विश्वास की सीढ़ी
अविश्वास चमत्कार को देखने की हमारी क्षमता में रुकावट डालता है, जबकि उद्धारकर्ता में विश्वास की मानसिकता स्वर्ग की शक्तियों को खोल देती है।
जीवन की चुनौतियां यीशु मसीह में हमारे विश्वास को कैसे प्रभावित करती हैं? और इस जीवन में हम जो आनंद और शांति का अनुभव करते हैं उस पर हमारे विश्वास का क्या प्रभाव होगा?
साल 1977 था। फोन की घंटी बजी, और उस संदेश ने हमारे ह़दयों को तोड़ दिया। कैरोलिन और डग टेब्स स्नातक विद्यालय पूरा करने के बाद अपने नए घर में जाने की तैयारी में थे। एल्डर परिषद गाड़ी में सामान रखवाने आये थे। डग, यह सुनिश्चित करते हुए कि गाड़ी पीछे करने के लिए रास्ता खाली था, आखिरी बार देखा। जिसे वह नहीं देख पाया था, वह उसकी छोटी बेटी जेनी थी, जो गलत समय पर गाड़ी के पीछे दौड़ कर आ गई थी। पल भर में उनकी प्यारी जेनी चली गई।
आगे क्या हुआ होगा? क्या इस दर्द को जो उन्होंने इतनी गहराई से महसूस किया और नुकसान की अकल्पनीय भावना ने कैरोलिन और डग के बीच अमिट खाई को पैदा किया, या क्या इसने उनके ह़दयों को किसी तरह एक साथ बांधे रखा और स्वर्गीय पिता की योजना में उनके विश्वास को मजबूत किया था?
उनके कष्टों का मार्ग लंबा और दर्दनाक रहा, लेकिन कहीं से आत्मिक आसरा मिला जो आशा खोने के लिए नहीं, बल्कि “[उनके] मार्ग पर बने रहने के लिए” था।1 किसी तरह यह असाधारण दंपति मसीह में अधिक मजबूत बन गई। अधिक प्रतिबद्ध। अधिक दयालु। उनका मानना था कि, परमेश्वर अपने समय अनुसार उनके कष्टों को उनकी भलाई के लिए समर्पित करता है।2
हालांकि दर्द और नुकसान पूरी तरह से दूर नहीं हो सकते थे, लेकिन कैरोलिन और डग को इस आश्वासन से दिलासा मिली कि उनके अनुबंध के मार्ग पर दृढ़ता से कायम रहने से, उनकी प्यारी जेनी हमेशा के लिए उनकी हो जाएगी।3
उनके उदाहरण ने प्रभु की योजना में मेरे विश्वास को मजबूत किया है। हम सब कुछ नहीं देख सकते हैं। वह देख सकता है। प्रभु ने लिबर्टी जेल में जोसफ स्मिथ से कहा था कि “ये सब बातें तुम्हें अनुभव देंगी, और तुम्हारे भले के लिए होंगी। मनुष्य का पुत्र ने इस सब को सहा था। क्या तुम उससे अधिक महान हो?”4
जब हम प्रभु की इच्छा को स्वीकार करते हैं, तो वह हमें सिखाता है कि उसके साथ कैसे चलना है।5 ताहिती में सेवा कर रहे एक युवा प्रचारक के रूप में, मुझे एक बीमार शिशु को पौरोहित्य आशीष देने के लिए कहा गया था। हमने उसके सिर पर हाथ रखा और उसे ठीक होने की आशीष दी। उसके स्वास्थ्य में सुधार होने लगा, लेकिन वो फिर से बीमार पड़ गया। हमने दूसरी बार उसे आशीषित किया लेकिन परिणाम वही था। तीसरी बार कहा गया। हमने प्रभु से बिनती की कि उसकी इच्छा पूरी हो। कुछ ही समय बाद, यह छोटी आत्मा अपने स्वर्गीय घर लौट गई।
हमने शांति महसूस की। हम चाहते थे कि शिशु जीवित रहे, लेकिन प्रभु की इच्छा कुछ और थी। हमारी अपनी इच्छा के स्थान पर उसकी इच्छा को स्वीकार करना खुशी पाने की कुंजी है, चाहे हमारी परिस्थितियां कैसी भी हों।
जब हम यीशु मसीह के बारे में सीखना शुरू करते हैं तो हमारे पास जो सरल विश्वास होता है वह हमारे ह़दयों में तब भी बना रहता है जब हम जीवन की चुनौतियों का सामना करते हैं। उस पर हमारा विश्वास जीवन की जटिलताओं में भी हमारा मार्गदर्शन करता है और आगे भी करेगा। वास्तव में, हम पाएंगे कि जीवन की जटिलताओं6 की दूसरी तरफ सरलता है जब हम “मसीह में [दृढ़] रहते हैं, और आशा की एक भरपूर चमक बनाए रखते हैं।”7
जीवन के उद्देश्य का एक हिस्सा यह है कि इन संभावित ठोकरों को आगे बढ़ने का साधन बनने दें और फिर हम उस पर चढ़ें जिसे मैं “विश्वास की सीढ़ी”—कहता हूं एक ऐसी सीढ़ी जो यह बताती है कि विश्वास गतिहीन नहीं होता है। हमारे द्वारा चुने गए विकल्पों के अनुसार यह ऊपर या नीचे हो सकता है।
जब हम उद्धारकर्ता में विश्वास का निर्माण करने का प्रयास करते हैं, तो हो सकता है हम अपने लिए परमेश्वर के प्रेम को पूरी तरह से नहीं समझ पाएं, और हम दायित्व की भावना से उसके नियमों का पालन करें। प्रेम के बजाय अपराध बोध भी हमारा मुख्य प्रेरक बन सकता है। उसके साथ एक सच्चे संबंध का अनुभव शायद अभी तक न किया गया हो।
जब हम अपने विश्वास को बढ़ाने की कोशिश करते हैं, तो हो सकता है की हम याकूब की शिक्षाओं से व्याकुल हो जाएं। उसने हमें बताया है कि “विश्वास कार्य के बिना मरा हुआ है।”8 हम ठोकर खा सकते हैं यदि हमें यह लगता है कि सब कुछ हम पर निर्भर करता है। स्वयं पर अत्यधिक निर्भर होना स्वर्ग की शक्तियों तक पहुंचने की हमारी क्षमता को बाधित कर सकता है।
लेकिन जब हम यीशु मसीह में सच्चे विश्वास से बढ़ते हैं, तो हमारी मानसिकता बदलने लगती है। हम पहचानते हैं कि उद्धारकर्ता में आज्ञाकारिता और विश्वास हमें उसकी आत्मा को हमेशा हमारे साथ रहने के योग्य बनाती है।9 आज्ञाकारिता अब एक अड़चन नहीं, बल्कि एक खोज बन जाती है।10 हम पहचानते हैं कि परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करना हमें उस पर भरोसा करने में सक्षम बनाता है। उस पर भरोसे के साथ ज्योति में वृद्धि होती है। यह ज्योति हमारी यात्रा का मार्गदर्शन करती है और हमें उस मार्ग को अधिक स्पष्टता से देखने में मदद करती है।
लेकिन इसके अलावा भी बहुत कुछ है। जब उद्धारकर्ता में हमारा विश्वास बढ़ता है, तो हम एक बदलाव देखते हैं जिसमें परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों की एक समझ शामिल होती है जिसमे यह जरुरी नहीं होता कि—“मुझे क्या चाहिए?” लेकिन “परमेश्वर क्या चाहता है?” उद्धारकर्ता की तरह, हम भी कहते हैं “जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।”11 हम परमेश्वर का कार्य करना और उसके हाथों में औजार बनना चाहते हैं।12
हमारी प्रगति अनंत है। अध्यक्ष रसल एम. नेलसन ने बताया है कि बहुत कुछ है जो स्वर्गीय पिता चाहता है कि हम सीखें।13 जब हम आगे बढ़ते हैं, तो हम बेहतर ढंग से समझते हैं कि जो प्रभु ने जोसफ स्मिथ को सिखाया था: क्योंकि यदि तुम मेरी आज्ञाओं का पालन करते हो तो तुम उसकी परिपूर्णता को प्राप्त करोगे, और मुझ में महिमा पाओगे, मैं तुम से कहता हूं, तुम अनुग्रह से अनुग्रह प्राप्त करोगे।”14
हम विश्वास की सीढ़ी पर कितना ऊंचा चढ़ते हैं यह हम पर निर्भर है। एल्डर नील एल. एंडरसन ने सिखाया कि “विश्वास संयोग से नहीं, बल्कि चुनाव से किया जाता है।”15 हम उद्धारकर्ता में अपने विश्वास को बढ़ाने के लिए आवश्यक चुनाव कर सकते हैं ।
इन विकल्पों के प्रभाव पर विचार करें जब लबान और लेमुएल ने विश्वास की सीढ़ी से नीचे उतरने का, और नफी ने अधिक ऊंचाई पर चढ़ने का चुनाव किया। क्या यह नफी के दृढ़ विश्वास का अधिक स्पष्ट प्रदर्शन नहीं है कि “मैं जाऊंगा और वह काम करूंगा”16 जबकि लमान और लेमुएल ने स्वर्गदूत को देखकर भी संदेह किया था, “लाबान को हमारे हाथों में सौंपना प्रभु के लिए किस प्रकार संभव हो सकता है?”17
अविश्वास चमत्कार को देखने की हमारी क्षमता में रुकावट डालता है, जबकि उद्धारकर्ता में विश्वास की मानसिकता स्वर्ग की शक्तियों को खोल देती है।
यहां तक कि जब हमारा विश्वास कमजोर होता है, तो प्रभु का हाथ हमेशा हमारी तरफ बढ़ेगा।18 वर्षों पहले मुझे नाइजीरिया में एक स्टेक को पुनः संगठित करने का कार्य मिला था। अंतिम समय में तिथि में परिवर्तन किया गया। स्टेक पर एक व्यक्ति था जिसने सम्मेलन की पहली तिथि को शहर से जाने का फैसला किया था। वह स्टेक अध्यक्ष नियुक्त किए जाने का जोखिम नहीं उठाना चाहता था।
जब वह दूर था, तो उसके साथ एक भयानक दुर्घटना हुई, लेकिन उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इससे वह इस बात पर विचार करने के लिए प्रेरित हुआ कि उसका जीवन क्यों बचाया गया। उसने अपने द्वारा लिए गए निर्णय पर फिर से विचार किया। उसने पश्चाताप किया और विनम्रता से सम्मेलन में भाग लेने आ गया। और हां, उसे नया स्टेक अध्यक्ष नियुक्त करने के लिए पूर्वनियुक्त किया गया था।
एल्डर नील ए. मैक्सवेल ने बताया: “केवल हमारी इच्छाओं को परमेश्वर के साथ पंक्तिबद्ध करने से ही पूरी खुशी प्राप्त होती है। कुछ भी कम का परिणाम कम ही होता है।”19
“सब कुछ जो हमारे वश में है” करने के बाद, समय होता है “स्थिर खड़े रहने के लिए … परमेश्वर के उद्धार को देखने के लिए।”20 मैककॉर्मिक परिवार के यहां सेवकाई करते समय मैंने इसे देखा है। 21 साल से विवाहित, मैरी केह ने अपनी नियुक्ति में विश्वास से सेवा की थी। केन गिरजे का सदस्य नहीं था और उसे इसमें कोई भी दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन अपनी पत्नी से प्रेम के कारण, वह उसके साथ गिरजा जाने का फैसला करता था।
एक रविवार को मैंने महसूस किया की मै केन के साथ अपनी गवाही साझा करूं। मैंने उससे पूछा। उसका उत्तर सरल और स्पष्ट था: “नहीं धन्यवाद।”
मैं हैरान था। मैंने कुछ महसूस किया और फिर उसका अनुसरण करने की कोशिश की। यह तय कर पाना मुश्किल था कि मैंने अपना काम कर दिया। लेकिन प्रार्थना और सोच विचार के बाद, मैं समझ सकता था कि मैंने स्वयं पर बहुत अधिक और प्रभु पर बहुत कम भरोसा किया था।
बाद में मैं फिर से गया लेकिन एक भिन्न सोच के साथ। मैं प्रभु के हाथों में एक औजार की तरह गया, आत्मा का अनुसरण करने के अलावा अन्य कोई इच्छा नहीं थी। अपने विश्वासी साथी गेराल्ड कार्डन के साथ हमने मैककॉर्मिक के घर में प्रवेश किया।
इसके तुरंत बाद, मैंने गेराल्ड को “I Know That My Redeemer Lives” गाने के लिए कहने की प्रेरणा महसूस की थी।21 उसने मुझे हैरानी से देखा, लेकिन मेरे विश्वास पर विश्वास करके, उसने इसे गाया। एक सुंदर आत्मा ने कमरे को भर दिया था। मैंने प्रेरणा महसूस की थी कि मैं मैरी के और उनकी बेटी क्रिस्टिन को उनकी गवाही साझा करने का निमंत्रण दूं। जब उन्होंने ऐसा किया, तो आत्मा अधिक मजबूत होती गई। दरअसल, क्रिस्टिन की गवाही के बाद केन के गालों से आंसू बहने लगे।22
परमेश्वर प्रबल था। हृदयों को न सिर्फ छुआ गया बल्कि हमेशा के लिए बदल दिया गया था। पवित्र आत्मा की शक्ति से इक्कीस साल का अविश्वास धुल गया था। एक हफ्ते बाद, केन ने बपतिस्मा लिया। एक साल बाद, केन और मैरी के को प्रभु के मंदिर में समय और अनंत जीवन के लिए मुहरबंद कर दिया गया था।
हम सब ने साथ में अनुभव किया कि हमारी इच्छा को प्रभु की इच्छा से बदलने का क्या मतलब है, और उसमें हमारा विश्वास बढ़ गया था।
जब आप अपने विश्वास की सीढ़ी पर चढ़ने का प्रयास करते हैं तो कृपया परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं द्वारा पूछे गए कुछ प्रश्नों पर विचार करें:
क्या मेरा अहंकार दूर हो गया है?23
क्या मैं परमेश्वर के वचन को अपने हृदय में स्थान देता हूं?24
क्या मैं अपने कष्टों को अपने लाभ में बदलने की अनुमति देता हूं?25
क्या मैं अपनी इच्छा को पिता की इच्छा में मिलाने के लिए तैयार हूं?26
यदि मैंने उदारकर्ता के प्रेम के गीत को गाने का अनुभव किया है, तो क्या मैं उसे महसूस कर सकता हूं?27
क्या मैं अपने जीवन में परमेश्वर को प्रबल होने देता हूं?28
यदि आप पाते हैं कि आपका वर्तमान मार्ग उद्धारकर्ता में आपके विश्वास के विरोध में है, तो कृपया करके उसके पास वापस जाने का मार्ग खोजें। आपका और आपके वंश का उत्कर्ष इस पर निर्भर करता है।
हम अपने हृदयों में विश्वास के बीज को बोएं। आइये हम इन बीजों को पोषित करें क्योंकि हम अपने आप को उन अनुबंधों के द्वारा उद्धारकर्ता से बांधते हैं जो हमने उसके साथ बनाये हैं। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।