प्रभु, क्या आप मेरी आंखें खोल सकते हैं
हमें एक दूसरे को हमारे उद्धारकर्ता की आंखों के द्वारा देखना चाहिए ।
लायन किंग अफ्रीकी सवाना के बारे में एक क्लासिक एनिमेटेड फिल्म है । जब राजा शेर अपने बेटे को बचाते हुए मर जाता है, युवा शेर राजकुमार निर्वासन के लिये मजबूर होता है जबकि एक निर्दयी शासक सवाना का संतुलन नष्ट कर देता है । राजकुमार शेर एक संरक्षक की मदद से राज्य को फिर से प्राप्त करता है । सवाना पर विशाल जीवन चक्र के संतुलन की आवश्यकता उसकी आंखें खोली देती है । राजा के रूप में अपने उचित स्थान को पाकर, युवा शेर को सलाह दी जाती है “आप जो देखते हो उससे आगे देखो ।”
जो कुछ हमारे पिता के पास है उसका उत्तराधिकारी बनना सीखते हुए, सुसमाचार हमें जो हम देखते हैं उससे आगे देखने की सलाह देता है । जो हम देखते हैं उससे आगे देखने के लिये, हमें दूसरों की ओर हमारे उद्धारकर्ता की आंखों से देखने की आवश्यकता है । सुसमाचार का जाल सभी प्रकार के लोगों से भरा हुआ है । हम संसार में लोगों, गिरजे कलीसियाओं, और यहां तक की अपने परिवार के चुनावों और मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि को पूरी तरह समझ नहीं सकते हैं, क्योंकि हम शायद ही पूरी तरह जानते हैं वे कौन हैं । हमें हल्की धारणाओं और रूढ़िवादी बातों से परे देखने चाहिए और अपने स्वयं के अनुभव के छोटे लैंस को फैलाना चाहिए ।
मिशन अध्यक्ष के रूप में सेवा करते हुए मेरी आंखें “जो मैं देख सकता उसके आगे देखने” के लिये खुली थी । एक युवा एल्डर अपनी आंखों में संकोच के साथ पहुंचा । जब हम साक्षात्कार में मिले, तो उसने दुखी होते हुए कहा, “मैं घर जाना चाहता हूं ।” मैंने अपने आपसे कहा, “ठीक है, हम इसका उपाय करते हैं ।” मैंने उसे एक सप्ताह के लिये कठिन परिश्रम और इसके लिये प्रार्थना करने और फिर मुझ से मिलने की सलाह दी । एक सप्ताह बाद, लगभग सही समय पर, वह मिला । वह अभी भी घर जाना चाहता था । मैंने उसे फिर से प्रार्थना करने, कठिन परिश्रम करने, और एक सप्ताह में मुझे मिलने के लिये कहा । हमारे अगले साक्षात्कार में स्थिति नहीं बदली थी । उसने घर जाने पर जोर दिया ।
मैं ऐसा न होने के लिये प्रयास कर था । मैंने उसे उसकी नियुक्ति की पवित्र प्रकृति के बारे में सीखाना आरंभ किया । मैंने उसे “स्वयं को भूलने और काम पर लग जाने के लिये उत्साहित किया ।” लेकिन मैंने उसे जो भी उपाय बताया, उससे उसका मन नहीं बदला । अंत में मुझे लगा कि हो सकता है मुझे पूरी बात नहीं पता हो । तब मैंने उससे एक प्रश्न पूछने के लिये महसूस किया: “एल्डर, आपके लिये कठिन क्या है ?” जो उसने कहा उससे मेरा दिल पसीज गया: “अध्यक्ष, मैं पढ़ नहीं सकता हूं ।”
जिसे समझदार सलाह को मैंने सोचा था कि उसके लिये सुनना बहुत महत्वपूर्ण है उसका उसकी जरूरतों से बिलकुल भी संबंध नहीं था । जिसकी उसे अधिक जरूरत थी वह मुझे अपने तुरंत निर्णय से आगे देखना और इस एल्डर के मन में असल में क्या था समझने के लिये आत्मा को मेरी मदद करने की अनुमति देना था । उसे मेरे उचित नजरिये की जरूरत और आशा के कारण को देने जरूरत थी । इसके स्थान पर, मैंने एक बड़ी सी विध्वंस करने वाली गेंद के समान कार्य किया था । इस एल्डर ने पढ़ना सीखा और यीशु मसीह का बहुत ही शुद्ध शिष्य बना । उसने प्रभु के वचनों के प्रति मेरी आंखें खोल दी थी: “मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परंतु प्रभु की दृष्टि मन पर रहती है” (1 शमूएल 16:7) ।
बहुत ही शानदार आशीष होती है जब प्रभु की आत्मा हमारे दृष्टिकोण को बड़ा करती है । भविष्यवक्ता एलिशा को याद करें, जब वह जागा तो उसने सीरिया की सेना को उसके शहर को उनके घोडों और रथों से घिरा पाया ? उसके नौकर भयभीत हो गए और एलिशा से पूछा कि वे इनके विरूद्ध क्या कर सकते थे । एलिशा ने उसे चिंतित न होने को कहा, इन यादगार शब्दों के साथ: “भयभीत न हो: क्योंकि जितनी संख्या उनके साथ है उससे कहीं अधिक हमारे साथ है” (2 राजा 6:16. । उसके नौकर को नहीं पता था कि भविष्यवक्ता क्या कह रहा था । वह उससे आगे नहीं देख सकता है जो वह देख रहा था । हालांकि, एलिशा ने स्वर्गदूतों की एक बहुत बड़ी सेना को भविष्यवक्ता के लोगों के लिये युद्ध के लिये तैयार होते देखा था । इसलिये, एलिशा ने प्रभु से इस नौजावन की आंखें खोलने के लिये प्रार्थना की, “और उसने देखा: और देखो, पर्वत घोड़ों और अग्नि के रथों को एलिशा के चारों ओर देखा” (2 राजा 6:17) ।
हम अक्सर जो हम देखते हैं उसमें भिन्नता के द्वारा हम स्वयं को औरों से अलग कर देते हैं । हम उनके साथ खुश रहते हैं जो हमारे समान सोचते, बोलते, और कार्य करते हैं और उनसे नाखुश होते हैं जो भिन्न परिस्थितियों या पृष्ठभूमि से आते हैं । असल में, क्या हम सब भिन्न देशों से नहीं आते और भिन्न भाषाएं नहीं बोलते ? क्या हम सब संसार को अपने स्वयं के जीवन के सीमित अनुभवों से नहीं देखते ? क्योंकि कुछ आत्मिक आंखों से देखते और बोलते हैं, जैसे कि भविष्यवक्ता एलिशा, और कुछ संसारिक दृष्टि से देखते और बात करते हैं, जैसा मैंने अपने अनपढ़ प्रचारक के साथ अनुभव किया था ।
हम एक ऐसे संसार में रहते हैं जो तुलना, छाप, और अलोचना से चलता है । सोशल मीडिया के लेंस से देखने के स्थान पर, हमें भीतर के ईश्वरीय गुणों की खोज करने की जरूरत है जिस पर हम में से प्रत्येक दावा करता है । ये ईश्वरीय योग्यताओं और चाहतों को पिंटरेस्ट या इंस्टाग्राम में पोस्ट नहीं किया जा सकता है ।
दूसरों को स्वीकार और प्रेम करने का अर्थ यह नहीं कि हमें उनके विचारों को भी गले लगाना चाहिए । प्रत्यक्षरूप से, सच्चाई हमारी वफादारी की उच्चतम शर्त है, लेकिन इसे दया दिखाने में कभी बाधा नहीं बनना चाहिए । सच में दूसरों से प्रेम करने के लिये उन लोगों के उत्तम प्रयासों को स्वीकार करने की निरंतर आदत की आवश्यकता होती है जिनके जीवन के अनुभव और सीमाओं को शायद हम पूरी तरह से नहीं समझते हैं । जो हम देखते हैं उससे आगे देखने के लिये उद्धारकर्ता पर सतर्क ध्यान रखने की जरूरत है ।
28 मई 2016 को, 16 वर्ष की आयु का बीयू रिचे और उसका मित्र ऑस्टिन कोलोराडो में एक पारिवारिक खलिहान पर थे । बीयू और ऑस्टिन सहासिक दिन की आशा के साथ ऊबड़-खाबड़ सतह पर चलने वाहन पर सवार हो गए । वे अधिक दूर नहीं गए थे कि उनका सामना अनहोनी स्थिति से हुआ, जब एक दुर्घटना घटी । जिस वाहन को बीयू चला रहा था अचानक पलट गया, बीयू उस 180 किलो की गाड़ी के नीचे दब गया । जब बीयू के मित्र ऑस्टिन को वह मिला, तो उसने देखा बीयू अपने जीवन के संघर्ष कर रहा था । अपने पूरे बल से, उसने अपने मित्र के ऊपर से वाहन को हटाने का प्रयास किया । यह नहीं हिला । उसने बीयू के लिये प्रार्थना की और घबराहट में सहायता के लिये दौड़ा । आपदा विभाग के लोग अतंत: पहुंचे, लेकिन कुछ घंटों बाद बीयू की मौत हो गई । वह अपने नश्वर जीवन से मुक्त हो गया ।
उसके दुखी माता-पिता पहुंचे । जब वे छोटे हस्पताल में बीयू के प्रिय मित्र और परिवार के लोगों के साथ खड़े थे, एक पुलिस अधिकारी कमरे में आया और बीयू का सेलफोन उसकी मां को दिया । जैसे ही उसने फोन लिया, तेज अलार्म बजा । उसने फोन खोला और बीयू का दैनिक अलार्म देखा । उसने अपने खुश रहने वाले, बहुत ही साहसी किशोर बेटे के प्रतिदिन के लिये सेट किए संदेश को जोर से पढ़ा । इसमें लिखा था, “आज अपने जीवन को यीशु मसीह पर केंद्रित रखना याद रखें ।”
उसके मुक्तिदाता पर बीयू का ध्यान उसकी अनुपस्थिति में उसके प्रियजनों के दुख को कम नहीं करता । फिर भी, यह बीयू के जीवन और जीवन के चुनावों के प्रति महान आशा और मतलब देता है । यह उसके परिवार और मित्रों को छोटी आयु में उसकी मृत्यु के दुख से आगे अगले जीवन की आनंददायक सच्चाइयों को देखने की अनुमति देता है । बीयू के माता-पिता के लिये उस बात को अपने बेटे की आंखों से देखना बहुत ही करूणामय था जो उसे अति प्रिय थी ।
गिरजे के एक सदस्य के रूप में, हमें आत्मिक आलार्म का व्यक्तिगत उपहार दिया गया है जो हमें सतर्क करता है जब हम उद्धार से दूर केवल अपनी नश्वर आंखों से देखते हैं । निरंतर यीशु मसीह पर ध्यान केंद्रित रखने के लिये प्रभु-भोज हमारी साप्तहिक चेतावनी है ताकि हम हमेशा उसे याद रख सकें और ताकि उसकी आत्मा हमेशा हमारे साथ रहे (देखें सिऔरअ 20:77) । फिर भी, कई बार हम इन अनुभूतियों की चेतावनी और अलार्म की अनदेखी कर देते हैं । जब हमारे जीवन के केंद्र में यीशु मसीह होता है, तो वह हमारी आंखों को उससे अधिक संभावनाओं को देखने के लिये खोल देगा जितनी हम स्वयं देखने में सक्षम हैं ।
एक विश्वसनीय बहन द्वारा अनुभव किए सुरक्षा देने वाले अलार्म के विषय में मुझे यह बहुत ही दिलचस्प पत्र मिला है । उसने मुझे लिखा कि अपने पति को समझाने के प्रयास में कि वह कैसा महसूस करती है, उसने अपने फोन में उन बातों की एक एल्कट्रॉनिक सूची रखना आरंभ किया जो वह करता या कहता था जो वह पसंद नहीं करती थी । उसने सोचा जब सही समय होगा, वह सब बातों को लिखेगी और उसे दिखाएगी ताकि वह अपनी आदतों को बदल सके । हालांकि, एक रविवार जब प्रभु-भोज में शामिल हो रही और उद्धारकर्ता के प्रायाश्चित पर ध्यान केंद्रित कर रही थी, उसने महसूस किया कि अपने पति के बारे में अपनी नाकारात्मक अनुभूतियों को लिखने से वास्तव में आत्मा उससे दूर जा रही थी और उसे कभी बदल नहीं सकती थी ।
उसके हृदय में आत्मिक आलार्म बजा जिसने कहा: “इसे हटा दो; इन सबों को हटा दो । उन टिप्पणियों को मिटा दो । उनसे कोई सहायता नहीं मिलेगी । फिर उसने लिखा, “मुझे उन सबों को मिटाने में समय लगा । लेकिन मैंने उन्हें मिटा दिया, वे सब नाकारत्मक अनुभूतियां हमेशा के लिये चली गई । मेरा हृदय प्रेम से भर गया था--अपने पति के प्रति प्रेम और प्रभु के प्रति प्रेम ।” दमिश्क की सड़कों पर शाऊल के समान, उसका दृष्टिकोण बदल गया था । उसकी आंखों से छिलके से गिरे ।
हमारा उद्धारकर्ता बारबार शारीरिक और आत्मिक रूप से बंद आंखों को खोलता है । हमारी आंखों को दिव्य सच्चाई के लिये खोलना, वास्तव में और प्रतीकात्मकरूप से, हमें हमारी नश्वर अदूरदर्शिता से चंगाई के लिये तैयार करता है । जब हम आत्मिक अलार्मों पर ध्यान देते हैं जो मार्ग में सुधार करने या विशाल अनंत दृष्टिकोण होने का संकेत देते हैं, तो हम उसकी आत्मा को हमारे साथ होने के प्रभु-भोज वादे को प्राप्त कर रहे होते हैं । यह जोसफ स्मिथ और ओलिवर काउड्री के साथ कर्टलैंड मंदिर में हुआ था जब यीशु मसीह द्वारा शक्तिशाली सच्चाइयां सीखाई गई थी, जिसने वादा किया था कि नश्वरता की सीमाओं को “हमारे मनों से हटा दिया जाएगा, और उनकी समझ की आंखें खोल दी जाएंगी” (सिऔरअ 110:1)।
मैं गवाही देता हूं कि यीशु मसीह की शक्ति के द्वारा, हम आत्मिकरूप से उससे आगे देख सकने के योग्य होते हैं जो हम वास्तव में देखते हैं । जब हम उसे याद करते और उसकी आत्मा हमारे साथ होती है, तो समझ की हमारी आंखें खुल जाएंगी । तब हम में से प्रत्येक के भीतर की दिव्यता की महान सच्चाई हमारे हृदयों को शक्तिशाली रूप से प्रभावित करेगी । यीशु मसीह के नाम में, आमीन ।