमी है और आवश्यक कार्यों के प्रति अवाज्ञाकारी रहते या जानबूझकर बचते हैं, तो हम उस विकास और परिपक्वता के अवसर को खो देते हैं । मॉरमन की पुस्तक सीखाती है, “यह समय परमेश्वर से मिलने के प्रति लोगों की तैयारी का समय है” (अलमा 34:32) ।
II.
अंतिम-दिनों के संत जो परमेश्वर की उद्धार की योजना को समझते हैं, के पास एक बेजोड़ विश्व दृष्टिकोण होता है जो उन्हें परमेश्वर की आज्ञाओं के कारण, उसकी आवश्यक विधियों की अपरिवर्तनीय प्रकृति, और यीशु मसीह की मूल-भूत भूमिका समझने में मदद करता है । हमारे उद्धारकर्ता का प्रायश्चित हमें मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का मार्ग उपलब्ध कराता है और, हमारे पश्चाताप के अधीन, पाप से हमें बचाता है । उस विश्व दृष्टिकोण के साथ, अंतिम-दिनों के संत के पास विशिष्ट प्राथमिकताएं और प्रथाएं हैं और नश्वर जीवन की निराशा और पीड़ाओं को सहने की शक्ति से आशीषित होते हैं ।
अनिवार्य रूप से, उनके कार्य जो परमेश्वर की उद्धार की योजना का अनुसरण करने का प्रयास करते हैं गलतफहमी या परिवार के सदस्यों या मित्रों के साथ विवाद भी हो सकता है जो इसके नियमों में विश्वास नहीं करते हैं । इस तरह के विवाद हमेशा रहे हैं । प्रत्येक पीढ़ी जो परमेश्वर की योजना का अनुसरण करना चाहते हैं के पास चुनौतियां रही हैं । अतीत में, भविष्यवक्ता यशायाह ने इस्राएलियों को शक्ति दी थी, जिन्हें उसने कहा था “तुम जो धार्मिकता को समझते हो, … जिनके हृदय में मेरी व्यवस्था है,” घोषणा की, “मनुष्यों की निंदा से मत डरो, और उनकी निंदा करने से विस्मित न हो” (यशायाह 51:7; 2 नफी 8:7 भी) । लेकिन उन लोगों के साथ विवाद का कुछ भी कारण हो जो परमेश्वर की योजना को समझते या विश्वास नहीं करते, जो करते हैं उन्हें संसार के मार्ग के बजाए हमेशा प्रभु के मार्ग चुनने की आज्ञा दी जाती है ।
III.
जिस सुसमाचार योजना का प्रत्येक परिवार को अनंत जीवन और उत्कर्ष की तैयारी के लिये अुसरण करना चाहिए उसकी रूपरेखा गिरजे 1995 की घोषणा में है, “परिवार: दुनिया के लिये एक घोषणा ।” इसकी घोषणाएं, अवश्य ही, प्रत्यक्षरूप जिसमें हम रहते हैं उस संसार के वर्तमान नियमों, प्रथाओं, और समर्थन से भिन्न हैं । हमारे समय में, सबसे स्पष्ट मतभेद बिना विवाह के साथ रहना, समलैंगिक विवाह, और ऐसे संबंध में शामिल बच्चों को बढ़ा करना है । वे लोग जो उत्कर्ष में विश्वास या इसकी अभिलाषा नहीं रखते और संसार की रीतियों में अधिक यकीन रखते हैं इस परिवार घोषणा को मात्र एक नीतिगत कथन मानते हैं जिसे बदला जाना चाहिए । इसके विपरीत, अंतिम-दिनों के संत पुष्टि करते हैं कि परिवार घोषणा उस प्रकार के रिश्तों को परिभाषित करती है जो हमारे अनंत विकास का महत्वपूर्ण भाग हो सकता है ।
हमने बिना विवाह के साथ रहना और समलैंगिक विवाह में तेजी और बढ़ती सार्वजनिक स्वीकृति को देखा है । इसके लिये मीडिया की वकालत, शिक्षा, और यहां तक कि व्यावसायिक जरूरतें अंतिम-दिनों के संतों के लिये कठिन चुनौतियां उत्पन्न करती हैं । हमें अपने व्यक्तिगत जीवन और शिक्षाओं में सुसमाचार व्यवस्था का पालन करने की चुनौतिपूर्ण मांगों को संतुलित करने का प्रयास करना चाहिए, जब हम सबों के प्रेम का प्रदर्शन करना चाहते हैं । ऐसा करने में, हम कभी कभी उस बात का समाना करना पड़ता है जिसे यशायाह ने “मनुष्यों की निंदा” कहा है लेकिन हमें भयभीत होने की जरूरत नहीं है ।
परिवर्तित अंतिम-दिनों के संत विश्वास करते हैं कि परिवार घोषणा, जो लगभग पच्चीस वर्ष पूर्व जारी की गई थी और अब बहुत सी भाषाओं में अनुवाद हो चुकी है, प्रभु द्वारा फिर से जोर डाली गई सुसमाचार सच्चाइयों हैं जिनकी वर्तमान पारिवारिक चुनौतियों में हमें समर्थन करने की जरूरत है । दो उदाहरण हैं समलैंगिक विवाह और बिना विवाह के साथ रहना । परिवार घोषणा के मात्र 18 वर्ष बाद, सयुंक्त राज सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक विवाह को अधिकृत किया, हजारों वर्षों से पुरुष और स्त्री के बीच सीमित विवाह को निरस्त करते हुए । संयुक्त राज्य अमरीका में ऐसे बच्चों का चौंकाने वाला प्रतिशत धीरे-धीरे बढ़ा है जो बिना विवाह की माता से पैदा हुए हैं: 1960 में पांच प्रतिशत, 5 1995 में बत्तीस प्रतिशत, और अब चालीस प्रतिशत है ।
IV.
परिवार घोषणा यह घोषणा करते हुए आरंभ होती है “कि पुरूष और स्त्री के बीच विवाह परमेश्वर का नियुक्त किया गया है और कि उसके बच्चों के लिये अनंत नियति के लिये परिवार सृष्टिकर्ता की योजना का केंद्र है ।” यह इसकी भी पुष्टि करता है कि “लिंग व्यक्तिगत नश्वर-पूर्व, नश्वर, और अनंत पहचान और उद्देश्य के आवश्यक गुण हैं ।” यह आगे घोषणा करती है कि “परमेश्वर ने आदेश दिया है कि संतान पैदा करने शक्ति का उपयोग केवल वैधरूप से पति और पत्नी के रूप विवाहित पुरुष और स्त्री में किया जाना चाहिए ।”
यह घोषणा पति और पत्नी को वृद्धि करने और पृथ्वी को भरने के सतत प्रयास और एक दूसरे से और उनके बच्चों से प्रेम और देखभाल करने के गंभीर जिम्मेदारी की पुष्टि करती है: “बच्चे विवाह के बंधनों के भीतर पैदा होने के अधिकारी हैं, और पिता और माता द्वारा बड़े किए जाने चाहिए जो वैवाहिक वादों का सम्मान पूरी निष्ठा से करते हैं ।” यह पति / पत्नी या बच्चों के साथ दुर्व्यवहार के विरूद्ध गंभीरता से चेतावनी देती है, और यह पुष्टि करती है कि “परिवारिक जीवन में खुशी प्राप्त करने की संभावना तब अधिक होती है जब यह प्रभु यीशु मसीह की शिक्षाओं पर आधारित होती है ।” अंत में, इसके लिये कहती है “समाज की मूलभूत इकाई के रूप में परिवार को बनाए रखने और मजबूती देने के लिये बनाए उपायों” का आधिकारिक विकास करने के लिये कहती है ।
1995 में गिरजे के अध्यक्ष और प्रभु के अन्य 14 प्रेरितों ने महत्वपूर्ण सैद्धांतिक ब्यान जारी किया था । अभी जीवित उन प्रेरितों में से केवल सात में से एक होते हुए, मैं उन सभी की जानकारी के लिये जो इस पर विचार करते हैं उसे बांटने की आवश्यकता को महसूस करता हूं जिसके कारण परिवार घोषणा की गई थी ।
परिवार पर घोषणा करने की जरूरत की पहचान करते हुए प्रेरणा गिरजे के नेतृत्व को 23 वर्ष मिली थी । यह कुछ के लिये आश्चर्य की बात थी जो सोचते थे कि विवाह परिवार के बारे में सैद्धांतिक सच्चाइयां भली भांति समझी जाती हैं बिना फिर से ब्यान दिये । फिर भी, हमने इसकी पुष्टि को महसूस किया और हम काम में लग गए । बारह प्रेरितों की परिषद के सदस्यों द्वारा लगभग एक वर्ष तक विषयों की पहचान और चर्चा की गई । भाषा का सुझाव दिया गया, समीक्षा की गई, और संशोधन हुए । प्रार्थनापूर्वक हमने प्रभु से उसकी प्रेरणा के लिये निरंतर याचना की कि हमें क्या कहना चाहिए और इसे कैसे कहना चाहिए । हम सबों ने “पंक्ति पर पंक्ति, नियम पर नियम” से सीखा, जैसा प्रभु ने प्रतिज्ञा की है (सिऔरअ 98:12) ।
इस प्रकटीकरण की प्रक्रिया के दौरान, प्रथम अध्यक्षता द्वारा एक प्रस्तावित विषय-वस्तु प्रस्तुत की गई, जो गिरजे की शिक्षाओं और सिद्धांत का निरक्षण और घोषणा करते हैं । और अध्यक्षता ने इसमें और बदलाव किए, परिवार पर घोषणा गिरजे के अध्यक्ष, गोर्डन बी. हिंकली द्वारा की गई थी । 23 सितंबर 1995 को महिलाओं की सभा में, उन्होंने इस घोषणा को इन शब्दों के साथ बताया था: “संसार में बहुत से झूठे विचारों को सच होने के दावों के होते, मानकों और मूल्यों के संबंध में बहुत सारे धोखों के होते हुए, संसार के भ्रष्टाचार को धीरे-धीरे ग्रहण करने के लिये बहुत अधिक प्रलोभन और लालच होते हुए, हमने यह महसूस किया कि हमें आपको चेतावनी देना चाहिए और पहले से सर्तक कर देना चाहिए ।”
मैं गवाही देती हूं परिवार पर घोषणा अनंत सच्चाई का कथन है, अपने बच्चों के लिये प्रभु की इच्छा है । यह गिरजे की पिछले 22 वर्षों की शिक्षा और प्रथा का आधार रही है और ऐसा भविष्य में बनी रहेगी । इस पर गिरजे की शिक्षा और प्रथा के रूप में गौर करें, इसे सीखें, इसके द्वारा जीवन जीएं, और आप आशीषित होंगे ।
चालीस वर्ष पूर्व, अध्यक्ष एज्रा टाफ्ट बेनसन ने सीखाया था कि “प्रत्येक पीढ़ी की अपनी परिक्षाएं और दृढ़ बने रहने और स्वयं को साबित करने के अपने अवसर होते हैं ।” मैं विश्वास करता हूं कि परिवार घोषणा के प्रति हमारा दृष्टिकोण और उपयोग इस पीढ़ी के लिये उन परिक्षाओं में से एक है । मैं सभी अंतिम-दिनों के संतों के लिये इस परिक्षा में दृढ़ बने रहने की प्रार्थना करता हूं ।
मैं अध्यक्ष गोडर्न बी. हिंकली की परिवार घोषणा के दो वर्षों बाद बोली गई शिक्षाओं के साथ समाप्त करूंगा । उन्होंने कहा: “मैं एक बहुत ही अनिश्चित संसार में शानदार भविष्य देखता हूं । यदि हम अपने मूल्यों में दृढ़ बने रहेंगे, यदि हम अपनी विरासत पर निर्माण करेंगे, यदि हम प्रभु के सम्मुख आज्ञाकारिता से चलेंगे, यदि हम केवल सुसमाचार के अनुसार जीवन जीएंगे तो हम आश्चर्यजनकरूप और शानदार तरीके से आशीषित होंगे । हमें प्रजारूपी निज धन संपत्ति के रूप में देखा जाएगा जिसे विशेष खुशी का उपाय प्राप्त हो गया है ।”
मैं यीशु मसीह द्वारा अपने प्रेरितों को परमेश्वर के बच्चों के उत्कर्ष के लिये (देखें सिद्धांत और अनुबंध 131: 1–4 ) प्रकट की गई परिवार घोषणा की सच्चाई और अनंत महत्व की गवाही देता हूं, यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।